*मित्रों!* *आज शुभसूचना यह है कि* *गूगल ने मेरा पासवर्ड वापिस कर दिया है!* *धन्यवाद गूगल बाबा! आज इन्हीं की कृपा से चर्चा मंच पर प्रविष्टियों का यह गुलदस्ता प्रस्तुत कर रहा हूँ। रविवार तो छुट्टी का दिन होता है। तो एक ही जगह पर पढिए न ढेर सारे लिंकों को
सबसे पहले देखिए
सद़विचार में-
हिंदी हमारी मातृभाषा है,
हमारा गर्व है क्या करें -
दूर के ढोल सुहाने लगते हैं
और उस ढोल पर चाल (स्टाइल) बदल जाती है ..
रश्मि प्रभा ...
इसी क्रम में देखिए-
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अपने जायज़ रिश्तों के प्रति वफादार रहियेहमारी संस्कृति में एक नारी को माँ, बहन, पत्नी, पुत्री और पुरूष को पिता,भाई,पति.और पुत्र के रूप मैं देखा जाता है और जायज़ रिश्तो के इस रूप को इज्ज़त भी मिला करती है. नारी पे यदि कोई सबसे बड़ा ज़ुल्म इस पुरुष प्रधान समाज ने किया है तो वो है उसे भोग कि वस्तु बना के इस्तेमाल करना. | बिखरे मोती......नज़्म-3कभी साथ थे हम उनके , हर सड़क के हर मोड़ पर । उनकी उंगलियाँ जैसे मेरी , हाथों की लकीरें हो , जहां गए ,कभी साथ न छोड़ा। आज जब ये बंदा रास्ता भूल गया , तो वो किसी और के साथ हो लिए । |
*अलविदा* एक शाख ज़ोर-जो़र से हवा में हाथ हिला रही थी पता नहीं पास बुला रही थी या फिर अलविदा कह रही थी दूसरे दिन देखा. वो शाख वहाँ नहीं थी शोर सुन बाहर आई...
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एक अभिनेत्री को हो गया बाबा हँसमुखजी से प्यार (हास्य कविता) - एक अभिनेत्री को हो गया बाबा हँसमुखजी से प्यार उसने खुले आम कर दिया ऐलान विवाह उनसे ही करूंगी पीछा नहीं छोडूंगी बाबा हंसमुखजी हुए परेशान भेष बदल कर ...
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बताओ तो अब सुलगने को क्या बचा ? - एक हसरत के पाँव में जैसे किसी ने आरजुओं के घुंघरुओं को बांधा हो उम्र के लिहाज को जैसे किसी ने उच्छंखरल नदी में डाला हो रिश्ते की करवट ने जैसे चाँद दिन म...
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भूत हमें रोटी देता है , और आपको ..... - जूनून ना हो साथ में तो मंजिल भी नहीं होती पास में ... * * * * *रश्मि प्रभा *
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अहा, लैपटॉप - पिछला एक माह उहापोह में बीता, कारण था नये लैपटॉप का चुनाव। पिछला लैपटॉप 5 वर्ष का होने ...
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राह उन्हीं की चलते जावें - ** – जनकवि स्व.कोदूराम ”दलित”** जो अपने सारे सुख तज कर जन-हित करने में जुट जावें दूर विषमतायें कर - कर के जो समाज में समता लावें जन-जागरण ध्येय रख अपना घ...
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अंग्रेज चले गए अंग्रेजी छोड़ गए - *अंग्रेज चले गए अंग्रेजी छोड़ गए * *आज हमारे देश में हर तरफ अंग्रेजी का बोलबाला है /हर शिक्षित इंसान अंग्रेजी में बात करता हुआ ही नजर आता है /बल्कि ये क...
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बन्दर मामा बड़े सयाने,
बच्चे बूढ़े इनकी माने,
चले हैं देखो सीना ताने।
चिप्स कुरकुरे लिए संग,
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- मक्खनी को मक्खन से बड़ी शिकायत थी कि वो बेटे गुल्ली की पढ़ाई पर बिल्कुल ध्यान नहीं देता... कई दिन ताने सुनने के बाद मक्खन परेशान हो गया... ---
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कारगाहे हस्ती में यूँ फंसी है 'ज़ोया' - * * * * तौक़ीर ओ ऐतबार ओ इस्मत हो या हो 'माँ का प्यार' ये वो दौलत है , जो फिर ना मिले उम्र भर कमाने से ए दिल चल के ढूंढें नया और कोई ज़ख़्म ज़माने में ..
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दर्द कभी ढोल बजाता नहीं (कविता) - हड्डियां गल जाएं खाल खिंच जाए या खींच ली जाए सांसें भिंच जाएं या भींच ली जाएं सींचने वालों के हाथ। सिंचाई सांसों की होती रहे सदा ऐसा नहीं होता है शरीर में ...
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कितने रूप ,कितने नाम. - कितने रूप ,कितने नाम, तुम्हें समझना कहाँ आसान ! * कभी भान भुलाती बाँसुरी की तान , तोड़ सारी वर्जनायें रीति-नीति -मर्यादा , रास की रस- मग्नता में . आत्मवि...
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पिछले कुछ दिनों से पूरे राजस्थान बल्कि यूं कहे कि पूरे हिन्दी बैल्ट में एक महिला की चर्चा हो रही है, भंवरी देवी। नाम भी हुआ तो कब जब वो गायब हो गई। तो ये ...
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आज विश्वकर्मा पूजा के शुभ दिवस पर अपने अरुणाचल में बिताए एक वर्ष की याद हो आई है. एक ईंजीनियरिंग जियोलौजिस्ट के रूप में मैं अपनी मूल साईट पर अरुणाचल के ...
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चौंकिए मत। बिच्छू ऐसा प्राणी है जो अपने शरीर में डंक ही डंक लेकर चलता है। चलते-चलते बस डंक ही मारता है और अपना जहर सामने वाले के
शरीर में उतार देता है। ...
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क्या कहा? आपको नई पोस्ट लिखने का आइडिया नहीं मिल रहा? हमें भी नहीं मिल रहा। आइये ब्लॉग भ्रमण पदयात्रा पर निकलते हैं एक से एक नायाब आइडिया लेने। यह पोस्ट "...
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फूलमुनी कहकर गए थे कि कमा-धमाकर धनरोपनी के समय जरूर लौट आओगे अब तो धनकटनी का समय भी बीत रहा पर तुम न आये तुम्हारे साथी-लोग जिस पर तुम ...
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बढ़ती कीमत देख के मच गया हाहाकार,
जनता की जेबें काटे ये जेबकतरी सरकार |
मोटरसाईकिल को सँभालना हो गया अब दुश्वार
कीमतें पेट्रोल की चली आसमान के पार |...
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मनोज कुमार एक ब्लॉगर मित्र से चैट पर चर्चा हो रही थी।
वे अपने शहर से दूर एक महानगर की यात्रा करके, बस लौटे ...
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खुशबू बिना,फूल - खुशबू बिना,फूल खुशबू बिना,फूल— रंग चटक--- ये हैं,कागज़ के फूल— एक दिन---- झोंका हवा का----- यूं ही,गुज़र गया--- और,रीता सा रह गया--- ...
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कई दिनों तक चूल्हा रोया,
चक्की रही उदास
कई दिनों तक कानी कुतिया
सोई उनके पास ...
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यह हम सब की ज़िम्मेदारी है कि सही बात को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाएं और ऐसे पहुंचाएं कि सुनने वाले क़ायल हों और अपने ज़ुल्म से तौबा करें।...
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सम्माननीय मित्रों को सादर नमस्कार....
नेट की तकनीकी त्रुटियाँ मेरे लिए नेट से दूरियां ले कर आईं... इसलिए कुछ समय तक उपस्थिति और नेट पठन- पाठन में कमी रही.....
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सबसे बड़ी समस्या-
कांग्रेस बोले आतंकी भाजप जदयू बाम मोर्चा सी एम् के मन की महंगाई से पहले इससे अपनी जान बचा कई साल से चालू इसकी कातिल नौटंकी बोल...
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दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi :
पेट्रोल की कीमतें बढ़ा दी गई हैं। रसोई गैस की नई कीमतें निर्धारित करने के लिए होने वाली मंत्री समूह की बैठक स्थगित हो गई। वह हफ्ते दो हफ्ते बाद हो लेगी। इधर मेरे सहायक नंदलाल जी किसान भी हैं ...
