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बुधवार, नवंबर 02, 2022

"जंगल कंकरीटों के" (चर्चा अंक-4600)

मित्रों।

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 

कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।

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ग़ज़ल "सुख की तमन्ना क्या करें" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

आम, जामुन, नीम-शीशम, जल गये हैं आग में
कुछ कँटीले पेड़ ही अब, रह गये हैं बाग में
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सुमन तो मुरझा गये हैं, सिर्फ काँटे ही बचे,
प्रीत पहले सी नहीं, अब तो रही अनुराग में

उच्चारण 

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“तमस” 

चारों ओर तमस यहाँ है ।

उबड़-खाबड़ दुर्गम राहें ,

अंत नहीं दिखता ।

पट्टी बंधी दृग पटल पर ,

पग से पग अटका ।

तिमिरमयी रजनी में अब ,

उजियारे की किरण कहाँ है ।

मंथन 

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कुछ रखना कुछ बकना ना कहे कोई घड़ा चिकना हो गया 

उगलते उगलते उगलना निगलना हो गया
बहकते बहकते बहकना संभलना हो गया

आज का कल मेँ कल का परसों मेँ बदलना हो गया
फिसलना दिन और रात का  महीना निकलना हो गया 

उलूक टाइम्स 

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नव भारत का निर्माण करें 

स्वर्णिम युग इस भू पर लाने 

योग धर्म का ध्वज लहराने, 

व्यर्थ जले,  रहे शेष सार्थक

मिलकर हम यही प्रयास करें !

नव भारत का निर्माण करें !

अनीतामन पाए विश्राम जहाँ 

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केदारनाथ मंदिर, हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियो, वैज्ञानिकों की विद्वता का साक्षात प्रमाण 

केदारनाथ मंदिर भारत के उत्तराखंड में रुद्रप्रयाग जिले में भगवान शिव का विश्वप्रसिद्ध मंदिर है। हिमालय के दुर्गम क्षेत्र में स्थित मंदिर का शिवलिंग अति प्राचीन है ! यह बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ ही चार धाम और पंच केदारों में से भी एक है ! यहाँ की विषम जलवायु और प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण इसके कपाट, प्रभु दर्शनार्थ सिर्फ अप्रैल से नवंबर माह के मध्य ही खुलते हैं ! पत्‍थरों से कत्यूरी शैली में बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पांडवों के पौत्र महाराजा जन्मेजय ने तथा इस का जीर्णोद्धार आदि शंकराचार्य जी ने करवाया था ! इसकी आयु का कोई ऐतिहासिक प्रमाण तो उपलब्ध नहीं है पर विज्ञान के अनुसार इसका निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था ! वैसे तत्कालीन विवरणों के अनुसार यह मंदिर कम से कम 1200 वर्षों से अपने अस्तित्व में है !

मंदिर एक छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। इसके मुख्य भाग, मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। मन्दिर को तीन भागों में बांटा जा सकता है, गर्भ गृह, मध्य भाग व सभा मण्डप। गर्भ गृह के मध्य में भगवान श्री केदारेश्वर जी का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग स्थित है, जिसके अग्र भाग पर गणेश जी की आकृति और साथ ही माँ पार्वती का श्री यंत्र विद्यमान है। ज्योतिर्लिंग पर प्राकृतिक यज्ञोपवीत और इसके पृष्ठ भाग पर प्राकृतिक स्फटिक माला को आसानी से देखा जा सकता है । श्रीकेदारेश्वर ज्योतिर्लिंग में नव लिंगाकार विग्रह विद्यमान हैं, इसी कारण इस ज्योतिर्लिंग को नवलिंग केदार भी कहा जाता है।

कुछ अलग सा 

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अप्रत्याशित किसी स्टेशन पर 

बहुत हल्का है उन्मुक्त नील आकाश का
वज़न, 
अगर हम उसका बेफ़िक्र
अंदाज़ 
अपने में समा लें,
पंखुड़ियों से उतर कर  
दिल की ज़मीं पर,अग्निशिखा 

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सुंदर सलौना मृगछौना 

सोना की कहानी सुन लेने के बाद आस पास के गाँवों के लोग माँ और पूजा के पास लगभग रोज ही घायल-अनाथ हिरण ले कर आने लगे हैं और देखभाल का आग्रह करने लगे हैं। घायल हिरणों की मरहम पट्टी अब उनकी दिनचर्या का अंग है। ठीक होने के बाद ये सब हिरण वन विभाग के समीपस्थ संरक्षण केंद्र में अथवा वापिस वन में भेजे जाने लगे हैं। इससे सोना के बाद और भी बहुत से हिरण अकाल मौत से बचाए जा चुके हैं। मानो सोना पहले पहल अपने कुल कुनबे की राजदूत बन कर ही वन से मानव समाज में आई हो।

