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बुधवार, जुलाई 11, 2012

मैंने जो कीं ख़ताएं तो घर घर कहा गया : चर्चा-मंच 937

(1)
युवा  -प्रस्तुति 



तुम निर्झर झरने से
बहते हो
चुप !कोई शोर नहीं

सप्ताह के चर्चाकार : 
1. सुशील जोशी जी  "उल्लूक टाईम्स "
2. धीरेन्द्र जी काव्यान्जलि ...
इस सूची में अगला नाम अर्थात कल के टिप्पणीकार 

आमिर जी दुबई 


(2)

हिंदी के अमर कथाकार,उपन्यास-सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी

मनोज भारतीatराजभाषा हिंदी  

इस महीने की 31 तारीख को प्रेमचन्द जी का जन्मदिन है और यह पूरा मास हम “राजभाषा हिंदी” ब्लॉग टीम की तरफ़ से प्रेमचन्द जी के व्यक्तित्व और कृतित्व के ऊपर कुछ पोस्ट ला रहे हैं। इसी कड़ी में आज प्रस्तुत है मनोज भारती की रचना।


(3)

माने उसका भी भला, जो न माने उसका भी भला

संजय @   मो सम कौन कुटिल खल ...... ?  दोस्तों,  ब्लॉगजगत में इन दिनों काफी गहमागहमी है जिसकी वजह एक विशेष गुट के लोगों द्वारा महिलाओं और उनमें भी हिंदु महिलाओं की तस्वीरों को गलत सन्दर्भ में अपनी पोस्ट्स के साथ लगाना है|
(4)

"असली / नकली "

*अच्छे शहद की पहचान कर देती है बडे़ बडों को हैरान आजकल बाजार में भी नहीं आ रहा है मेरा शहद बेचने वाला मित्र भी बहुत नखरे दिखा रहा है सोचा घर में ही क्यों ना बनाया जाये घर में आने वाली मधुमक्खियों को ही क्यों ना पटाया जाये

(5)

बोल बच्चन- मनोरंजक है, देख सकते हैं

मनोज कुमार at विचार

मिल्क नंबर सिक्स गजब है, बुनी पटकथा हास्य पर ।
बोल बचन आगाज है- गोलमाल इतिहास पर ।
खलनायक कमजोर दीखता, हीरोइन शो पीस सरीखी -
रख दिमाग घर पर ही अपने, जाय देखने पिक्चर रविकर ।।


  (6)

कभी यूँ भी आज़मा के देख ...

सदाatSADA
 
बुलन्‍दी पर पहुंचने का कोई टोटका नहीं होता है बता दे उसे,
बस इक बार सदा  तू मन में लगन का दीप जला के देख । 


(7)

क्या हर युग में चक्रव्यूह में घिरकर ही अभिमन्यु की मौत निश्चित है ?

मेरे मन की ग्रंथियों पर कोई नाग कुंडली मार शायद बैठ गया है तभी तो कोई ग्रंथि खुल ही नहीं रही तमस में कहाँ हाथ दिखाई देता है फिर इस गहन तमस में कौन सी ग्रंथि टटोलूं कौन सी गांठ खोलूं एक रंगहीन पर्दा है जो हटता ही नहीं और उसके पार भी दिखता ही नहीं ना दशा का पता ना दिशा का पता फिर मंजिल का निर्धारण कौन करे?

(8)

शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया

Dr. Ayaz AhmadatMushayera

 उसने किया जो ज़ुल्म तो हुआ न कुछ भी ज़िक्र
मैंने जो कीं ख़ताएं तो घर घर कहा गया


- ताज़ीज़ बस्तवी, रहमत गंज, गांधी नगर, बस्ती


  (9)

बारिश की बूँदें ...

RITU at कलमदान  


(10)

यकीन


  (11)

रे-चना ; ज्वार से तू जल

रे-चना बाजे घना,  
होकर पड़ा थोथा यहाँ |
व्यर्थ है उत्पत्ति तेरी, 

क्षुधा करता शांत जग की  |


(12)

मुक़ददमेबाज़ी से अच्छी मुसीबत क्या हो सकती है ?

आपकी ब्लॉगिंग में आपकी शख्सियत झलकती है तंज़ करने वाले भी तंज़ सहने की ताक़त नहीं रखते. पढ़े लिखे लोगों की मजलिस में बुरी बातें देखकर एक लंबे अर्से तक ब्लॉग पर कुछ लिखने का जज़्बा ही सर्द पड़ गया. ब्लॉगिंग को जुड़ने का ज़रिया बनाया जाए तो अच्छा रहेगा. 


