नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार, चर्चा लेकर इस मंच पर फिर हाज़िर हूं।
कल गांधी जयंती थी। बापू को कोटि-कोटि नमन!
उनको श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए अनेक पोस्ट आए। उन पर आप सबकी उपस्थिति काफ़ी संख्या में थी। तो उनके लिंक भर देता हूं, नीचे।
दोस्तों एक ब्लॉग है – पुस्तकायन। आज मैं सोच ही रहा था कि इसके बारे में आपको बताऊं। ब्लॉग तो हम बहुत पढते हैं। उनके लिंक और कभी कभार समीक्षा के माध्यम से बात भी पहुंचाने की कोशिश करता हूं। पर लगता है अगर इस जैसे ब्लॉग की बात न की जाए तो ब्लॉग जगत की सर्थकता अधूरी है, चर्चा मंच की भी।
कुछ लोग हैं जो सच में साहित्य की सेवा भी कर रहे हैं। इनमें से यह ब्लॉग है इससे जुड़े रचनाकारों की टीम। यह एक सम्मिलित प्रयास है... अपने पाठन का अधिक से अधिक लाभ उठाने और उसकी महक दूसरों तक पहुँचाने का। ... पुस्तकायन ब्लॉग इसके सभी सदस्यों का समान रूप से बिना रोक टोक के है ... इस ब्लॉग पर सभी तरह की विचाराधारा या कोई खास विचाराधारा न रखते हुए भी सदस्य बना जा सकता है। आलोचनात्मक, वस्तुनिष्ठ और शालीन प्रस्तुति अपेक्षित है ।
सदस्य बनने के लिए ....kitabonse@gmail.com पर मेल करिए और चलिए साथ-साथ...किताबों से गुजरते हुए ...
अकसर पढते हुए...किताबों से गुजरते हुए...कुछ अंश..पंक्तियाँ...पैराग्राफ हमें काफी पसंद आते हैं ...प्रभावित करते हैं...सामान्य से ज्यादा सम्प्रेषित हो जाते हैं...चौंकाते हैं... कभी अपनी शैली से, शिल्प से, आलंकारिकता से और कभी विचारों के नएपन से... ऐसे में उन्हें साझा करने का मन करता है... कई बार इसी तरह दूसरे मित्रों के द्वारा हम अच्छी किताबों से परिचित हो जाते हैं... इसी जरूरत की उपज है यह ब्लॉग... आप कोई पुस्तक पढ रहे हैं, ... पुस्तक का नाम, प्रकाशक का नाम, प्रकाशन वर्ष का विवरण देकर लिखिए पुस्तक के पसंदीदा अंश...साथ ही अपनी आलोचनात्मक विचार भी रख सकते हैं पुस्तक के बारे में, लेखक के बारे में... कम से कम या अधिक से अधिक जितना भी लिखना चाहें...
साथ ही कहानी, लम्बी कविता या प्रभावशाली लेख की भी संदर्भ सहित विवेचनात्मक प्रस्तुति दी जा सकती है।
आज डॉ. अभिनन्दन का उद्योग-पर्व शीर्षक से डा० अमर कुमार की प्रस्तुति है। बाबा नागार्जुन की अप्रतिम व्यँग्य रचना ’ अभिनन्दन ’ पढ़ना अपने आपमें एक अनुभव है । साहित्यजगत विशेषकर हिन्दी साहित्यकारों के मध्य चलते घाल मेल और अभिनन्दन, सम्मानों के आँतरिक सत्य को बेरहमी और चुटीले ढँग से इस उपन्यास में उकेरते हैं, बाबा नागार्जुन । ऎसा नहीं है कि नागार्जुन हिन्दी-रचनाकारों के किसी असँतुष्ट घड़े से सम्बन्ध रखते रहे हों, और यह पुस्तक उनके असँतोष की कुँठा की उपज हो ।
और वह शर्मा गयी from उन्मुक्त by उन्मुक्त इस चिट्ठी में तीर्थ मणिकर्ण के नामकरण और वहां के गर्म चश्में की कथा की चर्चा है।
गरीब विधवा अनामिका की सदाएं पर अनामिका की प्रास्तुति
उसे जूतों में लगी
धूल सा,
चल दिया जो
पोंछ कर
कुर्बानियां उसकी
काँटों के पापोश पर.
क्या करे वो जब
आत्मा से बड़े
पेट का संताप हो ?
तब न क्या
रात के अंधेरों में
चिल्लर सी
खर्च हो जायेगी वो ?
