मित्रों!
शनिवार की चर्चा में आपकी स्वागत है।
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गीत "गंगा में स्नान करो" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
गंगा में स्नान करो,
कीचड़ में रहने वालो।
अच्छे-अच्छे काम करो,
ओ नवयुग के मतवालो।।
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हमारे देश में 11 सितंबर 2008 को केन्द्र सरकार द्वारा देश के महान स्वतंत्रता सेनानी, विद्वान और प्रख्यात शिक्षाविद् अबुल कलाम आजाद की जयंती को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाये जाने की घोषणा की गई। इस घोषणा के बाद तब से निरंतर हर वर्ष 11 नवंबर को उनकी जयंती को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाया जाता है। वे स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री रहे हैं, जिन्होंने राष्ट्र निर्माण और देश के विकास में एक सुदृढ़ शिक्षा पद्धति का शुभारंभ किया। आज राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के दिन उनके वैज्ञानिक शिक्षा प्रोत्साहन, कई विश्वविद्यालयों की स्थापना, उच्च शिक्षा और खोज प्रोत्साहन, स्वाधीनता संग्राम और सामाजिक समरसता के क्षेत्र में किये गए विशेष योगदान को याद किया जाता है।
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अब जब तुम हो साथ हमारे
खोज रहे तब भला किसे हम,
श्वासों में हो, प्राणों में तुम
ढूँढे भला किसे नादां मन !
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बन जाए जीवन जब उत्सव जीवन एक प्रसाद की तरह हमें मिला है। हमारा तन, पाँच इंद्रियाँ, मन तथा बुद्धि इस प्रसाद को ग्रहण करने में सहायक बन सकते हैं, यदि हम उनके प्रति सम्मान का भाव रखें।
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जिनकी परवाज़ थी आसमानों तलक,
बैठ कर पर वे उनके कतरने लगे.
इतना मत प्यार कर हम को ओ बेवफ़ा,
हम मुहब्बत में अब तेरी मरने लगे.
डॉ.सुभाष भदौरिया धानपुर जि.दाहौद गुजरात
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आप जल्दी-से आ जाओ।
आखिरी समय आपको बहुत याद कर रहे थे।
‘ओह, तो सचमुच पापा आए थे’ -उसकी आँखों से आँसू उफन पड़े।
उसने पत्नी को समाचार बता कर घर चलने के लिए तैयार होने को कहा।
जल रहे उसके मन-मस्तिष्क को
एक निश्चय ने इस दुःख की घड़ी में भी ठण्डक दे दी थी।
Gajendra Bhatt हृदयेश
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तो कहना मेरी कविता तुम्हें छू जाएतो कहना मेरी बात तुम तक पहुँच जाए तो कहना
उधेड़-बुन राहुल उपाध्याय
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तुम जल्दी-जल्दी आया करो
और देर से जाया करो,
जब तुम आती हो,
तो लगता है,
एक लम्बा सप्ताह ख़त्म हुआ,
जब तुम जाती हो,
तो लगता है,
इतवार बीत गया.
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बचपन अनुशासन की पहली सीड़ी
मां रही प्रथम गुरू उस उम्र की
सच्चा गुरू मिला जब
कुछ नया सीखने को मिला |
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ईश्वर के प्रति मेरी आस्था चरम पर है/थी
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गुजरात में इतना स्पष्ट जनादेश दो दशक बाद आ रहा है
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क्या है छावला रेप एंड मर्डर केस, जिसके सभी आरोपी सुप्रीम कोर्ट से बरी हो गए ?
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आज के लिए बस इतना ही...!
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बेहतरीन प्रस्तुति। आपका आभार
जवाब देंहटाएंउम्दा चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा प्रस्तुति में मेरी ब्लॉग पोस्ट सम्मिलित करने हेतु आभार!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंदेर से आने के लिए खेद है, टिप्पणी स्पैम में चली जाने के कारण सूचना नहीं मिली थी, बहुत बहुत आभार!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को चर्चा अंक में सम्मिलित करने के लिए आभारी हूँ आदरणीय डॉ. शास्त्री मयङ्क जी! तीन दिन से हम लोग कनाडा से 750 कि. मी. दूर क्यूबैक सिटी के प्रवास पर थे, सो आपका यह सन्देश देख नहीं सका था, तदर्थ क्षमा चाहता हूँ। सुन्दर संकलन के लिए बहुत बधाई!
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