चलिए जी देश का सबसे बड़ा एक निर्णय तो पूरा और मुकम्मल हुआ...राम मंदिर और बावरी मस्जिद का... लेकिन आजकल चर्चा मंच पर एक और मुद्दा जोरो पर है कि नए ब्लोगर्स को ज्यादा से ज्यादा मौका दिया जाए...और इसी उद्देश्य को सामने रखते हुए सभी चर्चाकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश भी करते रहे हैं. मैंने भी कोशिश की है...लेकिन उनके साथ साथ जो बहुत अच्छा लिखते हैं उन्हें हम कैसे नज़र-अंदाज़ कर सकते हैं. और इसी लिए कई बार वो हमारी चर्चाओं में बार बार पढ़ने को मिल जाते हैं...बाकि रह जाते हैं हमारे चर्चा मंच के सदस्य ....तो उन बिचारों ने क्या बिगाड़ा है किसी का जो उन्हें न लिया जाये ??? लाहोलविलाकुव्वत .....मैं तो कम से कम ऐसी घृष्टता नहीं कर सकती जी...सो कोई बुरा ना माने जी ....:):):) चलिए जी राम राम और आप अमन, चैन से पढ़िए आज कि चर्चाएं..चाहें तो फोटो पर क्लिक कर के पोस्ट तक जा सकते हैं... |
कुछ प्यारी प्यारी कविताएं... |
ये हैं जनोक्ति ब्लॉग की सदस्या शारदा मोंगा जी और अपनी कविता सृष्टि में नवगान होगा नीड का निर्माण होगा द्वारा एक नया आह्वान कर रही हैं...क्या नाश के दुःख से कभी निर्माण रुकता है ? “नव पलाश पलाश वनं पुरं स्फुट पराग परागत पंकजम” सुबह का आह्वान होगा नीड़ का निर्माण होगा |
लीजिए संगीता स्वरुप जी बता रही हैं कि विश्वास की नीव कितनी कमज़ोर है.. लीजिए पढ़िए इनकी नयी रचना विश्वास की ईंट .. जमी हुई नींव को फिर कितना ही सच का गारा लगाओ जम नहीं पाती | जानती हूँ जी आप चित्र से ही पहचान गए होंगे कि ये अरुण सी. राय जी हैं...लेकिन नए ब्लोगर्स को भी जानने का मौका मिले न कि ये कौन हैं और कितना अच्छा लिखते हैं... तो लीजिए जानिये.. टांग दिया है हल दो जोड़ी बैल थे अब नहीं रहे मेरे ही नहीं गाँव में किसी के भी नहीं रहे बैल |
ये फोटो फ्रेम किया गया है ऍम.वर्मा जी के ब्लॉग जज़्बात से लीजिए उनकी नयी रचना पढ़िए तुम नदी हो बहो बिना रूके, निरंतर ~ ~तुम नदी हो बहो बिना रूके, निरंतर देखना तारें तुम्हें सजायेंगे, किनारे खड़े पेड़ और आसमान का चाँद भी तुम्हारे विस्तृत अस्तित्व में डुबकी लगायेंगे |
आज हरदीप सिंधु जी की कविता पढ़िए पति-पत्नी के रिश्तों पर.. पति-पत्नी ....... जीवन के हैं दो पहिये जीवन को चलाने के लिए दोनों ही हमें चाहिए यह बात पति ने अब तक ना मानी ... पति है राजा...पत्नी रानी..ब्लॉगशब्दों का उजाला पर. | चलो आज एक नए ब्लॉग से आप सब का परिचय करवाते हैं.. इनकी एक पत्रिका भी है जिसमे आप सभी अपना योगदान दे सकते हैं...सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस लिंक पर जाइये..दीपक भारतदीप की अभिव्यक्ति पत्रिकायह अव्यवसायिक ब्लॉग/पत्रिका है तथा इसमें लेखक की मौलिक एवं स्वरचित रचनाएं प्रकाशित है. इसकी नयी रचना पढ़िए..भक्तों के लिये भोले हैं राम-हिन्दी कविता (bhakton ke liye bhole hain ram-hindi poem)दिल में नहीं था कहींपर जुबान से लेते रहे राम का नाम, बनाते रहे अपने काम, बरसती रही उन पर रोज़ माया, फिर भी चैन नहीं आया, कुछ लोग मतलब से पास आते हैं, निकलते ही दूर चले जाते हैं, राम का नाम बेचने में उनको आता है मज़ा, |
ये हैं एस.एम.हबीब जी की पोस्ट जो सबसे पहले समस्त सम्माननीय सुधि मित्रों को सादर नमस्कार करते हुए बता रहे हैं कि कुछ अवकाश के पश्चात एक ग़ज़ल... एक अपील के रूप में, बिना किसी भूमिका के यह पोस्ट हिंद के आवाम को नज्र करता हूँ... मुल्क अपना अच्छा, सारे जहाँ से जिस्म को इसके न फिरकाई कोढ़ दें। गलत राह दिखाए जो सबको 'हबीब', ऐसे वाईज की क्यों न गर्दन ही मरोड़ दें "शाम यहाँ ना घबराती आये... |
नीता झा जी के ब्लॉग बोलते अक्षर पर पढ़िए उड़ान मैंने आसमान में कुछ पतंगें उड़ाई हैं.उन्हें खुल कर उड़ने को पूरा गगन दिया.जितनी जरुरत थी उतनी ही ढील दी. चाँद-सूरज को छू लेने की आस लिए पतंगे अपनी मंजिलों की और भाग रहीं थीं | लीजिए पढ़िए हमारी एक नयी ब्लोगर मोनाली जोहरी की नयी कविता उसे बख्श देना. इनके ब्लॉग मन के झरोखे से... » पर..मैं तुम पर बिगडा करती हूं कि... मेरी किस्मत में उसका नाम नहीं लिखा कि उसका हाथ मेरे हाथों में नहीं दिया कि उसकी सांसों से मेरे जीवन की डोर नहीं बांधी कि उसका साथ मुझे नहीं बख्शा |
उषा हँसती, किरण जगती ज्योति से जग जगमगाता , क्षितिज तट का शून्य अंतर पर न कोई मिटा पाता , है क्षणिक द्युति, शून्य शाश्वत, जान पाई आज मैं सखी ! पंथ का कर व्यर्थ अर्चन हार बैठी आज मैं सखी ! |
ये ब्लॉग है चिंतन मेरे मन का... जिस पर प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल जी बता रहे हैं पानी की कीमत... जानते है की जल से एक तिहाई दुनिया आच्छादित है जानते है की जल एक रासायनिक पदार्थ है पानी की तीन अवस्थाये कभी द्रव्य,कभी ठोस या कभी गैस है जल आसमां से भी बरसता है नदी में सागर में और महासागर में भी है पानी खारा भी है मीठा भी है बस जल का चक्र घूमता है जीवन में पानी | वंदना जी की हंसी पर मत जाइए...इन्होने कोई हँसने वाली कविता नहीं लिखी...ये बहुत गंभीर लेखन करती हैं ...चलिए पढते हैं आज इनकी एक और गंभीर कविता.. तुम्हारे मन में बसी वो जीती -जागती प्रतिमा जिसकी रौशनी से रोशन तुम्हारे दिल का हर कोना कैसे इतने सारे भीगे मौसमों में से अपना मौसम ढूँढ पाओगे कुछ तो निशाँ पड़े होंगे ..................... |
अब हैं कुछ ताज़ा-तरीन लेख...आपके लिए.. |
लेखों को सबसे पहले शुरू करते हैं इतिहास-मध्यकालीन भारत - धार्मिक सहनशीलता का काल(१)...से ..बता रहे हैं राजभाषा हिंदी पर मनोज कुमार जी ... चौदहवीं तथा पंद्रहवीं शताब्दी में आस्था एवं भक्ति के मध्य से व्यापक आंदोलन की एक ऐसी बलवती धारा फूटी जिसने वर्ण-व्यवस्था पर आधारित समाज, कट्टरता और रूढ़िवादिता पर आधारित धर्मान्धता को चुनौती दी... | आज मनोज ब्लॉग पर देखिये आचार्य परशुराम राय द्वारा अनुपमा पाठक जी की रचना “जड़ों में ही तो ............ प्राण बसा है” की समीक्षा की गयी है. गीत की भावभूमि विषम परिस्थितियों में सृजन की आस्था है। वैसे भी सृजन पीड़ा के गर्भ से ही सम्भव होता है। पीड़ा सृजन की आवश्यकता है। आगे पढ़िए..आँच-37चक्रव्यूह से आगे.. |
लीजिए चलते हैं आज के ताज़ा मुद्दे पर जिस पर अभी भी लोगों के अपने अपने विचार हैं...यहाँ हमारे साथ हैं छत्तीसगढ़ के पत्रकार पंकज झा जी जो राम जन्म भूमि - बावरी मस्जिद पर अपना वक्तव्य दे रहे हैं...रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद: ना तुम हारे ना हम जीतेमोटे तौर पर न्यायिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक प्राणाली में मूलभूत अंतर भी यही है कि जहां कोर्ट से हमेशा दो टुक फैसले सुनाने की अपेक्षा की जाती हैं वही सामान्यतया ‘लोकतंत्र’ सबको खुश करने की बात करता है. देखा जाय तो उच्च न्यायालय के इस फैसले से इतना तो साबित हो ही गया है कि हिंदू पक्ष का दावा सही था कि सम्बंधित भूमि पर रामलला का अधिकार है. देश के समक्ष उत्पन्न अन्य समस्या, वैश्वीकरण के बाद युवाओं के समक्ष उत्पन्न अन्य चुनौतियां मंदिर और मस्जिद से ज्यादे महत्त्व रखता है. लेकिन चुकि यह मामला काफी महत्त्वपूर्ण हो ही गया है तो अब यही निवेदन किया जा सकता है कि सभी पक्ष इस बार बदली हुई परिस्थिति में सौजन्यता और सद्भाव दिखायें. इस तरह कोई हारेगा नहीं बल्कि देश जीतेगा. |
पढ़िए सम्वेदना के स्वर » पर सालिल जी का नया लेख... राष्ट्रमंडल खेलों पर अब बिफरा – सर्वोच्च न्यायालय“इस देश में काम हुए बिना ही भुगतान कर दिया जाता है। नवनिर्मित पुल ताश के पत्तों की तरह ढह गया। 70 हजार करोड़ रुपये की बात है। देश में इतना भ्रष्ट्राचार है। हम आंख मूदं कर नहीं बैठ सकते।“ | ये हैं ओ.पी.पाल जी जो अमर उजाला, दैनिक जागरण, शाह टाईम्स के बाद नवम्बर २००८ से हरि भूमि ब्यूरो कार्यालय नई दिल्ली में अपनी सेवाएं दे रहे हैं... इनका लेख पढ़िए...ये बता रहे हैं..राष्ट्रमंडल: गवाह नहीं बन पाएंगे कई सितारे ऐसे ही कई सितारे दिल्ली में होने वाले 19वें राष्ट्रमंडल खेलों में नजर नहीं आएंगे या यूं कहें कि दर्शक इन सितारों के प्रदर्शन से वंचित रहेंगे। इनमें भारत के ही एथेंस ओलंपिक में राइफल के सटीक निशाना लगाकर रजत पदक हासिल करने वाले राज्यवर्धन राठौड़ भी शामिल हैं। |
सतीश सक्सेना जी बाँट रहे हैं अपने मन के भाव कुछ यूँ ...आपके साथ.. मैं न पंडित, न राजपूत, न शेख सिर्फ इन्सान हूँ मैं, सहमा हूँ - सतीश सक्सेना आज के माहौल में कुछ लिखने का मन नहीं हो रहा है , समझ नहीं आ रहा कि अपने ही घर में क्यों चेतावनी प्रसारित की जा रही है ! बेहद तकलीफदेह है यह महसूस करना कि इसी देश की संतानों को आपस में ही, एक दूसरे से ही खतरा है ! शायद हमारे इतिहास को कलंकित करने वाले कारणों में से सबसे बड़ा कारण यही है और साथ में पेश करते हैं भाई सरवत जमाल साहब की ग़ज़ल की कुछ पंक्तियाँ... जब मैं सहरा था, तब ही बेहतर था आज दरिया हूँ और प्यासा हूँ जबकि सुकरात भी नहीं हूँ मैं फिर भी हर रोज़ जहर पीता हूँ |
जरुरत है जरुरत है कबीर की जी हाँ यही टाईटल है एक लेख का जो है ब्लॉग स्वार्थ पर...जिसे लिखते हैं राजेश जी.कबीर ने अपने जीवन से और अपने ज्ञान से बखूबी सिद्ध किया है कि धार्मिक होने का, अध्यात्मिक होने का धर्म के पाखंड के सामने दंडवत होने से कोई सम्बंध नहीं है। एक व्यक्ति पूरी तरह धार्मिक और अध्यात्मिक हो सकता है और वह जीवन भर मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा और सिनेगॉग आदि से पीठ करे रह सकता है।कबीर कटाक्ष करते हैं हिन्दू और इस्लाम धर्म के स्वयंभू ठेकेदारों पर। न जाने तेरा साहब कैसा?आधुनिक दौर में कबीर जैसे ही किसी अस्तित्व की जरुरत है | ये फोटो है ब्लॉग कल्किआन से...और विश्व मोहन तिवारी जी बता रहे हैं इंसान की ताकत ... मानव रचेगा ईश्वर से बेहतर संसारअगर हम गौर से देखें तो मानव ने, चाहे युद्ध किये हों, कमजोरों का शोषण किया हो, प्रकृति में प्रदूषण फ़ैलाया हो, किंतु बिजली, एंजिन, कम्पूटर और दवाओं आदि आदि के द्वारा यह संसार अधिक सुविधाप्रद तो बनाया ही है। उसने चाहे सुख न बढ़ाया हो, सुविधाएं तो बढ़ाई हैं। आज ऊर्जा कोयल तेल आदि से और अब वनस्पति से पैदा की जा रही है। इन तीनों में वैश्विक तापन वाली और प्रदूषण वाली समस्याएं हैं। सौर , पवन तथा लहरें आदि गैरपारम्परिक ऊर्जा के स्रोत भी भोगवादी विश्व की बढ़ती मांग को पूरा करने में छोटे पड़ते हैं। पत्तियां जिस प्रणाली से सौर ऊर्जा को शर्करा में बदलती हैं, उनसे भी शिक्षा ली जा रही है, किन्तु समस्या के संतोषजनक हल नजर नहीं आते। और भी कई रोचक नए नए वैज्ञानिक आविश्कारों की बात लिख रहे हैं ...आगे पढ़िए.. http://www.hindi. kalkion.com /news/343 |
पढ़िए कुमार राधा रमण जी का स्वास्थ्य से सम्बंधित एक जागरूक करता लेख... जीवन चलने का नामसुबह सैर पर आने वाले लोगों पर किए गए एक सर्वे से सामने आया कि सैर पर आने वालों में ४० वर्ष से कम उम्र के केवल ३० प्रतिशत लोग ही हैं और इनमें से सैर पर आने वाले पुरुषों का प्रतिशत मात्र २५ ही है। जाहिर-सी बात है कि इसीलिए आज ४० वर्ष से कम उम्र में ही कई लोग हृदयाघात का शिकार हो रहे हैं। और ४० ही क्यों, ३० से भी कम उम्र के युवा दिल के रोगों का शिकार हो रहे हैं यानी अपने जीवन के तीसरे दशक में ही कई युवा शहरी पेशेवरों की हृदय धमनियाँ बंद पड़ रही हैं। |
ये हैं शेष नारायण बंछोर जो एक दिलचस्प कहानी लिख रहे हैं...आप भी पढ़े.. एक जंगल था । गाय, घोड़ा, गधा और बकरी वहाँ चरने आते थे । उन चारों में मित्रता हो गई । वे चरते-चरते आपस में कहानियाँ कहा करते थे । पेड़ के नीचे एक खरगोश का घर था । एक दिन उसने उन चारों की मित्रता देखी । खरगोश पास जाकर कहने लगा - "तुम लोग मुझे भी मित्र बना लो ।"उन्होंने कहा - "अच्छा ।" तब खरगोश बहुत प्रसन्न हुआ । खरगोश हर रोज़ उनके पास आकर बैठ जाता । कहानियाँ सुनकर वह भी मन बहलाया करता था । श्रीजन... पर शेष नारायण बंछोर की कहानी | ये हैं रतलाम, मध्य प्रदेश से विष्णु बैरागी जी और ये एक किस्सा सुना रहे हैं उस काव्य गोष्ठी का जब इन लेखकों को औचुक आग्रह कर निमंत्रण देकर बुलाया गया और अधिकांश वक्ताओं ने जन्म दिन को पुण्य तिथि मे बदल कर भगतसिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।.. एक रचनाकार ने कहा कि हिन्दू पिटता है तो कोई नहीं आता और मुसलमान पिटता है तो बीसियों लोग जुट जाते हैं। आगे उन्होंने कहा - इसीलिए भगतसिंह ने कहा था कि हम सबने एक होकर रहना चाहिए। दूसरे विद्वान् ने कहा कि भगतसिंह होते तो देश को आज अयोध्या प्रकरण नहीं झेलना पड़ता और राम मन्दिर कब का बन चुका होता। भगतसिंह! अच्छा हुआ कि ज्यादा नहीं जीए |
अब दीजिए इजाजत अनामिका को ...और कोई सुझाव हमारे लिए हो तो अवश्य दीजिए ...इंतज़ार रहेगा आपके सुझावों का और आपकी टिप्पणियों का... सबको राम राम.... अनामिका |
अच्छी चर्चा।
जवाब देंहटाएंआभार हमारे ब्लॉग को मंच पर स्थान देने के लिए।
अच्छी चर्चा..!
जवाब देंहटाएंBahin ji...
जवाब देंहटाएं'na tum haare na ham jeete' maane kauno result nahi hua...
lekin charcha dhamaal hua..aur paisa asool hua..
haan nahi to..!!
सुन्दर और संतुलित चर्चा. बेहतरीन कविताओं और लेखों के लिंक्स. आपकी मेहनत परिलक्षित होती है. सुन्दर अन्दाज और प्रस्तुति का मनोरम अन्दाज.
जवाब देंहटाएंसबसे पहले आपका शुक्रिया करना चाहती हूँ ..आपने मेरे ब्लॉग को चर्चामंच पर स्थान दिया।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा ...इस मंच पर बहुत सी अच्छी रचनाएँ पढ़ने को मिली ।
आपकी मेहनत का फल हमने भी चख लिया ।
कृपया मेरे नाम 'हरदीप संधु' लिख दिजिएगा ।
आभार !!
बहुत बढ़िया चर्चा!
जवाब देंहटाएंराम जन्मभूमि का मुद्दा संवेदनशील है। इससे जुड़ी सम्यक पोस्ट का चयन कर आपने अपनी बुद्धिमत्ता का ही नहीं,खुद के सजग नागरिक होने का भी परिचय दिया है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा अनामिकाजी ! 'उन्मना' को इसमें सम्मिलित करने के लिये आभारी हूँ ! आपके द्वारा चयनित अन्य सभी लिंक्स भी बहुमूल्य होंगे और मेरा प्रयत्न होगा कि सभी लिंक्स पर अवश्य पहुँचूँ ! धन्यवाद एवं आभार !
जवाब देंहटाएंअनामिका जी।
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर आपका श्रम स्तुत्य और अनुकरणीय है।
धन्यवाद अनामिका जी !
जवाब देंहटाएंब्लाग जगत के बेहतरीन लेखों का परिचय, खूबसूरत चित्रों और मनभावन शैली में करना कितना श्रमसाध्य कार्य है आपकी इस पोस्ट को देख कर समझा जा सकता है ! इतने खूबसूरत लेखों में आपने मेरी पोस्ट को स्थान दिया, इसके लिए आभारी हूँ ! हार्दिक शुभकामनायें !
शुक्रिया अनामिका जी "मेरा चिंतन" को शामिल करने के लिये और मित्रो के ब्लाग और रचनाओ से भी रुबरु हुआ। चलिये चर्चा कितनी हुई या कैसी हुई ये तो वक्त बतायेगा लेकिन कुछ जान पहचान हुई लेखो से और लेखको से, कविताओ से और कवियो से....
