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Saturday, November 19, 2022

"माता जी का द्वार" (चर्चा अंक-4615)

 मित्रों!

शनिवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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दोहे "माता जी का द्वार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 


माँ के आँचल में भरा, प्यार-दुलार-ममत्व।
संरक्षण मिलता वहाँ, जहाँ रहे अपनत्व।।
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माता से बढ़कर नहीं, जग में कोई उदार।
माता के जैसा नहीं, करता कोई प्यार।। 

उच्चारण 

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भूख 

बारह महीनों वह काम पर जाता। रोज़ सुबह कुल्हाड़ी, दरांती कभी खुरपा-खुरपी तो कभी फावड़ा, कुदाल और कभी छोटी बाल्टी के साथ रस्सी लेकर घर से निकल जाता। शाम होते-होते जब वह वापस घर लौटता तब गुनहगार की भांति नीम के नीचे गर्दन झुकाए बैठा रहता। दो वक़्त की रोटी और दो कप चाय के लिए रसोई को घूरता रहता। 

अवदत् अनीता 

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जो बाहर वह भीतर भी है जैसे एक दुनिया बाहर है, हमारे भीतर भी एक संसार है. स्वप्नों में हमारा मन जिन लोकों में विचरता है, वह अवचेतन का जगत है. ध्यान में योगी इस जगत को अपने भीतर देख लेते हैं. आत्मा को इन्द्रियों की जरूरत नहीं है, वह आँखों के बिना भी देख सकती है, कानों के बिना सुन सकती है,

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यौतुक की जलती वेदी 

विद्रुप हँसकर यौतुक बोला

मेरा पेट कुए से मोटा

लिप्सा मेरी नहीं पूरता

थैला मुद्रा का छोटा।

मन की वीणा - कुसुम कोठारी। 

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प्रवासी पंचायत : मेरा गांव मेरा तीर्थ, चलो गाँव की ओर 

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद जहाँ एक ओर अदल-बदल कर सरकारें आकर अपनी किस्मत चमकाते रहे, वहीँ दूसरी ओर ग्रामीण जनता की मूलभूत आवश्यकताओं की दिशा में कोई बेहतर प्रगति न होते देख पलायन इस कदर खतरनाक स्थिति तक पहुँच गया कि कई गाँव के गाँव खाली होते चले गए। इसके साथ ही यह भी एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है कि पहाड़ मैदानी क्षेत्रों की ओर खिसकते चले जा रहे हैं। लेकिन इससे भी विकट समस्या सामरिक दृष्टि से अति संवेदनशील भारत-तिब्बत सीमा हो या भारत-नेपाल सीमा से सटे द्वितीय रक्षा पंक्ति की तरह जमे गांवों की बनी हुई है, जो विकास की बाट जोहते-जोहते नाउम्मीद होकर पलायन करने में अपनी भलाई समझ रहे हैं। इसी विषय की गंभीरता को देखते हुए पिछले 5-6 वर्ष से यह विषय राजनीतिक गलियारों से फिसलकर मीडिया और कई स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ ही गांव-शहर के हर चिंतक वासी-प्रवासी के बीच प्रमुख रूप से चर्चा का केंद्र बिंदु बना हुआ है। 

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हताश-निराश युवाओं को लिंकन की जीवनी जरूर पढनी चाहिए 

अब्राहम लगातार 28-30 सालों तक असफल होते रहे, जिस काम में हाथ ड़ाला वहीं असफलता हाथ आई। पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। लोगों के लिए मिसाल पेश की और असफलता को कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। लगे रहे अपने कर्म को पूरा करने में, जिसका फल भी मिला, दुनिया के सर्वोच्च पद के रूप में। कुछ अलग सा गगन शर्मा 

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मन की झिझरियों से अक़्सर ..  बस यूँ ही ... 

आज तो इन सब को भुला कर बस .. अभी हाल ही में ऋषिकेश के एकदिवसीय भ्रमण के दौरान आँखों के दृश्य-पटल पर अपनी छाप छोड़ते कुछ दृश्यों या कुछ विशेष घटनाओं के परिणामस्वरूप पनपी कुछ बतकही को छेड़ता हूँ .. बस यूँ ही ...

#(१)

यूँ तो है हर चेहरे पर यहाँ छायी मुस्कान,

पर है किसे भला इनकी वजह का संज्ञान .. 

बस यूँ ही ... 

बंजारा बस्ती के बाशिंदे 

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आल्हा छंद -सत्ता पुराण 

सत्ता के गलियारे शापित,

भ्रष्टों का ही चलता जोर।

मेल नहीं कथनी करनी में ,

दिल में इनके बैठा चोर। 

मन के मोती 

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चिंघार 

टूट कर बिखरा हुआ एक सीप 

सागर के किनारे आज देखा 

मोतियों की हो रही थी लूट 

बेरहम मछुआरे आज देखा 

जिज्ञासा की जिज्ञासा 

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लघुत्तम पथ की चाह 

निःशब्द सरसराहट के साथ, 
बदलते हैं जीवन के पृष्ठ,
तृण भूमि के सीने में है पुनर संचलन, 
जो थे नीम बेहोश,

थम चुका है काठ हिंडोला 
गहन निद्रा में है विशाल नगर,
पद दलित घास का मर्म रहा अज्ञात 
किसे होगा अफ़सोस, अग्निशिखा 

