चर्चाकार-ललित शर्मा
कल बसंत पंचमी का त्यौहार धूम धाम से मनाया गया. हमारे छत्तीसगढ़ में बसंत पंचमी से ही होली त्यौहार की शुरुवात होती है. इस दिन अंडा पेड (अरंड) काट कर होली दहन के स्थल पर पूजन करेक गाडा जाता है. इसके पश्चात् इस पेड के इर्द-गिर्द लकड़ियाँ और छेना(कंडे) इकट्ठे करके होली बनायीं जाती है. रात को नंगाडा लेकर ग्राम वासी सामूहिक रूप से फाग गाकर मनोरंजन करते हैं. नगाड़े की धुन और फाग गाने लय का मधुर ताल मेल झुमने को मजबूर कर देता है. मानो रोज ही होली मन रही हो. चलिए आज की चिटठा चर्चा पर चलते हैं और प्रारंभ करते हैं अलबेला खत्री जी के चिट्ठे से........
कल ब्लोगवाणी में मित्रों के आलेख और टिप्पणियां पढ़ते - पढ़ते बाबा समीरानंद के रास्ते, रचना की एक टिप्पणी के ज़रिये मैं"मसिजीवी" पर पहुँच गया जहाँ "चिट्ठाचर्चा" के स्वामित्व को लेकर हंगामा मचा था और लोग पानी पी पी कर बी एस पाबला को इसलिए कोस रहे थे क्योंकि उनके परिवारजन ने या उन्हींने 'चिट्ठाचर्चा' डोट कॉम का डोमेन अपने नाम लिया हुआ है ।लोगों का गुस्सा देखा और ये फ़ालतू सा तर्क भी देखा कि चूँकि चिट्ठाचर्चा पुराना है, पहले से चला आ रहा है इसलिए नैतिकता के नाते पाबला जी को ये नाम नहीं लेना चाहिए था । इसका मतलब ये हुआ कि हज़ारों साल पहले दशरथ ने अपने पुत्र का नाम राम रखा था तो अब किसी को भी नैतिकता के नाते वह नाम नहीं रखना चाहिए..........हा हा हा हा
देखिये दिल्ली की धुंध और दिल्ली की सर्दी------.आज सुबह जब हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार हुआ और बाहर निकल कर बालकनी से देखा, तो देखकर दांग रह गया। साढ़े आठ बजे भी सामने वाला ब्लॉक नज़र नहीं आ रहा था। कुछ देर इंतज़ार कर जब सड़क पर पहुंचे , तो ऐसा नज़ारा था।
** *सखि, वसंत आया . * *भरा हर्ष वन में मन, नवोत्कर्ष छाया .* *किसलय-वसना नव-वय-लतिका* *मिली मधुर प्रिय-उर तरु पतिका,* *मधुप-वृंद वंदी पिक़- स्वर नभ गहराया .* *लता-मुकुल -हार- गंध-भार भर * *बही पवन मन्द-मन्...
महावीर वचनामृत-1पिछले दिनों मै विनोबाजी का साहित्य पढ़ रहा था. संत विनोबा महान क्रांतिकारी थे. सामाजिक जागरण की दिशा में उन्होंने गाँधी जी के काम को आगे बढ़ाने की कोशिश की. भूदान आन्दोलन, दस्यु-समर्पण जैसे अभिनव काम उन्होंने किये. गो हत्या पर रोक लगाने की मांग लेकर वे आमरण अनशन पर बैठ गए थे. (उनका अनशन चालाकी के साथ तुडवा दिया गया, लेकिन कुछ दिन बाद उनकी मृत्यु हो गयी.) विनोबा भावे ने सामाजिक काम ही नहीं किये, समाज को नैतिक बनाने वाले महान चिंतन भी दिया. उनका बीस खंडो में प्रकाशित साहित्य पढ़ कर पता चलता है कि विनोबा जी ने बौद्धिक चेतना जगाने के लिए इतना श्रेष्ठ लेखन-चिंतन किया
कुछ ज्यादा समय नहीं हुआ है जब हर देशवासी प्रत्येक ओलिम्पिकोत्सव पर निश्चिंत रहता था कम से कम एक स्वर्ण पदक की आवक को लेकर। फिर उसे नज़र लग गयी जमाने की। रही सही कसर पूरी कर दी एक इंसान के अक्खड़पन ने। कैसे क्या हुआ था उसे सभी जानते हैं।लगता है इतिहास अपने को फिर दोहरवा रहा है। इस बार निशाने पर वह पात्र है जिसने अपने बल-बूते पर स्वर्ण पदक हासिल किया है। जैसी की खबरें निकल कर आ रहीं हैं कि अहमों के टकराव से फिर एक खेल को नुक्सान होने जा रहा है। इस बार निशानेबाजी के खेल पर बुरी नज़र का निशाना है। हर बार की तरह बहती गंगा में हाथ धोने वाले लोगों की मंशाओं पर ओलम्पिक स्वर्ण पदक विजेता बिंद्रा ने तब पानी फेर दिया जब अपने स्वागत समारोह में उसने नेशनल राइफल एसोसिएशन द्वारा क्रेडिट लेने
कामदेव का पूजन होता था वसन्तोत्सव के दिन आज हम वसन्त ऋतु में वसन्त पंचमी और होली त्यौहार मनाते हैं किन्तु प्राचीन काल में वसन्तोत्सव मनाया जाता था। वसन्तोत्सव, जिसे कि मदनोत्सव के नाम से भी जाना जाता है, मनाने की परम्परा हमारे देश में अत्यन्त प्राचीनकाल से ही रही है। संस्कृत के प्रायः समस्त काव्यों, नाटकों, कथाओं में कहीं न कहीं पर वसन्त ऋतु और वसन्तोत्सव या मदनोत्सव का वर्णन अवश्य ही आता है। वसन्त को ऋतुराज माना गया है क्योंकि यह मानव की मादकता एवं कोमल भावनाओं को उद्दीप्त करता है। वसन्त पंचमी से लेकर रंग पंचमी तक का समय वसन्त की मादकता, होली की मस्ती और फाग का संगीत से सभी के मन को मचलाते रहता है। टेसू और सेमल के रक्तवर्ण पुष्प, जिन्हें कि वसन्त के श्रृंगार की उपमा दी गई है, सभी के मन को मादकता से परिपूर्ण कर देते हैं। शायद यही कारण है वसन्तोत्सव मनाने की।
उमड़त घुमड़त विचार -मित्रों ब्लागर बैठकी भिलाई की कुछ यादों को तुकबंदी के माध्यम से आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ. संजीवन ललित तव प्रेरणा लिखे पोस्ट उनचास उर्जा बिच बिच भरत रह्यो भाई ललित शरद कोकास ब्लॉगर बैठकी बुलाई क..
संजीव तिवारी जूनियर कौंसिल पर
छत्तीसगढ उच्च न्यायालय ने आज बहुचर्चित रामअवतार हत्याकांड में निचली अदालत के फैसले के खिलाफ् दायर सतीश जग्गी की पुनरीक्षण याचिका विचारार्थ स्वीकार करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी के...
खुशदीप सहगल देशनामा पर
जननायक कौन होता है...वो जो राजनीति की गोटियों को साधता हुआ सत्ता के शीर्ष पर पहुंच जन-जन का स्वयंभू भाग्यविधाता बन जाता है...या जननायक वो होता है जो सत्ता के लोभ को तज कर जन-जन के दिलों पर राज करता है...सत...