जवाब देंहटाएंअच्छा प्रयास है एक दूसरे को जानने का उनके भावो से आमना सामना करने का।
अनामिका जी,
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर , सुगठित और सार्थक चर्चा की है और यही आपकी विशेषता है……………॥काफ़ी लिंक्स मिले………………आभार्।
बहुत शानदार और जानदार चर्चा !
जवाब देंहटाएंबधाई !
एक से बढकर एक रहे सारे लिंक्स .. बहुत अच्छी चर्चा की आपने!!
जवाब देंहटाएंअभार आपका। इतनी सरसता, रोचकता, और मेहन्त से प्रस्तुतु की गई इस चर्चा का जवाब नहीं। रंगबिरंगे इस मंच पर लाकर राजभाषा को सम्मानित करने के लिए आप्को धन्यवाद। बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंबदलते परिवेश में अनुवादकों की भूमिका, मनोज कुमार,की प्रस्तुति राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
बहुत कलात्मकता से सजाई अच्छी चर्चा ....सुरुचि पूर्ण चिट्ठों का चुनाव किया है ...सार्थक और सुन्दर चर्चा के लिए आभार
जवाब देंहटाएंvaividhya liye hue santulit charcha. kai naye bloggers ko padhne ka mauka mila. is charcha ka vishesh aakarshan "Taang diya hai", "tum nadi ho", "Haar baithi aaj main sakhi" rahe. shubhkamna
जवाब देंहटाएंअनामिका जी,
जवाब देंहटाएंधन्यवाद।
आप संकलन करती जायेंगी और पाठक पढ़ते जायेंगे। सिलसिला अच्छा चल रहा है।
शुभकामनायें
अच्छी चर्चा.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनामिकाजी,
जवाब देंहटाएंमेरे गीत को प्यारी कविता की श्रेणी के लिए उपयुक्त समझा तथा चर्चामंच पर स्थान दिया।
शुभकामनायें !
@Anamika ji: Charcha manch aapne bahut badhiya sajaya hai.charcha manch par aanch ko lene ke liye aapko hardik sadhuwaad
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा ....
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !
सुंदर चर्चा ... बहुत से नये लिंक हैं ....
जवाब देंहटाएंmeri pahli udan ko aapke manch ka thos dhratal mil gya ,mere liye ye saubhagya ki bat hai .
जवाब देंहटाएंvichar manch par aa kar aur logon ki rachnaon se bhi parichit hui ,achha laga
mera aabhar swikar karen .
अनामिका जी, सादर नमस्कार, आपको बधाई इस बहुत ही खुबसूरत चर्चा के लिए. मेरे ब्लॉग में आकर और बहुत ही अच्छे लिंक्स से सजी लाजवाब चर्चा में इस नाचीज की पोस्ट को शामिल कर, सम्मान बढ़ाकर मेरी हौसलाफजाई के लिए तहे दिल से बहुत शुक्रिया. आभार.
जवाब देंहटाएंचर्चा के माध्यम से कई नयी पोस्ट पढ़ने को मिली, बेहद परिश्रम से बनायी गयी पोस्ट के लिए शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंबेहतर संकलन..अच्छा सन्योजन..बेहतरीन लेख और कविताएँ...आभार हमें स्थान देने का!!
जवाब देंहटाएंसभी महत्वपूर्न पोस्ट को समेट लिया है बधाई
जवाब देंहटाएंदरअसल इस तरह की चर्चाऐं ब्लाग को एक बड़ी पत्रिका का रूप देती हैं, बशर्ते रचनाओं के चयन में सावधानी, निष्पक्षता तथा सदाशयता बरती जाये। आपके प्रयास सराहनीय हैं।
जवाब देंहटाएंदीपक भारतदीप
चर्चा मंच में बेहतरीन कविताओं का संग्रहण .आभार
जवाब देंहटाएंअनामिका जी काफी अच्छे लिंक दियें है आपने सब एक से बढ़कर एक धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंपर एक ब्लॉग "शाम यहाँ ना घबराती आये.
पे लगा भारत का नक्शा खंडित है
कई अच्छे लिंक्स मिले ...
जवाब देंहटाएंशानदार जानदार ....
आभार ..!