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शनिवार, जनवरी 30, 2010

“या इलाही ये माजरा क्या है?” (चर्चा मंच)

"चर्चा मंच" अंक-45

चर्चाकारः डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक"

आइए आज के
"चर्चा मंच" को सजाते हैं-


अपने पुराने रंग और ढंग के साथ।

चर्चित पोस्टों पर टिप्पणी करना आपका काम है।

हमारा काम तो केवल आप तक उनकी पोस्ट पहुँचाना है।

[IMG0079A.jpg]


gandhi-death
भक्ति-भाव से मिलकर बोलो,
रघुपति राघव राजा राम।

दीन दुखी के रक्षक गा्ंधी,
तुमको शत्-शत् मेरा प्रणाम।
श्रद्धा-सुमन समर्पित तुमको,
जग में अमर तुम्हारा नाम।।
आत्म-संयमी, व्रतधारी की,
महिमा को हम गाते हैं।
राजनीति-पटु,महा-आत्मा को,
हम शीश नवाते हैं।।
तन-मन में रमे हुए गांधी,
जैसे काशी और काबा हैं।
भारत के जन,गण,मन में,
रचते-बसते गांधी बाबा हैं।।
शस्त्र अहिंसा का लेकर,
तुमने अंग्रेज भगाया था।
शान्ति प्रेम की लाठी से,
भारत आजाद कराया था।।
छुआ-छूत का भूत भगा,
चरखे का चक्र चलाया था।
सत्यमेव जयते का सबको,
पावन पाठ पढ़ाया था।।
आदर और श्रद्धा से लेते,
हम बापू-गांधी का नाम।
भक्ति-भाव से मिलकर बोलो,
रघुपति राघव राजा राम।।


या इलाही ये माजरा क्या है? -सलीम ख़ान

ज्यादा दिन नहीं हुए। बस चार दिन पहले की बात है, जब मियाँ ठंड के कारण गिनती के तीन बने जा रहे थे। तब जिसे देखो वही यही दुआ मनाता फिर रहा था कि जल्दी से इस सर्दी को विदा करो। अब तो इसने सचमुच नाक में दम कर दिया। लेकिन पिछले दो दिनों में ऐसा पासा पलटा कि अब रहा नहीं जा रहा है। सूरज इतनी तेज़ चिन्गारी छोड़ने लगा है, जिसे बर्दाश्त करना दूभर हो रहा है। लेकिन क्या आपको पता है कि अगर यही हालात बने रहे, तो सन 2030 तक इतनी गर्मी पड़ेगी कि आदमी जिसे सहना असहनीय हो जाएगा। कैसे? बता रहे हैं ब्लॉगर सलीम खान

मानव द्वारा की जा रही अप्राकृतिक गतिविधियों के कारण बढ़ते जल प्रदुषण से जल निकायों (नदियों, झीलों, समुद्रों और भूगर्भीय जल) पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है और अगर इंसान इसी तरह अपने नितांत निजी फ़ायदों और सिर्फ़ वर्तमान लाभों की पूर्ति हेतु अपना यह दुष्कृत्य करता रहेगा तो वह दिन दूर नहीं जब इस पृथ्वी पर पेय जल के प्राकृतिक स्रोत अपना मूलभूत अस्तित्व खो देंगे! ज़रा सोचिये………………

मेरा फोटो

Udan Tashtari
एजेक्स (Ajax), ओंटारियो (ontario), Canada

papa1

साधना के पापा-

स्व.श्री के.एन. सिन्हा

(२९ जनवरी, २००५)

उड़न तश्तरी ....

कहते हैं मेरी माँ की ५वीं पुण्य तिथि है आज!!

mummy

आज फिर

रोज की तरह

माँ याद आई!!.....

आदरणीया माता जी!
एवं श्रीमती साधना के पिता जी!
को श्रद्धाञ्जलि!

कुछ औरों की , कुछ अपनी ...

