मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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दोहे "विश्व परिवार दिवस-दुनिया में परिवार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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1.बैरागी री ओढ़णी,
सजै सावणा साथ।
डग डागळा चार भरै,
पकडे कजरी हाथ।।
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राष्ट्रकवि भी रहे बैरागीजी के मेहमान सन 1971 में राष्ट्रकवि डॉ. रामधारी सिंह दिनकर का भोपाल आगमन हुआ और वे 10-12 दिन तक बैरागीजी के मेहमान बनकर पुतलीघर बंगले में रहे। दिनकरजी के आगमन के पहले ही दिन बैरागीजी ने मेरा उनसे परिचय कराया। उन्होंने कहा-’यह राजेन्द्र है। सूचना-प्रकाशन विभाग में सेवारत है। मेरे परिवार के एक सदस्य के रूप में यह मुझसे जुड़ा हुआ है। यह बहुत ही सरल, ईमानदार, मेहनती और निष्ठावान है और उससे भी बड़ी बात है कि यह एक अच्छा कवि भी है।’ बैरागीजी ने दिनकरजी से कहा-‘दादा! अपनी व्यस्तता के चलते मैं तो आपके साथ ज्यादा समय नहीं दे पाऊँगा, यह राजेन्द्र ही आपके सम्पर्क में बना रहेगा।’ दिनकरजी को पहले ही दिन जब यह मालूम हुआ कि मैं कवि हूँ, उन्होंने कहा-‘राजेन्द्र! अब तो तुम्हारी और हमारी खूब पटेगी।’
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काव्य कूची अनिता सुधीर आख्या
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यथार्थ को भोगा है
कुछ नया नहीं किया है
अब न पूंछना मैंने क्या किया है |
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श्रीराम वंशज बृहदबल ने कौरवों का साथ क्यों दिया
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हरी मिर्च और दही की चटनी (hari mirch aur dahi ki chutney)
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जैसे नदी मिले सागर से जैसे कोई नदी सागर तक का मार्ग सहज ही खोजती है वैसे ही भीतर की चेतना उस परम चेतना की ओर अग्रसर हो जाती है।
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उन पर अब क्यों वक़्त बहाएँ,
मन थम जाए समय थमेगा
महाकाल सँग इक हो जाएँ !
मन पाए विश्राम जहाँ अनीता
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मुफ्त की रेवड़ी बाँटने की राजनीति से किसका भला हो रहा है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुफ्त बाँटकर लोक लुभावन राजनीति करने पर सीधे प्रहार किया है। उन्होंने कहाकि, हमारे देश में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर वोट बटोरने का कल्चर लाने की कोशिश हो रही है।यह रेवड़ी संस्कृति देश के विकास के लिए बहुत घातक है
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मुरादाबाद के साहित्यकार अशोक विश्नोई के लघुकथा संग्रह "सपनों का शहर" की योगेंद्र वर्मा व्योम द्वारा की गई समीक्षा- ‘संवेदनाओं के अमृत सरोवर में आकंठ डूबी लघुकथाएं’ लघुकथा के संबंध में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गिरिराज शरण अग्रवाल ने महत्वपूर्ण रूप से व्याख्या करते हुए कहा है कि ‘लघुकथा किसी क्षण विशेष में उपजे भाव, घटना या विचार की संक्षिप्त और शिल्प से तराशी गई प्रभावी अभिव्यक्ति है।
साहित्यिक मुरादाबाद मनोज रस्तोगी
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Laptop को हिंदी में क्या कहते हैं
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ग़ज़ल खुद में ही मस्त रहोगे तो घमंडी हो जाओगे खुद में ही मस्त रहोगे तो घमंडी हो जाओगे बेतुके बेबुनियाद और पाखंडी हो जाओगे मई की गर्मी जैसे भले हों हौसले तुम्हारे फाइलों के जाल में फंसकर ठंडी हो जाओगे
साहित्यमठ हरि नारायण तनहा
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मोबाइल का उपयोग और व्यक्ति का अकेलापन
दुष्परिणाम व्यक्तियों के अकेले होने के रूप में सामने आ रहा है. इसकी परिणति अवसाद, निराशा, कुंठा, अपराध, नशे की प्रवृत्ति आदि के रूप में दिखती हुई आत्महत्या तक जा पहुँची है. इसे कोई बनाई हुई आभासी स्थिति न कहिये बल्कि महसूस कीजिये.
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नारी खड़ी बाजार में-बेचे अपनी देह
नारी को अगर वास्तव में सशक्त होना है तो दिमाग के बल पर होना होगा शरीर के बल पर नहीं और शरीर के बल पर और दिमाग के बल पर आधारित नारी की प्रगति के स्थायित्व के अंतर को वे बखूबी देख सकती है राखी सावंत आज कहाँ है और इंदिरा नुई आज कहाँ हैं .पूनम पांडे आज कहाँ हैं और सुनीता विलियम्स आज कहाँ हैं .इसलिए विचार करें नारी अपने व्यक्तित्व पर न कि शरीर की बिक्री पर .
शालिनी कौशिक एडवोकेट
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फसाने जैसा फसानाकार: स्टीफन स्वाइग
वो एक ऐसा फसानाकार था जिसकी खुद की जिंदगी किसी फसाने से कम न थी।
उसने जिस विधा को हाथ लगाया, कमाल कर दिखाया। वो जहाँ था, वहाँ शानदार था।
उन्नीस साल की उम्र में उसने अपने पहले ही कविता संग्रह से धूम मचा दी थी ।
उसके उपन्यास 'बिवेयर आफ पिटी' ने उसे बहुत ख्याति दिलवाई । 'एमाॅक' , 'बर्निंग सीक्रेट' , 'फैन्टास्टिक नाइट' आदि उसके ऐसे उपन्यास हैं जिनकी मिसाल मिलना मुश्किल है ।
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कविता- लॉकडाउन के बाद नया जीवन
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जमाने से, बढ़ती दूरियों में,
दिल के नजदीक हो तुम!
मेरी, सबसे मुलाकातों में,
रूह सी मौजूद हो तुम!
और तो क्या कहूँ, बस,
मेरी, हर सांस में बहती,
प्राण रूप में सर्वस्व हो तुम!!
Chitransh soul डी.पी.माथुर
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मेरी फोटोग्राफी-नज़र का कमाल है हरेक चित्र देखिएगा... कुछ हटकर नज़र आएगा।
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आज के लिए बस इतना ही...!
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सुप्रभात सर।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन।
स्थान देने हेतु हार्दिक आभार।
सादर प्रणाम
उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! बेहतरीन सूत्रों का सुंदर संयोजन, आभार!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सूत्रों का चयन ।सुंदर और श्रमसाध्य चर्चा प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति, मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏🙏
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंवाह, साहित्यिक मुरादाबाद में प्रस्तुत योगेंद्र वर्मा व्योम जी की समीक्षा यहां साझा करने के लिए आपका हृदय से बहुत बहुत आभार ।
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