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शनिवार, अक्टूबर 16, 2010

" राम कब आओगे तुम?" (चर्चा मंच-308)



सुबह से ही दीपक मशाल जी की
चर्चा देखने लगा परन्तु निराशा ही हाथ लगी!
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इसलिए आज 16 अक्टूबर को
नवरात्र के अवसर पर
चर्चा मंच पर प्रस्तुत कर रहा हूँ!
कुछ ब्लॉगों की चर्चा!
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शरद कोकास जी लेकर आये हैं
शून्य ह्दय से मैं
उध्वस्त भीड़ के
रोते हुए खोए - खोए चेहरों में
ओ मेरे देश !
तुम्ही को ढूँढती फिर रही हूँ ।
- जया मित्र
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अह देखिए यह मजेदार सटीक कार्टून्स!
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लगे हाथ यहाँ भी नजर डाल लीजिए!
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(नवरात्र आरंभ हो चुका है. देवी-माँ की मूर्तियाँ सजने लगी हैं. चारों तरफ भक्ति-भाव का बोलबाला है.
दशहरे की उमंग अभी से दिखाई देने लगी है. इस पर क्रमश: प्रस्...

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बहुत-बहुत बधाई धीरूसिंह जी आपको
और आपके पूज्य पिता जी को!!



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  • देकर एक दिन की आजादी

    अपनी होशियारी पर इतराते हो

    करके धर्म के ठेकेदारों से सांठ-गांठ

    अपनी-अपनी दुकानें चलाते हो,

    दिन में तो दिखते हो अलग-अलग

    रात को मयखाना साथ जाते हो।....

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नेताजी सोवियत संघ में ही थे!

जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है कि जब तक भारत सरकार खुद प्रधानमंत्री कार्यालय, गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की गोपनीय आलमारियों में कैद नेताजी से जुड़े दस्तावेजों को सार्वजनिक नहीं करती और रूस तथा जापान सरकारों से ऐसा ही करने का अनुरोध नहीं करती, तब तक बहुत-सी बातें स्पष्ट नहीं होंगी, और तब तक हमें परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ही घटनाक्रमों का ‘अनुमान’ लगाना पड़ेगा।
वैसे, इस मामले में अब ज्यादा भरोसा......
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anupam yatra....ki suruwat...
जीवन की भाग दौड़ हमारे बाल मन पर शुष्कता की परत चढ़ाती चली जाती है; जीवन में चाहे कुछ भी घटित हो...लेकिन अपने बाल मन को बचाने का उपक्रम तो चलते ही रहना चाह..
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प्रिय बहणों और भाईयों, भतिजो और भतीजियों सबको शनीवार सबेरे की घणी राम राम. ताऊ पहेली *अंक 96 *में मैं ताऊ रामपुरिया, सह आयोजक सु. अल्पना वर्मा के साथ आपका ...
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लाल्लालाला ssssssssssssआ...लालालालाआssssssssssss ज़ूज़ूज़ूज़ूऊऊऊऊऊज़ूज़ूज़ूज़ूज़ूज़ू--हा हा हा हा - करना तो था श्री महिषासुर मर्दिनी स्त्रोत्र...................पर माईक काम नहीं कर रहा ......पहले रिकार्ड कर चुकी कोई प्रार्थना ढूंढी....................नहीं..
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- देव सुन कर क्या करोगे दुखी जीवन की कहानी ! यह अभावों की लपट में जल चुका जो वह नगर है, बेकसी ने जिसे घेरा, हाय यह वह भग्न घर है ! लुट चुका विश्वास जिसका, तड़...
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काव्य मंजूषा
- मौसम फिर से बदला है, हमसफ़र लौट ही आए खुशियों का अब सिलसिला, देखें फिर कहाँ जाए शजर सब्ज़ सा लागे, नज़ारे फिर से मुस्काये मगर जो उड़ गए पंछी, कहाँ वो ल...
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9 टिप्‍पणियां:

  1. badhiya charcha!
    got many links....
    going through them....
    regards,
    vijayadashmi ki dher sari shubhkamnayen!!!

    जवाब देंहटाएं
  2. behad sundar aur umda charcha.........achche links lagaye hain......aabhaar.

    जवाब देंहटाएं
  3. सार्थक चर्चा ! आभार एवं दशहरे की शुभकामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  4. दशहरे की शुभ कामनाएं |चर्चा मंच पर मम्मी की
    कविता उन्मना लिंक पर देखी |अच्छी चर्चा के लिए बधाई
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  5. किसी की अचानक अनुपस्थिति सच में बहुत मुश्किलें पैदा कर देती है और फिर सब मुश्किलों को नज़र-अंदाज़ करके इस तरह से मेहनत कर अपना कर्म करते जाना ही सच में काबिले तारीफ है...जो आप कर रहे है.

    सुंदर चर्चा.

    शुक्रिया.

    जवाब देंहटाएं
  6. आपने मुझे शामिल कर मेरा मान बढाया उसके लिये धन्यबाद

    जवाब देंहटाएं

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