सफर के सजदे में पर शारदा अरोरा प्रस्तुत करती हैं वक्त का पहिया
वक्त का पहिया घूमता जाये
जीवन हाथ से छूटता जाये
बचपन बीता , यादें सुनहरी
छाप दिलों पर छोड़ता जाये
Gyan Darpan ज्ञान दर्पण पर पढिए बाला सती रूपकंवर जी : जो 43 वर्ष बिना अन्न जल के रहीं
राजस्थान की जोधपुर जिले की बिलाड़ा तहसील में एक छोटा सा गांव है रावणियां | अब इस गांव का नाम गांव की प्रख्यात सुपुत्री बाला सती माता रूपकंवरजी के सम्मान में रूप नगर रख दिया गया | विभिन्न जातियों व समुदायियों के निवासियों वाला यह गांव कभी जोधपुर राज्य के अधीन खालसा गांव था |
"हिन्दी भारत" पर डॉ.कविता वाचक्नवी की प्रस्तुति "हमारे साहित्य समाज में पत्रकारिता एक ओबीसी विधा है"
महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिन्दी विवि में २ व ३ अक्टूबर २०१० को आयोजित संगोष्ठी (बीसवीं सदी का अर्थ और जन्मशती का सन्दर्भ ) के उद्घाटन सत्र के पश्चात आयोजित प्रथम सत्र दोपहर ३ बजे से "अज्ञेय पर एकाग्र" के रूप में संपन्न हुआ. कार्यक्रम की अध्यक्षता गंगा प्रसाद विमल ने व संचालन डॉ शम्भु गुप्त ने किया.
ज़ख्म…जो फूलों ने दिये पर वन्दना की प्रस्तुति
मौसमी बुखार सा
तेरी मोहब्बत
गुबार छोड
जाती है
और हम
...उस गुबार मे
अपने अस्तित्व
को ढूँढते
रह जाते हैं
कलम पर cmpershad की प्रस्तुति डॉ. गुल्लापल्ली नागेश्वर राव- Dr. Gullapalli Nageshwara Rao
एल.वि.प्रसाद आय इन्स्टिट्यूट अब विश्व का एकमात्र संस्थान बन गया है जहाँ सब से अधिक कोर्नियल ट्रांस्प्लेंट किये गए है। इस संस्थान के पीछे डॉ. गुल्लापल्ली नागेश्वर राव की प्रेरणा है और उनकी इन सेवाओं को देखते हुए वर्ष २०१० का बर्नार्डो स्ट्रिफ़ गोल्ड मेडेल दिया गया है। यह पदक उन्हें जर्मनी के ३२वें वर्ल्ड ओप्थेल्मिक कोंग्रेस के अधिवेशन में दिया गया। डॉ. राव दूसरे भारतीय हैं जिन्हें यह पदक मिला है। इसके पूर्व उनके गुरू ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस, दिल्ली के पूर्व निदेशक स्व. डॉ. एल.पी.अग्रवाल को दिया गया था।
हमज़बान ھمز با ن पर शहरोज़ की प्रस्तुति सुथरे भी हों और पारदर्शी भी..पर कैसे हो चुनाव !
भारतीय राजनीति से नीति शब्द काफी पहले ही हट गया है। मौजूदा राजनीति के लिए स्वार्थ नीति, कुचक्र नीति आदि नाम दिए जाते हैं। हालत यह है कि अच्छे लोग राजनीति से दूर रहना पसंद करते हैं। देश का युवा वर्ग राजनीति से अपना दामन बचाने की हर संभव कोशिश करता है। वोट के बदले नोट, संसद में रूपये उछालना आदि कुछ घटनाएं ऐसी हुई की राजनीति को शर्मिन्दा होना पड़े ।
बुरा भला पर शिवम् मिश्रा की प्रस्तुति पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जन्मदिन पर विशेष
शास्त्री जी की वर्ष 1966 में तत्कालीन सोवियत संघ के शहर ताशकंद में रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उनकी मौत का रहस्य अब भी नहीं सुलझा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय के इंकार के बाद अब शास्त्री जी की मौत से जुड़े इस दस्तावेज को सार्वजनिक करने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग के पास अपील की जाएगी। इससे पहले केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने शास्त्री जी की मौत से जुड़ी जानकारी पाने के लिए आरटीआई के तहत दायर याचिका ठुकरा दी थी।
प्रतिक्रिया पर विकास की प्रस्तुति जानना जरुरी है.
खोज रहा हूं,
फोन में,
कमरे में,
पुरानी यादों में,
गंदी डायरी में,
कमरे के बाहर,
हर जगह,
हर तरफ.