'' खिला गुलाब हँसाता है तेरी यादों को /
हँसी के जिस्म में अफ़सोस ढल गया ,
जानां ! '' ......
फोन-कॉल पे/से
क्या कोई जगता है !
कौन जगता है ! ..
बस एक बच्चा 'बौखियाता' है ..!..
मैं तो बौखियाया ही ..
लीजिये आप भी
बौखियप्पन को
देखिये……….

मुक्ताकाश....

जब आचार्य द्विवेदी रो पड़े... : 'मुक्त'

[पंडित प्रफुल्लचंद्र ओझा 'मुक्त' जी के संस्मरण-संग्रह 'अतीतजीवी' से उद्धृत]

बहुत छोटी उम्र से निरंतर पिताजी के साथ रहने के कारण मुझे एक लाभ हुआ था, तो एक हानि भी हुई थी। हानि गौण थी। मुझे अपनी उम्र के बच्चों के साथ मिलने-जुलने, खेलने-कूदने का अवकाश नहीं मिला था। आज मैं अपने जीवन के पचासी वर्ष पूरे कर चुका हूँ,…………


Khoj Hai . . .

इन सबके पीछे थी कहीं दौलत की ज़रूरत !
कश्ती को भँवर में फँसते हुए देखा,जिंदगी को कई मोड़ पे रुकते हुए देखा,अब तक के सफ़र में कई ऐसे भी दौर हैं,जब खुद को सरेआम शर्मिंदा होते हुए देखा, कभी कपड़ों, कभी सूरत, तो कभी सीरत ने दी ज़िल्लत,कभी जूतों के उखड़े सोल ने दिलाई हमें ज़िल्लत,इन सबके पीछे थी……..

नन्ही कोपल

मुम्बई बहुत ही खूबसूरत जगह है
हम बहुत दिनों से मुम्बई घूमने का प्रोग्राम बना रहे थे । हमारी पहचान नेट पर श्वेता चाची से हुई हम लोग मेल मित्र बने और उन्होने हमें मुम्बई आने के लिए आमंत्रित किया । मुम्बई जैसी जगह पर किसी का अपने घर आमंत्रित करना बहुत बड़ी होती है । 23 दिसंबर को सुबह…..

डॉ. चन्द्रकुमार जैन

मत बनाओ....गाँव को अपना निशान
रहने दोगज भर जमीन रहने दोमाटी के घेरेरहने दोखुले सपने थोड़े तेरे-थोड़े मेरे मत बांधो-सौंधी महकमत बांधो पगडंडी के घेरे कहाँ मिलेगा-फिर खुला दालान अतृप्त नयनपायेंगे कहाँ खुला आसमान मत वाली बारिश किन प्रेमी युगलों का करायेगी स्नान यौवन की धड़कन कहाँ दौड़…….

भारत ब्रिगेड

डा० गणेश दत्त सारस्वत नहीं रहे
डा० गणेश दत्त सारस्वत नहीं रहे (१० दिसम्बर १९३६--२६ जनवरी २०१०) हिन्दी साहित्य के पुरोधा विद्वता व विनम्रता की प्रतिमूर्ति सरस्वतीपुत्र, डा० गणेश दत्त सारस्वत २६ जनवरी २०१० को हमारे बीच नहीं रहे। शिक्षा : एम ए, हिन्दी तथा संस्कृत में पी० एच० डी० प्राप्त…….

हमारा खत्री समाज

सारी दुनिया भारत की गोत्र व्‍यवस्‍था को देखकर चकित होती रही हैं !!
हमारी मूल गोत्र व्‍यवस्‍था , जो कालांतर में विकसित हुई और इसी का उल्‍लेख 'सेक्रेड बुक ऑफ द ईस्‍ट' नामक प्रसिद्ध अंग्रेजी ग्रंथ में किया गया है। उसी प्राचीन काल में वेदोक्‍त वैज्ञानिक नियम के कारण ऋषियों ने एक ही वंश में उत्‍पन्‍न लोगों का आपस में विवाह………….

