"चर्चा मंच" अंक-35 चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक" आइए आज का "चर्चा मंच" सजाते हैं-
लो क सं घ र्ष !: गरीबो, किसानो के मसीहा व धर्मनिरपेक्षता के सिपाही को लाल सलामimage source: people's democracyकामरेड ज्योति बसु एक गंभीर प्रवृत्ति सदा जीवन और बयानबाजी या नारों के स्थान पर सदा कार्य को प्रधानता देने वाले राज़नीतज्ञ थे। उन्होंने बंगाल को नक्सल समस्या से निदान देने के लिए पंचायत राज व्यवस्था कानून का क्रियान्वित.......सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ...: महफूज़कहाँ खो गयीं थीं तुम?जवाब दो....मत पूछो हाल मेरा,पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो.बुना था जो ख़्वाब तुम्हारे साथ,उसे धड़कन बना कर पास रखा था,तस्वीर जो बनाई थी तुम्हारी,उसे आँखों में बसा कर रखा था.सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता
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दोहा श्रृंखला (दोहा क्रमांक ७९) - *मन अशांत, छूटें स्वजन,* * अंखियन बीते रैन* * दौलत वह किस काम की,* * जो न दे सुख चैन * * - विजय तिवारी "किसलय"* | शामिले ज़िन्दगीके चरागों ने पेशे खिदमत अँधेरा किया, मैंने खुदको जला लिया! रौशने राहों के ख़ातिर , शाम ढलते बनके शमा! मुझे तो उजाला न मिला, सुना, चंद राह्गीरोंको.. एक सवैया (मत्तगयन्द) - संगम क्षेत्र को देख कर एक सवैया फूट पड़ा। मत्तगयन्द सवैया में सात भगण (ऽ। ।) और और अन्त में दो गुरु होते हैं। भानुसुता इस ओर बहे, उस ओर रमापति की पगदासी। सा.. |
शामिले ज़िन्दगीके चरागों ने पेशे खिदमत अँधेरा किया, मैंने खुदको जला लिया! रौशने राहों के ख़ातिर , शाम ढलते बनके शमा! मुझे तो उजाला न मिला, सुना, चंद राह्गीरोंको.. | मरहूम, मरहम और रहम एक ही स्रोत से निकले शब्द हैं और कई भाषाओं में प्रचलित हैं… मरहूम का इस्तेमाल करनेवाले कभी-कभी इसे इसके असली मायने .. |
अंदर जाओ वरना अंदर कर दूंगा ! - पिछले दिनो जब कानपुर-लखनऊ गया तो बड़े मजेदार अनुभव हुए. कानपुर सुबह-सुबह पंहुच गया तो ट्रैफिक का मजा नहीं ले पाया. हाँ लखनऊ में जरूर कुछ आशीर्वचन सुनते-स.. | ख्यालातों के अजीब से कतरन - रात बहुत हो चुकी है, अब सो जाना चाहिये.. कहकर हम दोनों ने ही चादर को सर तक ढ़क लिया.. वैसे भी चेन्नई से बैंगलोर जाने वाले को ही समझ में आता है कि सर्दी क्य... |
अपनी जड़ों को जानने की छटपटाहट आखिर किसे नहीं होती ? - अपनी जड़ों को जानने की छटपटाहट की एक बानगी यहाँ देखी जा सकती है. हमारा उदगम कहाँ हुआ ? हम कौन हैं और कहाँ से आये? किसी भी जिज्ञासु मन को ये सवाल मथते है. | आज का सद-विचार ! - *कोई अगर यह कहता है कि "इस बात का फैसला देश की महान जनता करेगी" अथवा यह कहे कि "मेरे साथ देश की महान जनता का प्यार और आशीर्वाद है " तो ऐसे व्यक्ति से बचिए,.. |
- *ब्लॉगर मित्रों!* * * *सादर प्रणाम!* * * *20जनवरी को ब्लॉगिंग का एक वर्ष पूरा हो जायेगा!* * * *जब मैंने 21 जनवरी 2009 को ब्लॉग जगत में कदम रखा था त.. | रानीबाग का उत्तरायणी मेला - इस बार 14 जनवरी मकर संक्रान्ति या उत्तरायणी वाले दिन रानीबाग जाने का अवसर मिला जो मेरे लिये इस दुनिया का सबसे पवित्र स्थान है। रानीबाग नैनीताल से 28 किमी... |
मुश्किल है ! - टूटते तारे ने कहा 'मांगो मुझसे जो चाह लो, मिलेगा ' मैंने कहा - 'तुम फिर से अपनी जगह पर आ जाओ' धरती में समाहित तारा बोला- मुश्किल है ! ( कहने का तात्पर्य यह.. | अर्थशास्त्र के स्थापित सिद्वांत बदल गये हैं बिहार में - अर्थशास्त्र के सिद्वांतों को मानें तो बिना उधोग-धंधों के विकास के, किसी भी प्रदेश की विकास की बात करना बेमानी है। आमतौर पर माना जाता है कि विकास की प्रथम स.. |
ललित शर्मा जी ने चिट्ठाकरों की चर्चा के लिए “चिट्ठाकार चर्चा” नाम से नया ब्लॉग बनाया है! ललित जी जाल-जगत पर आपका स्वागत है- चिट्ठाकार चर्चा क्रांति दूत-अरविन्द झा "चिट्ठाकार चर्चा"( ललित शर्मा ) - *कल हमने चिट्ठाकार चर्चा प्रारंभ की है. इसका उद्देश्य हमने आपके सामने रखा और इसे पाठकों का भरपूर आशीष प्राप्त हुआ. नए चिट्ठाकारों के साथ जो चिट्ठाकार साथी ... |
कुछ मेरी कलम से kuch meri kalam se ** तलाश - बसंती ब्यार सा, खिले पुष्प सा, उस अनदेखे साए ने.. भरा दिल को.. प्रीत की गहराई से, खाली सा मेरा मन, गुम हुआ हर पल उस में और झूठे भ्रम को सच समझता रहा .. मृ... | दो बातें - *दो अश्रु* एक अश्रु मेरा एक तुम्हारा ठहर कर कोरों पर कर रहे प्रतीक्षा बहने की एक साथ *रात* पिघलती जाती है क़तरा क़तरा सोना बन कर निखरने को, कसमसाती है ज़र्र... |
ज्योतिषी का अर्थ सर्वज्ञाता होना नहीं हैं.........किसी भी विषय के जानकार की भान्ती ही ज्योतिषी की भी अपनी एक सीमा होती है। - किसी भी विषय का सामान्य ज्ञान जनसाधारण को न हो पाने की दशा में उस विषय के प्रति समाज में अनेक भ्रान्तियाँ उत्पन हो जाती है। ज्योतिष जो कि अपने आप में एक सम... |
गिर गइ थी नीव घर फिर भी खड़ा था - ये ग़ज़ल पुनः आपके सामने है .......... गुरुदेव पंकज जी का हाथ लगते ही ग़ज़ल में बला की रवानगी आ गयी है ...... यूँ तो सारी उम्र ज़ख़्मों से लड़ा था हिल गई .. | प्रिय ब्लोगर साथियो ! हिन्दी ब्लोगिंग को आगे बढ़ाने व हिन्दी ब्लोगर्स को नये पाठक तथा लोकप्रियता के नये आयाम देने के लिए सतत समर्पित www.albelakhatri.. | *परिभाषा **-7* *आशावादी *** ** * *** *** * ऐसा गंजा*** * * * जो बाल उगाने वाला*** * * *वो ही** तेल खरीदता है*** * * * जिसके साथ कंघी फ्री हो **! |
- संजीवनी----- *अगली कडी* *पिछली कडियों मे आपने पढा कि मानवी एक महत्वाकाँक्षी महिला हैं। जो अपने करियर और फिगर को बनाये रखने के लिये बच्चे को जन्म देना नहीं . | कहीं आपका जन्म जनवरी - फरवरी 1981 में तो नहीं हुआ था ?? - हमारे घर में 1890 से लेकर 1980 तक का 90 वर्षीय पंचांग मौजूद था , जिसके कारण अति वृद्ध व्यक्ति की भी जन्मकुंडली बनाने में हमें कोई दिक्कत नहीं आती थी, जिनक.. | ऋतुओ की रानी - *ऋतुओ की रानी* धरा पे छाई है हरियाली खिल गई हर इक डाली डाली नव पल्लव नव कोपल फुटती मानो कुदरत भी है हँस दी छाई हरियाली उपवन मे और छाई मस्ती भी पवन मे उडते .. |
मेरी समझ से इस देश में छूआछूत की भावना इस तरह फैली होगी ??आज भारत के परंपरागत नियमों को संदेहास्पद दृष्टि से देखने वाले अक्सर जाति प्रथा के विरोध में या खासकर छूआछूत के विरोध में हल्ला किया करते हैं। पर लोगों ने कभी चिंतन मनन करने की कोशिश नहीं की कि छूआछूत की भावना अपने देश में क्यूं आयी होगी। मैं स्पष्टत: कहना चाहूंगी कि मेरे गांव में हर जाति , हर धर्म के लोग बडे प्रेम से रहते हैं । छोटी से छोटी जाति भी एकजुट होकर किसी बात के विरोध में अनशन कर सकती है कि वो किसी कर्मकांड में इस जाति के लोगों का काम नहीं करेगी , तो बडी बडी जाति के लोगों के पसीने छूट जाते हैं। यदि ये मान्यता कहीं पर मुझे नहीं मिलती है , तो इसका जबाबदेह मैं विदेशी …. | हम फिर चूक गए..............घुघूती बासूतीज्योति बसु ने अपना शरीर ४ अप्रैल २००४ को चिकित्सीय अनुसंधान के लिए दान कर दिया था। मरणोपरांत उनकी यह इच्छा पूरी की जा रही है। उनकी आँखों की कॉर्निया तो पहले ही निकाल ली गई हैं व नेत्रहीनों के काम आएँगी। आज उनका पार्थिव शरीर भी चिकित्सीय अनुसंधान के लिए सौंप दिया जाएगा। ज्योति बसु का यह निर्णय बहुत सराहनीय है। उनकी उम्र व बीमारी के कारण उनके शरीर के विभिन्न अंग जैसे गुर्दे, कलेजा आदि तो किसी रोगी के लिए उपयोगी नहीं रहे किन्तु उनका शरीर अनुसंधान के काम आएगा।………. |
