मित्रों! आज
से चर्चा मंच का नया अध्याय प्रारम्भ
हो रहा है। देखिए मास के अन्तिम रविवार में कुछ ब्लॉग लिंकों की चर्चा। -१- सबसे पहले लखनऊ का सिद्धहस्त ब्लॉग लेखिका जिज्ञासा सिंह के ब्लॉग जिज्ञासा की जिज्ञासा से चिड़िया रोई भर आकाशकी यह रचना चिड़िया रोई भर आकाश । धुआँ उड़ाता चला समीरण, अश्रु बहा, भीगा है रज कण, बिखरा उजड़ा चमन कह रहा मरा हुआ इतिहास.... इस रचना में विदूषी कवयित्री ने वर्तमान परिपेक्ष्य को अपनी रचना में कहा है- सूत-सूत पंखों में लपटें ज्वाला मध्य घिरा है नीड़ । ध्वंस विध्वंस धरातल जंगल मूक बधिर अतिरंजित भीड़ ॥ धनुष चढ़ाए बाण शिकारी ढूँढ रहे अब लाश । चिड़िया रोई भर आकाश ॥ बिल्कुल आज का वातावरण इसी तरह का है। जिसमें- बड़े-बड़े गिद्धों ने बोला घबराने की बात नहीं । पात-पात हम देख रहे हैं दिन है, कोई रात नहीं ॥ आस और विश्वास कर गया, सब-कुछ सत्यानाश । चिड़िया रोई भर आकाश ॥ आशा और विश्वास दम तोड़ते हुए दृष्टिगोचर होते है- करुण-रुदन-क्रंदन चिड़ियों का मुस्काते चीते । बिलख चिरौटे गिरें धरनि पर ध्वजवाहक जीते ॥ हुआ अमंगल, तृण-तृण जलता चारों ओर विनाश । चिड़िया रोई भर आकाश जहाँ देश की बेटियों को झूठे प्यार का दिलासा देकर उनकी जघन्य हत्या कर दी जाती है। -२- अनीता जी एक ऐसी ब्लॉग लेखिका हैंजो प्रतिदिन अपने उद्गार अंकित करती हैं।मन पाये विश्राम जहाँ की एक रचना हीरा मन कीयह रचना गहन विचारों की अभिव्यक्ति है अँधेरे में टटोले कोई और हीरा हाथ लगे जो अभी तराशा नहीं गया है पत्थर और उसमें नहीं है कोई भेद ऐसा ही है मानव का मन वही अनगढ़ हीरा लिए फिरता है आदमी ... हिंसा को जन्माती परिस्थितयां घिसेंगी पत्थर को तो चमक उठेगा किसी दिन पर अभी बहुत दूर जाना है ... -- आज की चर्चा में बस इतना ही...! अब मिलेगे दिसम्बर के अन्तिम सप्ताह में रविवार और गुरुवार की चर्चा में, कुछ और ब्लॉगरों की पोस्ट के साथ। |
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Sunday, November 27, 2022
"हीरा मन-चिड़िया रोई भर आकाश" (चर्चा अंक 4621)
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सुप्रभात! चर्चा मंच के बदले हुए स्वरूप के पहले अंक में 'मन पाए विश्राम जहाँ' को स्थान देने हेतु हृदय से आभार शास्त्री जी, जिज्ञासा जी की रचनाएँ दिल की गहराई से निकलती हैं और सामाजिक सरोकार से प्रेरित होती हैं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
ReplyDeleteअहा!
ReplyDeleteइतनी सुंदर चर्चा प्रस्तुति में मेरी रचना को मान देने के लिए आदरणीय शास्त्री जी को हृदय से नमन करती हूं, कुछ पंक्तियों में ही रचना की इतनी सार्थक और सारगर्भित समीक्षा शास्त्री जी जैसे विद्वतजन ही कर सकते है, उन्हें मेरा नमन और वंदन, मनोबल बढ़ाते उनके शब्द हमेशा प्रेरणा देते हैं, सादर आभार सहित अभिवादन और शुभकामनाएं ।
नए प्रयोग के लिए हृदय से शुभकामनाएं 🌷
ReplyDeleteदोनों ब्लॉग समृद्ध कवियित्रियों के सशक्त लेखनी, भावार्थ पर प्रकाश डालती सुंदर प्रस्तुति।
सादर।
बहुत आभार कुसुम जी🌺👏🏻
Deleteआदरणीय अनीता दीदी की रचनाएँ मानवीय संवेदना और जीवन दर्शन से युक्त होती हैं जो मानव मन को नई ऊर्जा से ओतप्रोत का जाती हैं आपका विनम्र प्रोत्साहन हमारे लिए प्रेरणा है आपको सादर नमन ।
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुति. बधाई.
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