स म य च क्र

चिट्ठी चर्चा - पप्पू कांट डांस साला ...
मै महेंद्र मिश्र आप सभी का सादर अभिवादन करते हुए एक छोटी सी चिट्ठी लेकर आपके समक्ष उपस्थित हूँ . आज समय मिलने पर ब्लागर भाई बहिनों की पोस्टे पढ़ने का मौका मिला जिनका समावेश इस चिट्ठी में कर रहा हूँ . ठण्ड में थोड़ी कमी आई है और कम्प्यूटर पर उंगली चलाने की….

स्वप्नदर्शी


बुरांश

करीने लगी कोई क्यारीया सहेजा हुआ बाग़ नहीं होगा ये दिलजब भी होगा बुरांश का घना दहकता जंगल ही होगाफिर घेरेगा ताप,मनो बोझ से फिर भारी होंगी पलकेमुश्किल होगा लेना सांसमैं कहूंगी नहीं सुहाता बुरांश मुझे,नहीं चाहिए पराग....भागती हूँ, बाहर-बाहर,एक छोर से दूसरी……

एक पद्म पुरस्कार जो मुझे मिलते-मिलते रह गया!
जैसे ही मुझे पता चला कि मेरा नाम भी इस वर्ष दिए जाने वाले पद्म पुरस्कारों की सूची में है, मेरे पैरों तले धरती खिसक गई. दिल बैठ गया. वल्लाह! ये क्या हादसा होने जा रहा है मेरे साथ? क्या……

Albelakhatri.com

Hindi Hasya kavi Albela Khatri's blog


हो सकता है सूरत की जेल में बन्द कोई कैदी निर्दोष हो, लेकिन जेलर तो पूर्णतः दोषी हैं

जी हाँ ! ये सच है कि सूरत की जेल के जेलर दोषी हैं .सूरत की सब जेल में हज़ारों कैदी हैं और उन कैदियों पर जेल मेंजिनकी हुकूमत चलती है वे वहाँ के जेलर हैं । जेलर का सरनेमदोषी है इसलिए जब मैंने उनसे कहा कि जेलर साहेब, हो सकता हैआपकी जेल में बन्द कोई कैदी…..

मेरी दुनिया मेरे सपने


लखनऊ की पहली औपचारिक चिट्ठाकार भिड़ण्त में आप सादर आमंत्रित हैं।
न-न, कन्फ्यूजियाइए नहीं। ई महफूज़ भाई इस्टाइल भिड़ण्त नहीं, सिम्पल ब्लॉगर मीट है, जो लखनऊ ब्लॉगर्स एसोसिएशन और साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन द्वारा आयोजित की जा रही है, जहाँ पर लखनवी चिट्ठाकार आई मीन ब्लॉगर आपस में भिड़ण्त यानी मुक्कालात सॉरी मुलाकात करेंगे।…….

खेलगढ़
एमजीएम स्कूल के राष्ट्रीय खिलाडिय़ों का सम्मान

एमजीएसम स्कूल के राष्ट्रीय खिलाडिय़ों का स्कूल में

सम्मान किया गया।

यह जानकारी देते हुए स्कूल के खेल शिक्षिक

अखिलेश दुबे ने बताया कि स्कूल सबसे ज्यादा

जंप रोप के खिलाड़ी सम्मानित हुए।

इसमें राजदीप सिंह, सुमन जोशी, पूनम नायर,

प्रभाजोत कौर, ओम कारेश्वरी,………


महाराष्ट्र में इन्टरनेट के जरिये दर्ज होगी

प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज


आज एक खबर पढ़ी कि महाराष्ट्र में ई-कम्प्लेंट दर्ज होगी.

अब व्यक्ति के लिए थाने जाने की आवश्यकता नहीं होगी,

इन्टरनेट के जरिये ही प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो जायेगी

तथा उसकी एक प्रतिलिपि मोबाइल पर उपलब्ध होगी.

डीसीपी स्तर का अधिकारी शिकायत की जांच करेगा ....

