मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
--
दोहे "आया देवउठान" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-1-
आया देवउठान फिर, होंगे मंगल काज।
हँसी-खुशी से कीजिए, अपने रीति-रिवाज।।
-2-
करना देवउठान पर, देवों का गुणगान।
महक उठेंगे आपके, जीवन के उद्यान।।
--
चित्तौड़ दुर्ग में विजय स्तंभ के पास घूमते हुए वह रानी पद्मिनी-सी लग रही थी।
शादी के चूड़े को निहारती बलाएँ ले रही थी अपने ख़ुशहाल जीवन की, सूरज की किरणों-से चमकते सुनहरे केश, खिलखिलाता चेहरा, ख़ुशियाँ माप-तौलकर नहीं, मन की बंदिशों को लाँघती दोनों हाथों से लुटाती जा रही थी।
प्यारी-सी स्माइल के साथ उसने रिद्धि की ओर फोन बढ़ाते हुए कहा-
”दीदी! प्लीज एक पिक…।”
--
महर्षि अरविंद के अनुसार वैसे तो सारा जीवन ही योग है;
किंतु एक साधना पद्धति के रूप में योग
आत्म-पूर्णता की दिशा में एक व्यवस्थित प्रयास है,
जो अस्तित्व की सुप्त, छिपी संभावनाओं को व्यक्त करता है।
इस प्रयास में मिली सफलता व्यक्ति को
सार्वभौमिक और पारलौकिक अस्तित्व के साथ जोड़ती है।
डायरी के पन्नों से अनीता
--
सोशल मीडिया पर सब ज्ञानी हैं गजब का तमाशा देखने को मिल रहा है देश में। हर दिन कोई न कोई न कोई नया बखेड़ा खड़ा हो ही जाता हैं। सोशल मीडिया के जमाने में कोई खबर किसी से छिपी नही रहती है देर सबेर गलत सही लोगो के पास पहुंच ही जाता है। तमाम फैक्ट चेकर भी है जो फैक्ट चेक करके के बताते रहते है खबर की सच्चाई अपने चैनलों के माध्यम से लेकिन क्या हो जब फैक्ट चेकर ही चोकर निकले यानी फर्जी तथ्यों को सामने रखकर उलूल जुलुल खबरों को हवा दे? राष्ट्रचिंतक
--
लोगबाग इस डायलॉग को न जाने क्यों
फ़िल्म 'दीवार' के नायक विजय से जोड़ते हैं
जबकि हक़ीक़त यह है कि यह डायलॉग मैंने बोला था
लेकिन भगवान से नहीं, बल्कि अपने बड़े भाई साहब श्री कमलकांत जैसवाल से
और अपने मित्र प्रोफ़ेसर हितेंद्र पटेल से.
मैंने इन दोनों से यह डायलॉग कब और क्यूं बोला था,
इसकी कथा जानना बड़ा ज़रूरी है.
--
घने धुंध में, कौन किस की ख़बर रखता है,
स्मृतियां तो हैं ताश के घर, रंज है बेमानी,
एक बूंद ओस अपना अलग असर रखता है ।अग्निशिखा
--
--
फ़्री ईबुक - निःशुल्क डाउनलोड: आधी सदी का क़िस्सा
* An Indian in Pittsburgh - पिट्सबर्ग में एक भारतीय *--
--
तुम्हारे सारे सपने बेमानी हुए
जब भी झाँका तुमने अपने विगत में
जब झूट या सच से हाथ मिलाया
अपने को इन प्रश्नों में उलझा पाया |
Akanksha -asha.blog spot.com आशा लता सक्सेना
--
कुछ ख़याल मेरे..--
होले खिली कलियाँ
बगीची झूम लहरी है
महका रहे उपवन
कहें क्यों धूप गहरी है।
--
--
--
--
आंवले के 8 स्वादिष्ट स्वास्थ्यवर्धक व्यंजन (8 Delicious healthy recipes of Amla)
आपकी सहेली ज्योति देहलीवाल--
आज के लिए वस इतना ही...!
--
अच्छी चर्चा का आयोजन👌👌👍👍🌹🌹
जवाब देंहटाएंसुप्रभात! एक से बढ़कर एक रचनाओं की खबर देती सुंदर चर्चा ! आभार मुझे भी आज के अंक में स्थान देने के लिए शास्त्री जी!
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग को स्थान देने के लिए बहुत बहुत आभार आदरणीय शास्त्री जी🙏🌻
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सूत्रों से सुसज्जित आज का चर्चामंच ! मेरे आलेख को इसमें स्थान दिया आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा।मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर संकलन।
जवाब देंहटाएंसभी को बधाई।
मुझे स्थान देने हेतु हार्दिक आभार सर।
मेरे ब्लॉग को स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद बड़े भाई, सभी रचनाकारों को शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएं