सादर अभिवादन स्वागत है आप सभी का (शीर्षक और भूमिका आदरणीया अनीता जी की रचना से)
अन्नपूर्णा भरे भंडार
सर्वमंगला मंगल लाए,
परम शक्ति चण्डिका अपर्णा
माँ भैरवी भय हर ले जाय !
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नवरात्रि का दूसरा दिन
माँ के "ब्रह्मचारिणी" रूप का पूजन
ब्रह्मचारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली
माता का यह रूप हमें अपने आचरण को परखने और निखारने की सीख देता है
अपने आचरण को सयंमित कर गृहस्थ जीवन में रहना भी एक तप है
"माँ ब्रह्मचारिणी" हमें अपने चरित्र और आचरण को शुद्ध रखने की शक्ति दे
इसी मंगल कामना के साथ चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
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दोहे "आते हैं नवरात्र" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
श्राद्ध गये तो आ गये, माता के नवरात्र।
लीला का मंचन करें, रामायण के पात्र।।
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सबको देते प्रेरणा, माता के नवरूप।
निष्ठा से पूजन करो, लेकर दीपक-धूप।।
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जगज्जननी ! महा मूल प्रकृति !
ज्योतिस्वरूपा वामदेवी,
जगदम्बा, ईशा, सरस्वती
लक्ष्मी, गंगा, उमा, पार्वती !
देवी मैया ओ अम्बे मैया
कर दो मेरा बेड़ा पार भव सागर से
तुम तक सरलता से पहुंचूं
खाऊँ न हिचकोले मध्य भवर में |
बड़ी बड़ी लहरें आई हैं मुझे डरानें
भव सागर से कैसे बेड़ा पार लगाऊँ
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भोर भये रवि आने से पहले,
देख नहीं मैं पाई, भवानी मोरे अँगनवाँ
बाग हँसन लगे, कमल खिलन लगे
कलियाँ हैं लहराईं, भवानी मोरे अँगनवाँ
गोदिया बालक हँसि मुस्काने
मोहें नज़र नहीं आईं,भवानी मोरे अँगनवाँ
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हर सिम्त है बिखरा
नूर तेरा
हर शै में
तू ही समाया,
ढूंढ रहे तोहे
मंदिर मस्जिद
जग पगला भरमाया.....
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स्कूल शिक्षा के लिए हैं, बच्चे सीखते हैं, किताबों से, प्रायोगिक तरीकों से...। आज प्रकृति और वन्य जीव खतरे में हैं... समझना मुश्किल है कि कैसे बचेंगे...? हमें सही अंकुरण बच्चों में करना होगा... आपने इस तरह जीवों की प्रतिकृति अनेक स्कूलों, सार्वजनिक स्थानों पर देखी होंगी...। हम बो रहे हैं बच्चों के विचारों में कि इन प्रतिकृति में कचरा भर सकते हैं...। सोचिए वह किन उदाहरणों और सबकों के साथ बड़ा होगा... और ऐसे में वह प्रकृति और वन्य जीवों के प्रति कितना सकारात्मक होगा... समझना मुश्किल नहीं है...।----------------------------------एक सच्चा स्वतंत्रता सेनानी
1976 की बात है. माता इंदिरा गांधी की कृपा से तब देश में इमरजेंसी लगी हुई थी.
उन दिनों पिताजी हरदोई में चीफ़ जुडिशिअल मजिस्ट्रेट थे.
1972 में भारत की स्वतंत्रता के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में स्वतंत्रता सेनानियों को पेंशन दिए जाने की घोषणा की गयी थी लेकिन इस योजना का कार्यान्वयन इमरजेंसी के दौरान ही हो पाया था.
एक बार पिताजी अपने रूटीन चेकअप के लिए हरदोई के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल गए थे जहाँ पर उनकी मुलाक़ात सी० एम० ओ० (चीफ़ मेडिकल ऑफ़िसर) से हो गयी.
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दिवाली की तैयारियों में आप भी ग्रामीण महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करा सकते हैं इन्हें अपने घरों के रंग रोगन और साज सज्जा में शामिल कर सकते हैं। इसी बहाने दूसरों के घर भी रौशन हो जाएंगे।
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धीर और गंभीर : कवि/शायर रणधीरजी हां, मैं बात कर रहा हूं बरेली-उ०प्र० में जन्मे प्रसिद्ध कवि और शायर श्री रणधीर प्रसाद गौड़ 'धीर' जी की। धीर जी को कविता और शायरी का फ़न विरासत में मिला है।आपके पिता स्मृतिशेष श्री देवीप्रसाद गौड़ 'मस्त' बरेलवी साहब अपने ज़माने के जाने माने शायर थे। श्री रणधीर प्रसाद गौड़ धीर साहब रेलवे के सीनियर सैक्शन इंजीनियर के पद से सेवा निवृत्ति प्राप्त करके आजकल स्वतंत्र साहित्य सृजन और समाज सेवा के कार्यों में निमग्न हैं।---------------------------आज का सफर यही तक आपका दिन मंगलमय हो कामिनी सिन्हा
सराहनीय लिंकों की चर्चा का अंक ।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना के लिंक को शामिल करने के लिए आपका आभार @ चर्चाकार कामिनी सिन्हा जी।
सराहनीय लिंकों की चर्चा |मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद कामिनी जी |
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा..। आभारी हूँ कामिनी जी...। साधुवाद
जवाब देंहटाएंसुंदर व सार्थक भूमिका, माँ ब्रह्मचारिणी को शत शत नमन! सुंदर प्रस्तुति, आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंचर्चामंच को माँ भारती की सेवा में सतत लगे रहने के लिए प्रणाम !
जवाब देंहटाएंआप सभी को नवरात्रि महापर्व की बहुत शुभकामनाये !
जय माता दी !
बहुत सुंदर सराहनीय अंक। मेरे गीत को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय कामिनी जी ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआप सभी को हृदयतल से धन्यवाद 🙏
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