(13)

एक संस्मरण शिव के धाम का

Dr. sandhya tiwari at Parinda
* एक संस्मरण शिव के धाम का* शिव की महिमा अपरम्पार है . मुझे भी मौका लगा सावन में भोले भंडारी के दर्शन का और उठा ली इस शुभ अवसर का लाभ . कोई तीन साल पहले की बात है . मेरे पति बोले चलो इस बार तुमको भी सावन में बासुकीनाथ धाम ले चलते हैं , 

(14)

"शादी आज बनाओगे" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')


कहाँ चले ओ बन्दर मामा,
मामी जी को साथ लिए।
इतने सुन्दर वस्त्र आपको,
किसने हैं उपहार किये।।


  (15)

बचें स्किनी जींस से

Kumar Radharaman
स्वास्थ्य  
भले ही स्किनी जींस से आपको स्लिम लुक मिलता है, लेकिन इसके साइड इफेक्ट्स खासे रिस्की हैं। दरअसल, इससे मरेल्जिया परेस्थेटिका (Meralgia Paresthetica) डिसऑर्डर हो सकता है। जानते हैं, इसके बारे में : मौजूदा पॉप्युलर ट्रेंड्स की बात करें, तो पिछले लंबे टाइम से स्किनी जींस काफी डिमांड में हैं। हालांकि आपकी चॉइस अगर स्टाइल से ज्यादा हेल्थ पर ध्यान देने की है, तो यह टाइम अलर्ट होने का है।

ram ram bhai 

बच्चे मुंह में रख रहे, लगे हाथ जो चीज |
कोई भी सामान हो, जाय लार से भीज |
जाय लार से भीज, गहन संपर्क परस्पर |
फैले फ्लू अतिसार, बड़ी बीमारी रविकर |
तनिक बनो हुशियार, बचाओ नौनिहाल को ||
कीटाणु से मुक्त, करो हर एक माल को ||

  (17)

प्रणय-गीत

संतोष त्रिवेदी 
बैसवारी baiswari
प्रेरणा तुम्हीं हो कविता की,
 मेरे मानस की अमर-ज्योति,
सत्यता तुम्हारे सम्मुख है,

नहीं तनिक भी अतिशयोक्ति !



  (19)

जनता की दुर्दशा के लिए उत्तरदाई कौन?

विजय राज बली माथुर
क्रांति स्वर.....
 

68 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर लिंको से सजी, रविकर चर्चा आज।
    मेरा है विश्वाश ये, होगा धन्य समाज!

    जवाब देंहटाएं
  2. लिंक-2
    उर्दू-हिन्दी को दिया, जिसने नव आयाम।
    अमर रहेगा जगत में, मुंशी जी का नाम।।

    जवाब देंहटाएं
  3. लिंक-3
    ब्लॉगजगत में सभी की, मना रहें हैं खैर।
    ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर।।

    जवाब देंहटाएं
  4. लिंक-1
    सावन आया झूम के, लेकर नवउल्लास।
    ऐसे में बढ़ने लगी, मिलने की फिर आस।।

    जवाब देंहटाएं
  5. लिंक-4
    मधु के लालच में कभी, धोखा भी हो जात।
    सोच-समझकर प्यार से, छत्ते में दो हाथ।।

    जवाब देंहटाएं
  6. लिंक-5
    बोल-बोल बच्चन कहे, रहना नहीं उदास।
    नीरस जीवन में भरो, हास और-परिहास।।

    जवाब देंहटाएं
  7. लिंक-6
    शिकवा और शिकायतें, इस जीवन के साथ।
    आजमाइए दोस्त को, बुरा वक्त जब आय।।

    जवाब देंहटाएं
  8. लिंक-7
    हर युग में होती रही, अभिमन्यू की मौत।
    खुली चुनौती दे रहा, चन्दा को खद्योत।।

    जवाब देंहटाएं
  9. लिंक-8
    पाषाणों की चोट से, शीशा जाता टूट।
    लेकिन वो झुकता नहीं, पीकर गम के घूँट।।

    जवाब देंहटाएं
  10. लिंक-9
    तन-मन को सुख दे रही, जल की नेह फुहार।
    चौमासे में मिल रहा, कुदरत को उपहार।।

