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ग़ज़ल "सुख की तमन्ना क्या करें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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चारों ओर तमस यहाँ है ।
उबड़-खाबड़ दुर्गम राहें ,
अंत नहीं दिखता ।
पट्टी बंधी दृग पटल पर ,
पग से पग अटका ।
तिमिरमयी रजनी में अब ,
उजियारे की किरण कहाँ है ।
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कुछ रखना कुछ बकना ना कहे कोई घड़ा चिकना हो गया
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स्वर्णिम युग इस भू पर लाने
योग धर्म का ध्वज लहराने,
व्यर्थ जले, रहे शेष सार्थक
मिलकर हम यही प्रयास करें !
नव भारत का निर्माण करें !
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केदारनाथ मंदिर, हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियो, वैज्ञानिकों की विद्वता का साक्षात प्रमाण
केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले में भगवान शिव का विश्वप्रसिद्ध मंदिर है। हिमालय के दुर्गम क्षेत्र में स्थित मंदिर का शिवलिंग अति प्राचीन है ! यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ ही चार धाम और पंच केदारों में से भी एक है ! यहाँ की विषम जलवायु और प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण इसके कपाट, प्रभु दर्शनार्थ सिर्फ अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही खुलते हैं ! पत्थरों से कत्यूरी शैली में बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने तथा इस का जीर्णोद्धार आदि शंकराचार्य जी ने करवाया था ! इसकी आयु का कोई ऐतिहासिक प्रमाण तो उपलब्ध नहीं है पर विज्ञान के अनुसार इसका निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था ! वैसे तत्कालीन विवरणों के अनुसार यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अपने अस्तित्व में है !
मंदिर एक छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। इसके मुख्य भाग, मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। मन्दिर को तीन भागों में बांटा जा सकता है, गर्भ गृह, मध्य भाग व सभा मण्डप। गर्भ गृह के मध्य में भगवान श्री केदारेश्वर जी का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थित है, जिसके अग्र भाग पर गणेश जी की आकृति और साथ ही माँ पार्वती का श्री यंत्र विद्यमान है। ज्योतिर्लिंग पर प्राकृतिक यज्ञोपवीत और इसके पृष्ठ भाग पर प्राकृतिक स्फटिक माला को आसानी से देखा जा सकता है । श्रीकेदारेश्वर ज्योतिर्लिंग में नव लिंगाकार विग्रह विद्यमान हैं, इसी कारण इस ज्योतिर्लिंग को नवलिंग केदार भी कहा जाता है।
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बहुत हल्का है उन्मुक्त नील आकाश का
वज़न, अगर हम उसका बेफ़िक्र
अंदाज़ अपने में समा लें,
पंखुड़ियों से उतर कर दिल की ज़मीं पर,अग्निशिखा
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सोना की कहानी सुन लेने के बाद आस पास के गाँवों के लोग माँ और पूजा के पास लगभग रोज ही घायल-अनाथ हिरण ले कर आने लगे हैं और देखभाल का आग्रह करने लगे हैं। घायल हिरणों की मरहम पट्टी अब उनकी दिनचर्या का अंग है। ठीक होने के बाद ये सब हिरण वन विभाग के समीपस्थ संरक्षण केंद्र में अथवा वापिस वन में भेजे जाने लगे हैं। इससे सोना के बाद और भी बहुत से हिरण अकाल मौत से बचाए जा चुके हैं। मानो सोना पहले पहल अपने कुल कुनबे की राजदूत बन कर ही वन से मानव समाज में आई हो।
Bahut-kuch लक्ष्मण बिश्नोई 'लक्ष्य'
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हौसलो से उड़ान होती है आज मैं विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए सफलता की सीढियां चढ़ रहे जिस व्यक्ति के बारे में आपसे बातचीत करने जा रहा हूं उसके हौसले और संघर्ष को देखकर मुझे दो मशहूर साहित्यकारों के ये शेर याद आ रहे हैं : मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही, हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए।
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ध्रुव तारा भारत का - इंदिरा गांधी जी इंदिरा प्रियदर्शिनी ऐसा ध्रुवतारा थी जिनकी यशोगाथा से हमारा भारतीय आकाश सदैव दैदीप्यमान रहेगा।
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लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती पर कविता
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मेरी दुनिया विमल कुमार शुक्ल
पुरवाई --विकास की अवधारणा में गाँव कहाँ हैं ?
अमरकांत और श्रीलाल शुक्ल विशुद्ध में ग्रामीण पृष्ठभूमियों में प्रचुर लेखन करने वाले कथाकार नहीं हैं। यद्यपि अमरकांत ग्रामीण इलाके से ही शहर में आए; जिस तरह हिंदी में अनेक रचनाकार आए हैं। प्रेमचंद, शिवपूजन सहाय, जगदीश चंद्र, फणीश्वर नाथ रेणु, राही मासूम रजा, मार्कंडेय, शिवमूर्ति और हरनोट आदि कथाकारों की तरह अमरकांत ग्रामीण लेखन के रचनाकार नहीं हैं, उन्हें हम प्रेमचंद की कहानी की परंपरा को अग्रसर करने वाले कहानीकार अवश्य मान सकते हैं।अभिप्राय --पीओके बनेगा बीजेपी का चुनावी-मुद्दाजिज्ञासा --एक रोचक भविष्य की गाथा ईबुक का किंडल संस्करण एमेज़ॉन पर उपलब्ध है और आप अपने देश के एमेज़ॉन /किंडल लिंक से इसे प्राप्त कर सकते हैं। सदा की तरह इस बार भी, आपकी प्रतिक्रियाओं व सुझावों का स्वागत है।
* An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *
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आज के लिए बस इतना ही...!
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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सुन्दर सूत्रों से सजी बहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे सृजन को इस अंक में सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी सर । सादर…।
जवाब देंहटाएंआभार आदरणीय|
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! विविधरंगी चर्चा, मन पाए विश्राम जहाँ को स्थान देने हेतु हृदय से आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग का लिंक देने के लिए हार्दिक आभार। सुन्दर लिंको को एकत्र कर यहाँ प्रकाशित करने के साधुवाद।
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