Bahut-kuch लक्ष्मण बिश्नोई 'लक्ष्य'

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हौसलो से उड़ान होती है आज मैं विपरीत परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए सफलता की सीढियां चढ़ रहे जिस व्यक्ति के बारे में आपसे बातचीत करने जा रहा हूं उसके हौसले और संघर्ष को देखकर मुझे दो मशहूर साहित्यकारों के ये शेर याद आ रहे हैं : मेरे   सीने  में   नहीं   तो  तेरे  सीने  में   सही, हो कहीं भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए। 

                                                      दुष्यंत कुमार  हज़ार    बर्क़    गिरे    लाख    आँधियाँ   उट्ठें, 
वो  फूल  खिलके  रहेंगे  जो  खिलने वाले हैं।
                                                साहिर लुधियानवी 
जी हां, मैं बात कर रहा हूं अंकुर मोटर्स के स्वामी सुनील सैनी के बारे में जिनकी संघर्ष-गाथा तमाम लोगों,ख़ासतौर से अभावों में जी रहे नौजवानों के लिए, एक प्रेरणा-पुंज कही जा सकती है।

मेरा सृजन 

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ध्रुव तारा भारत का - इंदिरा गांधी जी इंदिरा प्रियदर्शिनी  ऐसा  ध्रुवतारा थी जिनकी यशोगाथा से हमारा भारतीय आकाश सदैव दैदीप्यमान  रहेगा।

19 नवम्बर 1917 को इलाहाबाद के आनंद भवन में जन्म लेने वाली इंदिरा जी के लिए श्रीमती सरोजनी नायडू जी ने एक तार भेजकर कहा था -
''वह भारत की नई आत्मा है .''
गुरुदेव रविन्द्र नाथ टैगोर ने उनकी शिक्षा प्राप्ति के पश्चात् शांति निकेतन से विदाई के समय नेहरु जी को पत्र में लिखा था -
''हमने भारी मन से इंदिरा को  विदा  किया है .वह इस स्थान की शोभा थी  .मैंने उसे निकट से देखा है  और आपने जिस प्रकार उसका लालन पालन किया है उसकी प्रशंसा किये बिना नहीं रहा जा सकता .''   

! कौशल ! 

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लौह पुरुष सरदार पटेल की जयंती पर कविता 

आवाज सुख़न ए अदब 

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संगिनि अपनी 

अपनी प्रियतम प्रेम से, फेरे सिर पर हाथ।
बन्धु अभी तक है बना, सिर-बालों का साथ।
सिर-बालों का साथ, कलर है बिल्कुल पक्का।
लड़कों को आश्चर्य, चकाचक अब भी कक्का।
करिए साँचा प्रेम, और क्या माला जपनी?
सिर साजे सम्मान, साध लो संगिनि अपनी।। 

मेरी दुनिया विमल कुमार शुक्ल

--प्रकृति 

एक छोटी कविता...
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एक सुबह
हम जागे
और 
प्रकृति 
निखर उठी। 

पुरवाई --विकास की अवधारणा में गाँव कहाँ हैं ? 

अमरकांत और श्रीलाल शुक्ल विशुद्ध में ग्रामीण पृष्ठभूमियों में प्रचुर लेखन करने वाले कथाकार नहीं हैं। यद्यपि अमरकांत ग्रामीण इलाके से ही शहर में आएजिस तरह हिंदी में अनेक रचनाकार आए हैं। प्रेमचंदशिवपूजन सहायजगदीश चंद्रफणीश्वर नाथ रेणुराही मासूम रजामार्कंडेयशिवमूर्ति और हरनोट आदि कथाकारों की तरह अमरकांत ग्रामीण लेखन के रचनाकार नहीं हैंउन्हें हम प्रेमचंद की कहानी की परंपरा को अग्रसर करने वाले कहानीकार अवश्य मान सकते हैं।अभिप्राय --पीओके बनेगा बीजेपी का चुनावी-मुद्दाजिज्ञासा --एक रोचक भविष्य की गाथा ईबुक का किंडल संस्करण एमेज़ॉन पर उपलब्ध है और आप अपने देश के एमेज़ॉन /किंडल लिंक से इसे प्राप्त कर सकते हैं। सदा की तरह इस बार भी, आपकी प्रतिक्रियाओं व सुझावों का स्वागत है।

* An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय * 

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आज के लिए बस इतना ही...! 

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 

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5 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर सूत्रों से सजी बहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे सृजन को इस अंक में सम्मिलित करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी सर । सादर…।

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  2. सुप्रभात! विविधरंगी चर्चा, मन पाए विश्राम जहाँ को स्थान देने हेतु हृदय से आभार!

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  3. मेरे ब्लॉग का लिंक देने के लिए हार्दिक आभार। सुन्दर लिंको को एकत्र कर यहाँ प्रकाशित करने के साधुवाद।

    जवाब देंहटाएं

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