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बुधवार, दिसंबर 26, 2012

अब तो तस्वीर बदलनी चाहिये (बुधवार चर्चा-1105)


आप सभी मित्रों को प्रदीप का नमस्कार |
पिछले बुधवार को हमारे सामने तीन महत्वपूर्ण बातें थी | नरेंद्र मोदी ने तो तिकड़ी लगा दी, सचिन ने भी एकदिवसीय मैचों से ही सही पर सन्यास ले लिया पर दिल्ली में सामूहिक बलात्कार पीड़िता आज भी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है | उसके लिए और तमाम महिलाओं के लिए न्याय और अधिकार की मांग करने वाले लोग व्यवस्था और सरकार के साथ जूझ रहे हैं |
अब शुरू करते हैं आज की चर्चा :-
अब तो तस्वीर बदलनी चाहिए
- Rajesh Kumari

औरत ने जन्म दिया मर्दों को
मर्दों ने मौत का सामान दिया
कभी पर्वों में पूजा देवी कहकर
कभी सरे आम शर्मसार किया
ये दोगली चाल कुचलनी चाहिए
अब तो तस्वीर बदलनी चाहिए |
अब तो तस्वीर बदलनी चाहिये
- Vandana Gupta

जिसमे हौसलों भरी उड़ान हो
तेरे कुछ कर गुजरने के संस्कार ही तेरी पहचान हो
तेरी योग्यता ही उस संस्कृति की जान हो
तेरी कर्मठता ही सभ्यता का मान हो
ऐसी फिर एक नयी लहर मिलनी चाहिए
अब तो तस्वीर बदलनी चाहिए |
उसने माँ की गाली दी
- विष्णु बैरागी

भाषा सम्प्रेषण का माध्यम होती है और सम्प्रेषण के लिए प्रयुक्त शब्दावली हमारे व्यक्तित्व तथा मानसिकता की परिचायक होती है। इस मुद्दे पर काफी-कुछ कहा गया है। जैसे कि - विज्ञान कहता है कि जबान का घाव ठीक हो जाता है लेकिन ज्ञान कहता है कि जबान से लगा घाव कभी ठीक नहीं हो पाता।
अगर कुछ दे सको तो
- यशवन्त माथुर

सेंटा !
सुना है
तुम बिना मांगे
अपनी झोली से निकाल कर
खुशियाँ बांटते हो
मुस्कुराहटें बांटते हो
और निकल लेते हो
अपनी राह
बिना कुछ कहे
बिना कुछ सुने
चादर में दाग |
- Devdutta Prasoon

‘भारतीयता की चादर’ में हैं दिल्ली में दाग लगे |
‘मैली दलदल’ के विकास में ‘राम’ करे अब ‘आग’ लगे ||
‘आदर्शों की धरती’ हिन्द की , आज घिनौनी कैसे है ?
आसमान तक उठी ‘बुलन्दी’ हो गयी बौनी कैसे है ??
सचिन तुझे सलाम
- Amit Chandra

सचिन के वनडे क्रिकेट से सन्यास लेने की घोषणा ने चौंका दिया। हॉंलाकि ये सभी जानते थे और शायद इस बात की आशा भी थी कि पाकिस्तान और अस्ट्रेलिया के भारत दौरे के बाद वो सन्यास ले सकते थे।
मजदूर....
Kirti Vardhan

मजदूर....
शाम के वक़्त
जब मजदूर लौटते हैं
अपने घरों की और
होता है उनके चेहरे पर
आत्मसंतुष्टि का भाव
मेहनत कर कमाने का |
*बर्थ-डे गिफ्ट*
- आनन्द विश्वास

बच्चों को कुछ भी याद रहे या न रहे, पर वे अपना बर्थ-डे तो कभी भी भूलते ही नही और उसकी तैयारी में तो वे कोई कोर कसर भी नही छोड़ते। पिछले बर्थ-डे से ज्यादा अच्छा तो होना ही चाहिये अगला बर्थ-डे। आखिर एक साल और बड़े हो गये हैं न।
स्त्री, यौन-हिंसा व समाज
- कविता वाचक्नवी

बलात्कारों के विरुद्ध इतने हंगामे और विरोध के बीच भी गत सप्ताह-भर में कितने बलात्कार भारत में हुए हैं, इसका अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि प्रति २० मिनट पर एक स्त्री बलात्कार की शिकार होती है भारत में |
कवि तुम बाज़ी मार ले गये!
- चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’

ऐ कवि बाज़ी मार ले गये!
कविता का संसार ले गये!!

