उड़न तश्तरी .... रचनाकार पर अगस्त में व्यंग्य लेखन पुरुस्कार के लिए व्यंग्य आमंत्रित किये गये. मन ललचाया तो एक प्रविष्टी मैने भी भेज दी. परिणाम दिसम्बर में आने थे याने लगभग ४ माह बाद, तो भेज कर भूल गये. इस बीच चुपके से दिसम्बर गुजर गया और कल पुरुस्कारों की घोषणा हुई. कुल ५१ शुभ प्रविष्टियों में १३ व्यंग्य लेखक पुरुस्कृत किये गये और उस लिस्ट में अपना नाम देखना सुखद रहा. वही व्यंग्य यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ आपके आशीर्वाद के लिए. एक नामी चैनल पर कल शाम ’सच का सामना’ देख रहा था. कार्यक्रम के स्तर और उसमें पूछे जा रहे सवालों पर तो संसद, जहाँ सिर्फ झूठ बोलने वालों का बोलबाला है, में तक बवाल हो चुका है. इतने सारे आलेख इस विवादित कार्यक्रम पर लिख दिये गये कि अब तक जितना ’सच का सामना’ की स्क्रिप्ट लिखने में कागज स्याही खर्च हुआ होगा, उससे कहीं ज्यादा उसकी विवेचना में खर्च हो गया होगा. खैर, वो तो ऐसा ही रिवाज है. नेता चुनते एक बार हैं और कोसते उन्हें पाँच साल तक हर रोज हैं. अरे, चुना एक बार है तो कोसो भी एक बार. इससे ज्यादा की तो लॉजिकली नहीं बनती है.……… ललितडॉटकॉम गधे का क्या अंजाम हुआ? - एक पुरानी कहानी पर चलते हैं. एक धोबी के पास एक गधा था. वह उसका बहुत ख्याल रखता था. मगर गधा दिन प्रतिदिन सूखता जा रहा था. धोबी ने सोचा कि इसका पेट भरने का उ... | किस्सा-कहानी दस का नोट - [image: दस का नोट] "मम्मी तुम भी कमाल करती हो! भला दस रुपये लेकर मेला जाया जा सकता है?" "क्यों? दस रूपये ,रुपये नहीं होते? फिर तुम्हें झूला ही तो झूलना है... | chavanni chap (चवन्नी चैप) दरअसल : भारतमाता का संरक्षण - -अजय ब्रह्मात्मज हालांकि यह तात्कालिक जीत है, लेकिन इसका प्रतीकात्मक महत्व है। भारतमाता सिनेमा को चालू रखने के लिए मराठी समाज की एकजुटता उल्लेखनीय है। पिछल.. | दिनेश दधीचि - बर्फ़ के ख़िलाफ़ देखा-परखा खूब ... - देखा-परखा खूब, आजमाया है, कर ली जाँच शिलाखंड-सा है अटूट अपने रिश्ते का काँच . आसमान की रंगत ने उजियाला फैलाया पेड़ों ने तब बिना छुए आँखों को सहलाया अलसायी.. | अंधड़ ! एक देश के अन्दर, कई देश हैं ! - *बिके हुए यहाँ सब, खादी, सफ़ेद और उजले परिवेश हैं ! इसीलिये आज भी , इस एक देश के अन्दर, कई देश हैं !! देश-संस्कृति सिमट गई, दूर-दराज किसी गाँव के द्वारे तक !... | मनोरमा खुशबू - इक नयी खुशबू कहाँ से पास मेरे आ गयी सोच की धारा बदलकर जिन्दगी में छा गयी रोज मिलते जो हजारों लोग कितने याद हैं आँख से उतरा हृदय में प्रीत मुझको भा गयी फिर .. | देशनामा डॉक्टर टीएस दराल के तीन मरीज़...खुशदीप - सुबह *डाक्टर टी एस दराल* अपने नर्सिंग होम में बैठे हुए थे...एक पहलवाननुमा मरीज़ कमर दर्द से कराहता हुआ डॉक्टर दराल के चैम्बर में पहुंचा...