शरद कोकास at शरद कोकास
14 अक्तूबर , नवरात्र के सातवें दिन आज प्रस्तुत है *ओड़िया की प्रसिद्ध रचनाकार प्रतिभा शतपथी *की यह कविता । प्रतिभा शतपथी का जन्म 1945 में हुआ और इनकी कविता व आलोचना की बारह से भी अधिक पुस्तकें प...
महेन्द्र मिश्र at समयचक्र
अभी दशहरा पर्व के दौरान रामलीला कार्यक्रम काफी जोर शोर से चल रहे हैं . जब जब दशहरा का पर्व आता है तो रामलीला में लक्ष्मण शक्ति के दौरान एक घटना ऐसी हुई थी की जिसे सोचकर बार बार मुस्कुरा लेता हूँ . करीब बीस...
अविनाश वाचस्पति at नुक्कड़
इसे ही हिन्दी ब्लॉगिंग कहते हैं क्या *इसमें उन सभी बातों और चित्रों से बचा गया है जिनका जिक्र अन्य पोस्टों में किया गया है। अगर आपने भी इस संबंध में कोई पोस्ट लिखी हो तो उसका लिंक अवश्य भेजें, उ...
रश्मि प्रभा... at वटवृक्ष
कहाँ होता है कोई भ्रम ? टूटता जाता है जब आदमी तो आँखों पर भ्रम की परतें खुद चढ़ा लेता है कभी ये रिश्ता कभी वो रिश्ता टूटने की भी हद होती है हद से जब गुजर जाते हैं हम सच पर ठहाके लगाता भ्रम आँखों से बहता है को...
Dr. O.P.Verma at भड़ास blog
सामग्रीः - गुलाबी बड़े प्याज 1 किलो - सिरका 5 कप - चीनी 2.5 कप - लौंग 5 - काली निर्च 25 - लाल मिर्च 1 - दालचीनी एक टुकड़ा - तेजपत्ता 2 विधिः पहले प्याज को छाल कर ...
अनुपमा पाठक at अनुशील
तोतली बोली का बयान क्या कहेगा कविता कोई मुझ सा अनजान! पर फिर भी, अगर सम्भावना नजर आती है मुझमें कविता के प्रस्फुटन की- आस दिख जाती है तो,ईश्वर कृपा से.. तुलसी मीरा के देश की यह बिटिया, किसी छंद में उतार ...
Raviratlami at रचनाकार
रावण [image: rawan] सालो-साल दशहरा आता पुतला झट बन जाए। बँधा हुआ रस्सी से रावण खड़ा-खड़ा मुस्काए। चाहे हो तो करे ख़ात्मा, राम कहाँ से आए। रूप राम का धरकर कोई, अग्निबाण चलाए। धू-धू करके राख हो गया, नक...
मनोज कुमार at मनोज
आंच-39 (समीक्षा) पर श्रीमती ज्ञानवती सक्सेना ‘किरण’ की कविता क्या जग का उद्धार न होगा! [image: IMG_0545] मनोज कुमार [image: image] [image: मेरा फोटो]*साधना वैद* जी एक संवेदनशील, भावुक और न्यायप्रिय ...
जीवन धारा हाउस... पर Jeevan Dhara
पाँच तोला मूली के पत्तों का अर्क निचोड़कर एक तोला मिश्री मिला लें और बासी मुंह पियें । यह पीलिया केलिए रामबाण औषधि है। इससे एक हफ्ते के अन्दर पीलिया रोग दूर ...समाज
अमाँ यार........ पर him
अमाँ यार........ पर him
सिटी स्टेशन और जुबिली कालेज के करीब में एक बहुत पुरानी दूकान है जहाँ खस्ते, छोले भटूरे और पूड़ी मिलती हैं। दूकान का कोई नाम नहीं है, दूकान के साथ दूकान मालिक ...कला
एक मर्म और मन का अल्प अँधेरा किसी कल्पना को जन्म देता है एक ऐसी कल्पना जो अभी निर्मल-नवीन है इस संसार से अछुती है समय के साथ वो कल्पना पलती रही विचारों के पालने ...समाज
एक सा दिल सबके पास होता है, फिर क्यों नहीं सब पर विश्वास होता है। इंसान चाहें कितना ही आम क्यों ना हो, वह किसी ना किसी के लिए ज़रूर खास होता है। ( A SMS from my friend) ...समाज
किनारे पर खड़े रह कर खुद को दरिया में ढूबते देखा उस लम्हे को भी किश्ती में बैठे देखा जो अभी अभी मेरे साथ किनारे पर खड़ा था ...समाज
विशेष नोट : यह हास्य कविता मुझे एक अन्य ब्लॉग hansgulle.blogspot.com पर मिली, पसंद आई, सो, आप लोगों के लिए यहां भी प्रस्तुत कर रहा हूं. किसी पाठक को यदि इसके रचयिता के बारे में ...समाज
वन्दना जी!
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में आपने बहुत अच्छे लिंक दिये हैं!