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पत्रकार-अख्तर खान "अकेला"
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: कुश्वंश |
अच्छा नमस्ते ..बेटा जब एक सत्तर वर्ष की माँ ने मेरे आगे हाँथ जोड़े तो मेरा अस्तित्व हिल गया...
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केवलकृष्ण |ॉSource: जरा इधर भी
रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से श्री चक्रधर कथक कल्याण केन्द्र संगीत महाविद्यालय राजनांदगांव के प्रतिनिधि मण्डल ने मुलाकात की।इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से संबध्द यह संगीत महाविद्यालय 25 वर्षों से संचालित है। प्रतिनिधि मण्डल ने इस महाविद्यालय के लिए भूमि उपलब्ध कराने और उच्च शिक्षा विभाग से नियमित अनुदान दिलाने का आग्रह किया।प्रतिनिधि ...
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Author: vishwajeetsingh sach सच
मित्रों आज सुबह समाचार पढा कि जम्मू कश्मीर में पीपुल्स डैमोक्रेटिक पार्टी ( पी. डी. पी. ) के विधायक निजामुद्दीन भट्ट द्वारा राज्य के संविधान में संशोधन करवाने हेतु विधेयक प्रस्तुत कर राज्य के संविधान की धारा 147 के उपबंध - 2 के स्थान पर नई धारा बनाने की मांग की । इस विधेयक के पारित होने से विधानसभा सदस्यों पर लगा वह प्रतिबंध समाप्त हो जायेगा जि ...
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Shantanu Sanyal: अग्निशिखा
रुको ज़रा न दिखा आइना, अक्स बिखरा हुआ चला पड़ा हूँ मैं फिर उन्हीं राहों पे तलाशे वजूद की ख़ातिर - उभरती हैं दर्द की लकीरें, ज़िन्दगी का हिसाब है ग़लतियों से भरा...
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बार-बार यह दोहराना तो शायद अनुचित होगा
कि हमारा यह प्यारा देश भारत,
अपनी सदियों पुरानी एक समृद्ध सांस्कृतिक
और धार्मिक विरासत का साक्षी होने के बावजूद अनेक...
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Author: SANSKRITJAGAT |
Source: SANSKRITJAGAT
भारतस्य आग्लविरुद्धं जायमानाक्रीडाया:
अग्र अन्तिमा क्रीडा सम्प्रति क्री
ड्यते उभयो: देशयो:
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: Ravindra | www.indiafun.co.in
माइक्रोसॉफ्ट नें अपने भविष्य के ऑपरेटिंग सिस्टम विंडोज ८ का प्रिव्यू संस्करण जारी कर दिया है। यह माइक्रोसॉफ्ट की वेबसाइट पर मुफ्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।
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Ashok Pande | Source: कबाड़खाना
हक़ तुझे बेशक है, शक से देख, पर यारी भी देख...
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: Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" My Unveil Emotions
राजनीति के अधार्मिकीकरण से क्षुब्ध
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विचार इटली के...कहानी भारत की और ज़ुबान यू.पी की*
"हद हो गई यार ये तो बदइंतजामी से भरी
भारी भरकम लापरवाही की...मैं क्या आप सबकी ...
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पहाड़ों से टकराकर कुछ आवाजें इतनी खूबसूरत हो उठी थीं कि मानो
धरती ने अपने पैरो में कोई पायल बाँध ली हो.
यूँ दूरियां सिर्फ दिलों की ही होती हैं फिर भी कई ...
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बस एक छोटी सी कोशिश...
*मन को मनाने के अंदाज निराले है*
*हुए नही वो हम ही उसके हवाले हैं*
*उसने कसम दी तो न पी अभी तक*
*हाथ में पकड़े लो खाली प्याले है* ...
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जब रोम जल रहा था तो "नीरो" शहनाई बजा रहा था।
आज जब हमारे देश में हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है ,
कहीं भ्रष्टाचार पाँव पसार रहा है तो कहीं मासूम नागरिक...
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देखते ही देखते 6 वर्ष बीत गए यहाँ। गूगल के ब्लॉगर पर शुरू किया गया ब्लॉग बनाया था 17 सितम्बर 2005 को, विश्वकर्मा जयंती वाले दिन।
कुछ पता नहीं था, ब्लॉग क्य...
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अमेरिकी संसद में प्रस्तुत एक रिपोर्ट में नरेन्द्र मोदी को भाजपा के तरफ से प्रधानमंत्री पद का दावेदार बताया जाना, अमेरिका की बदलती प्राथमिकताओं को दर्शाता ह...
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पिछले कुछ दीनों में देखने में आया था एक लेख जो लिखा गया था,
नारी के विवाह को लेकर की क्या किसी भी स्त्री का विवाह करना ज़रूर है।
क्या बिना विवाह किये जीवन...
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11 सितम्बर का दिन मेरे लिए अविस्मरणीय रहा जब मैने ऐसे मंच से अपने विचार रखे जिसकी अध्यक्षता सरदार भगत सिंह कर रहे थे.
मौक़ा था जनराज्य पार्टी द्वारा ...
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बेचैन आत्मा: दिमाग तो सात तालों में बंद है.....!: स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय के लम्बे सफर के बाद ज्ञान हुआ मेरे पास भी दिमाग है लेकिन जब भी काम लेना चाहता...
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छोटी सी है जिंदगी --- प्यार करें या तकरार ? - आजकल टी वी पर हमारे मन पसंद कार्यक्रम --*कौन बनेगा करोडपति* -- की पांचवीं कड़ी चल रही है । पसंद इसलिए कि इसमें जनता के साथ साथ हमें भी अपनी औकात टेस्ट करने...
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सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी | सत्यार्थमित्र
आज मेरे घर में बात-बात में एक बहस छिड़ गयी। बहस आगे बढ़कर गर्मा-गर्मी तक पहुँच गयी है। घर में दो धड़े बन गये हैं। दोनो अड़े हुए हैं कि उनकी बात ही सही है। दोनो एक दूसरे को जिद्दी, कुतर्की, जब्बर, दबंग और जाने क्या-क्या बताने पर उतारू हैं। दोनो पक्ष अपना समर्थन बढ़ाने के लिए लामबन्दी करने लगे हैं। मोबाइल फोन से अपने-अपने पक्ष में समर्थन जुटाने का काम ...
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: abhi | : मेरी बातें
अगले महीने की 30 तारीख को हमारे देश में पहला फोर्मुला वन रेस होने जा रहा है.जहाँ सभी फोर्मुला वन फैन इस रेस का इंतज़ार न जाने कब से कर रहे हैं और बहुत उत्साहित भी हैं की देश में पहला एफ.वन रेस होने जा रहा है..वहीँ कुछ दिन पहले भारतीय खेल मंत्रालय के एक बयान ने इन सभी फोर्मुला वन फैन्स के दिल में क्रोध भर दिया है.कुछ दिन पहले खेल मंत्रालय ने एक ...
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Nirmesh : नदी डूब गयी: यही कम नहीं है
दादा टिकट टिकट रामदीन ने हाँ बाबु कहते हुए कमर की धोती में खोसें टिकट को निकला जिसे देखते ही टीटी महोदय का चढ़ गया पारा चालू टिकट ले कर शयनयान में सफ़र करते हो शर्म नहीं आती तुम लोगों को अरे कम से कम भगवन से क्यों नहीं डरते हो ...
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पत्रकार-अख्तर खान "अकेला": Akhtar Khan Akela
अमरूद बहुत स्वादभरा फल है। अमरूद सिर्फ स्वाद का खजाना ही नहीं है बल्कि गुणों का भी खजाना है। लेकिन अक्सर ये देखा जाता है कि लोग अमरूद की बजाए अन्य फलों के सेवन को अधिक महत्व देते हैं ...
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अशोक कुमार शुक्ला |भारतीय नारी
मादा भ्रूण हत्या से संबंधित मात्र चार लाइनें “बहुएं और बेटियाँ”और “संबंध”आज प्रस्तुत कर रहा हूँ जिन्हें लिखा है रजनी अनुरागी जी ने जो दिल्ली विश्विद्यालय से हिन्दी साहित्य में पीएच-डी हैं और जानकी देवी मेमोरियल कालेज में पढ़ाती है।
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upendradubey उलझे शब्द
सोचता हूँ , तुम्हारा दोष ही क्या था जो मैं तुम्हें कुछ कह सकू, क्यूंकि चाहत ही मेरी कुछ ऐसी थी जो मिल न सकी | चला जा रहा था मन में एक चाह लिए कि कोई हो जिसे मैं , मैं कह सकूं , जो मुझे समझ सके , जिसे मैं खुद को [...] |
दीपावली, संधिकाल का दूसरा त्यौहार । संधिकाल का मतलब होता है जब दो ऋतुएं आपस में मिलती हैं । ये संधिकाल हमारे जीवन में भी आते हैं ।
जब दो अवस्थाएं आपस म...
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और अन्त में देखिए-"तेरे बिना जिया लागे ना"
: डॉ. हरदीप कौर सन्धु | शब्दों का उजाला
1. पहाड़ बनी तुम बिन जिन्दगी जीना मुश्किल
2. भूल न पाई जब-जब साँस ली तू याद आया !
3. दिल के आँसू दामन न भिगोएँ दिल पे गिरें
4. दूर तू गया अँखियों में सावन बसने लगा
5. जी -जी के मरें मर-मर के जिएँ बिन आपके
6. तुम जो गए दिल में बिछोड़े का तपे तंदूर
7. तुम क्या गए ले गए हँसी मेरी अपने साथ 8. तुम्हारी याद बनी ऐसा ...
आज हास्य रस के महान कवि, संगीताचार्य और पद्मश्री प्रभुलाल गर्ग "काका हाथरसी" का जन्मदिन और पुण्यतिथि दोनों ही हैं। काका हाथरसी (पद्मश्री प्रभुलाल गर्ग) जन्म: 18 सितंबर 1906 :: निधन: 18 सितंबर 1995 आइये "काका हाथरसी" को श्रद्धांजलि अर्पित करें! |
आपका हार्दिक आभार!
जवाब देंहटाएंआज हास्य रस के महान कवि, संगीताचार्य और पद्मश्री श्री प्रभुलाल गर्ग "काका हाथरसी" का जन्मदिन और पुण्यतिथि दोनों ही हैं। आइये काका हाथरसी को श्रद्धांजलि अर्पित करें!
Bahut sundar rachnayon ke link diye hain aapne ... main to aabhi se shuru ho gaya hun .. dekhte hain kab tak khatam kar pata hu sab pad kar. Abhar
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी बडे श्रम से आपने इस चर्चा को सजाया है। आपका हार्दिक आभार, जो आपने मेरे ब्लॉग को भी इसमें लगाया है।
जवाब देंहटाएं------
दूसरी धरती पर रहने चलेंगे?
उन्मुक्त चला जाता है ज्ञान पथिक कोई..
इस बेहतरीन सजावट में मेरे ब्लॉग को स्थान देने पर आपका हार्दिक आभार!
जवाब देंहटाएंचर्चामंच के लिये 'उन्मना' से मेरी माँ की रचना का चयन आपने किया उसके लिये आभारी हूँ ! सभी लिंक्स बेहतरीन हैं ! धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंdhanyvad shashtri ji
जवाब देंहटाएंcharcha manch par sanskritjagat k lekh ki soochana prakashit karne k liye.
सभी लिंक्स बेहतरीन ||
जवाब देंहटाएंरंगों के इस महामंच पर आपने मुझे स्थान दिया बहुत बहुत धन्यवाद शाश्त्री जी.....
जवाब देंहटाएंआपने कई रंगोलियों के चटक रंग भर रखे हैं अपनी इस अनूठी रंगोली में ...अद्भुत संग्रह.....
करें संकलन प्रेम से, देते मंच सजाय |
जवाब देंहटाएंउत्तम चर्चा आपकी, शारद सदा सहाय ||
शारद सदा सहाय, प्रकृति प्रेमी ये गुरुवर,
माला पुष्प बनाय, लगाके रक्खे तरुवर ||
प्रभु जी करिए कृपा, बनाए रखिये साया,
स्वस्थ और सानंद, रहे गुरुवर की काया |
आज रिकार्डतोड़ पोस्टें पढ़ीं और खूब टिपटिपाया। ऊपर से पढ़ता चला आया..यह सोचकर कि जो पहले है वो माल अधिक बढ़िया होगा। ..अच्छा भी लगा। लेकिन एक बात बताइये का ई एक माह के लिए चर्चा किये हैं..? कैसे पढ़ेगे इतनी ढेर सारी पोस्ट?
