सादर अभिवादन।
शुक्रवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
शीर्षक व काव्यांश आदरणीय डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' जी की रचना से -
जन्मदिन पर मैं सतत् उपहार दूँगा।
प्यार जितना है हृदय में, प्यार दूँगा।।
--
साथ में रहते जमाना हो गया है,
“रूप” भी अब तो पुराना हो गया है,
मैं तुम्हें फिर भी नवल उद्गार दूँगा।
प्यार जितना है हृदय में, प्यार दूँगा।।
आइए अब पढ़ते हैं आज की पसंदीदा रचनाएँ-
--
मेरी जीवन संगिनी का जन्मदिन "साथ तुम मझधार में मत छोड़ देना"
साथ तुम मझधार में मत छोड़ देना,
प्रीत की तुम डोर को मत तोड़ देना,
सुमन कलियों से सुसज्जित चमन में,
फैसले का मैं तुम्हें अधिकार दूँगा।
प्यार जितना है हृदय में, प्यार दूँगा।।
--
--
वो भाषण सुन के पत्थर को उठाने झुक गया होगा
वो सजदे में नहीं था आपको धोखा हुआ होगा
--
ऊंची बिल्डिंग्स की चोटी को ऐसे देखे
कि सिर से टोपी ही गिर जाए तो
समझ जाओ कि बंदा हिंदुस्तानी है।
--
संस्कृति की परिभाषा
उन्नति की यही आशा
राष्ट्रभाषा बने हिन्दी
मुहिम चलाइये
--
तुम जीते थे तुम फिर जीते
आज तलक जीते ही जीते ।
खेल खेलती रही साथ मैं
पल-पल करते सौ युग बीते ॥
अब क्या दूँ इनाम मैं तुमको
दे डारा सब झार बलम जी ॥
--
बिकाऊ लोग
वे गिरे
हमें हंसी आई ,
वे भूख से बिलबिला रहे थे
हम भरे पेट डकार रहे थे,
उन्होंने एक कहानी कही ;रोटी की
हमने विकास का राग अलापा,
--
सफर के सजदे में: उम्र तो यूँ ही गुज़र जाती है
ज़िन्दगी कुछ यूँ ही गुजर जाती है ,साल भर के तीज-त्यौहार , व्रत-पर्व ,दिन-महीनों को तारीख़ों की तरह गिनते-गिनते
स्कूल-कालेज, जॉब ,शादी ,बच्चे ,चोट-चपेट के सालों को उँगलियों पर गिनते-गिनते
--
: सवाल - लघुकथा
“ब्रेन ड्रेन का प्रसंग उठा कर आप क्या प्रूव करना चाहती हैं माँ, यू एस में मिले इतनी बड़ी मल्टी नेशनल कंपनी के प्रस्ताव को ठुकरा देना सही होगा ? क्या उसकी जगह देश में ही किसी छोटी मोटी कंपनी में कामचलाऊ वेतन के साथ समझौता करके अपनी योग्यता और प्रतिभा को हाशिये पर सरका मुझे भी यहाँ के हताश लोगों की कम्यूनिटी का हिस्सा बन जाना चाहिए ?” गौरव के सवाल की गूँज जैसे हर पल के साथ बढ़ती जा रही थी !
--
आज का सफ़र यहीं तक
@अनीता सैनी 'दीप्ति
सार्थक और श्रमसाध्य चर्चा संकलन के लिए आपको बहुत-बहुत
जवाब देंहटाएंबधाई हो ।
मुझे भी चर्चा में शामिल करने के लिए आपका कृतज्ञ हूँ @अनीता सैनी 'दीप्ति जी।
बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज की चर्चा ! मेरी लघुकथा 'सवाल' को भी सम्मिलित किया आपने, आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनिता जी , मैं चाह कर भी किसी भी पोस्ट पर अपने गूगल अकाउंट से टिप्पणी नहीं दे पा रही । सेटिंग्स गड़बड़ हैं । मिसेज़ शास्त्री को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई।
जवाब देंहटाएंSharda Arora
shardaarora.blogspot.com
सादर नमस्कार दी।
हटाएंकोई बात नहीं आप आए बहुत अच्छा लगा।
सादर
उत्कृष्ट लिंकों से सजी लाजवाब चर्चा प्रस्तुति । मेरी रचना को भी चर्चा में सम्मिलित करने हेतु दिल से धन्यवाद एवं आभार अनीता जी !
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई एवं शुभकामनाएं ।
बहुत सुंदर सराहनीय अंक।मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार आपका ।
जवाब देंहटाएं