सिर्फ एक सवाल का जवाब आज मांगता हूँ...: महफूज़कहाँ खो गयीं थीं तुम? जवाब दो.... मत पूछो हाल मेरा, पर मेरे हर आंसू का हिसाब दो… | बसंत पंचमीभारत में बसंत ऋतु के आगमन की सूचना बसंत पंचमी से ही मिलनी शुरू हो जाती है| माघ शुक्ल पक्ष (महाराष्ट्र,गुजरात, दक्षिण भारत इत्यादि जगहों पर माघ कृष्ण पक्ष)की पंचमी को मनाया जाने वाला यह पर्व बसंत पंचमी के नाम से जाना जाता है|… |
फुरसतिया…… फुरसत में ….-- मनोज कुमारकानपुर के निर्माणी के हमारे एक सहकर्मी कुछ दिनों पूर्व कोलकातापधारे। वे आए तो थे विभागीय प्रशिक्षण के सिलसिले में पर उन्होंनेयहां आने की सूचना मेरे ब्लॉग पर एक टिप्पणी के माध्यम से की थी।उस आलेख में मैंने लिंक न लगा पाने की अपनी अज्ञानता का जिक्रकिया था। महोदय ने इतनी सहृदयता बरती की मुझे फोन से सूचनादी और कहा कि 16-01-2010 की शाम को उनके ठहरने की जगहकाशीपुर के मयूर भवन अतिथिगृह में … |
व्यंग्य : ओ मंहगाई महारानी तेरा जबाब नहीं ....ओ मंहगाई की देवी महारानी तुम्हें क्या कहूँ तेरी महिमा अपरम्पार हैं . तू कहाँ से आई कब कहाँ दस्तक दे दे तेरा कोई ठिकाना नहीं है और जहाँ तेरे चरण पड़ जाए वहां त्राहि त्राहि मच जाती है . तुझे यदि सुरसा की बहिन कहूं तो कोई दिक्कत की बात नहीं है क्योकि तू ऐसे ही है . | कार्टून : लो जी ..प्रायोजक मिल गएकार्टून : लो जी ..प्रायोजक मिल गए |
कल मुझे एक वैवाहिक कार्यक्रम में बाहर जाना है! | यदि मैं परसों भी नही लौट पाया तो परसों की चर्चा भी आदरणीय शर्मा जी ही करेंगे! |
वसंत पंचमी जैसी रंगों की सौगात वाली है ये चर्चा...कई बेहतरीन लिंक मिले...वंसत पंचमी की बधाई...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
Aap sab prabuddh janon ko Maa Sharde ke pradurbhav divas(Vasant panchmi), Kavi shiromani Nirala ji aur Nazeer saab ki janmtithi par hardik shubhkamnayen...
जवाब देंहटाएंJai Hind...
वंसत पंचमी की बधाई..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा। अच्छे लिंक। बसंत पंचमी की बधाई व शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंवसंत का संत
जवाब देंहटाएंपंचमी का परचम
फहरे ही फहरे
काहे ठहरे।
बसंत पंचमी की बधाई व शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंमुझे लगा था कि मैं टिप्पणी कर गया हूँ. :)
लाजवाब चर्चा- नहीं छूटा कोई पर्चा
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की बधाई व शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मेहनत की गई शानदार चर्चा |
बसंत पंचमी की शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा के लिए आभार
sabhi ek se badhkar ek chittha charcha..........bahut khoob.
जवाब देंहटाएंसरस्वती माता का सबको वरदान मिले,
जवाब देंहटाएंवासंती फूलों-सा सबका मन आज खिले!
खिलकर सब मुस्काएँ, सब सबके मन भाएँ!
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क्यों हम सब पूजा करते हैं, सरस्वती माता की?
लगी झूमने खेतों में, कोहरे में भोर हुई!
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संपादक : सरस पायस
बेहतरीन चर्चा के लिए आभार्!!
जवाब देंहटाएंवसन्त पंचमी की हार्दिक शुभकामनाऎँ!!!!
ांअज तो बहुत कमाल की चर्चा है बसंत की तरह ।बसंत पंचमी की बधाई व शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंवंसत पंचमी की बधाई...
जवाब देंहटाएंवसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएँ...अच्छी चर्चा
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंआनन्द आ गया........
बहुत उम्दा चर्चा,,,,,,,,,
सभी को वसंत पंचमी की हार्दिक बधाई ! !
www.albelakhatri.com
बसंत पंचमी की बधाई व शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर और बेहतरीन चर्चा शास्त्री जी , एक से एक पोस्टें और ढेर सारे लिंक्स
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा