शुक्रवारीय प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
हरियाणा में चुनावों की व्यस्तता काफ़ी है।
आदरणीय दिलबाग जी सर भी वहीं व्यस्त हैं।
भूमिका रहित पढ़ते हैं आज की प्रस्तुति उन्हीं के जाने-पहचाने अंदाज में -
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उच्चारण: "पाषाण हैं अनमोल सोना"
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मन की वीणा - कुसुम कोठारी। : भाव अहरी
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मेरी दुनिया: ओ कुड़ी तू मुझसे पट
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सत्येन्द्र कुमार रघुवंशी जी का एक नवगीत
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तिरछी नज़र : आज खुश तो बहुत होगे तुम
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इंटरनेट के बिना एक दिन - KAVITA RAWAT
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कहानी Kahani : और बाँध फूट गया
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सार्थक चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता सैनी जी।
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंपठनीय सूत्र , अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाकारों को बधाई।
मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सूत्र आज की चर्चा में ! मेरी रचना को भी आपने सम्मिलित किया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति, मेरे ब्लॉग के लिंक को स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
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