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शनिवार, नवंबर 05, 2022

"देवों का गुणगान" (चर्चा अंक-4603)

 मित्रों!

शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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दोहे "आया देवउठान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

-1-

आया देवउठान फिर, होंगे मंगल काज।

हँसी-खुशी से कीजिए, अपने रीति-रिवाज।।

-2-

करना देवउठान पर, देवों का गुणगान।

महक उठेंगे आपके, जीवन के उद्यान।।

उच्चारण 

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वीरानियों के सुर 

 चित्तौड़ दुर्ग में विजय स्तंभ के पास घूमते हुए वह रानी पद्मिनी-सी लग रही थी।

शादी के चूड़े को निहारती बलाएँ ले रही थी अपने ख़ुशहाल जीवन की, सूरज की किरणों-से चमकते सुनहरे केश, खिलखिलाता चेहरा, ख़ुशियाँ माप-तौलकर नहीं, मन की बंदिशों को लाँघती दोनों हाथों से लुटाती जा रही थी।

प्यारी-सी स्माइल के साथ उसने रिद्धि की ओर फोन बढ़ाते हुए कहा-

”दीदी!  प्लीज एक पिक…।” 

अवदत् अनीता 

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योग व शिक्षा - महर्षि अरविंद 

Image result for महर्षि अरविन्द का योग दर्शन

महर्षि अरविंद के अनुसार वैसे तो सारा जीवन ही योग है;

किंतु एक साधना पद्धति के रूप में योग

आत्म-पूर्णता की दिशा में एक व्यवस्थित प्रयास है,

जो अस्तित्व की सुप्त, छिपी संभावनाओं को व्यक्त करता है।

इस प्रयास में मिली सफलता व्यक्ति को

सार्वभौमिक और पारलौकिक अस्तित्व के साथ जोड़ती है।

डायरी के पन्नों से अनीता

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सोशल मीडिया पर सब ज्ञानी हैं गजब का तमाशा देखने को मिल रहा है देश में। हर दिन कोई न कोई न कोई नया बखेड़ा खड़ा हो ही जाता हैं। सोशल मीडिया के जमाने में कोई खबर किसी से छिपी नही रहती है देर सबेर गलत सही लोगो के पास पहुंच ही जाता है। तमाम फैक्ट चेकर भी है जो फैक्ट चेक करके के बताते रहते है खबर की सच्चाई अपने चैनलों के माध्यम से लेकिन क्या हो जब फैक्ट चेकर ही चोकर निकले यानी फर्जी तथ्यों को सामने रखकर उलूल जुलुल खबरों को हवा दे?  राष्ट्रचिंतक 

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आज खुश तो बहुत होगे तुम 

लोगबाग इस डायलॉग को न जाने क्यों 

फ़िल्म 'दीवारके नायक विजय से जोड़ते हैं 

जबकि हक़ीक़त यह है कि यह डायलॉग मैंने बोला था 

लेकिन भगवान से नहींबल्कि अपने बड़े भाई साहब श्री कमलकांत जैसवाल से 

और अपने मित्र प्रोफ़ेसर हितेंद्र पटेल से.

मैंने इन दोनों से यह डायलॉग कब और क्यूं बोला था,  

इसकी कथा जानना बड़ा ज़रूरी है. 

तिरछी नज़र 

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केवल मुग्धता ही मुग्धता 

घने धुंध में, कौन किस की ख़बर रखता है,
स्मृतियां तो हैं ताश के घर, रंज है बेमानी,
एक बूंद ओस अपना अलग असर रखता है ।
अग्निशिखा 

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हिंदी काव्य में दोहे 

इन दिनों ग़ज़लों के सर्जन के साथ 
मैंने अपने कुछ पहले कहे गए दोहों में संशोधन भी किया । 
संशोधित दोहे आपकी अदालत में प्रस्तुत कर रहा हूं :
कुछ दोहे 
-- 
ओंकार सिंह विवेक
©️
मिली  कँगूरों  को  भला,यों  ही  कब  पहचान,
दिया  नीव  की  ईंट  ने,पहले  निज  बलिदान।

कलाकार  पर  जब   रहा,प्रतिबंधों  का   भार,
कहाँ कला में आ सका,उसकी तनिक निखार।

मेरा सृजन 

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फ़्री ईबुक - निःशुल्क डाउनलोड: आधी सदी का क़िस्सा 

* An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय * 

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आगरा - मरियम टूम के कटु अनुभव 

स्वामी बाग़ से निराश होकर हमने सोचा मेहमानों को मरियम टूम दिखाया जाए !
यह एक सुन्दर शांत स्थान है !
पर्यटकों को दी जाने वाली गलत जानकारी के बारे में भी
मैं अपने मेहमानों को जागरूक करना चाहती थी !
अब तक कई दर्शक यही सुनते समझते और विश्वास करते आये हैं कि
बादशाह अकबर की तीन रानियाँ थीं !
एक हिन्दू रानी जोधा बाई, एक मुस्लिम रानी रुकैया बेगम
और एक ईसाई रानी मरियम ! यह स्मारक इसाई रानी मरियम का है !
यह बिलकुल गलत जानकारी दी जाती है !
रानी जोधाबाई को ही मरियम ज़ुमानी की उपाधि दी गयी थी
और यह स्मारक जोधाबाई का ही समाधि स्थल है !
इस जानकारी के साथ भारतीय पुरातत्व विभाग का
बड़ा सा शिलालेख भी वहाँ लगा हुआ है कि
यह जयपुर के राजा भारमल की बेटी
जोधाबाई की याद में बनवाया गया स्मारक है !

Sudhinama 

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kyaal meraa apnaa 

तुम्हारे सारे सपने बेमानी हुए

जब भी झाँका तुमने अपने विगत में

जब  झूट या सच से हाथ मिलाया

अपने को इन प्रश्नों में उलझा पाया | 

Akanksha -asha.blog spot.com आशा लता सक्सेना

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चांद लिखा... 

कुछ ख़याल मेरे.. 

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भाव अहरी 

होले खिली कलियाँ

बगीची झूम लहरी है

महका रहे उपवन

कहें क्यों धूप गहरी है। 

मन की वीणा - कुसुम कोठारी। 

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ठौर 

कदंब मन में कहीं
उग आया है
उसके अहसास हमें
खींच रहे हैं अपनी ओर।

पुरवाई 

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ओ कुड़ी तू मुझसे पट 

आपने हाँक लगाकर सामान बेचने वालों को देखा ही होगा। 
क्या कलात्मक ढंग से आवाज लगाकर 
अपने ग्राहक को केन्द्र में रखते हैं कि 
बस ग्राहक मना नहीं कर पाता। 
दूसरी ओर प्रेमी जन होते हैं बड़ा भावविभोर होकर 
प्रणय निवेदन करते हैं बेचारे पिटते पिटते बच जाते हैं, 
कभी पिट जाते हैं और कभी उनके वो पट जाते हैं। 
मेरा क्या होगा राम जाने? 
मैंने तो पहले वाली युक्ति ही उचित समझी। 
आनन्द के लिए मैंने लिखा आनन्द के लिए आप पढ़ें। 
मस्तिष्क को थोड़ी देर के लिए छुट्टी दें। 
आजूबाजू वाले छड, 
ओ! कुड़ी तू मुझसे पट!
नहीं सोच मैं पका हुआ हूँ,
नर्म डाल पर टँगा हुआ हूँ, 

मेरी दुनिया विमल कुमार शुक्ल

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भूमि पूजन 

एक जीवन एक कहानी 

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आंवले के 8 स्वादिष्ट स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन (8 Delicious healthy recipes of Amla) 

आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल 

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आज के लिए वस इतना ही...!

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7 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी चर्चा का आयोजन👌👌👍👍🌹🌹

    जवाब देंहटाएं
  2. सुप्रभात! एक से बढ़कर एक रचनाओं की खबर देती सुंदर चर्चा ! आभार मुझे भी आज के अंक में स्थान देने के लिए शास्त्री जी!

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरे ब्लॉग को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी🙏🌻

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरे आलेख को इसमें स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !

    जवाब देंहटाएं
  5. उम्दा चर्चा।मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

    जवाब देंहटाएं
  6. बहुत सुंदर संकलन।
    सभी को बधाई।
    मुझे स्थान देने हेतु हार्दिक आभार सर।

    जवाब देंहटाएं
  7. मेरे ब्लॉग को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद बड़े भाई, सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं

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