चर्चा मंच-अंक-33चर्चाकार-ललित शर्माचिट्ठाकार राजकुमार ग्वालानी जी के लेखों को राजतंत्र पर पढ रहा था, कुछ समय मिला इनके लेखन को जानने समझने का। वैसे मै इन्हे एक खेल पत्रकार के रुप मे ही देखता था। इनका एक ब्लाग खेलगढ भी है जो खेल को ही समर्पित है।लेकिन राजतंत्र पढने पर पता चला कि सामाजिक सरोकार रख्नने वाले विषयों पर भी प्रखरता के साथ लिखते हैं। इनकी लेखनी समस्याओं की जड़ पर सीधा प्रहार करती है।इनका लेखन प्रशंसनीय है। स्वभाव से हंसमुख और मित्र सहयोगी अब ब्लागरी के सभी पहलुओं पर अपनी पकड़ रखते है। कल की इनकी एक पोस्ट ने मेरा ध्यान आकर्षित किया जिसमें इन्होने एक वर्ष मे एक हजार पोस्ट लिखने चर्चा की है।इनकी पोस्ट प्रतिदिन अपनी उपस्थिति ब्लाग जगत मे दर्ज कराती है ऐसे सक्रीय चिट्ठाकार का हम चर्चा मच पर स्वागत करते है और इनकी प्रथम और अद्यतन पोस्ट पर दृष्टिपात करते है। |
एक परिचय ब्लागर प्रोफ़ाईल पर
राजकुमार ग्वालानी
- उम्र: 43
- लिंग: पुरुष
- खगोलीय राशि: मकर
- राशि वर्ष: घोड़ा
- व्यवसाय: पत्रकारिता
- स्थान: रायपुर : छत्तीसगढ़ : भारत
मेरे बारे में
पत्रकारिता सॆ करीब दो दशक से जुड़ा हूं। वैसे मैंने लंबे समय तक देश की कई पत्र-पत्रिकाऒ
में हर विषय में लेख लिखे हैं। मैंने दो बार उत्तर भारत की सायकल यात्रा भी की है। रायपुर कॆ
प्रतिष्ठित समाचार पत्र देशबन्धु में 15 साल तक काम किया है। वर्तमान में मैं रायपुर कॆ सबसे
प्रतिष्ठित समाचार पत्र में एक पत्रकार कॆ रूप में काम कर रहा हूं।
इनकी प्रथम पोस्ट-दिनांक-बुधवार 25 फ़रवरी 2009 को ब्लाग जगत मे आई-आप अवलोकन किजिएWednesday, February 25, 2009कुम्भ की मेजबानी में भी छत्तीसगढ़ नंबर वनछत्तीसगढ़ का नाम आज राजिम कुम्भ की मेजबानी में नंबर वन पर आ गया है। छत्तीसगढ़ देश का ऐसा एक मात्र राज्य है जहां पर हर साल कुम्भ का आयोजन होता है। अब यह बात अलग है कि राजिम कुम्भ को कुम्भ कहने से कुछ लोगों को आपत्ति होती है, लेकिन देश के महान साधु-संतों ने जरूर इसको देश के पांचवें कुम्भ का नाम दे दिया है। वैसे राजिम को कुम्भ कहने से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। अगर देश में एक और कुम्भ प्रारंभ हुआ है और वह भी एक ऐसा कुम्भ जहां पर हर साल देश भर के साधु-संतों का जमावड़ा लगता है तो इसमें बुरा क्या है। वैसे राजिम को कुम्भ का दर्जा दिलाने में सबसे बड़ा हाथ प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी की सरकार और उसके मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ पयर्टन- संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल का है। आज देश का ऐसा कोई साधु-संत नहीं होगा जो इन दोनों को नहीं जानता होगा। राजिम की नगरी पुराने जमाने से साधु-संतों की नगर रही है। यहां पर लोमष ऋषि का आश्रम है। इसी आश्रम में आकर देश के नागा साधुओं को जो सकुन और चैन मिलता है, |
इनकी अद्यतन पोस्ट 17जनवरी 2010 की है।Sunday, January 17, 2010एक साल में एक हजार पोस्ट किसके खाते में हैअब जबकि हमारे ब्लाग राजतंत्र और खेलगढ़ को मिलाकर हमारी एक हजार पोस्ट का आंकड़ा पूरा होने वाला है, इसी के साथ ब्लाग जगत में हमें कदम रखे अगले माह एक साल हो जाएगा, तो हमारे मन में एक विचार आया कि क्यों न जाना जाए अपने ब्लागर मित्रों में किनके खाते में एक साल में एक हजार पोस्ट लिखने का रिकॉर्ड है। अगर आप जानते हों कि और किसी ने भी ऐसा रिकॉर्ड कायम किया है तो जरूर बताएं। |
इस चर्चा के पश्चात एक आवश्यक चर्चा भी कर ली जाए-अजय कुमार झा जी का प्रश्न है कितो आखिर क्या हो पैमाना चिट्ठा चर्चा के लिए ??? यह प्रश्न बहुत जरुरी है और अधिक जरुरी है इसका उत्तर पाना। पढिए क्या कह रहे है। लेकिन जब बहस चल ही पडी है तो फ़िर आप सभी ब्लोग्गर्स ये भी तय कीजीए न कि आखिर क्या हो फ़िर इस चिट्ठा चर्चा का पैमाना ??। आखिर वो कौन सी बातें हैं जो कि चिट्ठा चर्चा कार को अपने जेहन में रखनी चाहिए ?? क्या उन पोस्टों को छोड दिया जाए जो उस दिन बहुत अच्छी लिखी गई हैं , तर्क ये दिया जाता है उन पोस्टों तो स्वाभाविक रूप से पहले ही सब पढ चुके होते हैं फ़िर चर्चा में उनकी लिंक लगाने का क्या फ़ायदा ??? तो क्या उन्हें इस बात के लिए ये दंड दिया जाए कि उन्होंने उस दिन अच्छा लिखी और जब सबने वैसे ही पढ लिया तो फ़िर चर्चा क्यों हो भाई ???? ये ठीक रहेगा न ?? या फ़िर ऐसा किया जाए कि सिर्फ़ नए ब्लोग्स को , या बिल्कुल भी पढे नहीं गए ब्लोग्स को , अनछुए ब्लोग्स को उठाया जाए ,और उनकी लिंक लगा के पढाया जाए । अच्छी बात है ये तो होना ही चाहिए , बस अपने दिल पर हाथ रख के एक बात बताईये , हम में से कितने ब्लोग्गर हैं जो नियमित रूप से अपने बीच आ रहे नए ब्लोग्गर मित्रों को पढ के टीपते हैं , तो फ़िर सारी जिम्मेदारी चर्चाकार पर ही क्यों ?? |
आज का कार्टुन किसके कंट्रोल में है झारखण्ड ? (कार्टून धमाका) |
अब देते है चर्चा को विराम! सभी भाई बहनों को ललित शर्मा का राम-राम |
कार्टून वाले राजकुमारों का जवाब नहीं...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा, ललित भाई...बधाई.
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ललित भाई बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंललित शर्मा जी
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच में इतना ज्यादा सम्मान और प्यार पाकर हम बहुत अभिभुत है। हमने जब ब्लाग जगत में कदम रखा था तब सोचा नहीं था कि हमें यहां इतना ज्यादा प्यार, स्नेह और अपनापन मिलेगा। काश हम पहले ब्लाग जगत से जुड़ गए होते। बहरहाल अब भी देर नहीं हुई थी। आपके हम तहे दिल से आभारी हैं इतनी अच्छी चर्चा करने के लिए। साथ ही सभी ब्लागर मित्रों के भी आभारी हैं जिनकी प्रेरणा से हम यहां तक पहुंचे हैं।
ललित भाई उम्मीद है कि हमारे ब्लागों का एक साल होते-होते हम 11 सौ पोस्ट का आंकड़ा प्राप्त कर लेंगे।
बहुत सारगर्भित और उम्दा चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अरे वाह...अपनी भी चर्चा हो गई आपकी चिट्ठाचर्चा में...
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत...बहुतायत में धन्यवाद
वाह ललित जी! आपकी चर्चा में तो दिन ब दिन निखार आते जा रहा है!!
जवाब देंहटाएंवाह्! कमाल की एकदम मजेदार रही ये चर्चा!
जवाब देंहटाएंभज गोविन्दम!!!
sundar sundar sundar bhaai...
जवाब देंहटाएंये पुरानी चर्चाएँ भी उम्दा... वाह..
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