जवाब देंहटाएं..आभार।
काकी पर चलते रहे, काका की शमशीर |
जवाब देंहटाएंबेलन से पिटते रहे, खाई फिर भी खीर |
खाई फिर भी खीर, तीर काकी के आकर|
बने कलम के वीर, धरा पूरी महका कर |
पर रविकर इक बात, रही बाँकी की बाकी |
मिली कहाँ से तात, आपको ऐसी काकी ||
Lot of thanks ,
जवाब देंहटाएंरिश्ते ही रिश्ते की तर्ज पर लिंक ही लिंक। आभार।
जवाब देंहटाएंMere link ko include karne ke liye dhanyawaad :)
जवाब देंहटाएंमेरे पिता , मेरे गुरु और छत्तीसगढ़ के जनकवि स्व.कोदूराम "दलित" की रचनायें प्रदेश के समकालीन साहित्य-मनीषियों और नवोदित साहित्यकारों के विशेष आग्रह पर "सियानी-गोठ" में संकलित की जा रही है.यह कार्य आगे भी जारी रहेगा.मेरा प्रयास रहा है कि उनका अनमोल साहित्य छत्तीसगढ़-मध्य प्रदेश की सीमाओं से बाहर देश-विदेश तक पहुँचे.मेरे इस प्रयास में सहयोग के लिये "चर्चा-मंच" एवं श्रद्धेय रूप चंद शास्त्री 'मयंक' के प्रति ह्र्दय से आभार प्रकट करता हूँ.
जवाब देंहटाएंरंग बिरंगी चर्चा , बहुत से विषय समेटे हुए ।
जवाब देंहटाएंलाजवाब ।
बहुत सुन्दर ढंग से सजाई गई बेहतरीन चर्चा | इस रंग-बिरंगी चर्चा में मेरी रचना को शामिल करने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंआभार |
सुन्दर रहा आपका, चर्चा का संसार |
जवाब देंहटाएंमुझे दिया स्थान, ह्रदय से आभार ||
बहुत सुन्दर चर्चा...ढेर सारे लिंक्स...क्या बात है
जवाब देंहटाएंसही कहा अपना हाथ…जगन्नाथ.
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा है बेहतरीन लिंक्स
आदरणीय श्री शास्त्रीजी बडे श्रम से आपने इस रंग - बिरंगी चर्चा को सजाया है । सभी लेख उत्तम है ।आपका हार्दिक आभार मेरे ब्लॉग को इसमें शामिल करने के लिए ।
जवाब देंहटाएंशास्त्रीजी बहुत सुन्दर चर्चा सजाया है आप ने..मेरे ब्लांग को शामिल करने के लिए बहुत-बहुत आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा सर,
जवाब देंहटाएंमुझे शामिल करने हेतु सादर आभार...
पता नहीं आज का चर्चा मंच मेरे ब्लॉग अपडेट में नहीं दिख रहा है... जाने क्या बात है...
सादर....
शास्त्री जी बडे श्रम से आपने इस चर्चा को सजाया है। आपका हार्दिक आभार,
जवाब देंहटाएंLot of thanks ,
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आ.मयंक जी ,
जवाब देंहटाएंआप ने इतना समय और श्रम लगा कर इस सामग्री का चयन किया ,हमें कई दिनों तक यह सुन्दर साहित्य
और महत्वपूर्ण आलेख पढ़ने का आनन्द प्राप्त होगा ,
आपका बहुत-बहुत आभार .
मेरी कविता को आपने यहाँ स्थान दिया, मैं कृतज्ञ हूँ .
बढ़िया लिंक्स से सुसज्जित चिटठा चर्चा... मेरी पोस्ट का लिंक देने के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंढेर सारे लिंक्स....बहुत सुन्दर चर्चा ...
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग को इसमें शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार ।
शास्त्रीजी आपको बहुत बधाई /इतना अच्छा चर्चा-मंच सजाने के लिए /बहुत अच्छे लिनक्स से परिचय कराया आपने बहुत बहुत धन्यवाद आपका /मुझे आपने साहित्य प्रेमी संघ के मंच पर मेरी पोस्ट "अंग्रेज चले गए अंग्रेजी छोड़ गए" को शामिल करने की सूचना दी थी परन्तु मुझे यहाँ तो अपनी पोस्ट नहीं दिखी शायद कोई गलतफहमी हुई है /धन्यवाद आपका अगर आप मेरी गलतफहमी दूर कर सकें तो /आभार /
जवाब देंहटाएं