जख्म

क्षणिकाएं
तुम मानो या ना मानो मुझे पता है प्यार करती हो मुझे तुम स्वीकारो या ना स्वीकारो मुझे पता है तुम्हारा हूँ मैं अश्क भी आते नही दर्द भी होता नही तू पास होकर भी अब पास होता नही इक आती सांस के साथ तेरे आने की आस बँधी और जाती सांस के साथ हर आस टूट गयी तेरी पुकार में ही दम ना…….

नन्हा मन

राष्ट्रीय प्रतीक - नमस्कार बच्चो , आप सबने गणतंत्रता दिवस धूम-धाम से मनाया । आप इतना तो जान ही गए होंगे कि गणतंत्रता दिवस २६ जनवरी को मनाया जाता है और इस दिन हमारा संविधान लाग...

GULDASTE - E - SHAYARI

- न दरिया वफ़ाओं का कभी रुकता, न इंसान मोहब्बत में कभी झुकता, ख़ामोश हैं हम किसीकी ख़ुशी के लिए, पर उन्हें लगता है हमारा दिल नहीं दुखता ! * *

नव-सृजन

ब्लागर- साहित्यकार-प्रशासक के.के. यादव के निदेशक बनने पर अभिनन्दन व विदाई - ब्लागिंग और साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय तथा भारतीय डाक सेवा के अधिकारी कृष्ण कुमार यादव को निदेशक पद पर प्रोन्नति के उपलक्ष्य में आयोजित एक समारोह में भा...

कर्मनाशा

वसन्त का कोई शीर्षक नहीं - *सुन रहा हूँ कि वसन्त आ गया है! आज कुछ यूँ ही लिख दिया है कविता की तरह..इस यकीन के साथ कि यदि निज व निकट के जीवन प्रसंगों में कहीं नहीं दिखता है वसन्त तो क...

नुक्कड़

डॉ० डंडा लखनवी का व्यंग्य : लाइम लाइट - * लाइम लाइट* * * कविवर रहीम ने शताब्दियों पूर्व पानी एवं मनुष्य, मोती और चूने के बीच के अंतःसंबंधों को भली-भाँति..

मसि-कागद

एक बच्चे के जन्मदिन में...>>>>>>>> दीपक मशाल - कल एक बच्चे के जन्मदिन में गया था मैं, बड़ा अच्छा मौका लगा मुझे अपने बचपन में वापस जाने का... हमेशा यूं नदिया बने रहना भी ठीक नहीं, कभी झील बनना भी अच्छ...

Rhythm of words...

बंजारे! - चल ऐ मन बंजारे इस दुनिया का भी भरम देखे कहीं सुलगते से दिल में ही जीवन जैसा कुछ नम देखे ! कुछ गोल गोल टुकड़े देखे रूखे सूखे चाँद से चूल्हे में जलता सूरज देखे...

सरस पायस

पल्लवी की किताब - पल्लवी की किताब पल्लवी की किताब पल्लवी ने जब अपने आप बनाई एक किताब, तो उसका दिल ख़ुशी से झूम उठा! उसने अपनी किताब को मनचाहे रंग भरकर सुंदर चित्रों से सजाय...

ज़िंदगी के मेले

अरे दीवानों मुझे पहचानो!!! - मैंने सोचा आज मैं भी जरा मौज ले लूँ! ना तो राजीव तनेजा जैसा कुछ कर रहा हूँ न ही कार्टूनिस्ट सुरेश शर्मा जैसा और न ही रचना सिंह जैसा आप तो बस इस ब्लॉगर को ..

शिल्पकार के मुख से

इसे अवश्य पढिए-अच्छे लोग किनारे हो गए!!!- कल रात की बात है, हम कुछ लिख रहे थे तभी चैट पर हमारे बड़े भाई

*गिरीश पंकज जी * का आगमन हुआ और

उन्होंने पूछा "फौजी भाई क्या हाल चाल है"

हमने कहा नमस्ते भैया ..