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कुतर्क 

 आज के समय की सबसे अद्भुत चीज़ है

कुतर्क

जिसके शौर्य के आगे धराशायी और ध्वस्त हैं ब्रह्मांड के सारे तर्क

इसलिये बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं है

शास्त्रों को पढ़ना, उन्हें आत्मसात्  करना और ज्ञान की महत्ता स्थापित करके तर्कवान बनना

बल्कि ज़रूरी है अपढ़ रहकर बड़बोला होना, शास्त्रों को थोथा सिद्ध करना, 

🌈🌹शेफालिका उवाच🌹🌈 

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सुर सु.......सुर से जीवन 

जीवन से सुर 
नाद ब्रम्ह ओंकार सुर 
सुर की महिमा 
क्या गाऊं मैं..
स्वर बनते नियमित  आंदोलन  से 
 होते मधुर  ,करते प्रसन्नचित 
सुर से जीवन, जीवन  से सुर  ।
    शुभा मेहता 

अभिव्यक्ति 

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ग़ज़ल … 

गीली रेत पे सौंधी-सौंधी पुरवाई के कश भरते.
मफलर ओढ़े इश्क़ खड़ा है तन्हाई के कश भरते.
 
इश्क़ पका तो कच्ची-खट्टी-अम्बी भी महकी पल-पल,
पागल-पागल तितली झूमी अमराई के कश भरते. 

स्वप्न मेरे दिगम्बर नासवा

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जनता में क्यों अब इतनी बेदारी है मशहूर शायर मुहतरम ओमप्रकाश नूर साहब की मेहरबानी से प्रतिष्ठित पत्रिका/अख़बार सदीनामा में प्रकाशित हुई अपनी एक और ग़ज़ल आप सब के साथ साझा कर रहा हूं :

ग़ज़ल***ओंकार सिंह विवेक 

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जो प्यार में होता है, वो उम्मीद में भी होता है 

जो प्यार में होता है, वो उम्मीद में भी होता है...शायद इसलिए श्रद्धा सहती रही. उम्मीद...एक दिन सब कुछ ठीक हो जाने की.  कुछ ख़याल मेरे.. 

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भागलपुर की जेन्नी (पार्ट- 2) 

यूँ लगता है जैसे किसी ने मेरे लिए ही कहा था - ''तक़दीर बनाने वाले, तूने कमी न की, अब किसको क्या मिला ये मुक़द्दर की बात है''. यूँ तो तक़दीर से बहुत मिला, पर इस तरह जैसे यह सब मेरे हिस्से का नहीं किसी और के हिस्से का था, जो रात के अँधियारे में तक़दीर के राह भटक जाने से मुझ तक आ गया था। शेष फिर कभी...।   
-डॉ. जेन्नी शबनम 

साझा संसार 

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निरंकुश पत्रकारिता के दौर में स्व नियोजन की बात 

मोबाइल जर्नलिज्म के इस दौरान सोशल मीडिया पर खबरों का पोस्टमार्टम भी होने लगा है। अब यदि किसी बाहुबली, दबंग अथवा गैंगस्टर के विरोध में खबरें चलती हैं तो सोशल मीडिया पर उसका पोस्टमार्टम उसके गिरोह के सदस्य सक्रिय होकर करते हैं। कभी कभी तो ऐसा लगने लगता है जैसे सही में सही खबर को उठाकर गलती कर दिया गया हो। सोशल मीडिया पर कम उम्र के लड़कों के हावी होने का ही नतीजा है कि यदि कोई पिस्तौल के साथ अपनी तस्वीर और वीडियो लगाता है तो सभी लोग वाह-वाह करने लगते हैं । मुझे लगता है कि यदि कोई यह भी लिख दे कि वह किसी की हत्या आज कर दिया तो कई लोग उसकी तारीफ कर देंगे आज हम इसी दौर में जी रहे। चौथाखंभा अरुण साथी

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कह दो मन की बातों को 

इससे पहले कि प्रलय आकर,
बंद कर दे सब दरवाजों को।
इससे पहले कि पलकें खुलकर
भूलें सारे ख्वाबों को।
कह दो मन की बातों को।। 

यश पथ (Yash Path) 

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गीत "हरियाली ने रूप दिखाया" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक') 

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शीत बढ़ासूरज शर्माया।
आसमान में कुहरा छाया।।
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चिड़िया चहकीमुर्गा बोला,
हमने भी दरवाजा खोला,
लेकिन घना धुँधलका पाया।
आसमान में कुहरा छाया।।

उच्चारण 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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7 comments:

  1. बहुत सुंदर चर्चा अंक, वाह वाह!

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  2. सुप्रभात! सराहनीय रचनाओं के सूत्रों से सजी सुंदर प्रस्तुति,आभार !

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  3. बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार

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  4. सामयिक और चिंतनपूर्ण विषयों पर सराहनीय अंक । मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सर।

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  5. पठनीय ब्लॉग्स से सुसज्जित सुंदर अंक।
    सभी रचनाकारों को बधाई, सभी रचनाएं बहुत आकर्षक सुंदर।
    मेरी रचना को चर्चा में स्थान देने के लिए हृदय से आभार।
    सादर सस्नेह

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  6. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर

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