    जवाब देंहटाएं
  11. लिंक-10
    आड़ी-तिरछी हाथ में, होती बहुत लकीर।
    कोई है राजा यहाँ, कोई रंक-फकीर।।

    जवाब देंहटाएं
  12. लिंक-11
    चना-चबेना भी नहीं, महँगाई की मार।
    मनमोहन सरकार से, गया आदमी हार।।

    जवाब देंहटाएं
  13. लिंक-12
    देते हैं सन्ताप को, नीच घरों के लोग।
    इसीलिए तो मुकदमें, लोग रहे हैं भोग।।

    जवाब देंहटाएं
  14. लिंक-14
    सावन में सजने लगा, पावन शिव का धाम।
    गली-गली में गूँजता, बम-भोले का नाम।।

    जवाब देंहटाएं
  15. वाह...आज रविकर जी की चर्चा पर शास्त्री जी की टिप्पणियां....

    बहुत सुन्दर....
    हमारी रचना को शामिल करने का शुक्रिया.

    सादर
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  16. बन्दर मामा चल दिये, पत्नी जी के संग।
    टोका-टाकी मत करो,पड़े रंग में भंग।।

    जवाब देंहटाएं
  17. रचनाओं को दुह गए, दोहे बेहद खास |
    बरस झमाझम है रहा, यह सावन शिव मास |
    यह सावन शिव मास, कृपा गुरुवर की होती |
    हुई स्नेहसिक्त आज, जलाया पावन ज्योति |
    बहुत बहुत आभार, कृपा कुछ और बढाओ |
    धन्य हो गई आज , गीत गाओ रचनाओं ||

    जवाब देंहटाएं
  18. लिंक-15
    चिपकी पहनी पेंट है, नंगी देह दिखाय।
    अच्छा-खासा आदमी, नंगा होता जाय।।

    जवाब देंहटाएं
  19. लिंक-16
    नौनिहाल को सीख दें, सुधरेगा संसार।
    खने से पहले जरा, मन में करें विचार।।

    जवाब देंहटाएं
  20. लिंक न० - ६

    बेदर्दी यह दर्द नहीं सबको,ऐसे मिल जाता
    प्यार करोगे तब जानोगे,कैसे है यह आता,,,,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  21. लिंक न० - ४

    असली नकली की सदा, हो जाती पहचान,
    अगर आपमें परख की, क्षमता होया ज्ञान,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  22. लिंक न० - १७

    तुम्ही प्रेरणा, तुम्ही धारणा, तुम्ही मेरी रचयिता हो
    तुम लेखनकी भाग्य विधाता,तुम्ही मेरी कविता हो
    अब तक डोर टूट न पाई अलग नही कर पाया हूँ
    तुम जीवन की प्रथम किरण,तुम्ही मेरी सविता हो

    जवाब देंहटाएं
  23. ब्लाग को शामिल करने हेतु 'रविकर' जी को धन्यवाद। लिंक्स का चयन उत्तम है।

    जवाब देंहटाएं
  24. लिंक न० - १८

    कैलाश जी की पोएट्री, गीता का अनुवाद
    क्रमशः लेखन चल रहा, देता हूँ मै दाद
    देता हूँ मै दाद, हमेशा लिखते रहिये
    गीता का उपदेश सदा पढवाते रहिये
    कृष्णने अर्जुन को दिया गीता का ज्ञान
    सब इसको ग्रहण करे बढती जाये शान

    जवाब देंहटाएं
  25. लिंक न० - ९

    रिम झिम गिरती बूंदे और बहता ये पानी
    इठलाती झड़ियों में बारिश करता मनमानी,,,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  26. रविकर जी की चर्चा रंग लाई बहुत सुन्दर लिनक्स संजोये आमिर दुबाई जी को हार्दिक बधाई

    जवाब देंहटाएं
  27. वाह ! आज तो मजा आ गया
    रविकर मंच को कुछ ऎसा सजा गया
    शास्त्री जी को भी खींच लाया
    टिप्पणी करने के लिये
    पहला शतकीय टिप्पणी मंच
    देखिये रविकर आज बना गया ।

    जवाब देंहटाएं
  28. (1)

    (19)
    जनता की दुर्दशा के लिए उत्तरदाई कौन?
    विजय राज बली माथुर
    क्रांति स्वर.....

