शीर्षक पंक्ति: आदरणीया शुभा मेहता जी की रचना से।
सादर अभिवादन।
गुरुवारीय प्रस्तुति में आपका स्वागत है।
आइए आज की चंद चुनिंदा रचनाएँ-
गीत "जहरीली बह रही गन्ध है" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
जहाँ कमाई हो हराम की
लूट वहाँ है राम नाम की,
महफिल सजती सिर्फ जाम की
बोली लगती जहाँ चाम की,
तन्त्र ये खटक रहा है।
सुदामा भटक रहा है।।
*****
साथ तुम्हारे दौड़ रहा है, बुड्ढा अढसठ साल का-सतीश सक्सेना
*****
ना तो हम जान पाए
नही सर पैर मिला किसी बात का
अपनी बातों पर अड़े रहे
अपनी बात ही सही लगी
दूर हुए आपसी बहस बाजी से
जब अन्य लोगों ने भी दखलंदाजी की
उन ने भी बहस में भाग लिया।
*****
राजकुमारी के साथ खेली
मछलियों के साथ समुद्र की यात्रा की
कुछ दोस्त
भी बने
जिनका दुख -सुख मैंने बांटा
जैसे ही किताब
खत्म करके बाहर आई
वो ही कुर्सी,वो ही घर...
पर मन के अंदर रह गई
सुनहरी यादें......
*****
वो तो, कैद कर गया, बस परिदृश्य सारे,
बे-आस से वो, दोनों किनारे,
उन, रिक्तियों में पुकारे,
क्षणभंगुर क्षण ये, जिधर थी ढ़ली,
बिखरा, वो सागर जाम का!
वही इक झरोखा...
मेरे काम का!
*****
हमारा अंत है।
नदी
सभी की है
और
हमेशा रहेगी या नहीं
यह पहेली अब सच है।
*****
कुंठित पाकिस्तान के जख्मों पर क्रिकेट की सफलता ने मरहम लगाया
फिर मिलेंगे।
बेहतरीन चर्चा प्रस्तुति।
ReplyDeleteआपका आभार आदरणीय चर्चाकारः रवीन्द्र सिंह यादव जी।
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति और मेरा सौभाग्य।।।
ReplyDeleteनदी
ReplyDeleteपहले विचारों में
प्रयासों में
चैतन्य कीजिए
उसकी
आचार संहिता है
समझिए
वरना शून्य तो बढ़ ही रहा है
क्रूर अट्टहास के साथ।।।
- बेहतरीन रचना। जितनी भी तारीफ करूं कम होगी। संदीप जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।।।।
नदी
ReplyDeleteपहले विचारों में
प्रयासों में
चैतन्य कीजिए
उसकी
आचार संहिता है
समझिए
वरना शून्य तो बढ़ ही रहा है
क्रूर अट्टहास के साथ।।।
- बेहतरीन रचना। जितनी भी तारीफ करूं कम होगी। संदीप जी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।।।।
वाह वाह! सुंदर संकलन चर्चा मंच के लिए
ReplyDeleteआभार आपका रवीन्द्र जी...। रचना को स्थान देने के लिए साधुवाद।
ReplyDeleteबेहतरीन चर्चा अंक अनुज रविन्द्र जी मेरी रचना को शीर्षक पंक्ति बनाने के लिए हृदय से आभार ।
ReplyDeleteबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर अंक
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत चर्चा संकलन
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
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