कविता से अब छन्द है ग़ायब,
लय है ग़ायब, बन्द है ग़ायब,
प्रगतिवाद के नाम पे प्यारे!
कविता का श्रृंगार ले गये!
ऐ कवि...!
मन के प्लेटफॉर्म पर
- NIdhi Tandon


ऐसा कभी नहीं हो सकता
कि मन के प्लेटफॉर्म पर
तुम्हारी यादों से भरी
धीरे धीरे चलने वाली
मालगाड़ी न आये .
ताऊ छाप कविता में स्वागत है!
Ratan singh shekhawat


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वोट डकार
नेता गया सिधार
फ़िर चुनाव
Xara 3D Heading Maker: झटपट 3D Text बनाइए
- Vinay Prajapati
"सामयिक दोहे"
- डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'


न्यायालय में सभी को, शीघ्र सुलभ हो न्याय।
मिट जायेगा वतन से, जल्दी ही अन्याय।१।

सारी दुनिया जानती, नारी नर की खान।
लेकिन फिर भी हो रहा, नारी का अपमान।२।
दबाव पर भारी पड़ते प्रतिस्पर्धा
कौशल तिवारी 'मयूख'
चार्ली की कहानी चार्ली की ज़बानी
Ashok Pande
अंत में नए साल के उपलक्ष्य में लिखी हुई मेरी एक पहले की रचना:-
"नए साल में"
सभी पंक्तियों का पहला अक्षर मिलाने पर "नया साल सबके लिए सुखद एवं मंगलमय हो" )

आज की चर्चा को यहीं पे विराम देता हूँ | आप सभी को आने वाले नव वर्ष की अनंत शुभकामनायें |
आपका और आपके सभी सगे-संबंधियों और मित्रों का नए साल में हर एक दिन सुखद एवं मंगलमय हो |
आभार |

34 टिप्‍पणियां:

  1. चर्चा-मंच को सुन्दर और प्रभावशाली बनाने के लिये चर्चा-मंच के सभी मनस्वी,सेवाभावी महानुभावों को नमन। आज की दौड़ती-भागती जिन्दगी में सेवार्थ समय निकाल पाना बड़ा बेहद मुश्किल काम होता है और आप इस बेहद मुश्किल काम का वखूभी निर्वाह कर रहे हैं। आपकी लगन को नमन।

    आनन्द विश्वास।

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुतिं...।
    सभी लिंक पठनीय हैं!
    आज दिन में सभी पोस्टों पर जायेंगे!

    जवाब देंहटाएं
  3. बढ़िया रोचक लिंक ;अभी पूरा पढना है
    नई पोस्ट : "जागो कुम्भ कर्णों"

    जवाब देंहटाएं
  4. bबेहतरीन चर्चा पठनीय लिंक्स संकलन हेतु बधाई

    जवाब देंहटाएं
  5. वाह...
    लिंक्स ही लिंक्स....
    आपका चयन है तो बेहतरीन होंगे ही...
    देखते हैं बारी बारी...
    आभार
    अनु

    जवाब देंहटाएं
  6. उत्तम लिंक चयन बढिया चर्चा

    जवाब देंहटाएं
  7. कार्टून को भी सम्‍मि‍लि‍त करने के लि‍ए आभार

    जवाब देंहटाएं
  8. मेरी पोस्ट कुछ डिप्रेसिंग व कुछ इंस्पायरिंग..... को चर्चामंच में शामिल करने हेतु हार्दिक आभार।

    जवाब देंहटाएं
  9. सामयिक और सारगर्भित रचनाएँ चुनी हैं आपने चर्चा के लिए। कार्टून भी यथार्थ को बयां करता हुआ।
    बेहतरीन!

    जवाब देंहटाएं
  10. शानदार लेखन,
    जारी रहिये,
    बधाई !!!