    अब जब जगाने वाले ही बाबा लोग
    तो क्या करे जनता
    उसे तो लगाना है बस भोग!!!

    जवाब देंहटाएं
  29. उर्दू-हिन्दी को दिया, जिसने नव आयाम।
    अमर रहेगा जगत में, मुंशी जी का नाम।।

    Agree.

    Nice Links. Great job.

    जवाब देंहटाएं
  30. (3)

    (18)
    श्रीमद्भगवद्गीता-भाव पद्यानुवाद (२१वीं-कड़ी)
    Kashish - My Poetry

    कैलाश शर्मा जी का यज्ञ जारी है
    गीता इस तरह असानी से
    हमारी समझ में भी आ रही है ।

    जवाब देंहटाएं
  31. (4)

    (17)
    प्रणय-गीत
    संतोष त्रिवेदी
    बैसवारी baiswar

    बहुत सुंदर !!!
    किशोरावस्था की
    कविता और सविता
    की कहानी
    अब जा कर सुनी हमने
    संतोष जी की जुबानी !!

    जवाब देंहटाएं
  32. लिंक - 17
    प्रणय गीत में भर दिया, निज मन का उदगार।
    प्रमें हमेशा ही रहा, जीवन का आधार।।

    जवाब देंहटाएं
  33. लिंक-18
    प्रणय गीत में भर दिया, निज मन का उदगार।
    प्रेम हमेशा ही रहा, जीवन का आधार।।

    जवाब देंहटाएं
  34. (5)

    (16)
    जाएं शौक से माल में लेकिन इस पर भी गौर करें .
    veerubhai
    ram ram bhai

    वीरू भाई
    एक अलग अलख जगा रहे हैं
    स्वास्थ्य के प्रति बहुत सुंदर तरीके
    से जागरूकता फैला रहे हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  35. लिंक-19
    जनता की है दुर्दशा, जन-जीवन बेहाल।
    कूड़ा-कर्कट बीनते,भारत माँ के लाल।।

    जवाब देंहटाएं
  36. लिंक न० - १९

    जनता गूंगी हो गई, है संसद भी मौन
    अंधी है सरकार भी, देखन वाला कौन,

    जवाब देंहटाएं
  37. लिंक-18
    श्रद्धा का भण्डार है, सारा गीता ज्ञान।
    पढ़ना इसको ध्यान से, इसमें है विज्ञान।।

    जवाब देंहटाएं
  38. (6)

    (15)
    बचें स्किनी जींस से
    Kumar Radharaman
    स्वास्थ्य

    बात हमारी समझ में आई
    युवा पीढी़ को कौन समझाये ।

    जवाब देंहटाएं
  39. (7)

    (14)
    "शादी आज बनाओगे" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
    उच्चारण

    शास्त्री जी के पास है पिटारा
    आज बंदर को ला कर
    बच्चों के लिये है संवारा ।

    जवाब देंहटाएं
  40. (8)

    (13)
    एक संस्मरण शिव के धाम का
    Dr. sandhya tiwari at Parinda

    बहुत सुंदर वर्णन
    वासुकीनाथ के हुवे दर्शन !

    जवाब देंहटाएं
  41. (9)

    (12)
    मुक़ददमेबाज़ी से अच्छी मुसीबत क्या हो सकती है ?
    Dr. Ayaz Ahmad
    सोने पे सुहागा

    ब्लागिंग भी और मुकद्दमा भी दोनो साथ
    वाह सोना भी और सुहागा भी!!

    जवाब देंहटाएं
  42. (10)
    (11)
    रे-चना ; ज्वार से तू जल
    नीम-निम्बौरी

    अब चने पर क्या कहना
    जब रविकर कर रहा हो रचना ।

    शेष लिंक पर बाद में आते हैं
    आज थोडा़ शिवार्चन कर ले जाते है
    जय भोले बाबा की !

    जवाब देंहटाएं
  43. सुन्दर लिंकों से सजा रविकर मंच आज ,
    दिल प्रसन्न हो गया कब से जो था उदास.
    आज सुबह होते ही फिर चर्चा मंच पे आया,
    तरह तरह के लिंक देखकर पढने को ललचाया.
    वक्त मिला तो जरुर पढूंगा आज के सारे पोस्ट,
    कुछ कमेन्ट से करूँगा उनकी होसला अफजाई दोस्त.

