चिट्ठा चर्चा मंच के सभी पाठकों को डी.के.शर्मा वत्स की ओर से नमस्कार, सतश्रीअकाल, सलाम, जयहिन्द. लीजिए, हाजिर है आज की ये चर्चा…..जिसमें शामिल किए गए हैं-मेरे द्वारा पढी गई कुछ चुनिन्दा ब्लाग पोस्टस के लिंक्स……आप लोग पढिए और आनन्द लीजिए. आशा करता हूँ कि प्रस्तुत पोस्टस आप लोगों की पसन्द पर भी खरा उतर पाने में सफल हो पाएंगी…… जै राम जी की!!! |
बुढ़ापा छुटकारा चाहता हैमैंने हर रंग को छूकर देखा है, चाहें वह कितना उजला, चाहें वह धुंधला हो। उन्हें सिमेटा, जितना मुटठी में भर सका, उतना किया। रंग छिटके भी और उनका अनुभव जीवन में बदलाव लाता रहा। मैं बदलता रहा, माहौल बदलता रहा, लोग भी। चश्मे में मामूली खरोंच आयी। दिखता अब भी है, मगर उतना साफ नहीं। सुनाई उतना साफ नहीं देता। लोग कहते हैं,‘‘बूढ़ा ऊंचा सुनता है।’’ लोग पता नहीं क्या-क्या कहते हैं। |
दीपाक्षर--लाखों रावण गली -गली हैं ,इतने राम कहाँ से लाऊं ?अचानक वेताल ने जोरों का ठहाका लगाकर मध्यरात्रि के पश्चात् देवी माँ दुर्गा की तन्द्रा को भंग कर दिया. उनके त्रिशूल की नोंक के नीचे त्राहि-माम कहता असुर भी चौंक कर ठहाके की दिशा में देखने लगा था."क्या बात है वेताल!बहुत दिनों बाद आज दिखाई दिए हो ! और आते ही इस ठहाके का मतलब?" |
कविता क्या है ! |
कविताओं में प्रतीक-शब्दों में नए सूक्ष्म अर्थ भरता है |
आह चाँद, वाह चाँद |
कहने को दिल वाले हैं ...छीने हुवे निवाले हैंकहने को दिल वाले हैं जिसने दुर्गम पथ नापे पग में उन के छाले हैं अक्षर की सेवा करते रोटी के फिर लाले हैं खादी की चादर पीछे बरछी चाकू भाले हैं |
कहाँ गया वो बचपन ...कहाँ गया वो बचपन,भोला सा वो मन ... वो दादी-नानी की कहानियां, वो मिट्टी का आँगन... वो घर-घर खेलना गुड्डे-गुड़ियों की शादी रचाना वो दोस्तों के साथ लड़ना किसी से रूठना, किसी को मनाना |
कभी तो मिलो मेरे ख्यालातों के मोड़ परहुआ अरसा,कभी तो मिलो मेरे ख्यालातों के मोड़ पर, देखूँ, हैं कितना बदला तसब्बुर जो रखा ख्याबों में जोड़ कर है इल्म कि कुछ मुश्किल होगी इक्का-दुक्का ही सही - वो तीखी तकरार छिपा लाना (क्योंकि) बड़ा विराना हो चला है तुम्हारे बिन इंतजार का ये आलम थोडा फीका लगने लगा है मुझे, अपना दागदार दामन |
किसान को जितनी चिन्ता फसल की है उतनी ही अपनी संतान की भी है, कितना संवेदनशील है हमारा किसान लेकिन हम?-अजित गुप्ताएक किसान मावठ की बरसात से खुश है, नवीन फसल की योजना बना रहा है और अपने परिवार के प्रेम को भी निभा रहा है। पूरी रात बिगाड़कर अपनी बेटी की चिकित्सा कराने दूर शहर आता है, शायद डॉक्टर अस्पताल में भर्ती होने को भी कहे तो उसके लिए भी तैयार होकर आया है। और हमारे सम्भ्रान्त परिवार घर में भी पैसे का जोड़-भाग कर रहे हैं। कहाँ जा रहा है हमारा समाज? |
कश्मीर बचाओकुछ लोग ऐसा मानने लगे हैं कि काश्मीर के बहुमत का मानना है कि कश्मीर को भारत से अलग हो जाना चाहिए....शायद कश्मीर के 'वजीर-ए-आज़म' शेख अब्दुल्ला की संतानें भी इसी स्वर को पुख्ता करने की कोशिश में जुटी हुयी हैं.यूँ तो कश्मीर हिन्दुस्तान का अभिन्न अंग सदियों से रहा है,जिसे कल्हण ने 'राज तरंगिणी' में भी लिखा है,लेकिन बात आधुनिक युग की करते हैं.... |
"मेरे प्रियतम तुम्ही मेरी आराधना!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")कर रही हूँ प्रभू से यही प्रार्थना। चन्द्रमा की कला की तरह तुम बढ़ो, उन्नति की सदा सीढ़ियाँ तुम चढ़ो, आपकी सहचरी की यही कामना। जिन्दगी भर सलामत रहो साजना।। |
रात...कुछ अजीब चीज़ मुझे खींचती है ,और मैं लिखने लगता हूँ | धुंआ छंटता है सोच का , और मैं देखने लगता हूँ | कुछ शब्द सुनाई देते हैं , एक दूसरे से सटे हुए | खुले आसमां में तारे , चाँद से लगे , हटे हुए | |
अरुधंति से सावधानक्या अरुधंति राय जैसी बाइयों से देश को सावधान रहने की आवश्यकता नहीं है?खुद को अतिबुद्धिजीवी मानने वाली अरुधंति का विचार देश को बांटने वाला है, और यह पहला अवसर भी नहीं है कि बाई ने ऐसा कहा हो। समय-समय पर अरुधंति ने आग में घी डालने वाले बयान दिये हैं। अभिव्यक्ति की आज़ादी का मतलब यह कत्तई नहीं होता है कि देश के बंटवारे या देश के हिस्से के विरोध में अपने बयान देकर चर्चा में बने रहने का मोह पूर्ण किया जाये। क्योंकि यह देश कोई मज़ाक नहीं है। |
कार्टून : अब एशियाई खेलों की तैयारी |
झारखण्ड में पंचायत चुनाव (कार्टून धमाका) | व्यर्थ नहीं हूँ मैव्यर्थ नहीं हूँ मैं! जो तुम सिद्ध करने में लगे हो बल्कि मेरे कारण ही हो तुम अर्थवान अन्यथा अनर्थ का पर्यायवाची होकर रह जाते तुम। मैं स्त्री हूँ! सहती हूँ तभी तो तुम कर पाते हो गर्व अपने पुरूष होने पर मैं झुकती हूँ! तभी तो ऊँचा उठ पाता है तुम्हारे अंहकार का आकाश। |
Technorati टैग्स: {टैग-समूह}गुरूवासरीय चर्चा (पं.डी.के.शर्मा "वत्स")
अच्छी चर्चा.... सभी लिनक्स अच्छे लगे .....आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स..आभार.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंकुछ लिंक्स बहुत अच्छे लगे |
जवाब देंहटाएंआभार
आशा
वत्स साहब,
जवाब देंहटाएंआशा है आपका स्वास्थ्य अब ठीक होगा,
आपकी चर्चा में मेरी पोस्ट को स्थान देने के लिये धन्यवाद। ये तस्वीर बहुत शानदार लग रही है, काश मैं भी लगा सकता।
बहुत अच्छी प्रस्तुति , अच्छे लिंक्स। धन्यवाद और मुबारकबाद।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स के साथ सुन्दर चर्चा ……………आभार्।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रयास !
जवाब देंहटाएंbahut bahut dhanyawaad is charcha ke liye ...bahut achhe links mile hain ...
जवाब देंहटाएंcharcha padh gayi... sundarta se sajaya hai,badhiya rachnaon se!
जवाब देंहटाएंregards,
बहुत अच्छे लिंक्स ...अच्छे लिंक्स देने के लिए आभार ..
जवाब देंहटाएंbaht sundar post badhai
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा, बढ़िया लिंक्स देने के लिए घन्यवाद. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
डोरोथी.
मधुमक्खी की तरह गुणों रूपी मिठास एकत्र कर बांट रहें हैं आप। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
जवाब देंहटाएंविचार-नाकमयाबी
अति उत्तम चर्चा
जवाब देंहटाएंमिसफ़िट:सीधी बात
Sundar charcha ..... Shukriya mujhe bhi shamil karne ke liye...
जवाब देंहटाएं