न्याय की छत
दिल के घर में हर तरफ़ दीवार है,जो अहम के कीलों से गुलज़ार है।
अहम् की कीलें जब तक रहेंगी तब कैसे न्याय हो पायेगा?
कागज बनता है बांस से , पानी का मोल है प्यास से, चुभन होती है -फांस से, उम्मीद बंधती है -आस से,
जो सही है वो गलत कैसे हो सकता है----------
एक मृगमरीचिका ...ऐसी भी..!
वो चली थी,
शान से,
इठलाती,
चुलबुलाती,
बलखाती,
वेग था,
गति थी,
झंकृत मन से
अपने प्रिय से मिलने को
आतुर थी,
कब तक भागोगे.......एक दिन तो अपने सागर तक पहुँचना ही है
कुछ लमहे यादो के
कुछ लमहे यादो के सैलाब में बह जाते हैहर याद में कुछ लमहे बस सिमट जाते है
जब यादें सिमट आती हैं फिर ख्वाब और यादों का अस्तित्व अलग कब रहता है
सतीष चंद्र श्रीवास्तव की ग़ज़लें
ये कैसा शमाँ है ये कैसा मंजर है।
इंसानियत की पीठ में धंसा खंजर है।
सब कुछ है मेरे देश में रोटी नहीं तो क्या।
वादा ही तुम लपेट लो लंगोटी नहीं तो क्या।
जिन्दगी की आंच बचा कर रख।
अपने जीवन के राज़ बचा कर रख।
बन्द जो पड़ा है यहां वो खत देखिये।
मेरी आँखें से अपनी हकीकत देखिये।
हर शेर और हर ग़ज़ल अपने आप में एक मुकम्मल जहान समेटे हुए है
!! मां !!
धूप में एक ठंडी छाँव है मां
समुद्र के गहरे तल में
सीप में छिपी मोती है मां .
माँ तो बस माँ होती है .........उसको शब्दों में बांधना बहुत ही मुश्किल है
सेल ! सेल ! सेल ! आज रविवार है , सजा हुआ एक अद्भुत बाज़ार है |
सब कुछ बिकता है ...........खरीदार होना चाहिए
'अरमानों का दरख़्त'
मेरे दिल में अरमानों का
एक बड़ा सा दरख़्त है
उस पर ढेरों टंगे हैं सपने
जिनके पकने में वक्त है
बस पकते ही नए सपने उग आयेंगे ------------
तेरे साए में पनाह दूं........
क्षितिज तक फैलेज़िन्दगी के तनहा सेहरा को..... तेरे इश्क की बाहों में समा
जहाँ भी आसरा मिले ..........और इश्क की बाँहों का तो कहना ही क्या
"बड़ी चीज इंसान और उनके ताल्लुकात" बनाम "आग में प्रट्रोल छिड़कना"
ओह ! बहुत खतरनाक .
ध्वनियाँ …. (कविता- कृष्ण बिहारी)
एक नाद है
जो गूँजता है
मुझमें डमरु की तरह शिव के।
जो गूँजता है
मुझमें डमरु की तरह शिव के।
मुझे मिलती हैं ध्वनियाँ
करती रहती हैं मेरा निर्माण अहर्निश।
करती रहती हैं मेरा निर्माण अहर्निश।
बस यही तो अंतिम चाहत है
आसान नहीं है ... पाँव से काँटा निकाल देना ... हाथ बंधे हैं पीछे और ... उसी ने बिखेरे
ये भी सुन ही लीजिये
अकेला नितांत.........
जब तक ह्रदय में दर्द हैतब तक ही किसी की
अकांक्षा भी है
जब दर्द नहीं
तो प्रेम भी नहीं
तडप नहीं
रोमांच नहीं
और आँखों में
नमी भी नहीं
हर कोई नितांत अकेला ही होता है ये तो सफ़र में राही मिलते हैं और कारवां बनता जाता है
अरुण चन्द्र रॉय की दो कविताएँ
एलेक्ट्रोन
एलेक्ट्रोन
अतृप्त होते हैं
अकेले होते हैं
और वे ही हैं
इस धरती के संबंधो
के आधार ।
लीजिये देखिये क्या आधार है संबंधों का .........
अरुण चन्द्र रॉय की दो कविताएँ
ईश्वर और इन्टरनेटबाज़ार
है सजा
ईश्वर और इन्टरनेट
दोनों का।
अंजुरी भर ख़ुशी
वह
अंजुरी भर
पाना चाहती है ख़ुशी
दोनों बाहें पसार
महसूस करना चाहती है हवा
ऊँचा कर अपने हाथ
छू लेना चाहती है आसमान
वह अंजुरी भर
पाना चाहती है ख़ुशी
अब ये आप देखिये आपको क्या चाहिए ...........यहाँ तो सब बिखरा पड़ा है
मित्र, आपको याद होगा आपसे बातचीत में एक बार मैंने रस-चर्चा की थी. और उसमें कुछ मूल और कुछ उत्पन्न रसों के विषय में बताया था. तब मेरा वर्षों से छूटा अन-अभ्यास और आपकी भोजन-प्रतीक्षा के कारण उस चर्च...
