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मंगलवार, सितंबर 06, 2022

"गुरु देते जीवन संवार"(चर्चा अंक-4544)

सादर अभिवादन 

आज  प्रस्तुति आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

शीर्षक और भूमिका आदरणीय दीपक कुमार भानरे 

एक नन्हा मासूम ,

जो जानता नहीं ,

बाहरी दुनिया के कायदे कानून,

अभी तो सीखा है चलना ,

अभी छूटा कहां मचलना ,

इतना भी रहता नहीं होश,

कि कब जाना है शौच ,

जलाने को ज्ञान का दीप,

गुरु को देते हैं सौंप ।

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गुरु चरणों को वंदन करते हुए चलते हैं,आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....

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 दोहे "गुरुओं का सोपान"

 (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')

आओ शिक्षक दिवस पर, प्रण करलें हम आज।
गुरुओं के सम्मान को, करता रहे समाज।।
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ज्ञानदायिनी मात के, सत् गुरु होते दूत।।
देते हैं उस ज्ञान को, जो होता अनुभूत।।
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गुरु देते जीवन संवार ।

एक उम्र दराज ,

कितनी जिम्मेदारियां और काज ,

शरीर का होता विघटन,

शांत नहीं चित और मन ,

जरूरतों का बढ़ता दामन ,

जिसके लिए जुटाना संसाधन ,

जब पाते गुरु जी की शरण ,

मिलता सब बातों का निराकरण ।

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छुपी हुई हर प्रतिभा को अब

अंतहीन विस्तार है यहाँ 

केवल गगन हमारी सीमा, 

जो चाहे वह पा सकते हैं 

अति अद्भुत चेतन की महिमा !

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वाह रे ! बचपन

काग़ज़ी  नाव  जल  में  चलाने  लगे,
ख़ूब  छत   पर   पतंगें   उड़ाने  लगे।
स्वप्न में साथियो नित्य हम फिर वही,
सब  मज़े  बालपन  के  उठाने  लगे।
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शिक्षक

 शिक्षक   ऐसे   बुनकर हैं जो, वस्त्र  बनाते  ज्ञान  के।
    शिक्षक   ऐसे   स्वर्णकार जो, गहने  गढ़ते   ज्ञान  के।
    शिक्षक   ऐसे   माली हैं जो , फूल खिलाते  ज्ञान  के।
    शिक्षक   ऐसे   पंडित हैं जो , पूजन करते   ज्ञान  के।
    शिक्षक   ऐसे   त्रृषि-मुनि हैं जो, दीक्षा देते  ज्ञान  के।
    शिक्षक   ऐसे   दीपक हैं जो,ज्योत जलाते  ज्ञान  के।
    शिक्षक   ऐसे   मार्गदर्शक जो,राह दिखाते  ज्ञान  के।
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अतिथि

-------------------फिक्र

यूं, बिछड़ कर, सदा जिक्र में जो रहे,
क्या हो, कल किसी राह में, अगर वो फिर मिले!
जग उठे, शायद, फिर वो ही अनबुने सपने,
जल उठे, फिर, अधबुझी सी वो शमां,
इक अंधेरी रात में!
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वादा तेरा वादा!

अब लाख टके का सवाल उठता है कि जब नेता लोग अपने वादे पूरे करते ही नहीं हैं तो जनता इनके झांसे में आ कैसे जाती है? कहावत है कि जहाँ लालच और मूर्खता हो वहां ठग भूखे नहीं मरते! बस सारा रहस्य इसी एक वाक्य में छुपा है। सवाल उठता है कि क्या सारी जनता लालची और मूर्ख है। उत्तर है नहीं। लेकिन जो नेता रूपी 'ठग' हैं वे अत्यधिक कुशल हैं और अपने  कौशल के दम पर जनता को मूर्ख और लालची बना देते हैं! इन 'ठगों' की चतुराई से जनता अक्सर हार जाती है। सच बोलने से इनकी दुश्मनी है!
--------------------------आज का सफर यही तक,अब आज्ञा दें आपका दिन मंगलमय हो कामिनी सिन्हा 

9 टिप्‍पणियां:

  1. आदरणीय मेम,
    मेरी रचना " गुरु देते जीवन संवार" की चर्चा इस अंक "गुरु देते जीवन संवार"(चर्चा अंक-4544) पर शामिल करने हेतु बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सभी रचनाएं बहुत उम्दा है , आप सभी आदरणीय को बहुत बधाइयां । आपकी इन रचनाओं के माध्यम से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिलता है अतः सभी गुरुओं को सादर नमन ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं
  2. आपका परिश्रम सराहनीय है @कामिनी सिन्हा जी।
    मुझे भी चर्चा में शामिल करने के लिए आपका बहुत आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. समस्त लेखाकारों व गुणीजनों को सादर नमन।।।।

    जवाब देंहटाएं
  4. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति, सभी रचनाएं उत्तम,सबके ब्लॉग पर जाकर पढ़ी।विविधता पूर्ण
    रचनाएं पढ़कर आनंद आ गया।मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार सखी सादर

    जवाब देंहटाएं
  5. 'गुरु देते जीवन संवार' शीर्षक से सुंदर और सार्थक चर्चा प्रस्तुति के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय कामिनी सिन्हा जी। चर्चा में मुझे भी शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर और आकर्षक अंक ,बधाई सभी रचनाओं के रचनाकार को। सुजाता

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  8. मंच पर उपस्थित होकर उत्साहवर्धन करने हेतु आप सभी स्नेहीजनों को हृदयतल से धन्यवाद एवं सादर नमस्कार 🙏

    जवाब देंहटाएं

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