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बुधवार, नवंबर 16, 2022

"दोहा छन्द प्रसिद्ध" (चर्चा अंक-4613)

 मित्रों!

बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।

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आलेख "दोहाछन्द को भी जानिए" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) दोहा छन्द अर्धसम मात्रिक छन्द है। इसके प्रथम एवं तृतीय चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ होती हैं। दोहा छन्द ने काव्य साहित्य के प्रत्येक काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिन्दी काव्य जगत में दोहा छन्द का एक विशेष महत्व है। दोहे के माध्यम से प्राचीन काव्यकारों ने नीतिपरक उद्भावनायें बड़े ही सटीक माध्यम से की हैं। 

चार चरण-दो पंक्तियाँकरती गहरी मार।
कह देती संक्षेप मेंजीवन का सब सार।।
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  समझौता होता नहींगणनाओं के साथ।
उचित शब्द रखकर करोदोहाछन्द सनाथ।। 

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कुदरत के संग एक हुआ जो ज्ञान अनंत है, अज्ञान है उसमें से थोड़ा बहुत जानना और सब जानने का भ्रम पाल लेना. हमारी इन्द्रियां सीमित हैं, मन के सोचने की क्षमता भी सीमित है. बुद्धि के तर्क की भी सीमा है, पर ज्ञान की कोई सीमा नहीं. आत्मा की क्षमता असीम है लेकिन असीम को जानकर भी असीम शेष रह जाता है.

 

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सकारात्मक पहल: देश का इकलौता स्कूल जहाँ फीस में पैसा नहीं कचरा दिया जाता है!! (School which takes garbage instead of fee) 

ये स्कूल पिछड़ा कहे जानेवाले राज्य बिहार के बोधगया के सेवाबीघा गांव में है। इस स्कूल का नाम है पद्मपानी स्कूल (Padmapani School in Bihar) है। ये स्कूल Padampani Educational and Social Foundation नाम की संस्था चलाती है। ये स्कूल 2014 में शुरू हुआ था। यहां कक्षा 8 वीं तक की पढाई होती है और यहां क़रीब 250 बच्चे पढ़ते हैं। बच्चों से फीस के बदले प्लास्टिक कचरा लेने की शुरुआत 2018 में हुई। ये स्कूल इसलिए ख़ास है क्योंकि यहां बच्चे फीस में पैसे नहीं, बल्कि कचरा देते है। इस तरह बच्चों को साफ-सफाई और पर्यावरण के प्रति जागरूक करने की कोशिश की भी जाती है। इस स्कूल के छात्र अपने घरों से और सड़क पर का कचरा उठाकर स्कूल लाते है और स्कूल के गेट के पास रखे डस्टबिन में डालते है। बच्चों को कचरा बिनते देख कर माता-पिता और अन्य लोग भी पर्यावरण के प्रति जागरूक होते है।  

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डे लाईट सेविंग – एक गुदगुदाता सा मजाक 

     Sometime falling back is good- it gives you one hour of extra sleep 

जब दिन और रात दोनों में रोशन है यहाँ

हर इक बुलंद इमारत का हर कोना कोना

उन जगमग एलईडी लाइटों की रोशनी से

रोशन धूप दुपहर मे भी न जाने किस अबुझ

चौंधआई आँखों के परे अंधेरे को चुनौती देता हुआ

मानिंद अखंड भारत को बेवजह जोड़ने का प्रयास 

उड़न तश्तरी  

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बचपन के दिन 

बचपन के दिन सतरंगी-सतरंगी सपने होते थे!
पलको में बन्दी बन परियों  के  देश पहुँचते थे!!

चिन्ताओं से परे, बेफ़िक्री जीवन होता था,
तितली  को पकड़ते ,फूलो को छूते रहते थे!
बस्ते  कन्धे पर लादे स्कूल  को  चल  देते,
दौड़ लगाते हँसते गाते मस्त हमारे जीवन थे!!

बचपन के दिन सतरंगी-सतरंगी सपने होते थे!
उजली  राते  उजले  मन  उजले  दिन होते थे!! 