कोना एक रुबाई का पर स्वप्निल कुमार 'आतिश' की प्रस्तुति मेरा वक़्त चलता है माँ की घडी से
वो क्या क्या न कहता है हर अजनबी से
कभी दिल्लगी से कभी बेरुखी से
शहर को न जाऊं , मुझे बाँध दो तुम
इसी गाँव की एक बहती नदी से
आखर कलश पर नरेन्द्र व्यास की प्रस्तुति "जय जवान जय किसान" तुझे सलाम भारत के लाल - पंकज त्रिवेदी
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीयश्री लाल बहादुर शास्त्री (2 अक्तूबर, 1904 से 11 जनवरी, 1966 ) का आज जन्मदिन है | अपने पिता मिर्ज़ापुर के श्री शारदा प्रसाद और अपनी माता श्रीमती रामदुलारी देवी के तीन पुत्रो में से वे दूसरे थे। शास्त्रीजी की दो बहनें भी थीं। शास्त्रीजी के शैशव मे ही उनके पिता का निधन हो गया। 1928 में उनका विवाह श्री गणेशप्रसाद की पुत्री ललितादेवी से हुआ और उनके छ: संतान हुई।
कुमाउँनी चेली पर शेफाली पाण्डे की प्रस्तुति नई दिल्ली से कॉमनवेल्थ स्पीकिंग .....शेफाली
कितना अफ़सोस होगा मेरे देश वालों को, जब अमेरिका भ्रष्टाचार की सूची जारी करे और हमारे देश का कहीं नामो - निशान तक ना हो | हम भारत का नाम ढूंढते रह जाएं, और हमारा पड़ोसी देश हमसे बाजी मार ले जाए | हमारे सच्चे मेडल इन्हीं सूचियों में छिपे हुए हैं |
Dr.Divya Srivastava की प्रस्तुति क्या महिलाएं पुरुषों के समकक्ष आने के लिए तैयार हैं ?-- कर सकेंगी ये सब ?
खुद को जागरूक करिए और अपनी महिमा को पहचानिए। नारी की कोमलता ही उसको विजय दिलाती है। उसका भावुक , संवेदनशील आचरण ही उसको घर और समाज दोनों जगह इज्ज़त दिलाता है।
इनकार कर दीजिये --
- महिलाओं के लिए किसी भी प्रकार के रेसर्वेशन से।
- दहेज़-लोभियों से शादी करने से।
- कन्या भ्रूण-हत्या में भागीदार होने से।
आकांक्षा पर Asha की प्रस्तुति हें हम सब एक
भाई भाई न रहे ,
दुश्मनी पले हर ओर फैले ,
हो जब भी आवश्यकता ,
एक जुट होने की ,
नासमझी आड़े ना आए ,
देश के हर कौने से,
आवाज उठे सब कहें ,
हें हम सब एक ,
है देश हमारा एक |
मो सम कौन की प्रस्तुति जिन्दा या मुर्दा?
उसकी उम्र उस समय पचास साल के करीब थी। सुविधा के लिये कुछ नाम रख लेते हैं उसका, ’प्रताप’ ठीक रहेगा? सब्ज़ी मंडी में गिने चुने लाईसेंसधारक विक्रेताओं में से एक था, लेकिन घर के हालात के कारण खुद अजीब सी हालत में दिखता था या उसकी उस हालत के कारण ही उसके घर के हालात ऐसे थे, मैं नहीं समझ पाया। उसकी पत्नी कभी तो अलग अलग पैर में अलग तरह की चप्पल पहने दिखती, कभी हम देखते कि उसने सूट या सलवार उलटी तरफ़ से पहन रखा है। हाँ, चेहरे पर हमेशा एक मासूम सी मुस्कुराहत रहती थी। लोग कहते थे, बड़ी सीधी है बेचारी। ये सीधापन तारीफ़ के लायक है या तरस के लायक? बदले में क्या मिलता है इस सीधेपन के – वैसा ही सीधापन या और ज्यादा शातिराना दबंगई?
वीरबहुटी पर ग़ज़ल निर्मला कपिला की प्रस्तुति
बिना कारण नही ये दौर नफ़रत का जमाने मे,
कहीं फेंके गये नफ़रत के कुछ अंगार तो होगे।
न दैन्यं न पलायनम् पर तुलसी वाला राम, सूरदास का श्याम
मन्त्र-मुग्ध मन, कंपित यौवन, सुख, कौतूहल मिश्रित जीवन,
ठुमक ठुमक जब पृथु तुम भागे, पीछे लख फिर ज्यों मुस्काते,
हृद धड़के, ज्यों ज्यों बढ़ते पग, बाँह विहग-पख, उड़ जाते नभ,
विस्मृत जगत, हृदय अह्लादित, छन्द उमड़ते, रस आच्छादित।
तेरे मृदुल कलापों से मैं, यदि कविता का हार बनाऊँ,
मन भाये पर, तुलसी वाला राम कहाँ से लाऊँ?
बापू को नमन!
(१) कोटि-कोटि नमन बापू! मनोज पर मनोज कुमार की प्रस्तुति।
(२) (title unknown) SINGH SADAN....A HUT UNDER THE SKY ! पर SINGHSADAN की प्रस्तुति बिटिया की गैलरी से.....गांधी जयंती पर विशेष ...........................
