सादर अभिवादन
आज रविवार की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है
(शीर्षक और भूमिका आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से )
दोहे "श्रद्धा में मत कीजिए, कोई वाद-विवाद"
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
नाचे गाये मोर पपीहा
पादप झूम रहे हैं
बागों में कलियाँ मुस्काई
भँवरे घुम रहे हैं
बीच सरि के ठुम ठुम डोले
काठ मँढ़ी इक तरणी।।
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जब बांह थामी थी मेरी
वादा किया था साथ निभाने का
जन्म जन्मान्तर का साथ अधूरा क्यों छोड़ा?
आशा न थी मध्य मार्ग में बिछुड़ने की
उस वादे का क्या जो जन्म जन्मान्तर तक
साथ निभाने का किया था
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रानीखेत एक्सप्रेस से दिल्ली-काठगोदाम का सफ़र कर के मैं काठगोदाम पर अल्मोड़ा जाने वाली एक शेयर्ड टैक्सी की तलाश में था.
जल्द ही अल्मोड़ा जाने वाली एक खाली टैक्सी मिल गयी.
मैं पीछे की विंडो वाली एक सीट पर बैठ गया.
कुछ देर बाद एक लड़की और उसके पिता श्री मेरे बगल में आ कर बैठ गए.
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तौबा है ऐसे इन्सानों से ,
अल्लाह बचाए----"
और इधर मैं गा रहा था--
बाते हैं मीठी मीठी , रचना है फीकी फीकी।
कहता हूँ मै सीधे सीधे, कविताएँ उल्टी-पुल्टी
अल्लाह बचाए ’टैग वालों ’ से । अल्लाह !
अल्लाह बचाए---
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बरखा रिमझिम फुहार हो (कविता ) #भोजपुरी पावस गीत रिमझिम फुहार हो, नाचे लागल गुजारिया. नील आकाशवा पर तनल बा चदरिया काली काली कजरारी घिरेला बदरिया गोरी अपन चुनरी संवार हो, भींग जाई अंचरवा. बरखा क़े रिमझिम फुहार हो, नाचे लागल गुजरिया. पेड़वा क़े पतवा पर गिरेला बुंदिया जलवा भरल औ उफ़नल बा नदिया. मनवा में भरल बा हुलास हो, चली अब हरवा कुदरवा.--------------------------------जाने चले जाते हैं कहाँ .....
सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत
बहुत धन्यवाद, कामिनी सिन्हा जी।
उम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर संकलन
जवाब देंहटाएंसुंदर सराहनीय अंक कामिनी जी ।बधाई और आभार ।
जवाब देंहटाएंप्रशंसनीय अंक।
जवाब देंहटाएंविविधता लिए सुंदर चर्चा।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह।
उम्दा लिनक्स से सजा अंक आज का |मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार |
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