(1)
युवा -प्रस्तुति
तुम निर्झर झरने से
बहते हो
चुप !कोई शोर नहीं
बहते हो
चुप !कोई शोर नहीं
सप्ताह के चर्चाकार :
1. सुशील जोशी जी "उल्लूक टाईम्स "
2. धीरेन्द्र जी काव्यान्जलि ...
इस सूची में अगला नाम अर्थात कल के टिप्पणीकार
आमिर जी दुबई
|
(2)हिंदी के अमर कथाकार,उपन्यास-सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी
मनोज भारतीatराजभाषा हिंदी
इस महीने की 31 तारीख को प्रेमचन्द जी का जन्मदिन है और यह पूरा मास हम
“राजभाषा हिंदी” ब्लॉग टीम की तरफ़ से प्रेमचन्द जी के व्यक्तित्व और
कृतित्व के ऊपर कुछ पोस्ट ला रहे हैं। इसी कड़ी में आज प्रस्तुत है मनोज
भारती की रचना।
|
(3)माने उसका भी भला, जो न माने उसका भी भला
संजय @ मो सम कौन कुटिल खल ...... ? दोस्तों,
ब्लॉगजगत में इन दिनों काफी गहमागहमी है जिसकी वजह एक विशेष गुट के लोगों
द्वारा महिलाओं और उनमें भी हिंदु महिलाओं की तस्वीरों को गलत सन्दर्भ में
अपनी पोस्ट्स के साथ लगाना है|
|
(4)
"असली / नकली "
Sushil at "उल्लूक टाईम्स "
*अच्छे शहद की पहचान
कर देती है
बडे़ बडों को हैरान
आजकल बाजार में
भी नहीं आ रहा है
मेरा शहद बेचने
वाला मित्र भी
बहुत नखरे दिखा रहा है
सोचा घर में ही
क्यों ना बनाया जाये
घर में आने वाली
मधुमक्खियों को ही
क्यों ना पटाया जाये
|
(5)
बोल बच्चन- मनोरंजक है, देख सकते हैं
मनोज कुमार at विचार
मिल्क नंबर सिक्स गजब है, बुनी पटकथा हास्य पर ।
बोल बचन आगाज है- गोलमाल इतिहास पर ।
खलनायक कमजोर दीखता, हीरोइन शो पीस सरीखी -
रख दिमाग घर पर ही अपने, जाय देखने पिक्चर रविकर ।।
|
(6)कभी यूँ भी आज़मा के देख ...
सदाatSADA
बुलन्दी पर पहुंचने का कोई टोटका नहीं होता है बता दे उसे,
बस इक बार सदा तू मन में लगन का दीप जला के देख । |
(7)क्या हर युग में चक्रव्यूह में घिरकर ही अभिमन्यु की मौत निश्चित है ?
वन्दना at ज़ख्म…जो फूलों ने दिये
मेरे मन की ग्रंथियों पर
कोई नाग कुंडली मार
शायद बैठ गया है
तभी तो कोई ग्रंथि
खुल ही नहीं रही
तमस में कहाँ
हाथ दिखाई देता है
फिर इस गहन
तमस में
कौन सी ग्रंथि टटोलूं
कौन सी गांठ खोलूं
एक रंगहीन पर्दा है
जो हटता ही नहीं
और उसके पार भी
दिखता ही नहीं
ना दशा का पता
ना दिशा का पता
फिर मंजिल का निर्धारण कौन करे?
|
(8)शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया
Dr. Ayaz AhmadatMushayera
उसने किया जो ज़ुल्म तो हुआ न कुछ भी ज़िक्र
मैंने जो कीं ख़ताएं तो घर घर कहा गया - ताज़ीज़ बस्तवी, रहमत गंज, गांधी नगर, बस्ती |
(9)बारिश की बूँदें ...
RITU at कलमदान
|
(10)यकीन |
(11)रे-चना ; ज्वार से तू जल
रे-चना बाजे घना,
होकर पड़ा थोथा यहाँ | व्यर्थ है उत्पत्ति तेरी, क्षुधा करता शांत जग की | |
(12)मुक़ददमेबाज़ी से अच्छी मुसीबत क्या हो सकती है ?
