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बुधवार, अक्टूबर 06, 2010

“संधि-विच्छेदःचर्चा मंच-298” (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री “मयंक”)

मित्रों!
आज बुधवार है! 
विगत सप्ताहों की भाँति आपके अवलोकनार्थ 
अपनी नजर से गुजरे कुछ ब्लॉगों को प्रस्तुत कर रहा हूँ!
मेरी नजर अनायास ही इस ब्लॉग पर पड़ी आप भी देखिए-

अब मेरी नजर गई इस पोस्ट पर! पढ़कर शायद आपको भी अच्छा लगेगा- ब्लॉगजगत, 
अब देखिए यह मजेदार कार्टून!
कार्टून : देसी खेल ...देसी प्रतिभाएं !!!
मनोज पर मनोज जी लेकर आये हैं 
यह कथा!
महात्मा गांधी को यहाँ भी लोग मानते हैं!

Gandhi Smriti
सुमन भी आपसे प्रतिदान में कुछ चाहता है-
जरा इस पोस्ट पर भी दृष्टिपात कर लीजिए!


ज़िन्दगी बख्शी खुदा ने माना के "नीरज" हमें 
पर लगा हमको कि जैसे खीर में कंकर दिए
मेरे मन की में आज शेयर कीजिए प्रियवर वत्सल का जन्मदिन!

पढ़ने के लिए दोनों बच्चे घर से दूर चले गए है, फ़ोन पर बातें होती रहती ...

अलाव जलाने को कहकर 
'प्रतिकार' का स्वर लिये वह गया था अन्दर, और फिर स्वीकार का स्वर लेकर बाहर आया; अलाव जल नहीं पाई तब तक 
लकड़ियाँ सिली हुई थी. 
नव गीत की पाठशाला में पढ़िए -
डॉ.सुभाष राय का यह नवगीत 
में आज है एक प्रश्न (?)


जज़्बात में लिखा है-
धुप्प अन्धेरा भागते हुए लोग; मुट्ठी भर दिवास्वप्न लिये सारी-सारी रात जागते हुए लोग, बियाबाँ से गुजरे तो महफिल में ठहरे;…..
कहीं मंदिर में घंटी बाजे, कहीं अजान सुनाती है, पाँच बजे पौ फटते ही, वो पानी भरने जाती है,…
सहा न उससे झूठ गया। * 
*प्यारा भइया रूठ गया।।
रहता भावना के समुद्र में , 
जीता स्वप्नों की दुनिया में , 
गोते लगाता , ऊपर नीचे विचारों में
जी हाँ यह जीव है- कवि
मैं तो बधाई दे ही रहा हूँ ,
आप भी बधाई देना न भूलें!

एक कार्टून यह भी तो है-


कह रहे हैं-
:कबाड़खाना पर देखिए-
स्वप्नलोक बता रहे हैं कि-
अजन्मी बिटिया के मन की पुकार
को हम सबको सुना रही हैं।
अनहद नाद... पर पढ़िए-
केदारनाथ अग्रवाल की एक कविता
मारा गया लूमर लठैत पुलिस की गोली से किया था उसने कतल उसे मिली मौत ....
रतन सिंह शेखावत दे रहे हैं-
पढ़िए - 
पराया देश खबरदार कर रहा है-मिट्ठी मिट्ठी बाते ओर मिट्ठा बोलने वालो से बच के रे बाबा.
Unmanaa में देखिए-
दुखी जीवन की कहानी !
यह अभावों की लपट में जल चुका जो वह नगर है, बेकसी ने जिसे घेरा, हाय यह वह भग्न घर है,
और अब अन्त में 
खुशखबरी यह है कि
चिट्ठाजगत
 "चिट्ठा जगत" लौट आया है!

15 टिप्‍पणियां:

  1. मयंक जी बहुत ही अच्छी चर्चा रही...... आपने अलग अलग तरह के ब्लोग्स के लिंक
    उपलब्ध करवाए...... आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. चर्चा हर बार की तरह बहुत अच्छी और नयापन लियेहुए |बधाई और आभार |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  3. आदरणीय मयंक जी आपने चर्चा-मंच की जो महफ़िल सजाई है उसके कंटेन्ट्स तो ख़ूबसूरत और ग्यान वर्धक तो हैं ही, साथ ही उसका कलेवर लाजवाब है। मुबरकबाद के साथ शुक्रिया।

    जवाब देंहटाएं
  4. अच्छी चर्चा ...
    चिट्ठाजगत के लौट आने के बधाई ...!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही अच्छी चर्चा !
    अच्छे लिनक्स मिले, धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  6. चर्चा हर बार की तरह बहुत अच्छी ...
    धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर चर्चा लगाई है………………काफ़ी लिंक्स मिले हैं ………………आभार्।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत अच्छी चर्चा शास्त्री जी कई महत्वपूर्ण लिंक्स को समेटे ! आपका आभार एवं धन्यवाद !

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सार्थक चर्चा ...अच्छे लिंक्स मिले ..आभार

    जवाब देंहटाएं
  10. मोतियों की सी ठसाठस जमी हुई लगी आज की समीक्षा. आभार.

    जवाब देंहटाएं

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