मरीज़ का बुरा हाल... | सारथी निमंत्रण: शास्त्री परिवार! - मेरे बेटे आनंद का कुमारी अर्पिता के साथ शुभ विवाह (23 जनवरी 2010) पर सारथी के सारे मित्रों का स्वागत है. विवाह स्थल: भारतमाता कालेज, त्रिक्ककारा, एर्नाकु.. | कबाड़खाना दधिचोर गोपीनाथ बिहारी की बोलो जै - शिशिर की कँपन का अभी अंत नहीं हुआ है किन्तु तिथि तो कह रही है वसन्त आ गया है। वसंतागम के साथ ही आजकल 'कबाड़ख़ाना' पर नज़ीर अकबराबादी का साहित्योत्सव चल रहा है। .. | बना रहे बनारस मर नहीं गए मुक्त हो गए ! - तबीयत कई दिनों से नासाज थी। थोड़ी राहत मिली कि हमारे पुराने मित्र अब्दुल्ला आ गए। हाल-चाल के बाद तय हुआ कि चलो कहीं चाय पीते हैं। अपने इलाके के चर्चित अड्डे... | मोहल्ला छोटे होकर तो देखिए बहुत बड़े हो जाएंगे - बड़े लोगो का अपनों से छोटों, सहकर्मियों के प्रति विन्रम व्यवहार हम देखते तो हैं लेकिन कई लोगों को यह नाटक लगता है। कभी सम्बंधित लोगों से बात करें तो पता चले.. | फिलहाल - राजनीति की गति जानी न जाए राजनीति में कुछ लोग अब दो वजह से आते हैं एक, अधिकाधिक सत्ता और पद लाभ उठाने दूसरे अपने अंदर जमा गंदी निसारने। कभी राजनीति सेवा और... | ॥दस्तक॥ IRCTC अब नये अंदाज में - भारतीय रेल केटरिंग एवं टुरिस्म कॉर्पोरेशन (IRCTC) ने अपनी बोरिंग साईट को बेहतर बनाने की दिशा में प्रयास चालू कर दिया है। उसकी नई साईट जो कि अभी बीटा वर्जन ... | आवारा बंजारा कहीं न जाने के बाद भी लौटना - कहीं न जाने के बाद भी लौटना एक लंबे अरसे के बाद ब्लॉग पर लिखना, पता नहीं इसे लंबा अरसा कहना चाहिए या नहीं क्योंकि मेरे ब्लॉग पर पिछली पोस्ट 2009 के अगस्त मा.. | कस्बा qasba सनातन समागम का बेईमान गुणा-भागम - कुंभ में जाते तो हैं लेकिन क्या लेकर लौटते हैं? अपने पापों को तज कर और गंगा को अंजुरी में भर कर सूरज की तरफ उड़ेलने के बाद हम अपनी उस सामूहिकता का क्या करत.. | |
nice
जवाब देंहटाएंबहुत मेहनत की आपने हमारे लिए .. धन्यवाद !!
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया व शानदार चर्चा
जवाब देंहटाएंये चर्चा बड़ी है मस्त-मस्त
जवाब देंहटाएंबाप रे, बड़ी जबरदस्त कवरेज...आनन्द आ गया यह चर्चा और इसके पीछे मेहनत देखकर!! लगे रहिये!!
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा-शास्त्री जी आभार
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti.
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तृत और सुंदर चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
मयंक जी को सरस्वती माँ का वरदान यूँ ही मिलता रहे!
जवाब देंहटाएंचर्चा-मंच हमेशा नई शान से सजता रहे!
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क्यों हम सब पूजा करते हैं, सरस्वती माता की?
लगी झूमने खेतों में, कोहरे में भोर हुई!
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संपादक : सरस पायस
इतनी लम्बी चौडी चर्चा काफी मेहनत की है धन्यवाद और शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंsab maa sarasvatee kee kirapaa he ji.
जवाब देंहटाएं---dhanyavaad.