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रविवार, नवंबर 13, 2022

"पंख मेरे मत कतरो"(चर्चा अंक 4610)

 सादर अभिवादन 

आज की प्रस्तुति आप सभी का हार्दिक स्वागत है 

(शीर्षक और भूमिका आदरणीया जिज्ञासा जी की रचना से)


 प्रत्येक वर्ष '12 नवम्बर' को भारत में राष्ट्रीय पक्षी दिवस मनाया जाता है। 12 नवम्बर (1896) डॉ. सलीम अली का जन्म दिवस है, जो कि विश्वविख्यात पक्षी विशेषज्ञ थे। उन्हें भारत में "पक्षी मानव" के नाम से भी जाना जाता था।विलुप्त हो रहें पक्षियों का संरक्षण बहुत ही जरूरी है। 
पंक्षियों को समर्पित जिज्ञासा जी द्वारा रचित बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ  
मैं हूँ एक आज़ाद परिंदा 
पंख मेरे मत कतरो ।
काट दिए सब कानन कुंजन
मानव अब ठहरो ॥

अब चलते हैं आज की कुछ खास रचनाओं की ओर....
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प्रकाशन "मेरी ग़ज़ल-जय विजय-नवम्बर, 2022" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


आम, जामुन, नीम-शीशम, जल गये हैं आग में
कुछ कँटीले पेड़ ही अब, रह गये हैं बाग में
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सुमन तो मुरझा गये हैं, सिर्फ काँटे ही बचे,

प्रीत पहले सी नहीं, अब तो रही अनुराग में

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गुहार (राष्ट्रीय पक्षी दिवस)



दूर गगन में उड़ते उड़ते
थक धरती पर आऊँ ।
अंधियारी कारी रैना में
नीड़ गिरा मैं पाऊँ ॥
दो दाना और जल माँगू मैं
थोड़ा रहम करो ।
मैं हूँ एक आज़ाद परिंदा 
पंख मेरे मत कतरो ॥

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छोटी छोटी खुशियां - -


लफ़्ज़ों के तिलिस्म से बाहर निकल कर देखें,
मोम की तरह, रफ़्ता - रफ़्ता पिघल कर देखें,

यूँ तो हर कोई मसीहाई का मुतालबा करता है,
रूबरू अक्स कड़ुआ सच कभी निगल कर देखें,         -----------------------------जौहर स्यूं पैला

नख शिख तक श्रृंगार रच्यो 

कठा चाली ऐ पद्मिणी

हाथ सजायाँ थाल रजत रो

मदरी चाली मृगनयणी।

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ग़ज़ल

मेरे  गीतों  को सुन  हौले  से  मुस्का देना
मन  की  उलझी  गाँठों को  सुलझा  देना!

विस्वासों  की  छाँवों  में  हो बसेरा अपना
छलके जो कभी अश्क  पलकों से उठा लेना!

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753. ज़िन्दगी नहीं हैबहुत कुछ था जो अब नहीं है   

कुछ है पर ज़िन्दगी नहीं है।   
कश्मकश में उलझकर क्या कहें   
जो कुछ भी था अब नहीं है।   
हयात-ए-सफ़र पर चर्चा क्या   

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कुण्डलिया

चंचल चपला सी लली,खोले अपने केश।

मुख चंदा सा सोहता,सुंदर उसका वेश।

सुंदर उसका वेश,चली वो लेकर गजरा।

देखा उसका रूप,आँख से दिल में उतरा।

कहती 'अभि' निज बात,मचा है हिय में दंगल।

देख सलोना रूप,प्रेम में तन-मन चंचल।

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मन के चित्र डूडलमानव मन चंचल होता है शान्त बैठना इसका स्वभाव नही है .हम कुछ भी करते वक़्त अक्सर सब कुछ ना कुछ यदि पेन और काग़ज़ सामने दिखे तो कुछ लिखते रहेंगे या कुछ चित्र बनाते रहेंगे ..बिना सोचे विचारे बात करते करते कभी यह चित्र बहुत ही मज़ेदार बन जाते हैं कि आप ख़ुद ही तारीफ़ करने लगते हैं |कभी कभी सिर्फ़ अपने नाम को अलग अलग ढंग से लिखने लगते हैं कभी फूल पत्ती या कोई जानवर की शकल बनाने लगते हैं …यूँ ही बात करते करते बनाई इन आकृति को “डूडल “कहा जाता है ..कुछ दिन पहले इस पर बहुत ही रोचक लेख पढ़ा था .जब इसकी प्रद्शनी अमरीका के राष्ट्रपतियों के द्वारा बनाई गयी डूडल प्रद्शनी में लगाई गयी थी---------------------------------------परवरिश: क्या करूँ? मेरा बच्चा तो कुछ खाता ही नहीं!



शायद आप सोच रहे होंगे कि चांदी की चम्मच, सोने की थाल का और बच्चे के खाना न खाने का क्या संबंध है? बिल्कुल है। क्या आपने कभी गरीब माँ-बाप के बच्चे को खाना खाने के लिए नखरे करते हुए या गरीब माँ को बच्चे को खाना खिलाने के लिए उसके पीछे-पीछे भागते हुए देखा है? नहीं न! जब हर चीज बिना मांगे मिल जाएगी, ऊपर से माँ बच्चे की मनुहार करने हर समय तैयार रहेगी, तो बच्चा खाना खाने के लिए नखरे तो करेगा ही न। कल्पना कीजिए कि यदि कोई रात-दिन आप पर खाना खाने के लिए दबाव बनाये...आपका मन नहीं हो तो भी डांट कर खिलाए...


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आज का सफर यही तक

आपका दिन मंगलमय हो 

कामिनी सिन्हा 

क्षमा चाहती हूँ  रविवार   (13 -11-22)



7 टिप्‍पणियां:

  1. उपयोगी लिंकों के साथ सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
    आपका आभार कामिनी सिन्हा जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत शानदार अंक।
    सभी ब्लाग पठनीय आकर्षक, सभी रचनाकारों को बधाई सभी सामग्री मनभावन, राष्ट्रीय पक्षी दिवस पर जिज्ञासा जी की रचना समयपरक सटीक सुंदर लगी।
    मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
    सस्नेहसादर।

    जवाब देंहटाएं
  3. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत खूबसूरत चर्चा संकलन

    जवाब देंहटाएं
  5. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार सखी सादर

    जवाब देंहटाएं
  6. इतनी सुंदर प्रस्तुति पर अति व्यस्तता के कारण देर से पहुंची । क्षमा करिएगा कामिनी जी । मेरी रचना को चर्चा मंच की भूमिका में सजाने के लिए आपका दिल से आभार और अभिनंदन प्रिय सखी ।
    सभी रचनाकारों को बधाई और शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं

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