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन लिंक्‍स संयोजित किये हैं आपने
    आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. कवि तुम बाजी मार ले गये!
    --
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

    लुप्त हुआ है काव्य का, नभ में सूरज आज।
    बिना छंद रचना करें, ज्यादातर कविराज।।
    --
    चार लाइनों में मिलें, टिप्पणिया चालीस।
    बिना छंद के शान्त हो, मन की सारी टीस।।
    --
    बिन मर्यादा यश मिले, गति-यति का क्या काम।
    गद्यगीत को मिल गया, कविता का आयाम।।
    --
    अनुच्छेद में बाँटिये, लिख करके आलेख।
    छंदहीन इस काव्य का, रूप लीजिए देख।।

    जवाब देंहटाएं
  13. नाद शंखों के स्वरों में एक स्वर मेरा मिलालो -

    प्रसंग वश शंख ध्वनी से 500 मीटर के दायरे विषाणु का नाश हो जाता है जर्मनी में संपन्न एक शोध में यह पुष्ट हुआ था .

    शंख बोली बलाय टली
    - Arvind Mishra

    जवाब देंहटाएं
  14. सत्ताधारी का कथन है 'दोहराव न हो'
    प्रश्न है किसका?? बलात्कार की घटना का
    या घटना के विरोध का.....??

    जवाब देंहटाएं
  15. सकारात्मक भाव लिए सुन्दर प्रस्तुति .नव वर्ष हो मंगल मय सबको .शुक्रिया आपके नेह निमंत्रण का चर्चा मंच पे बिठाने का .सादर

    अंत में नए साल के उपलक्ष्य में लिखी हुई मेरी एक पहले की रचना:-
    "नए साल में"

    जवाब देंहटाएं
  16. देश को पिता नहीं पुत्र चाहिए -और प्रजातंत्र को प्रजातंत्र चाहिए .जहां प्रजा की सत्ता से तंत्र की सत्ता खड़ी होती है वहां अब दिल्ली रेप के मामले में प्रजा की सत्ता को समाज के निचले

    पायेदान पे पड़े

    अपराध किस्म के लोगों का शगल बतलाया जा रहा है .यही लूम्पेन चुनाव के मौके पर तंत्र सत्ता के प्रतीक विधायकों और वोट खोरसांसदों के लिए आदरणीय हो जाते हैं .इनके द्वारे आते हैं यही

    फिर

    से

    सत्ता मांगने जनता से मान्यता मांगने .

    यह बलात्कार दिल्ली पुलिस का महज़ 'निर्भय' के साथ अपराध तत्व द्वारा नहीं हुआहै अपराध तत्व की माँ द्वारा हुआ है .प्रजा की सत्ता के साथ हुआ है सरकार द्वारा जो आज अपराध का

    पर्याय वाची बन गई है . प्रजा सत्ता का इंडिया गेट पे सरे आम जनाज़ा

    निकाला गया है .और दोष साधू सन्यासियों देश के शीर्ष शौर्य के प्रतीक पूर्व सैना पति पे मढने की नाकामयाब कोशिश की गई है .

    देखते हैं इन वोट खोरों को अगले आम चुनाव में कौन सत्ता में भेजता है .जिसके बीच में रात उसकी क्या बात .2013 तो आ गया .देखना चोर की माँ भागेगी इंडिया छोडके .यह भारत धर्मी समाज

    का भारत है .वोट खोरों का इंडिया नहीं है .

    एक प्रतिक्रिया ब्लॉग पोस्ट :


    देश को पिता नहीं पीएम चाहिये

    जवाब देंहटाएं
  17. चर्चा मंच हमारी दौलत,इसमें बात के मोती हैं |
    सब रचनायें एक माल में,इस में गूंथी होती हैं ||

    जवाब देंहटाएं
  18. चर्चामंच पर स्थान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद प्रदीप जी...

    जवाब देंहटाएं
  19. pradeep ji ,namaskar
    aapne meri rachna ko "charcha manch par sthan diya aabhari hun . aaj charcha manch ka purn avlokan kiya ,vastav me yah sarahniya prayas hai, iske liye aapki puri team badhai ki patra ai.
    punh aabhar

    जवाब देंहटाएं
  20. मेरीर अचना को स्थान देने हेतु,धन्यवाद!!कुछ लिंक्स पर गयी...अच्छा लगा पढ़ कर.कई अभी बाक़ी हैं...इत्मिनान से पढूंगी

    जवाब देंहटाएं
  21. बेहतरीन कड़ियाँ ... इनके बीच स्थान देने का बहुत-बहुत शुक्रिया, आभार...

    जवाब देंहटाएं
  22. बड़े सुन्दर सूत्रों से सजी चर्चा।

    जवाब देंहटाएं

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