लीजिये आनंद लीजिये अलग अलग रसों का ..........
ठीक ठीक तो बताना मुमकिन नहीं ही होगा .अलबत्ता कयास लगाया जा सकता है .और कयास लगाने में कोई हर्ज़ भी नहीं है .लग गया तो तीर नहीं तो तुक्का तो है ही ।अपनी किताब "दी प्रिन्सिपिल्स ऑफ़ सोशियोलोजी "में... |
भारत देश की विवादास्पद मेजबानी के चलते और हजारों हजार अव्यवस्था और भ्रस्टाचार के आरोपों के चलते आज आखिर कोमन वेल्थ गेम की शुरुआत का दिन आ ही गया इश्वर करे देश के सम्मान मान प्रतिष्टा और मर्या�...
ये दिन भी आखिर आ ही गया ..........स्वागत है
आप सभी लोगों को मेरा सादर नमस्कार. आज मै अपने जीवन का २० वॉ वर्ष पुर्ण करके २१ वें वर्ष मे प्रवेश कर रहा हूँ. आज मैं आप लोगों से कुछ माँगना चाहता हूँ, मुझे मालुम है आप जरुर देंगे-आज माँगना चाहता हू... |
जरूर मिलेगा और सभी का मिलेगा
कहा जाता है कि एक विचार पूरी जिंदगी को बदल देता है। पर यह भी सच है कि अपने विचार को एक सफल आकार देना कम मुश्किल काम नहीं है। कुछ लोग इसकी हिम्मत ही नहीं कर पाते, तो कुछ बीच राह में नुकसान और हार की �...
अगर ये कूवत हम में होती तो क्या हम यहाँ होते ..................
ये तो सभी को पता होने चाहिए ............आखिर सेहत का मामला है
ग़ज़ल: जो कल तक नोंचता था बाल अब पत्थर दिखाता है
बड़ी शिद्दत से पहले तो वो अपने घर बुलाता है,मगर एहसान फिर बातों ही बातों में जताता है.
भले ही साथ रहते हैं मगर बातें नहीं होतीं,
मैं घर से सुबह जब निकलूँ वो वापिस घर पे आता है.
ओह! क्या करें यही दुनिया का दस्तूर है
जैसा की आप लोगों को मालूम है , आजकल पार्ट फिल्मों का दौर चल रहा है ! एक फिल्म हिट होते ही उसका पार्ट २-३ बाजार में आ जाता है ! इसी तर्ज पर मैंने भी सोचा , क्यों ना मैं भी अपनी ही एक पोस्ट का पार्ट २ बना�... |
बिलकुल जी ............दुनिया के दस्तूर से आप क्यों.न पीछे रहें
एक सड़क हादसे में तीन अधेड़ पुरुषों की मौत हो गई, और उन्हें चित्रगुप्त के सामने प्रस्तुत किया गया... चित्रगुप्त ने उन सभी से कहा, "आप तीनों बेहद धार्मिक और दानवीर रहे हैं, सो, आपका स्वर्ग में स्था... |
अजी जो मिल जाए अच्छा है ..........
अमीरी की लक्ष्मण रेखा तय कौन करेगा--एक सवाल?--ब्लॉग4वार्ता---ललित शर्मा
दीजिये जवाब ...........
वक़्त ही वक़्त है,जिंदगी बड़ी कमबख्त है !मिलना हो सुकूँ, तो मिले आज,पड़ी जरूरत सख्त है !ख़ुशी क्या ? ग़म है क्या ?बस ख़याल हीं तो फक्त है !नाम नवाब , और काम गुलाम,मामला पेचीदा, ताजो-तख़्त है !और क्या ढूं... |
अजी ज़िन्दगी को क्या कह सकते हो .............उसकी मर्जी है ....
दोस्तों,
उम्मीद करती हूँ आपको अपनी पसंद का कोई तो रंग जरूर मिला होगा और उसने दिल को छुआ भी होगा ...........अब इजाजत दीजिये. अगले सोमवार फिर मिलती हूँ तब तक अपने विचारों को टिप्पणी का रूप देकर कृतार्थ कीजिये .
रंग-बिरंगी चर्चा -बढिया ......मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद.....
जवाब देंहटाएंbahut hi acchi lagi aapki charcha...
जवाब देंहटाएंaabhaar...!
