फ़ॉलोअर



यह ब्लॉग खोजें

रविवार, नवंबर 20, 2022

"चलता रहता चक्र" (चर्चा अंक-4616)

 मित्रों।

रविवार की चर्चा में आपका स्वागत है। 

कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें 

और सकारात्मक टिप्पणी भी दें। 

--

दोहे "जीवन के हैं मर्म" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

--

मात-पिता को तुम कभी, मत देना सन्ताप।

नित्य नियम से कीजिएइनका वन्दन-जाप।।

--

आदिकाल से चल रहीयही जगत में रीत।

वर्तमान ही बाद मेंहोता सदा अतीत।। 

उच्चारण 

--

स्वागत है: शहर आपके कदमों की बस आहट से आबाद है 

सबसे सही आदमी सुना है आज शहर में है
शहर सुना है मगर खुद कहीं बहर में है

ये सुनना सुनाना सुन लीजिये अच्छी बात नहीं है
सही आदमी है शहर मे है एक छोटी बात नहीं है 

उलूक टाइम्स सुशील कुमार जोशी 

--

प्रीत की रीत 

जब तुम्हारे दिल में मेरे लिए प्यार उमड़ आये,

और वो तुम्हारी आँखो से छलक सा जाए.......

मुझसे अपनी दिल के बातें सुनने को

यह दिल तुम्हारा मचल सा जाए..........

तब एक आवाज़ दे कर मुझको बुलाना

दिया है जो प्यार का वचन सजन,

तुम अपनी इस प्रीत की रीत को निभाना .. 

कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se ** रंजू भाटिया

--

कभी ना बिछड़ने के लिए ..... मूँदते ही पलक खिल उठते हैं गुलाबी फूलों से सपने मदिर मधुर एहसास होने का तेरे उतर आता है वजूद में मेरे हो जाती हूँ मैं खुद चमन ही होती है जब महसूस तितलियों सी कोमल छुअन तेरी....  

एहसास अंतर्मन के मुदिता 

--

सनातन धर्म में निहित विश्व कल्याण भाव और वसुधेव कुटुंबकम 

  हम जो कुछ भी मन के द्वारा जनकल्याण के विषय में सोचते हैं। वाणी के द्वारा उसकी अभिव्यक्ति करते हैं। कर्म के द्वारा क्रियान्वित करते हैं। इसके द्वारा शास्त्र का सिद्धांत मनसा वाचा कर्मणा’ अवश्य ही चरितार्थ होता है। अगर हम वाणी के द्वारा दिखावे के तौर परसमाज में स्वार्थ भाव के कर्म करते हैं। तो वह केवल नश्वर फल प्रदान करते हैं। जीव मनसा वाचा कर्मणा’ के सारस्वत फल से वंचित रह जाता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि सनातन धर्म में ही जन कल्याण की भावना निहित है यद्यपि सभी अपने धर्मों को उच्च ठहराते हैं लेकिन कहीं न कहीं सनातन धर्म में ही कुटुंब इव वसुधा मानी जाती है । किसी को भी छोटा या बड़ा नहीं माना जाता, किसी को हेय दृष्टि से नहीं देखा जाता । सभी को इस धरा पर बराबर सम्मान मिलता है ।

                                                                     आलेख प्रस्तोता

                                                          डॉ अन्नपूर्णा बाजपेयी आर्या’ 

नूतन ( उद्गार) 

--

छंदा सागर (छंदा संकेतक) 

छ :- यह छ या छा के रूप में प्रयुक्त हो कर कोई भी चार वर्ण दर्शाता है। 'छु' या 'छू' के रूप में इसका विशेष अर्थ है जो घनाक्षरी जैसी कुछ विशेष छंदाओं में ही प्रयोग में आता है। छु या छू का अर्थ है लघु या दीर्घ कोई भी चार वर्ण जो केवल समवर्ण आधारित शब्द में हों। ये चार वर्ण दो द्विवर्णी शब्द में हो सकते हैं या एक चतुष्वर्णी शब्द में। जैसे - 'बाँके नैन सकुचाय' में चार चार वर्णों के दो खंड हैं। बाँके नैन में दो द्वि वर्णी शब्द हैं तथा 'सकुचाय' चतुषवर्णी शब्द।
*************
बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©
तिनसुकिया 

Nayekavi 

--

कुछ भाव बस यूँ ही..... 

 जिस नज़ाकत से लहरें
           पावों को छूती हैं
      यकीन  कैसे करूँ  कि ये
           कश्ती डुबोतीं हैं।। 

सागर लहरें उर्मिला सिंह 

--

शादी की सालगिरह पर 21 धन्यवाद संदेश (Thank You Message For Anniversary In Hindi) 

आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल 

--

जब-जब ढूंढ़ोगे 

विश्रांतियों में, महसूस करोगे!
जब-जब ढूंढ़ोगे! 

कविता "जीवन कलश" 

--

शीर्षक विहीन पल 

 

अब रही न कोई #श्रद्धा , अपने ही परिवार में अपने घर और द्वार में । अब रही न कोई श्रद्धा , संस्कृति और संस्कार में , धर्म और अपने त्यौहार में । 

मेरी अभिVयक्ति 

-- 

ख़ाक में मिल कर फ़ना सब हो गए  

ख़ाक में मिल कर फ़ना सब हो गए

बादशाह और पीर सारे रो रहे

आग पे पा ली विजय है आपने

हाथ से रोका प्रलय है आपने

फिर परास्त मौत से क्यूँ हो गए

उधेड़-बुन राहुल उपाध्याय 

--

आज के लिए बस इतना ही...!

--

5 टिप्‍पणियां:

  1. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीय मयंक सर,
    मेरी प्रविष्टि् " काश फिर से आ जाए श्रद्धा " की चर्चा आज रविवार 20 नवम्बर, 2022 को "चलता रहता चक्र" (चर्चा अंक-4616) पर शामिल करने के लिए बहुत धन्यवाद एवम आभार ।
    सभी सम्मिलित रचनाएं बहुत उम्दा है , सभी आदरणीय को बहुत शुभकामनाएं ।
    सादर ।

    जवाब देंहटाएं

"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथा सम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।