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दुर्गाष्टमी की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
हमेशा की तरह बहुत बढ़िया चर्चा ..काफी अच्छे लिंक मिलें.... आभार
जवाब देंहटाएंजय माँ भगवती ...
अच्छी चर्चा ,अच्छे लिक ,आभार ।
जवाब देंहटाएंmeri kavita ke link ke saath aap mera ya blog ka naam daalna bhool gaye shayad.
जवाब देंहटाएंदशहरा के अवसर पर 'सब के मन में बैठा रावण कौन जलाये' रचना सामयिक और अच्छी लगी.रचनाकार को इस सुन्दर रचना के लिए बधाई और वन्दना जी.आपको भी सुंदर पोस्ट चर्चा मंच पर लगाने के लिए धन्यवाद.एक रावण को मारने के लिए राम को जन्म लेना पड़ा था. अब तो रावण ही रावण नज़र आते हैं.राम का अता - पता नहीं. मेरा लिखा हुआ एक दोहा भी हाज़िर है:-
जवाब देंहटाएंराम तुम्हारी भी रही, लीला अपरम्पार.
एक दशानन मर गया ,पैदा हुए हज़ार.
कुँवर कुसुमेश
ब्लॉग: kunwarkusumesh.blogspot.com
वंदना जी,
जवाब देंहटाएंमहान साहित्यकारों के मधुबन में गुलाब के फूल की तरह खिला है मेरा प्याज का खट्टा मीठा आचार।
धन्यवाद और अभिनंदन।
उषा
vandana ji bahut khushi ho rahi hai aapko ek baar fir charcha karte dekh kar. samajh sakti hun bahut mehanat karni padti hai. bahut acchhe links leti hain aap.
जवाब देंहटाएंaabhar.
सुश्री वंदना जी,
जवाब देंहटाएंप्याज के आचार को महका दिया आपने। दशहरे पर मम्मी जी आपको खिलायेंगी विश्वप्रसिद्ध,स्वाद की खान और स्वास्थ्यवर्धक अलसी भोग लड्डू। आपको शुभकामनाएं।
नेहा सुमन
श्री दुर्गा अष्टमी और विजय दशमी के पवन पर्व पर आपको बहुत बहुत बधाई, तथा चर्चा मंच के सफल संचालन पर भी बधाई,आज के चर्चा मंच पर मेरे ब्लॉग को शामिल किया .आभार
जवाब देंहटाएंachhi charcha
जवाब देंहटाएंkafi impressive rahi aaj ki ye charhca, kai achhi post padhne ko mili, badhai
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स देने के लिए आभार ।
जवाब देंहटाएंमेरे चिट्ठे को शामिल करने का बहुत बहुत धन्यवाद..
जवाब देंहटाएंsundar charcha....
जवाब देंहटाएंdurgashtmi ki shubhkamnayen!!!!
वाह ..बहुत बढ़िया चर्चा ...आज देखती हूँ कितने लिंक्स पर जा पाउंगी .... :):)
जवाब देंहटाएंवन्दना जी! हमेशा की तरह बहुत बढ़िया चर्चा ..काफी अच्छे लिंक मिलें....आभार
जवाब देंहटाएंचर्चा में कई ऐसे लिंक थे जिनके बारे में पता न था। आपकी खोजी निगाह और निष्ठा को नमन!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
सर्वमंगलमंगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोsस्तु ते॥
महाअष्टमी के पावन अवसर पर आपको और आपके परिवार के सभी सदस्यों को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
स्वरोदय महिमा, “मनोज” पर!
क्या बात है ..बढ़िया चर्चा की है.काफी अन्पधे लिंक्स मिल गए.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा..काफी रोचक लिंक्स दिए..आभार
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर चर्चा, आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा
जवाब देंहटाएंरश्मि प्रभा जी की 'भ्रम'वाकई बहुत बढ़िया लगी !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद वंदना जी लिंक के लिए
वंदना जी आपका आभारी हूँ
जवाब देंहटाएंआपने मेरी रचना को चचा के योग्य समझा
अच्छे लिंक्स बढ़िया चर्चा. आभार
जवाब देंहटाएंइस बेहतरीन पोस्ट के लिए बधाई वन्दना जी और धन्यवाद मेरी पोस्ट से इस चर्चा की शुरुआत करने के लिए ।
जवाब देंहटाएंवाह वन्दना जी वाह
जवाब देंहटाएंइस चर्चा की तो
होनी चाहिए वंदना।
अब लीजिए बंदर से चैटिंग का मजा
खेलगांव में बंदर महाशय से चैटिंग
बहुत बढ़िया चर्चा ..काफी अच्छे लिंक मिलें.... आभार !
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा
जवाब देंहटाएंसार्थक चर्चा। वन्दना जी को बधाई।
जवाब देंहटाएंदुर्गा नवमी एवम दशहरा पर्व की हार्दिक बधाई एवम शुभकामनाएं.
जवाब देंहटाएंरामराम.
अच्छा लगे तो हमें भी शामिल कीजिये
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लेख आभार
हमारा भी ब्लॉग पड़े और मार्गदर्शन करे
http://blondmedia.blogspot.com/2010/10/blog-post_16.