"चर्चा मंच" अंक-42
चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"
आज के "चर्चा मंच" को सजाते हैं- आप सबको गणतन्त्र-दिवस की बधाई देते हुए-
आज कुछ गणतन्त्र-दिवस की पोस्ट इस अंक में दिखाता हूँ- | यह राजपथ प्रगति पथ उन्नति पथ स्वाभिमान पथ आत्मसम्मान पथ यह राजपथ विजय पथ विकास पथ अखंडता पथ संप्रभुता पथ यह राजपथ…….. | अंग्रेजों को भागने का कारण क्या देश को आजाद कराना था? नहीं उनके हाथ की रोटी छीन कर... दो टुकड़ों में बाँट कर खाना था. दो टुकड़ों को बाँट कर नेता बना दिया, शहीदों को देश का विजेता बना दिया… ………..
| आज गणतंत्र दिवस के शुभ अवसर पर भी मस्तिष्क में न जाने क्यूँ एक उलझन है कि आखिर हम अंग्रेजी भाषा के दीवाने क्यों है?मैने बहुत से पुरुषों एवम खासतौर पर महिलाओं को देखा है कि यदि अंग्रेजी में उनकी फीस माफ़ है तो वो ज़रूरत से ज्यादा कोशिश करेगीं इसमें सबसे बड़ा उदहारण ड्रामा कि सरताज राखी सावंत है|……. | सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमाराहम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन मेंसमझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा……. | आज जब ये पोस्ट लिखने बैठा तो समझ ही नहीं पा रहा था कि लिखूं कैसे और क्या आखिर दो विरोधाभासी बातें एक पोस्ट में ही कहना करना ठीक होगा या नहीं , मगर फ़िर सोचा कि जब है तो है यही बात । और यदि इतना सोच नोच के लिखना होल तो ब्लोग्गिंग की स्वाभाविकता ही कम नहीं हो जाएगी सो जैसा का तैसा ठेल रहा हूं । इससे पहले कि बात को आगे बढाऊं ये बताता चलूं कि कल छत्तीसगढ में हुई ब्लोग्गर्स मीट के लिए सभी शामिल मित्र , ……. | नार्वे में गणतंत्र दिवस मनाया गया -सुरेशचन्द्र शुक्ल 'शरद आलोक' भारतीय राजदूत को सम्मानपत्र और पदक दिया गया। ओस्लो, नार्वे में भारतीय दूतावास में भारतीय गणतंत्र दिवस बहुत धूमधाम से मनाया गया। भारतीय राजदूत बी ए राय ने ध्वजारोहण किया और राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के राष्ट्र के नाम सन्देश को पढ़ा। सभी भारतीयों ने राष्ट्रगान गाया। इस अवसर पर भारतीय-नार्वेजीय सूचना और सांस्कृतिक फोरम के अध्यक्ष सुरेशचन्द्र शुक्ल……. | आज छुट्टी का दिन है। घर में खाली बैठे-बैठे बोर हो रहे हैं तो ऐसे में हमें दो दोस्तों का एक किस्सा याद आ गया। इस किस्से को यहां बताकर हम जानना चाहते हैं कि इनमें वास्तव में दमदार कौन है। बात दरअसल यह है कि दो दोस्त रहते हैं। एक दोस्त काफी पहले पीएससी की परीक्षा देते हैं। जब वे परीक्षा देते हैं तब उस समय परीक्षा में बमुश्किल 500 परीक्षार्थी शामिल होते हैं। ऐसे में उन महाशय का नंबर किसी भी तरह से पहले 100 में आ जाता है। इसके बाद दूसरे दोस्त की बारी आती है……. | कल एक फ़ोन आया।उधर जो विद्वान थे उन्होने बिना किसी औपचारिकता के रायपुर प्रेस कलब को अनडेमोक्रेटिक ठहरा दिया।कारण रायपुर प्रेस क्लब की बैठक मे लिया गया फ़ैसला था,जिसमे बाहर से आकर स्थानीय मीडिया को बिकाऊ और गैर ज़िम्मेदार कहने वालों का विरोध किया गया था।बैठक मे ये फ़ैसला भी लिया गया था कि ऐसे लोगों को और उनके समर्थकों को प्रेस क्लब अपना मंच नही देगा।बस यही उन्हे नागवार गुज़रा।इसे उन्होने सीधे-सीधे अभिव्यक्ति पर हमला समझा और लगे ज़िरह करने।जिस तरह से वे ज़िरह कर रहे थे ऐसा लगता है कि वे स्वतंत्र या निष्पक्ष न हो कर उन लोगों के पैरवीकार हो जो बस्तर के हरी-भरी वादियों को खून से लाल क रहे हों।मुझे ये समझ नही आया कि घर मे घुस कर बेवज़ह बिना किसी ठोस आधार के हम सब लोगों को कोई अगर बिकाऊ कहता है तो उसका विरोध करना अनडेमोक्रेटिक कैसे हो गया?या फ़िर हमारे प्रदेश मे खून की होली खेलने वालों के पक्ष मे कांट्रेक्ट पर रोने वाले रूदाली डेमोक्रेट कैसे हो गये?जिनका डेमोक्रेसी पर विश्वास ही नही है,जो बंदूक की नोक पर या खूनी क्रांति के जरिये सत्ता हासिल करना चाहते हैं,उनका समर्थन करना डेमोक्रेटिक कैसे है?ऐसे लोगों को जो डेमोक्रेसी पर विश्वास नही करते,का विरोध अनडेमोक्रेटिक कैसे हो सकता है?…………………… | आज़ाद भारत के ६१ वे गणतंत्र के दिन मुझे इकबाल की कुछपंक्तियाँ याद आ रही हैं जो हिंदुस्तान के इतिहास मेंस्वरानाक्षरों मेंकही जाती हैं। सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्तां हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसतां हमारा गुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा……
भले ही मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज अमरकंटक में आओ बनाएं अपना मप्र यात्रा शुरू कर रहे हों और वे राष्ट्रीय खेल हॉकी की दुर्दशा की भी चिंता कर रहे हैं लेकिन राष्ट्रीय गणतंत्र दिवस समारोह में लगातार दूसरी बार मप्र की झांकी शामिल नहीं हुई है। राजपथ पर हृदयप्रदेश की झांकी नहीं होने के बीच जिम्मेदार अफसरों की लापरवाही उजागर होती है। सूत्रों के मुताबिक पिछले साल की तरह इस साल भी करीब 15 लाख रुपए लैप्स हो जाएंगे, जो राजपथ पर शानदार झांकी के लिए खर्च किए जाना थे।……… | सर उठा रहा भुजंग है क्रोध, रोष, दंभ है बेबस है लाल भूमि के शत्रु हो रहा दबंग है फलफूल रहा आतंक है और सो रहा मनुष्य है अपनी ही माँ की छाती पर वो उडेल रहा रक्त है जिन चक्षु में था नेह भरा वो पीडा से आज बंद हैं…….. |
छत्तीसगढ के रायपुर में प्रदेश के हिन्दी ब्लॉगरों का परिचय मिलन की चित्रमय खबरें आप पिछले दिनों से छत्तीसगढ के ब्लॉगरों के पोस्टों में देख रहे हैं. आपकी सार्थक प्रतिक्रिया भी टिप्पणियों के माध्यम से वहां दर्शित हो रही है और हिन्दी ब्लागिंग के विकास…… | एक कांग्रेसी ओये झ्ल्लेया हसाड़े सोणे ते मज़बूत ६१वे गणतंत्र दी लख लख वधाइयां+मुबारकां+कान्ग्रेचुलेशना….. |
दो वर्ष पहले गणतंत्र दिवस के मौके पर राजपथ पर हिन्दी ब्लॉग जगत की झांकी निकली थी , उसकी रिपोर्ट मैने बनायी थी ,जो आज आपके लिए पुन: प्रेषित कर रही हूं
..........इंडिया गेट न्यूज से अजय सेतियाजी की खबर है कि आज गणतंत्र दिवस के मौके पर……… |
भड़कती चिंगारीधधकता ज्वालामुखीहर सीने में हैमत हवा दोचिंगारी गर शोला बन जाएगीकहर बन बरस जाएगीज्वालामुखी गर जो फट जायेगासैलाब इक ले आएगामत हवा दोहवा का रुखज़रा तो देखा करोकुछ तो सोचासमझा करोमत आदमी केसब्र का इम्तिहान लोगर एक बारआदमी , आदमी बन गयाशोलो को……… | bhartimayank “रविवासरीय साप्ताहिक पहेली-17 का उत्तर” (अमर भारती) - *र**विवासरीय साप्ताहिक पहेली-17 का सही उत्तर है-** उत्तराखण्ड विधान सभा, देहरादून [image: paheli 17] पहेली के विजेता हैं श्री समीर लाल जी Udan Tashtari... | पल्लवी "तब और अब" (श्रीमती रजनी माहर) - *(श्रीमती रजनी माहर) तब रुपये किलो था * *आटा, अब है * *कितना घाटा, नानी संग * *जाती बाजार, नौ रुपये किलो था * *अनार, एक रुपये में * *दो किलो ज्वार, गेहूँ .. | ललितडॉटकॉम गणतंत्र दिवस की झलकियां-गाँव की सुबह के साथ(ललित शर्मा) - आज २६ जनवरी है. जिसे हम गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं. गांव, गली, मोहल्ले, कसबे, शहर सभी जगह तिरंगा झंडा फहराया जाता है. हमारे गांव में भी गणतंत्र दि... | बगीची हिन्दी ब्लॉगर को पद्म पुरस्कार (अविनाश वाचस्पति) - क्या कोहरा कभी छंटेगा और उससे देश को दिखेगा हिन्दी ब्लॉगर कोई जिसे दे सकें वे पद्म पुरस्कार कोई श्री,श्रीमती,सुश्री भूषण, आभूषण,विभूषण। सब चाहेंगे उसे ... | नन्हा मन राष्ट्र प्रहरी - राष्ट्र के प्रहरी सजग सतत सीमा पर सजग हाथ में हथियार है वार को तैयार है । शत्रु पर आँखें टिकी सांस आहट पर रुकी सीमा न लांघ पाये दुश्मन न भाग पाये । ठंड ह.. | मयंक "गणतन्त्र दिवस अमर रहे!" - *गणतन्त्र दिवस अमर रहे! * हमारी एकता जिन्दाबाद! [image: WaqifMosqueDaytime copy] नया वर्ष स्वागत करता है,पहन नया परिधान ।.. | मोहल्ला गणतंत्र : जानना चाहेंगे तो चले आइए यहां - गणतंत्र की मिसाल देखनी हो तो राजस्थान के झुंझुनूं जिले में चले आइए। जयपुर से 146 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बलवंतपुरा-चैलासी रेलवे स्टेशन। यह स्टेशन जन प्रय... | अनवरत एक गीत, तीन रंग .... - आम तौर पर संगीत सुनने का कम ही समय मिलता है। आते जाते कार में जब प्लेयर बजता है तो सुनाई देता है, या फिर देर रात को काम करते हुए कंप्यूटर पर। मुझे सभी तरह ... | Darvaar दरवार ६० साल के संविधान में ९४ पैबंद - *६० साल के संविधान में ९४ पैबंद . यानी कपड़ा तार तार हो चुका लेकिनपैबंद से गणतंत्र ढका सा है .समय समय पर अपने हिसाब से तोड़ मरोड़ कर संविधान का मज़ाक सा ब... | लिखो यहाँ वहां उनकी टोपी इनके सिर - ** *अरविंद शेखर * कहते हैं संस्कृति की कोई सरहद नहीं होती। सच भी है, क्योंकि हिमाचल के किन्नौर की हरी पट्टी वाली किन्नौरी टोपी अब उत्तराखंड के लोगों क... |
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जब से होश सम्भाला है तब से देखते आ रहा हूँ कि हर साल 26 जनवरी के दिन स्कूलों, शासकीय कार्यालयों, गली मुहल्लों में तिरंगा फहराया जाता है, जन गण मन गाया जाता है और देशभक्ति वाले फिल्मी गाने बजाये जाते हैं। क्या यही है गणतन्त्र दिवस मनाना? यदि कोई पूछ ले कि…. आज गणतंत्र दिवस के पावन पुनीत अवसर पर मै महेंद्र मिश्र आप सभी का सादर अभिवादन करते हुए समयचक्र के चिट्ठी चर्चा मंच में आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ…. | लो जी! हो गया गणतन्त्र सीनियर-सिटीजन! कल फिर मिलेंगे……!! |
गणतंत्र दिवस की शानदार चर्चा के लिए आपका आभार व्यक्त करता हूँ।
जवाब देंहटाएंविस्तृत चर्चा..मेहनती चर्चा..सार्थक चर्चा.
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनाएँ.
बहुत अच्छी चर्चा आभार्
जवाब देंहटाएंbahut hi nayab charcha........gantantra diwas ki shubhkamnayein.
जवाब देंहटाएंबहुत ही लाजवाब चर्चा!!!
जवाब देंहटाएंबीते गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाऎँ!!!!