सागर लहरें उर्मिला सिंह

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हाथ से खाना, बिना छुरी-कांटे के शरीर और जिंदगी के लिए सबसे जरुरी चीज है, भोजन ! एक ओर जहां पश्चिमी देशों में चम्मच-कांटे से खाने का चलन है तो हमारे यहां हाथों से खाना आम बात है। इस तरीके की काफी आलोचना होती रही है। अंग्रेजियत के खुमार से ग्रसित लोग इसे पिछड़ेपन की निशानी भी करार देते रहे हैं ! उनके अनुसार इससे संक्रमण का खतरा रहता है। लेकिन अब कई अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि हाथों से खाने पर भोजन का स्वाद बढ़ जाता है ! न्यूयॉर्क की स्टीवन्स यूनिवर्सिटी में लगभग 50 लोगों पर एक प्रयोग के दौरान सब को कुछ पनीर दिया गया, जिसे आधे प्रतिभागियों को हाथ से खाना था और आधे लोगों को चम्मच से ! निष्कर्ष यह निकल कर आया कि जिन लोगों ने हाथों से चीज़ खाई थी, वे उसे बेहद ज्यादा स्वादिष्ट बता रहे थे, जबकि बाकियों के लिए वह एकऔसत स्वाद था। 

 

कुछ अलग सा गगन शर्मा

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गीत जीवन गा उठेगा 

मन भ्रमर बन बावरा सा

है अहम में फूलता सा

सुमन मुरझाए पड़े सब

दृश्य कुछ ये शूलता सा 

मन के मोती अभिलाषा चौहान 

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ख़ुशियों का फेरीवाला 

 
बहुत दूर सागर पार, उजाले की लकीर है कोई, 
उड़ूं भला कैसे पांव पड़ी मोह की जज़ीर है कोई, 
दो खम्भों के मध्य झूलती सी है, आग्नेय रेखा, 
दर्शकों के रूबरू पड़ी हुई नंगी शमशीर है कोई, 

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हम और हमारा भोजन 

 सबसे पहले हम यह जान लें की हमारे लिए सबसे जरूरी हमारा शरीर और इसका स्वास्थ्य है।

इसके लिए आवश्यक है कि हम आवश्यकता के अनुसार भोजन लें जोकि  वायुजल , और खाद्यान से प्राप्त होता है।
अब प्रश्न यह है कि  हमारे लिए क्या और कितना भोजन आवश्यक होता है ?
यह निर्धारित करने के लिए हमें अपने शारीरिक क्षमता , श्रम और वातावरण के अनुसार भोजन को ग्रहण करना चाहिए। भोजन के साथ साथ हमें भोजन की मूल अवस्था ( नेचुरल फॉर्म ) का सबसे अधिक ध्यान रखना होगा। 

अन्तर्गगन 

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किंतु न जब तक आया मानव 

पग-पग पर बलिहारी अंतर 

कण-कण में छवि सरस समायी, 

जाने कब तू उतरा नभ से 

कैसे पावन धरा बनायी !

मन पाए विश्राम जहाँ अनीता 

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नभ नापने वाले 

नभ नापने वाले

बता क्या ढूँढ रहा है 

आराम से तू सोच ले

सब तुझमें छुपा है

उधेड़-बुन राहुल उपाध्याय

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'गाड़ी महिला चला रही है, तो गलत ही चलाएगी...' 

महिलाएं जब गाड़ी चलाती हैं, तो पुरुषों को लगता है कि महिला चला रही है, गलत ही चलाएगी. जब पुरुष सड़कों पर चलते हैं या गाड़ी लेकर निकलते हैं, तो उन्हें खुदपर इतना कॉन्फिडेंस होता है कि वो कैसे भी चलें, किसी भी दिशा में मुड़ें, रॉन्ग साइड भी जाएं, तो संभाल लेंगे.

आज एक सज्जन सड़क के दाईं तरफ खड़े थे. मैं भी दाईं तरफ ड्राइव कर रही थी. अचानक उन्होंने हाथ देकर रुकने का इशारा किया और सड़क पार करने लगे. जैसे 60 की स्पीड में आ रही गाड़ी उनके एक इशारे पर रुक जाएगी. वाकई वो सही सोच रहा था. गाड़ी वाला या गाड़ी वाली उसपर गाड़ी चला थोड़ी देगी, ब्रेक ही लगाएगी. उसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो गलत तरीके से सड़क पार कर रहा है या उसके अचानक गाड़ी के सामने आ जाने से गाड़ी चलाने वाले की क्या स्थिति होगी. आगे दो कदम पर ओवर ब्रिज था, लेकिन पुरुषों को इस तरह का स्टंट सहज लगता है.

कुछ ख़याल मेरे.. 

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भगत नहीं छपा करते नोटों पर 

भगत का भूल जाना मुमकिन है 
भगत को भुला पाना मुमकिन नहीं 
भगत ने बनाया जिस हिन्दोस्तां को 
भगत को वहा मिटा पाना मुमकिन नहीं 
भगत सिंह अंग्रेजो के न्यायप्रियता के मुखौटे को नोच फेकने वाले शेर का वो पंजा था जिसने एक ही वार से कभी ना डूबने वाला फिरंगी गुमान को जमीं पे दे मारा था जिसकी गूंज  डिबिया जैसा सिकुड़ा ब्रितानी समाज आज भी सुनता है ।  

Tarun's Diary- "तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.." 

