सादर अभिवादन आज की प्रस्तुति में आप सभी का हार्दिक स्वागत है (शीर्षक आदरणीय शास्त्री सर जी की रचना से)इस पल जब, मैं ये प्रस्तुति बना रही हूँ तन थका हुआ है और आंखें नींद से बोझिल हो रही हैमन थोड़ा ख़ुश और थोड़ा उदास हो रहा है चार दिनों से चल रहा छठ पूजा आज समाप्त हो चुका हैछठी माता के आगमन तथा उनकी स्वागत की तैयारी का हर्षोल्लास भरा माहौल और परिवार के साथ बिताये पल आनंदित कर रहें है, और दुःख इस बात का कि ये दिन अब फिर एक साल बाद आयेगा छठी माता के आगमन का ये चार दिन ऐसे गुजरता है जैसे बेटी का व्याह हो और उनके जाने के बाद उदासी भी वैसी ही होती है जैसी बेटी की विदाई के बाद होती है --खैर, ग़म और खुशी का ये सिलसिला तो चलता रहेगा आईए चलते हैं, आज की कुछ खास रचनाओं की ओरवैसे ब्लॉग जगत में भी सन्नाटा ही हैजो है उसे लेकर हाजिर हूं ---------
(डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')अश्रु सूखे हुए, मीत रूठे हुए,
वायदे प्यार के, रोज झूठे हुए,
आज झनकार के तार टूटे हुए,
राख में अधजले दिल सुलगते रहे।
रोशनी के बिना, दीप जलते रहे।।
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कौन करता शुद्ध चिंतन
भाव का बस छोंक डाला
सौ तरह पकवान में भी
बिन नमक भाजी मसाला
व्याकरण का देख क्रंदन
आज फिर कविता सिसकती।।
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“दिल्ली हाट” सबसे पहले दिल्ली एम्स हॉस्पिटल के पास आई एन ऐ में २८ मार्च १९९४ में शुरू किया गया था . तब से अब तक तीन दिल्ली हाट खुल चुके हैं ,दूसरा प्रीतम पूरा में और तीसरा जनकपुरी में हैं .दिल्ली हाट की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यह था कि बिचैलियों को हटाकर दस्तकारों को उनके उत्पाद का सीधा लाभ दिया जाए। दस्तकारों की माली हालत सुधारने के लिहाज़ से देश के कपड़ा मंत्रालय ने यह निर्णय लिया था। यहाँ देश के विभिन्न राज्यों के खान-पान को भी एक स्थान पर मुहैया कराने की पहल की गई है। अपने प्रदेश के अलावा अन्य प्रदेशों के व्यंजनों से भी लोग परिचित हों। ----------------
चुप न होने की कसम खाई हो जैसे
यशोदा ने सब को हटाया वहां से
पर शिव को न हटा पाया उनने |
अपने प्रभू के दर्शन की जिद ठान बैठे थे वे भी
भेष बदला शिव ने ग्राम बधु जैसा अपना
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#आस्था का महापर्व छठ #छठमहापर्व का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
सुन्दर चर्चा प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंआपाका आभार @कामिनी सिन्हा' जी।
बहुत सुंदर, वाह वाह!
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, कामिनी दी।
जवाब देंहटाएंछठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं दी।
आभार आपका कामिनी जी, आपने मेरी रचना को इस महत्वपूर्ण मंच पर स्थान दिया।
जवाब देंहटाएंसुंदर संकलन
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार कामिनी जी
'दीप जलते रहें' शुभ्र भाव लिए सुंदर शीर्षक।
जवाब देंहटाएंसभी रचनाएं पठनीय सुंदर।
सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई।
विगत सभी पर्वों की पूरे ब्लाग जगत को हार्दिक शुभकामनाएं।
मेरी रचना को इस शानदार संग्रह में रखने के लिए हृदय से आभार।
सादर सस्नेह ।