आपकी चर्चा की शैली देख कर चमत्कृत और प्रभावित हुआ। कृपया बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंखूबसूरत प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंआभार ।
अच्छे लिंक्स से सुसज्जित चर्चा ,आभार
जवाब देंहटाएंशुक्रिया!!! बहुत खूब.. बहुत सी रचनाओ को पढा.. सब पर तो टिप्पणी नही कर पाया लेकिन सभी को यंही से मेरा सलाम..जय हो
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा बहुत सुन्दर रही!
जवाब देंहटाएं--
कुछ नये ब्लॉग्स से परिचित कराने के लिए शुक्रिया!
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा बहुत सुन्दर रही!
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद.....
.......मेरा सलाम जय हो
बहुत ही अच्छी शैली में की गई चर्चा.
जवाब देंहटाएंविभिन्न मूड, रंगों और जायकों के ब्लोगों के बारे में एक जगह जानकारी पा कर बहुत अच्छा लगा.
बहुत ही सराहनीय प्रयास है चर्चा मंच.
बहुत बहुत धन्यवाद.
वंदना जी,
जवाब देंहटाएंब्लॉग4वार्ता का लिंक देने के लिए आभार
मेरी ग़ज़ल को चर्चा में शामिल करने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया। चर्चा मंच मुस्तक़बिल में और नई ऊचाईयां प्राप्त करे व सहित्य की एक नई विधा की मुस्त्क़िल लम्बरदार बने ऐसी मेरी दुआयें हैं।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंeduployment.blogspot.com की पोस्ट को शामिल करने का आभार। राष्ट्रमंडल तक की सामग्री को समेटने से पता चलता है कि पिछले कई घंटे आप कितनी व्यस्त रही होंगी।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा जानकारी .
जवाब देंहटाएंकृपया इसे भी पढ़े -
" बीजेपी की वेबसाइट में हाथ साफ "
http://www.ashokbajaj.com/
blog ko charchamanch par laane ke liye bahut bahut badhai
जवाब देंहटाएंयह मंच न हो,तो पाठक कई महत्वपूर्ण पोस्टों से वंचित रह जाए। श्रम और चयन-विवेक के प्रति आभार।
जवाब देंहटाएंनए रंग की चर्चा रंगीन लगी ...
जवाब देंहटाएंशानदार ...कई अच्छे लिंक्स मिले ...
आभार ..!
आपकी चर्चा बहुत पसंद आई ... बहुत अच्छे लिंक्स मिले ... धन्यवाद ... मेरी पोस्ट शामिल करने के लिए भी धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा .....सारे रंग चमकदार लगे ...बस एक रंग नहीं दिखा ..ध्वानियाँ ....कृष्ण बिहारी का ..पता नहीं क्यों लिंक नहीं खुला ....
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक चर्चा के लिए आभार
बहोत ही अच्छी चर्चा, मेरे छोटे से पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिये धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंलेकिन मै तो अब बेनामियों से परेशान हो गया हूँ. किसी के उपर भी आरोप लगा देते हैं. आप जानिये इसे-
http://mishrasarovar.blogspot.com/2010/10/blog-post_04.html
bahut hi khubsurat charch rahi....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर इस बार ....
क्या बांटना चाहेंगे हमसे आपकी रचनायें...
अपनी टिप्पणी ज़रूर दें...
http://i555.blogspot.com/2010/10/blog-post_04.html
आभार,मेरी रचना को स्थान देने के लिए ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर और सार्थक चर्चा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएं* बढ़िया लिंक्स सचमुच !
जवाब देंहटाएंbehad khoobsurat charcha vandana ji...badhai !
जवाब देंहटाएंथोड़े पढ़ लिए, थोड़े देख रहे है,
जवाब देंहटाएंजो ज्यादा पसंद आए,
उनका अनुसरण कर रहे है,
पिछली बार भी अनुसरण किया था,
पर आज तकरीबन पूरा नया माल है,
भयंकर सर्जन हो रहा है,
हिंदी ब्लॉग्गिंग भी कमाल है.
आपने बीड़ा उठाया है,
चर्चा की पूरी टीम,
बेमिसाल है ...
कवि कृष्ण बिहारी की लिंक खुलने में,
कुछ दिक्कत हो रही है,
उसे भी देख पाए तो,
आपका आभार है...
वंदना जी बहुत ही अच्छी चर्चा, नए नए और अच्छी अच्छी रचनाये पढने को मिली !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद !
Apke maadhyam se kuchh shreshth rachnaakaron kaa pata chalaa.
जवाब देंहटाएंJogindar singh, Arun chandra Roy aur Satish chandra Shrivastav kii rachnaayen kaafii achchhi lagin.
शुक्रिया अच्छे लिंक्स देने के लिए...कविताओं का चुनाव उत्कृष्ट है...काफी लिंक पढ़ लिए हैं..अभी कुछ शेश हैं...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सफल चर्चा रही.
बहुत अच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएं