मित्रों!
बुधवार की चर्चा में आपका स्वागत है।
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आलेख "दोहाछन्द को भी जानिए" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’) दोहा छन्द अर्धसम मात्रिक छन्द है। इसके प्रथम एवं तृतीय चरण में तेरह-तेरह मात्राएँ तथा द्वितीय एवं चतुर्थ चरण में ग्यारह-ग्यारह मात्राएँ होती हैं। दोहा छन्द ने काव्य साहित्य के प्रत्येक काल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिन्दी काव्य जगत में दोहा छन्द का एक विशेष महत्व है। दोहे के माध्यम से प्राचीन काव्यकारों ने नीतिपरक उद्भावनायें बड़े ही सटीक माध्यम से की हैं।
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कुदरत के संग एक हुआ जो ज्ञान अनंत है, अज्ञान है उसमें से थोड़ा बहुत जानना और सब जानने का भ्रम पाल लेना. हमारी इन्द्रियां सीमित हैं, मन के सोचने की क्षमता भी सीमित है. बुद्धि के तर्क की भी सीमा है, पर ज्ञान की कोई सीमा नहीं. आत्मा की क्षमता असीम है लेकिन असीम को जानकर भी असीम शेष रह जाता है.
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सकारात्मक पहल: देश का इकलौता स्कूल जहाँ फीस में पैसा नहीं कचरा दिया जाता है!! (School which takes garbage instead of fee)
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डे लाईट सेविंग – एक गुदगुदाता सा मजाक
Sometime falling back is good- it gives you one hour of extra sleep
जब दिन और रात दोनों में रोशन है यहाँ
हर इक बुलंद इमारत का हर कोना कोना
उन जगमग एलईडी लाइटों की रोशनी से
रोशन धूप दुपहर मे भी न जाने किस अबुझ
चौंधआई आँखों के परे अंधेरे को चुनौती देता हुआ
मानिंद अखंड भारत को बेवजह जोड़ने का प्रयास
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हाथ से खाना, बिना छुरी-कांटे के शरीर और जिंदगी के लिए सबसे जरुरी चीज है, भोजन ! एक ओर जहां पश्चिमी देशों में चम्मच-कांटे से खाने का चलन है तो हमारे यहां हाथों से खाना आम बात है। इस तरीके की काफी आलोचना होती रही है। अंग्रेजियत के खुमार से ग्रसित लोग इसे पिछड़ेपन की निशानी भी करार देते रहे हैं ! उनके अनुसार इससे संक्रमण का खतरा रहता है। लेकिन अब कई अध्ययनों से यह बात सामने आई है कि हाथों से खाने पर भोजन का स्वाद बढ़ जाता है ! न्यूयॉर्क की स्टीवन्स यूनिवर्सिटी में लगभग 50 लोगों पर एक प्रयोग के दौरान सब को कुछ पनीर दिया गया, जिसे आधे प्रतिभागियों को हाथ से खाना था और आधे लोगों को चम्मच से ! निष्कर्ष यह निकल कर आया कि जिन लोगों ने हाथों से चीज़ खाई थी, वे उसे बेहद ज्यादा स्वादिष्ट बता रहे थे, जबकि बाकियों के लिए वह एकऔसत स्वाद था।
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है अहम में फूलता सा
सुमन मुरझाए पड़े सब
दृश्य कुछ ये शूलता सा
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सबसे पहले हम यह जान लें की हमारे लिए सबसे जरूरी हमारा शरीर और इसका स्वास्थ्य है।
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पग-पग पर बलिहारी अंतर
कण-कण में छवि सरस समायी,
जाने कब तू उतरा नभ से
कैसे पावन धरा बनायी !
मन पाए विश्राम जहाँ अनीता
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नभ नापने वाले
बता क्या ढूँढ रहा है
आराम से तू सोच ले
सब तुझमें छुपा है
उधेड़-बुन राहुल उपाध्याय
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'गाड़ी महिला चला रही है, तो गलत ही चलाएगी...'
महिलाएं जब गाड़ी चलाती हैं, तो पुरुषों को लगता है कि महिला चला रही है, गलत ही चलाएगी. जब पुरुष सड़कों पर चलते हैं या गाड़ी लेकर निकलते हैं, तो उन्हें खुदपर इतना कॉन्फिडेंस होता है कि वो कैसे भी चलें, किसी भी दिशा में मुड़ें, रॉन्ग साइड भी जाएं, तो संभाल लेंगे.
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Tarun's Diary- "तरुण की डायरी से .कुछ पन्ने.."