Dr. Ayaz Ahmad
आपकी ब्लॉगिंग में आपकी शख्सियत झलकती है
तंज़ करने वाले भी तंज़ सहने की ताक़त नहीं रखते. पढ़े लिखे लोगों की मजलिस
में बुरी बातें देखकर एक लंबे अर्से तक ब्लॉग पर कुछ लिखने का जज़्बा ही सर्द
पड़ गया.
ब्लॉगिंग को जुड़ने का ज़रिया बनाया जाए तो अच्छा रहेगा. सोने पे सुहागा |
(13)एक संस्मरण शिव के धाम का
Dr. sandhya tiwari at Parinda
|
(14)"शादी आज बनाओगे" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
कहाँ चले ओ बन्दर मामा,
मामी जी को साथ लिए।
इतने सुन्दर वस्त्र आपको,
किसने हैं उपहार किये।।
|
(15)बचें स्किनी जींस से
Kumar Radharaman
भले ही स्किनी जींस से आपको स्लिम लुक मिलता है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स
खासे रिस्की हैं। दरअसल, इससे मरेल्जिया परेस्थेटिका (Meralgia Paresthetica)
डिसऑर्डर हो सकता है। जानते हैं, इसके बारे में :
मौजूदा पॉप्युलर ट्रेंड्स की बात करें, तो पिछले लंबे टाइम से स्किनी जींस
काफी डिमांड में हैं। हालांकि आपकी चॉइस अगर स्टाइल से ज्यादा हेल्थ पर ध्यान
देने की है, तो यह टाइम अलर्ट होने का है। स्वास्थ्य |
ram ram bhai
बच्चे मुंह में रख रहे, लगे हाथ जो चीज | कोई भी सामान हो, जाय लार से भीज | जाय लार से भीज, गहन संपर्क परस्पर | फैले फ्लू अतिसार, बड़ी बीमारी रविकर | तनिक बनो हुशियार, बचाओ नौनिहाल को || कीटाणु से मुक्त, करो हर एक माल को || (17)प्रणय-गीतसंतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswari
प्रेरणा तुम्हीं हो कविता की, मेरे मानस की अमर-ज्योति, सत्यता तुम्हारे सम्मुख है, नहीं तनिक भी अतिशयोक्ति ! |
(19)
जनता की दुर्दशा के लिए उत्तरदाई कौन?
विजय राज बली माथुर
क्रांति स्वर.....
क्रांति स्वर.....
सुन्दर लिंको से सजी, रविकर चर्चा आज।
जवाब देंहटाएंमेरा है विश्वाश ये, होगा धन्य समाज!
लिंक-2
जवाब देंहटाएंउर्दू-हिन्दी को दिया, जिसने नव आयाम।
अमर रहेगा जगत में, मुंशी जी का नाम।।
लिंक-3
जवाब देंहटाएंब्लॉगजगत में सभी की, मना रहें हैं खैर।
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।।
लिंक-1
जवाब देंहटाएंसावन आया झूम के, लेकर नवउल्लास।
ऐसे में बढ़ने लगी, मिलने की फिर आस।।
लिंक-4
जवाब देंहटाएंमधु के लालच में कभी, धोखा भी हो जात।
सोच-समझकर प्यार से, छत्ते में दो हाथ।।
लिंक-5
जवाब देंहटाएंबोल-बोल बच्चन कहे, रहना नहीं उदास।
नीरस जीवन में भरो, हास और-परिहास।।
लिंक-6
जवाब देंहटाएंशिकवा और शिकायतें, इस जीवन के साथ।
आजमाइए दोस्त को, बुरा वक्त जब आय।।
लिंक-7
जवाब देंहटाएंहर युग में होती रही, अभिमन्यू की मौत।
खुली चुनौती दे रहा, चन्दा को खद्योत।।
लिंक-8
जवाब देंहटाएंपाषाणों की चोट से, शीशा जाता टूट।
लेकिन वो झुकता नहीं, पीकर गम के घूँट।।
लिंक-9
जवाब देंहटाएंतन-मन को सुख दे रही, जल की नेह फुहार।
चौमासे में मिल रहा, कुदरत को उपहार।।
लिंक-10
जवाब देंहटाएंआड़ी-तिरछी हाथ में, होती बहुत लकीर।
कोई है राजा यहाँ, कोई रंक-फकीर।।
लिंक-11
जवाब देंहटाएंचना-चबेना भी नहीं, महँगाई की मार।
मनमोहन सरकार से, गया आदमी हार।।
लिंक-12
जवाब देंहटाएंदेते हैं सन्ताप को, नीच घरों के लोग।
इसीलिए तो मुकदमें, लोग रहे हैं भोग।।
लिंक-14
जवाब देंहटाएंसावन में सजने लगा, पावन शिव का धाम।
गली-गली में गूँजता, बम-भोले का नाम।।
वाह...आज रविकर जी की चर्चा पर शास्त्री जी की टिप्पणियां....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
हमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया.
सादर
अनु
बन्दर मामा चल दिये, पत्नी जी के संग।
जवाब देंहटाएंटोका-टाकी मत करो,पड़े रंग में भंग।।
रचनाओं को दुह गए, दोहे बेहद खास |
जवाब देंहटाएंबरस झमाझम है रहा, यह सावन शिव मास |
यह सावन शिव मास, कृपा गुरुवर की होती |
हुई स्नेहसिक्त आज, जलाया पावन ज्योति |
बहुत बहुत आभार, कृपा कुछ और बढाओ |
धन्य हो गई आज , गीत गाओ रचनाओं ||
लिंक-15
जवाब देंहटाएंचिपकी पहनी पेंट है, नंगी देह दिखाय।
अच्छा-खासा आदमी, नंगा होता जाय।।
लिंक-16
जवाब देंहटाएंनौनिहाल को सीख दें, सुधरेगा संसार।
खने से पहले जरा, मन में करें विचार।।
चर्चा के लिये सजे सुन्दर सूत्र..
जवाब देंहटाएंलिंक न० - ६
जवाब देंहटाएंबेदर्दी यह दर्द नहीं सबको,ऐसे मिल जाता
प्यार करोगे तब जानोगे,कैसे है यह आता,,,,,,,,
लिंक न० - ४
जवाब देंहटाएंअसली नकली की सदा, हो जाती पहचान,
अगर आपमें परख की, क्षमता होया ज्ञान,,,,,
लिंक न० - १७
जवाब देंहटाएंतुम्ही प्रेरणा, तुम्ही धारणा, तुम्ही मेरी रचयिता हो
तुम लेखनकी भाग्य विधाता,तुम्ही मेरी कविता हो
अब तक डोर टूट न पाई अलग नही कर पाया हूँ
तुम जीवन की प्रथम किरण,तुम्ही मेरी सविता हो
ब्लाग को शामिल करने हेतु 'रविकर' जी को धन्यवाद। लिंक्स का चयन उत्तम है।
जवाब देंहटाएंलिंक न० - १८
जवाब देंहटाएंकैलाश जी की पोएट्री, गीता का अनुवाद
क्रमशः लेखन चल रहा, देता हूँ मै दाद
देता हूँ मै दाद, हमेशा लिखते रहिये
गीता का उपदेश सदा पढवाते रहिये
कृष्णने अर्जुन को दिया गीता का ज्ञान
सब इसको ग्रहण करे बढती जाये शान
लिंक न० - ९
जवाब देंहटाएंरिम झिम गिरती बूंदे और बहता ये पानी
इठलाती झड़ियों में बारिश करता मनमानी,,,,,,,
रविकर जी की चर्चा रंग लाई बहुत सुन्दर लिनक्स संजोये आमिर दुबाई जी को हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंधन्यवाद ..व आभार ..!!!
जवाब देंहटाएंवाह ! आज तो मजा आ गया
जवाब देंहटाएंरविकर मंच को कुछ ऎसा सजा गया
शास्त्री जी को भी खींच लाया
टिप्पणी करने के लिये
पहला शतकीय टिप्पणी मंच
देखिये रविकर आज बना गया ।
(1)
जवाब देंहटाएं(19)
जनता की दुर्दशा के लिए उत्तरदाई कौन?
विजय राज बली माथुर
क्रांति स्वर.....
अब जब जगाने वाले ही बाबा लोग
तो क्या करे जनता
उसे तो लगाना है बस भोग!!!
उर्दू-हिन्दी को दिया, जिसने नव आयाम।
जवाब देंहटाएंअमर रहेगा जगत में, मुंशी जी का नाम।।
Agree.
Nice Links. Great job.
(3)
जवाब देंहटाएं(18)
श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (२१वीं-कड़ी)
Kashish - My Poetry
कैलाश शर्मा जी का यज्ञ जारी है
गीता इस तरह असानी से
हमारी समझ में भी आ रही है ।
(4)
जवाब देंहटाएं(17)
प्रणय-गीत
संतोष त्रिवेदी
बैसवारी baiswar
बहुत सुंदर !!!
किशोरावस्था की
कविता और सविता
की कहानी
अब जा कर सुनी हमने
संतोष जी की जुबानी !!
लिंक - 17
जवाब देंहटाएंप्रणय गीत में भर दिया, निज मन का उदगार।
प्रमें हमेशा ही रहा, जीवन का आधार।।
लिंक-18
जवाब देंहटाएंप्रणय गीत में भर दिया, निज मन का उदगार।
प्रेम हमेशा ही रहा, जीवन का आधार।।
(5)
जवाब देंहटाएं(16)
जाएं शौक से माल में लेकिन इस पर भी गौर करें .
veerubhai
ram ram bhai
वीरू भाई
एक अलग अलख जगा रहे हैं
स्वास्थ्य के प्रति बहुत सुंदर तरीके
से जागरूकता फैला रहे हैं ।
लिंक-19
जवाब देंहटाएंजनता की है दुर्दशा, जन-जीवन बेहाल।
कूड़ा-कर्कट बीनते,भारत माँ के लाल।।
लिंक न० - १९
जवाब देंहटाएंजनता गूंगी हो गई, है संसद भी मौन
अंधी है सरकार भी, देखन वाला कौन,
लिंक-18
जवाब देंहटाएंश्रद्धा का भण्डार है, सारा गीता ज्ञान।
पढ़ना इसको ध्यान से, इसमें है विज्ञान।।
(6)
जवाब देंहटाएं(15)
बचें स्किनी जींस से
Kumar Radharaman
स्वास्थ्य
बात हमारी समझ में आई
युवा पीढी़ को कौन समझाये ।
(7)
जवाब देंहटाएं(14)
"शादी आज बनाओगे" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
उच्चारण
शास्त्री जी के पास है पिटारा
आज बंदर को ला कर
बच्चों के लिये है संवारा ।
(8)
जवाब देंहटाएं(13)
एक संस्मरण शिव के धाम का
Dr. sandhya tiwari at Parinda
बहुत सुंदर वर्णन
वासुकीनाथ के हुवे दर्शन !
(9)
जवाब देंहटाएं(12)
मुक़ददमेबाज़ी से अच्छी मुसीबत क्या हो सकती है ?
Dr. Ayaz Ahmad
सोने पे सुहागा
ब्लागिंग भी और मुकद्दमा भी दोनो साथ
वाह सोना भी और सुहागा भी!!
(10)
जवाब देंहटाएं(11)
रे-चना ; ज्वार से तू जल
नीम-निम्बौरी
अब चने पर क्या कहना
जब रविकर कर रहा हो रचना ।
शेष लिंक पर बाद में आते हैं
आज थोडा़ शिवार्चन कर ले जाते है
जय भोले बाबा की !
सुन्दर लिंकों से सजा रविकर मंच आज ,
जवाब देंहटाएंदिल प्रसन्न हो गया कब से जो था उदास.
आज सुबह होते ही फिर चर्चा मंच पे आया,
तरह तरह के लिंक देखकर पढने को ललचाया.
वक्त मिला तो जरुर पढूंगा आज के सारे पोस्ट,
कुछ कमेन्ट से करूँगा उनकी होसला अफजाई दोस्त.
मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स
वाह बेहद सुन्दर लिंक्स मज़ा आ गया
जवाब देंहटाएं्बहुत सुन्दर लिंक संयोजन्।
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
टिप्पणियों से मिल रहा, चर्चा को आशीष।
जवाब देंहटाएंदेखें कल को कौन हो, नम्बरवन वागीश।।
वाह ... बेहतरीन लिंक्स के साथ उत्कृष्ट चर्चा ..आभार
जवाब देंहटाएंबेहतरीन लिंक्स के साथ रोचक चर्चा....आभार
जवाब देंहटाएंलिंक न० - १५
जवाब देंहटाएंचिपकी पैंट पहनने से, हो सकती बीमारी
ढीले वस्त्र पहनिए सदा,बचे कष्ट से भारी,,,,,,,,
बहुत खूब चर्चा किया रविकर जी ने आज .,लिंक सजाए छांट कर एक से बढ़कर एक ..
जवाब देंहटाएंवीरुभाई ,
Hotel Travelodge ,Traverse City ,Room no .134,Michigun .USA
(11)
जवाब देंहटाएं(10)
यकीन
my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....
जिस शिद्दत से अनु को यकीं होता है
हमें भी अब कुछ कुछ यकीं होता है ।
बहुत सूंदर यकीं /कविता है ।
(12)
जवाब देंहटाएं(9)
बारिश की बूँदें ...
RITU at कलमदान
बहुत सुंदर किसी ने तो
बादल का पता पूछा है !
(13)
जवाब देंहटाएं(8)
शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया
Dr. Ayaz AhmadatMushayera
शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया
दोनों के सिलसिले में ये बेहतर कहा गया
बहुत खूब है ।
इनको पता हो गया
उल्लू पत्थर का हो गया ।
(14)
जवाब देंहटाएं(7)
क्या हर युग में चक्रव्यूह में घिरकर ही अभिमन्यु की मौत निश्चित है ?
वन्दना at ज़ख्म…जो फूलों ने दिये
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
(15)
जवाब देंहटाएं(6)
कभी यूँ भी आज़मा के देख ...
सदाatSADA
वाह !!
क्या चैलेंज किया है सदा ने !बहुत खूब !!
(16)
जवाब देंहटाएं(5)
बोल बच्चन- मनोरंजक है, देख सकते हैं
मनोज कुमार at विचार
मनोज जी जब लिखते हैं तो वाकई गजब का लिखते हैं !
(17)
जवाब देंहटाएं(4)
"असली / नकली "
Sushil at "उल्लूक टाईम्स "
इस उल्लू को पता नहीं ऎसा क्या हो जाता है
घूम फिर कर आदमियों के बीच आ जाता है ।
(18)
जवाब देंहटाएं(3)
माने उसका भी भला, जो न माने उसका भी भला
संजय @ मो सम कौन कुटिल खल
स्वस्थ्य बहस जरूरी है !!
(19)
जवाब देंहटाएं(2)
हिंदी के अमर कथाकार,उपन्यास-सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी
मनोज भारतीatराजभाषा हिंदी
बहुत बेहतरीन आलेख !
(20)
जवाब देंहटाएंसप्ताह के चर्चाकार :
चर्चाकार एक ढूडो सौ मिल जायेंगे
पाठक ढूंडने लेकिन कहाँ जायेंगे ।
(21)
जवाब देंहटाएं(1)
युवा -प्रस्तुति
लाल बहूटी
ये जरूरी है !
इसके साथ दूसरा ऎसा ब्लाग भी हो सकता है जो कभी चर्चामंच पर ना आया हौ ।
आभार रविकर एक नई पहल के लिये ।
bahut hi sundar sanyojan..........bahut kuch padhne ko mila aur mai bhi shamil hu ...........aabhar
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा ..
जवाब देंहटाएंआभार
बहुत सुन्दर चर्चा वाह भाई रविकर जी!
जवाब देंहटाएंdil aur dimag ke liye umda post.
जवाब देंहटाएं