बङगङां बङगङां बङगङां -2महाराणा ! मेवाड़ के सरदार आए है , आपके चरणों का कुशल पूछने |''उन्हें कह दो लौट कर चितौड़ चले जाएँ और कुशल पूछें अपनी आयु और परिवार का | मुझपर सारंगदेव का अहसान था | पृथ्वीराज और जयमाल ने मुझ पर आक्रमण किया था तब उस स्वामिभक्त साथी ने उसके वार को अपने ही सिर पर ले लिया | अपने पुत्र लिम्बा को उसने मेरे लिए खोया | शरीर पर ३५ घाव लगे और अंत में बाठरडे देवी मंदिर में कपट से पृथ्वीराज के हाथों मारा गया | मेरी स्वामिभक्ति उसे कितनी महंगी पड़ी , पर मै अभागा तो अपने हित चिंतकों के अहसान भी नहीं उतार सका | इन कायर सदारों ने मेरी आयु पर डाका डाल दिया | काश ! मै स्वामिभक्त सारंगदेव की समाधी पर दो आंसू ही बहा सकता ! जाओ सरदारों ! मेवाड़ के मगरों पर खरगोशों की शिकार खेलो ! देखो , बचो , बचो !
ताऊ रामपुरिया द्वारा ताऊजी डॉट कॉम - पर
नमस्कार बहनों और भाईयो. रामप्यारी पहेली कमेटी की तरफ़ से मैं समीरलाल "समीर" यानि कि "उडनतश्तरी" फ़र्रुखाबादी सवाल का जवाब देने के लिये आचार्यश्री यानि कि हीरामन "अंकशाश्त्री" जी को निमंत्रित करता हूं कि वो...
नामुराद वो हसीं पल !
जिस्म तो पूरा ही निर्दोष था पर,अनाडी इन ओंठो का है दोष सारा !
उनकी गली से हम कई बार गुजरे,
पत्थर किसी ने इसी बार मारा !!
ठिठुरती ठण्ड में, कमबख्त ये ओंठ ,
सीटी बजाने की जिद पर अड़े थे !
नहीं था हमें ज़रा भी अहसास कि वो,
भाई के संग बरामदे में खड़े थे !!
ये लो...आज जरा तबीयत नासाज रही ..लगभग सभी लिंको पर जाना शेष है...आपका आभार बजाते जायेंगे...धन्यवाद!!
जवाब देंहटाएंकई महत्वपूर्ण चिट्ठों को एक साथ समेटने की बेहतर कोशिश।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
चर्चा तो सदैव मन भाती है
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा । अदभुत है आपकी सक्रियता । आभार ।
जवाब देंहटाएंशानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंबढ़िया है।
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा .. धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन चर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
एकदम बढिया कमाल की चर्चा रही
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
वाह! ललित जी की लालित्यमय चिट्ठाचर्चा!!
जवाब देंहटाएंबस यही कहूँगा की वाह-वाह ललित जी !
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन चर्चा...
जवाब देंहटाएंवाह जी बहुत बढ़िया चर्चा.
जवाब देंहटाएंबढिया चर्चा है, चलाए रखिए।
जवाब देंहटाएं--------
औरतों के दाढ़ी-मूछें उग आएं तो..?
ज्योतिष के सच को तार-तार करता एक ज्योतिषाचार्य।
मनभावन चर्चा!!!
जवाब देंहटाएंआभार्!
SUNDAR CHARCHAA LALITJI!!!
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
इस बार ललित जी ने भी बहुत सुंदर ढंग से चर्चा की है! कलेवर का आकर्षण भी बढ़ा हुआ है!
जवाब देंहटाएं--
क्यों हम सब पूजा करते हैं, सरस्वती माता की?
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ"
लगी झूमने खेतों में, कोहरे में भोर हुई!
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संपादक : सरस पायस (बाल-पत्रिका)
Wah guru ji
जवाब देंहटाएंpata naheen tha ke pabala ji itane kantedar hain ki unake liye post likhanee pade
bata dete mahraj to ham bhee ....?
kya zamana aa gaya hai
narmade har har
nice
जवाब देंहटाएंbhai waah
जवाब देंहटाएंmaza aa gaya........
charchaa manch zindabaad !
आपकी चिट्ठाचर्चा से ये फायदा हो जाता है कि ब्लोग्ज़ पे किसी वजह से नहीं पहुँच पाए...उनके लिंक भी मिल जाते हैं ...
जवाब देंहटाएंvery nice sir....
जवाब देंहटाएंMotivational Quotes in Hindi for Students