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बाल दिवस विशेष - बच्चों के प्रति लापरवाही गलत
न केवल प्रशासन बल्कि बच्चों के माता पिता और संरक्षकों को जागरूक होकर ध्यान देना होगा क्योंकि बच्चे तो भोले होते हैं उनके साथ कोई भी हादसा अगर होता है तो उसकी जिम्मेदारी स्वतः ही बड़े पर आ जाएगी. इसलिए बडों को अपनी जिम्मेदारी समझते हुए इस ओर ध्यान देना ही होगा और बच्चों की कम उम्र को देखते हुए उन्हें इस तरह स्वतंत्र रूप से जिम्मेदारी भरे कार्य में न डाला जाए बल्कि सुरक्षित अह्सास प्रदान कर सही गलत की समझ विकसित कर ही कार्य सौंपा जाए और तब सही तरीके में बाल दिवस मनाया जाए. एडवोकेट शालिनी कौशिक--
दिग दिगंत में अपने आसपास
कुछ ऐसा है जो खींच रहा उसको
आपने पास उस में खो जाने के लिए
जीवन जीवंत बनाने के लिए |
जागती आँखों से जो देखा उसने
स्वप्न में न देखा था कभी
वह उड़ चली व्योम में ऊंचाई तक
पर न पहुँच पाई आदित्य तक |
आशा लता सक्सेना Akanksha -asha.blog spot.com
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Pic credit: unsplash. |
कि तुम पास भी नहीं
और मुझमें साँस भी नहीं
तुम्हारी गैरमौजूदगी में
तड़प ने अपनी घुटन
की ज़ंजीर से मुझे
कैद करके रखा है
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सासों या ससुराल पक्ष के लिये बहू को बेटी ही समझें । जो उम्मीदें आप बेटी के ससुराल वालों से रखते हैं , खुद भी इन पर पूरा उतरें । धीरे-धीरे नये रिश्ते भी सहज होने लगते हैं ।उम्मीद बिल्कुल न रखें , सिर्फ़ अपने कर्तव्य याद रखें । अपने आचरण से आपने क्या कमाया ? क्या ये परिवार रूपी धन आपके पास है ? यानि जब कभी आप तकलीफ़ में हों , आपके बच्चे आपके पास दौड़े चले आएँ , तब तो समझें कि आपने संस्कार कमाये ।कभी बच्चे दूर चले भी जाएँ तब भी आपके दिये हुए संस्कार उन्हें कभी न कभी वापिस आपके पास ले ही आयेंगे ।
शारदा अरोरा--
पांच साल बाद दुनिया को मिलेगी सबसे घातक हाईपरसोनिक मिसाइल
पांच साल बाद, 2027 में दुनिया को सबसे घातक हाईपरसोनिक मिसाइल मिलेगी। नई हाईपरसोनिक अटैक क्रूज मिसाइल(एचएसीएम) वर्तमान मिसाइल से 20 गुना तेजी से उड़ान भरेगी। इस मिसाइल से दुश्मनों को बचने का मौका नहीं मिलेगा। यह अपनी तरह का पहला मिसाइल होगा जो एयर-ब्रीदिंग स्क्रैमजेट इंजन का इस्तेमाल करेगा। अमेरिका और आस्ट्रेलिया के लिए यह मिसाइल निर्माण किया जा रहा है https://feeds.feedburner.com/blogspot/vigkv--
आज के लिए बस इतना ही...!
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सुप्रभात! विविधरंगी चर्चा, चर्चा मंच के संचालक गण व सभी रचनाकारों को शुभकामनाएँ, आभार!
जवाब देंहटाएंश्रमसाध्य प्रस्तुति आदरणीय सर,सभी रचनाकारों को हार्दिक शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआदरणीय डॉ साहब सादर वंदन अणि खूब खूब अभिनन्दन !
जवाब देंहटाएंसमस्त चर्चामंच के माननीय एवं पाठकजन को सादर प्रणाम !
रचना के मर्म को समर्थन देने के लिए सभी का सादर आभार !
वन्दे मातरं ! जय हिन्द !!
बहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना संकलन एवं प्रस्तुति सभी रचनाएं उत्तम रचनाकारों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं मेरी रचना को चयनित करने के लिए सहृदय आभार आदरणीय सादर
जवाब देंहटाएंसभी को शुभकामनाएं ! सम्मिलित करने हेतु हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा। मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, आदरणीय शास्त्री जी।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा , मैं चाह कर भी अपने अकाउंट से किसी ब्लॉग पर टिप्पणी नहीं कर पाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत सारी पठनीय सामग्री का संकलन। सादर प्रणाम आदरणीय।
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