(३) गांधी जयंति पर एक प्रयास ! अंधड़ ! पर पी.सी.गोदियाल की प्रस्तुति
(४) महात्मा गांधी , सुन ले बापू ये पैग़ाम Jai Jai Bharat पर अरविन्द सिसोदिया,कोटा, राजस्थान की प्रस्तुति
(५) कहाँ गए ऐसे लोग Alag sa पर Gagan Sharma, Kuchh Alag sa की प्रस्तुति
(६) हाशिये पर महात्मा अरुण राय की प्रस्तुति
(७) मनोज पर करण समस्तीपुरी की प्रस्तुति बापू तेरे जन्म दिवस पर...
(८) लोकसंघर्ष पर सुमन की प्रस्तुति गाँधी जी : आपके हत्यारों ने अब राम नामी ओढ़ ली है
(९) रूप पर एक कविता,बापू पर!
(१०) गठरी पर बापू क्या ये राज धर्म है?
(११) समयचक्र पर व्यंग्य (पार्ट-२) - जब गांधीजी की आत्मा ने भारत भ्रमण किया ,,,,
(१२) अपनी हिन्दी पर गाँधी जयंती विशेष - देवदूत गाँधी
(१३) कड़ुवा सच पर बन्दर तो हूँ मैं, पर गांधी नहीं हूँ !
(१४) आई५५५ पर बापू की इच्छा
(१५) फ़ुरसतिया पर …लीजिये साहब गांधीजी के यहां घंटी जा रही है
(१६) संगीता स्वरुप ( गीत ) की प्रस्तुति सपने में बापू
(१७) परिकल्पना पर आईये हम मुल्क में सोच यह विकसित करें...
(१८) उच्चारण पर “गांधी जी का आवास भी देखा!” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)
(१९) क्कव्य तरंग पर आज के दिन "दो" फूल खिले थे
(२०) शिवकुमार मिश्र और ज्ञानदत्त पाण्डेय, ब्लॉग पर गाँधी जी हम सभी का थैंक्स डिजर्व करते हैं....
(२१) राजभाषा हिन्दी पर तेरे उपदेशों को
(२२) क्कव्य मंजूषा पर हमें अभी ज़रुरत है, एक और गांधी की ... बस...!
(२३) तसव्वुर पर गाँधी जयंती
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंतुम मांसहीन, तुम रक्त हीन, हे अस्थिशेष! तुम अस्थिहीऩ,
तुम शुद्ध बुद्ध आत्मा केवल, हे चिर पुरान हे चिर नवीन!
तुम पूर्ण इकाई जीवन की, जिसमें असार भव-शून्य लीन,
आधार अमर, होगी जिस पर, भावी संस्कृति समासीन।
कोटि-कोटि नमन बापू, ‘मनोज’ पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
बहुत सुंदर चर्चा. बहुत से लिंक मिले.
जवाब देंहटाएंआभार.
बेहद उम्दा चर्चा रही आज की ...... मेरी पोस्ट को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार ......खास कर इस लिए भी ......अक्सर २ अक्टूबर को गांधी जयंती पर गांधी भक्तो की भीड़ में शास्त्री जी को लोग भूल ही जाते है !!
जवाब देंहटाएंपर मनोज भाई एक बात समझ नहीं आई ....चर्चा भी आप ही कर रहे है और पहला कमेन्ट भी आपका ही है .....!!!!????
BAHUT BADIYA PRASTUTI......
जवाब देंहटाएंDHANYVAAD
बहुत रोचक चर्चा |बधाई |मेरे ब्लॉग पे आने के लिये आभार |
जवाब देंहटाएंआशा
बहुत सुन्दर चर्चा ! धन्यवाद !
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग akaltara.blogspot.com पर 'देथा की सपनप्रिया का रसास्वाद' देखना चाहेंगे.
जवाब देंहटाएंअति उत्तम चर्चा.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बड़े सुन्दर लिंक्स पढ़ने को मिले, आभार।
जवाब देंहटाएंसुंदर ,सार्थक चर्चा ,आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक चर्चा ...पुस्तकायन ब्लॉग बढ़िया लगा ...सारे लिंक्स मेहनत से चुने हैं ...आभार
जवाब देंहटाएंपुस्तकायन के बारे मे जानकर अच्छा लगा……………चर्चा बेहद उम्दा और सार्थक है…………………आभार्।
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएंसुंदर ,सार्थक चर्चा ,आभार ।
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बहुत सुंदर चर्चा....
जवाब देंहटाएंचर्चा में जमाल!
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार जी का कमाल!
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चर्चा विस्तृत है मगर छोटी लग रही है!
इसलिए रोचकता अन्त तक बनी हुई है!
चर्चा बेहद उम्दा और सार्थक है…………………आभार्।
जवाब देंहटाएंbehtareen charcha ..kafi jagah jana shesh hai....
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