मित्रो!
रविवार की चर्चा में देखिए कुछ लिंक!
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आसमान अब झुका धरा भरी उमंग से।
लो उठी अहा लहर मचल रही तरंग से।।
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शुचि रजत बिछा हुआ यहाँ वहाँ सभी दिशा।
चाँदनी लगे टहल-टहल रही समंग से।।
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ग़ज़ल "जालिम जमाने में" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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पढ़ने की आदत विकसित करना ,
कौन सी किताबें पढ़नी चाहिए?
गुलज़ार जी ने इस पर खूब कहा है कि
"किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से
बड़ी हसरत से तकती हैं
महीनों अब मुलाकातें नहीं होती
जो शामें उनकी सोहबत में कटा करती थीं
अब अक्सर गुज़र जाती है कम्प्यूटर के पर्दों पर
बड़ी बेचैन रहती हैं क़िताबें
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'उसूल' तो कुछ थे ही नहीं,
जिनके दूर हो जाने का डर सताता,
सिर्फ़, मेरे ख्वाबों का अनुसरण ही,
बता सकता है, मुझे रास्ता।
'परचेत' पी.सी. गोदियाल परचेत
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चाह ज्ञान की जगे निरंतर जीवन अनुभवों का दूसरा नाम है। हर अनुभव हमें कुछ न कुछ सिखाता है। यदि हम सीखने को सदा जारी रखें तो जीवन एक सुंदर यात्रा बन जाता है। यदि कोई कुछ सीखना न चाहे तो उसके लिए जीवन एक संघर्ष बन जाएगा। बच्चा सीखता है, इसलिए उसका मन ताज़ा बना रहता है। विद्यार्थी सीखता है और नए-नए विषयों को जानकर चमत्कृत होता है।
डायरी के पन्नों से अनीता--
गाँव चलूँगा...! | हिंदी कविता | योगेश मित्तल
अब मन लगता नहीं शहर में,
अब मैं यारों गाँव चलूँगा!
मखमल जैसी हरी घास पर,
नंगे - नंगे पाँव चलूँगा!
मिट्टी की सोंधी खुश्बू से,
मन उपवन - सा खिल जायेगा!
कदम जिधर भी ले जायेंगे,
कोई अपना मिल जायेगा!
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ताना बाना उषा किरण
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खोटे सिक्के का और सेमी खोटे सिक्कों का गणित श्री भगवतीचरण वर्मा जी की एक कहानी पढ़ी थी. दो मित्र एक अर्से के बाद एक-दूसरे से मिलते हैं. एक मित्र एक आम किशोर से एक आम बुज़ुर्ग में तब्दील हो जाता है जब कि दूसरा मित्र राजनीति के अखाड़े में छलांग लगाने के बाद उसी अवधि में एक आम किशोर से सर्वशक्तिमान मंत्री हो जाता है.
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मेरी दुनिया विमल कुमार शुक्ल विमल
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Nayekavi वासुदेव अग्रवाल नमन
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आपका ब्लॉग आनन्द पाठक
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इंस्टेंट नींबू का खट्टा मीठा अचार (Instant lemon pickle)
पारंपरिक तरीके से नींबू का अचार बनाने में बहुत वक्त लगता है क्योंकि नींबू गलने (soft) में ही 20-25 दिन लग जाते है। फ़िर चीनी डालना...मतलब लगभग एक महीने में नींबू का अचार बन कर तैयार होता है। कभी-कभी घर में नींबू का अचार खत्म हो जाता है और खाने की इच्छा होती है। तो ऐसे में चिंता की कोई बात नहीं है। 'आपकी सहेली' है न! मैं आपको इंस्टेंट नींबू का अचार बनाने की विधि बताउंगी जो सालोसाल ख़राब नहीं होगा...इस विधि से अचार झटपट बन जाएगा और स्वाद भी वो ही पारंपरिक वाला ही रहेगा। आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल--
कांग्रेस की ‘सफाई’ या ‘सफाए’ की घड़ी
गुलाम नबी आज़ाद ने इस्तीफा ऐसे मौके पर दिया है, जब कांग्रेस पार्टी बड़े जनांदोलन की तैयारी कर रही है। 4 सितंबर को दिल्ली में महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ रैली है। 7 सितंबर से राहुल गांधी ‘भारत-जोड़ो’ यात्रा पर निकलने वाले हैं। यह यात्रा महात्मा गांधी की यात्राओं की याद दिला रही हैं। क्या ‘गांधी’ की तरह राहुल भी इस देश का मन जीतने में समर्थ होंगे? जिज्ञासा--
आज के लिए बस इतना ही...!
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उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंलाजवाब संग्रह आज का।
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! बेहतरी रचनाओं के सूत्र देती सुंदर चर्चा! आभार 'डायरी के पन्नों को' शामिल करने के लिए !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सराहनीय अंक। सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबेहद सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन और उम्दा, सर🙏
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
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जवाब देंहटाएंविविधतापूर्ण बहुत सुंदर सराहनीय अंक। सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार🙏😊
विविधतापूर्ण बहुत सुंदर सराहनीय अंक। सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनाएं। मेरी रचना शामिल करने के लिए हार्दिक आभार🙏😊
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आपका
जवाब देंहटाएंविविधता लिए सुंदर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
सभी सामग्री बहुत आकर्षक पठनीय सुंदर।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
मेरी रचना को इस मंच के लायक समझने के लिए धन्यवाद और आभार, कामिनी जी।🙏
जवाब देंहटाएंअच्छा सफर है आज का, कुछ शिक्षक दिवस विशेष प्रविष्टियां और बाकी अन्य विषयों पर रोचक रचनाएँ।
शुभकामनाएं।
बहुत सुंदर व सराहनीय लिंक
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