*इस गज़ल को भीादरणीय प्राण भाई साहिब ने संवारा है। उनकी अति धन्यवादी हूँ।* *गज़ल * हमारे नसीबां अगर साथ होते बुरे वक़्त के यूँ न आघात होते. गया वक़्त भी ...
ब्लॉग जगत में हिंदी और देवनागरी लिपि अपने कंप्यूटर पर साक्षात् देखकर जो ख़ुशी होती है, जो सुख मिलता है, जो गौरव प्राप्त होता है यह बताना असंभव है, अंतरजाल ने हिंदी की गरिमा में चार चाँद लगाये हैं, लोग लिख रहे हैं और दिल खोल कर लिख रहे हैं, ऐसा प्रतीत होता है मानो भावाभिव्यक्ति का बाँध टूट गया है और यह सुधा मार्ग ढूंढ-ढूंढ कर वर्षों की हमारी साहित्य तृष्णा को आकंठ तक सराबोर कर रही है, इसमें कोई शक नहीं की यह सब कुछ बहुत जल्दी और बहुत ज्यादा हो रहा है, और क्यों न हो अवसर ही अब मिला है,
इन सबके होते हुए भी हिंदी का भविष्य बहुत उज्जवल नहीं दिखता है, विशेष कर आनेवाली पीढी हिंदी को सुरक्षित रखने में क्या योगदान देगी यह कहना कठीन है और इस दुर्भाग्य की जिम्मेवारी तो हमारी पीढी के ही कन्धों पर है, पश्चिम का ग्लैमर इतना सर चढ़ कर बोलता है की सभी उसी धुन में नाच रहे हैं, आज से ५०-१०० सालों के बाद 'संस्कृति' सिर्फ किताबों (digital format) में ही मिलेगी मेरा यही सोचना है, जिस तरह गंगा के ह्रास में हमारी पीढी और हमसे पहले वाली पीढियों ने जम कर योगदान किया उसी तरह हिंदी भाषा और भारतीय संस्कृति को......
very nice sir
जवाब देंहटाएंexcellent!
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ आया और कुछ छूटा भी -पर यही तो है चिट्ठाचर्चा
जवाब देंहटाएंन जाने क्यों मुझे अपनी पोस्ट के पतियों और गुरुदेव समीर जी की पोस्ट के फोटो में कुछ समानता नज़र आ रही है...आपको दिख रही है क्या...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
सुंदर चर्चा-आभार
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सार्थक चर्चा काफी म्हणत की है !!! सुन्दर चर्चा!!!
जवाब देंहटाएंचर्चा कैसी हो, मेरे हिसाब से तो ऐसी हो।
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन! सदा की तरह आज का भी अंक बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर चर्चा, आभार.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएंबढ़िया चिट्ठाचर्चा..पढ़ने को मिल गई बिना खर्चा
जवाब देंहटाएंबढ़िया चिट्ठाचर्चा..पढ़ने को मिल गई बिना खर्चा
जवाब देंहटाएंबढ़िया चिट्ठाचर्चा..पढ़ने को मिल गई बिना खर्चा
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा है धन्यवाद और बधाई
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी कमाल करते हो आप भी आप २४ में से ४८ घंटे बनाते है क्या? इतनी कविता उसके बाद सुन्दर चर्चा भी ..राज क्या है ..खुशदीप भाई शाश्त्री जी का पिछले जन्म का राज बताने का कष्ट करे ..:)
जवाब देंहटाएंनमस्ते
सुंदर चर्चा---------आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा ! कल्याण हो !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा रही। कुछ छूटे लिंक्स भी मिले। आभार।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
चर्चा में अपनी प्रत्यंचा खीच ख़ुशी हुई
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा...
जवाब देंहटाएंप्रविष्टि को चर्चा में शामिल किये जाने योग्य समझने का आभार ....!!
बहुत ही बढिया रही चर्चा!!!
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा...
जवाब देंहटाएंप्रविष्टि को चर्चा में शामिल किये जाने योग्य समझने का आभार ....!!
@खुशदीप जी,
जवाब देंहटाएंमैंने किसी को नहीं पहचाना ...
कौन कौन हैं ??
:):)
हमेशा की तरह धाँसू!
जवाब देंहटाएंओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, रंग-रँगीली शुभकामनाएँ!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", उर्दू कौन सी भाषा का शब्द है?
संपादक : "सरस पायस"