*हालत पे मेरी न दिल उनके पसीजे ,
न शरमाया उन्हें मेरे इस फटे-हाल ने !
सिद्दत से बड़ी हमने संजो के रखे है ,
जो कुछ गुल खिलाये थे गए साल ने !!
यादों की गठरी क...

हिन्दी साहित्य मंच

स्वर्ग-नर्क के बँटवारे की समस्या - व्यंग्य

-स्वर्ग-नर्क के बँटवारे की समस्या --------------------------------------------

महाराज कुछ चिन्ता की मुद्रा में बैठे थे। सिर हाथ के हवाले था और हाथ कोहनी के..

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फिल्‍म समीक्षा : रण - मध्यवर्गीय मूल्यों की जीत है रण -अजय ब्रह्मात्‍मज राम गोपाल वर्मा उर्फ रामू की रण एक साथ पश्चाताप और तमाचे की तरह है, जो मीडिया केएक जिम्मेदार माध्यम की..

अंकित सफ़र की कलम से

ग़ज़ल टहनियों पे नयी सोच खिल के - वैसे आज जिस ग़ज़ल से आप मुखातिब हो रहे हैं वो आपके लिए नयी नहीं है, गुरु जी के ब्लॉग पे चल रहे तरही मुशायेरे में आप इससे रूबरू भी हो चुके होंगे मगर इसमें एक ...

शब्दों का सफर

पहले से फौलादी हैं हम… - [image: qutabminar09] पश्चिम मध्य एशिया में तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान, ईरान के पुरातत्व स्थलों पर मिले लोहे से बने उपकरणों के आधार पर पश्चिमी विशेषज्ञ भ..

ताऊजी डॉट कॉम

टोटल टाइम पास


खुल्ला खेल फ़र्रुखाबादी (186) : आयोजक उडनतश्तरी

नीचे का चित्र देखिये और बताईये कि ये क्या है?

कार्टून : सरकारी समझदारी (Committee on Telangana)


बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhatt

देखें कार्टून.:---कटी पतंग.....

प्रस्तुतकर्ता cartoonist ABHISHEK

आरंभ Aarambha

काहिरा में महफ़ूज़ और तिल्दा का चांवल
पिछले दिनों ब्लाग जगत में अदा जी के घर के चित्रों को ब्लाग में प्रस्तुत करने के संबंध में प्रकाशित एक पोस्ट पर सबने दांतो तले उंगली दबा ली थी और जिस प्रकार पाबला जी ने कनाडा यात्रा की वैसी यात्रा करने के लिए अनेक ब्लागर उत्सुक थे. कल पाबला जी हमारे पास….



अब आज की

चर्चा को

विराम देता हूँ!

18 टिप्‍पणियां:

  1. वाह , जबरदस्त कवरेज है शाश्त्रीजी आज तो. बहुत बेहतरीन.

    रामराम.

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  2. बेहतरीन चर्चा...आनन्द आ गया!!..शानदार!

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  3. धन्यवाद शास्त्री जी बहुत ही बढ़िया चिट्ठा चर्चा....

    जवाब देंहटाएं
  4. नमस्ते शास्त्री जी-बहुत सुन्दर चर्चा आभार

    जवाब देंहटाएं
  5. राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जयंती के अवसर पर श्रद्धा-सुमन अर्पित कर रहा हूँ . राष्ट्रपिता की चर्चा कर उनको याद करने के लिए आभार . बहुत बढ़िया चर्चा ....

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  6. विस्त्रत और लाजवाब चर्चा है ...........

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  7. बेहतरीन और विस्तृत चर्चा । आभार ।

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  8. bahut sundar charcha , kafi link yahin mil jate hain ........shukriya.

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  9. शास्त्री जी, आप तो चर्चा करने में माहिर आदमी हैं..आपकी चर्चा बाँच कर तो सचमुच आनन्द आ जाता है.
    धन्यवाद्!

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  10. बहुत सुन्दर व सारगर्भित चर्चा है यह । नन्ही कोपल के ब्लॉग को शामिल कर अवश्य ही उसका उत्साहवर्धन किया है आपने ।

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