    मोहब्बत नामा
    मास्टर्स टेक टिप्स

    जवाब देंहटाएं
  44. वाह बेहद सुन्दर लिंक्स मज़ा आ गया

    जवाब देंहटाएं
  45. ्बहुत सुन्दर लिंक संयोजन्।

    जवाब देंहटाएं
  46. टिप्पणियों से मिल रहा, चर्चा को आशीष।
    देखें कल को कौन हो, नम्बरवन वागीश।।

    जवाब देंहटाएं
  47. वाह ... बेहतरीन लिंक्‍स के साथ उत्‍कृष्‍ट चर्चा ..आभार

    जवाब देंहटाएं
  48. बेहतरीन लिंक्स के साथ रोचक चर्चा....आभार

    जवाब देंहटाएं
  49. लिंक न० - १५

    चिपकी पैंट पहनने से, हो सकती बीमारी
    ढीले वस्त्र पहनिए सदा,बचे कष्ट से भारी,,,,,,,,

    जवाब देंहटाएं
  50. बहुत खूब चर्चा किया रविकर जी ने आज .,लिंक सजाए छांट कर एक से बढ़कर एक ..
    वीरुभाई ,
    Hotel Travelodge ,Traverse City ,Room no .134,Michigun .USA

    जवाब देंहटाएं
  51. (11)

    (10)
    यकीन
    my dreams 'n' expressions.....याने मेरे दिल से सीधा कनेक्शन.....

    जिस शिद्दत से अनु को यकीं होता है
    हमें भी अब कुछ कुछ यकीं होता है ।
    बहुत सूंदर यकीं /कविता है ।

    जवाब देंहटाएं
  52. (12)

    (9)
    बारिश की बूँदें ...
    RITU at कलमदान

    बहुत सुंदर किसी ने तो
    बादल का पता पूछा है !

    जवाब देंहटाएं
  53. (13)

    (8)
    शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया
    Dr. Ayaz AhmadatMushayera

    शीशा हमें तो आपको पत्थर कहा गया
    दोनों के सिलसिले में ये बेहतर कहा गया

    बहुत खूब है ।
    इनको पता हो गया
    उल्लू पत्थर का हो गया ।

    जवाब देंहटाएं
  54. (14)


    (7)
    क्या हर युग में चक्रव्यूह में घिरकर ही अभिमन्यु की मौत निश्चित है ?
    वन्दना at ज़ख्म…जो फूलों ने दिये

    बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!

    जवाब देंहटाएं
  55. (15)

    (6)
    कभी यूँ भी आज़मा के देख ...
    सदाatSADA

    वाह !!
    क्या चैलेंज किया है सदा ने !बहुत खूब !!

    जवाब देंहटाएं
  56. (16)

    (5)
    बोल बच्चन- मनोरंजक है, देख सकते हैं
    मनोज कुमार at विचार

    मनोज जी जब लिखते हैं तो वाकई गजब का लिखते हैं !

    जवाब देंहटाएं
  57. (17)

    (4)

    "असली / नकली "
    Sushil at "उल्लूक टाईम्स "

    इस उल्लू को पता नहीं ऎसा क्या हो जाता है
    घूम फिर कर आदमियों के बीच आ जाता है ।

    जवाब देंहटाएं
  58. (18)

    (3)
    माने उसका भी भला, जो न माने उसका भी भला
    संजय @ मो सम कौन कुटिल खल

    स्वस्थ्य बहस जरूरी है !!

    जवाब देंहटाएं
  59. (19)
    (2)
    हिंदी के अमर कथाकार,उपन्यास-सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी
    मनोज भारतीatराजभाषा हिंदी


    बहुत बेहतरीन आलेख !

    जवाब देंहटाएं
  60. (20)

    सप्ताह के चर्चाकार :
    चर्चाकार एक ढूडो सौ मिल जायेंगे
    पाठक ढूंडने लेकिन कहाँ जायेंगे ।

    जवाब देंहटाएं
  61. (21)

    (1)
    युवा -प्रस्तुति
    लाल बहूटी

    ये जरूरी है !
    इसके साथ दूसरा ऎसा ब्लाग भी हो सकता है जो कभी चर्चामंच पर ना आया हौ ।
    आभार रविकर एक नई पहल के लिये ।

    जवाब देंहटाएं
  62. bahut hi sundar sanyojan..........bahut kuch padhne ko mila aur mai bhi shamil hu ...........aabhar

    जवाब देंहटाएं

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