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1259-काली स्त्रियाँ 

 

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बाल दिवस विशेष - बच्चों के प्रति लापरवाही गलत 

 न केवल प्रशासन बल्कि बच्चों के माता पिता और संरक्षकों को जागरूक होकर ध्यान देना होगा क्योंकि बच्चे तो भोले होते हैं उनके साथ कोई भी हादसा अगर होता है तो उसकी जिम्मेदारी स्वतः ही बड़े पर आ जाएगी. इसलिए बडों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस ओर ध्यान देना ही होगा और बच्चों की कम उम्र को देखते हुए उन्हें इस तरह स्वतंत्र रूप से जिम्मेदारी भरे कार्य में न डाला जाए बल्कि सुरक्षित अह्सास प्रदान कर सही गलत की समझ विकसित कर ही कार्य सौंपा जाए और तब सही तरीके में बाल दिवस मनाया जाए.  एडवोकेट शालिनी कौशिक 

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दिग दिगंत में 

दिग दिगंत में अपने आसपास

कुछ ऐसा है जो खींच रहा उसको

 आपने  पास उस में खो जाने के लिए

जीवन जीवंत बनाने के लिए |

जागती आँखों से जो देखा उसने

 स्वप्न में न  देखा था कभी

वह  उड़ चली व्योम में ऊंचाई तक

पर न पहुँच पाई आदित्य तक  

आशा लता सक्सेना Akanksha -asha.blog spot.com 

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मैं तुझ बिन जी ना सकूँगा। 

Main tujh bin ji na sakunga
Pic credit: unsplash.

ये कैसा दौर है

कि तुम पास भी नहीं

और मुझमें साँस भी नहीं

तुम्हारी गैरमौजूदगी में

तड़प ने अपनी घुटन

की ज़ंजीर से मुझे

कैद करके रखा है 

Nitish Tiwary 

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सासों या ससुराल पक्ष के लिये बहू को बेटी ही समझें । जो उम्मीदें आप बेटी के ससुराल वालों से रखते हैं , खुद भी इन पर पूरा उतरें । धीरे-धीरे नये रिश्ते भी सहज होने लगते हैं ।उम्मीद बिल्कुल न रखें , सिर्फ़ अपने कर्तव्य याद रखें । अपने आचरण से आपने क्या कमाया ? क्या ये परिवार रूपी धन आपके पास है ? यानि जब कभी आप तकलीफ़ में हों , आपके बच्चे आपके पास दौड़े चले आएँ , तब तो समझें कि आपने संस्कार कमाये ।कभी बच्चे दूर चले भी जाएँ तब भी आपके दिये हुए संस्कार उन्हें कभी न कभी वापिस आपके पास ले ही आयेंगे । 

 
शारदा अरोरा

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पांच साल बाद दुनिया को मिलेगी सबसे घातक हाईपरसोनिक मिसाइल 

पांच साल बाद, 2027 में दुनिया को सबसे घातक हाईपरसोनिक मिसाइल मिलेगी। नई हाईपरसोनिक अटैक क्रूज मिसाइल(एचएसीएम) वर्तमान मिसाइल से 20 गुना तेजी से उड़ान भरेगी। इस मिसाइल से दुश्मनों को बचने का मौका नहीं मिलेगा। यह अपनी तरह का पहला मिसाइल होगा जो एयर-ब्रीदिंग स्क्रैमजेट इंजन का इस्तेमाल करेगा। अमेरिका और आस्ट्रेलिया के लिए यह मिसाइल निर्माण किया जा रहा है https://feeds.feedburner.com/blogspot/vigkv 

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आज के लिए बस इतना ही...!

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10 टिप्‍पणियां:

  1. सुप्रभात! विविधरंगी चर्चा, चर्चा मंच के संचालक गण व सभी रचनाकारों को शुभकामनाएँ, आभार!

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  2. श्रमसाध्य प्रस्तुति आदरणीय सर,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें

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  3. आदरणीय डॉ साहब सादर वंदन अणि खूब खूब अभिनन्दन !
    समस्त चर्चामंच के माननीय एवं पाठकजन को सादर प्रणाम !
    रचना के मर्म को समर्थन देने के लिए सभी का सादर आभार !
    वन्दे मातरं ! जय हिन्द !!

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  4. बेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर

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  5. सभी को शुभकामनाएं ! सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार

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  6. उम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।

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  7. बहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति

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  8. बढ़िया चर्चा , मैं चाह कर भी अपने अकाउंट से किसी ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं कर पाई ।

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  9. बहुत सारी पठनीय सामग्री का संकलन। सादर प्रणाम आदरणीय।

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