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शुक्रवार, अक्टूबर 29, 2010

"अब लड्डू खाने जाते है !" (चर्चा मंच-322)

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प्यारे बच्चो ,  सम्मानित ब्लोगर्स और  आगंतुक साहित्य प्रेमियों,

                 यूं तो बचपन में काफी चर्चापरिचर्चाओं  में भाग लिया किन्तु  ये चर्चा तो काफी जिम्मेदारी लिए हुवे है | अतः  शांति  बनाये  रखें | चर्चा में भाग लें और और चर्चा का रसास्वादन करें | सर्वप्रथम आपके हमारे चरण इस चर्चा मंच में पड़े  है | इस पदार्पण के लिए आप सभी का स्वागत करते हुवे , कामना करती हूँ  कि आपका हमारा पदार्पण इस मंच में शुभ हो मंगल हो, इस स्वागत गीत के साथ-  
सुस्वागतम  - लिंक में जाएँ -->
=============================================== और स्कूल में ‘‘स्वागत-गीत’’गाने के लिए छोटे बच्चो को बुलाया जाता है तो हमारे छोटे बच्चे  इस चर्चा मंच में कौन सा गीत गा रहे है.. 

बच्चो का गीत बहुत सुन्दर लगा ..कहिये आप को कैसा लगा?
बच्चो अब जरा मंच से उतर कर अपनी अपनी स्थान पे आराम से बैठ जाओ |
श्ह्ह्हह्ह्ह्ह शोर नहीं शोर नहीं --
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आज  मंच पर सबसे पहले भारत के प्रथम हिंदी के ड़ी लिट, साहित्यकार, शोधकर्ता स्व.डॉ पीताम्बरदत्त  बडथ्वाल  जी को याद करते हुवे हिंदी के लेखककवि यु.ए.ई से श्री प्रतिबिम्ब  बडथ्वाल  जी डॉ  पीताम्बरदत्त जी पर  कविता के द्वारे क्या कहते है - देखिये  डॉ० पीतांम्बरदत्त बड़थ्वाल की पुण्यतिथि के अवसर पर .. इस महान हिंदी के शोधकर्ता को याद करते हुवे आगे की चर्चा की  प्रक्रिया जारी करती हूँ.. 
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अब आपके सम्मुख आ रहे है सदूर हिमालय की घाटियों, देवभूमि से जोशीमठ से एक मौन रचनाकार श्रीप्रकाश जी, जो चुपचाप लिखते है ...जरा देखें किस तरह से  ये प्रेम और अध्यात्म को जोड़ते है..इनका दर्शन क्या कहता है| किस तरह  नव यौवन ..  आत्मा जीवन की डूबती सांझ की बेला का इन्तजार कर रही है जब वो परमात्मा से मिल जाएगी .
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अब हमारे सामने आ रही है " अपर्णा मनोज भटनागर " जी की कविता | अपर्णा जी   अहमदाबाद से हैं  और बहुत मृदुल है इनकी  लेखनी  | इनकी लेखनी का आनंद लीजिये |पोस्ट ली गयी है शब्दाकार ब्लॉग से |.

अपर्णा की कविता -- भारतीय दीवारें  |

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अब आपके सम्मुख ....  इक पर्दा लगाया आज तेरी यादों को ओट में रखने को जब जी चाहे चली आती थीं और हर ज़ख्म को ताज़ा कर जाती थीं मगर बेरहम हवा ने यादो का ही साथ दिया जैसे ही ....पर्दा हटा दिया......... वंदना जी की ये सुन्दर कविता  |
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गुजरात के जानेमाने कविवर श्री पंकज त्रिवेदी जी भी है यहाँ पर विश्वगाथा  से हैं  वो जीवनदर्शन में नकारात्मक विचारो के सामने सकारात्मक विचारो को रखते है और कहतें है निराशा-आशा  .. आशा ही जीवन है .. और निराशा की काट - सो जीवन मे आशान्वित रहीये  और जीवन को सार्थक बनायें |
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अरे मैडम आप उस तरफ कहाँ  देख रही है ?.. जी हाँ मे अनुपमा पाठक जी से ही कह रही हूँ.. आप आइये ऊपर मंच में .. आप उस दिन कुछ समुद्र अस्तित्व पर बात कर रहीं थी .. तो हो जाये एक कविता  इंसानियत का आत्मकथ्य!
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अब हमारे बीच आ रहे है, इलाहाबाद से आये जय कृष्ण राय तुषार जी| हाल ही में जो करवाचौथ था उस पर आप दो  भावभीनी कविता  ग़ज़ल कह रहे हैं ..दो रचनाएं : सन्दर्भ - करवा चौथ
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अब हमारे बीच हैं शन्नो अग्रवाल  जी, जो रहती तो है इंग्लैंड पर सदा भारत की याद और भारत का गाँव उनके ह्रदय में रचा बसा हुवा है ..उनकी कलम बहुत ही सुन्दर लेख और कवितायेँ लिखती है भारत की आम समस्या पे... उनकी एक कविता 

दूर घाटी में,-- ओस

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टेलीविजन का रिमोट जब हाथ में होता है तो अक्सर ही डिस्कवरी या नेशनल जियोग्राफिक देखने के लिये सास-बहू चैनलों से आगे पीछे जाने के लिये बटन दबाना पड़ जाते हैं..
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 व्यर्थ हृदय में ज्वार उमड़ता व्यर्थ नयन भर-भर आते हैं, पागल तुझको देख सिसकता पत्थर दिल मुसका जाते हैं ! युग-युग की प्यासी यह संसृति पिये करोड़ों आँसू बैठी,...हृदय का ज्वार 
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कछु समय पहिले ये लेखा कछु देखे कछु कभी न देखा समय बहुत कम है मम पासा पुरानी पोस्ट छापूँ देऊ झांसा :):) श्री ब्लाग जगत के कल्याण करू निज मन करू सुधारि.....त्रिदेव ........ -
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कागज के नोट तो हम सभी ने देखे होंगे, पर प्लास्टिक के नोट मात्र खिलौनों के रूप में ही देखे होंगे। आज मंच पर यह भी दिखा देते हैं 
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छुड़ाते रहे ताउम्र मगर दाग अभी बाकी है 
मुतमईन होकर न बैठो आग अभी बाकी है  
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बचपन से ही मैं बाँये हाथ से लिखता था. लिखने से पहले ही खाना खाना सीख गया था, और खाता भी बांये हाथ से ही था. ऐसा भी नहीं था कि मुझे खाना और लिखना सिखाया है.--
लबड़हत्था में पढ़िए यह सब कुछ!

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गधा सम्मेलन के सफ़लता पूर्वक समापन पर गाल बजा बजा कर गाल दुखने लगे और सभी गधे अपने अपने धामों पर पहुँच कर अपने अपने हिसाब से तफरीह की रिपोर्ट पेश करने लगे,...
देखि्ए यह मजेदार व्यंग्य!---घाघों के घाघ ’महाघाघ ऑफ ब्लॉगजगत’ 
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माँ की गोद, पापा के कंधे; आज याद आते हैं, बचपन के वो लम्हे. रोते हुए सो जाना, खुद से बातें करते हुए खो जाना. वो माँ का आवाज लगाना, और खाना अपने हाथों से.....
यही तो हैं...बचपन. !
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अब मैं चर्चा का समापन करने जा रही हूँ | लाउडस्पीकर क़ी आवाज सही  कर दीजिये हम  हिंदी की कविताओं  और लेख की चर्चा कर रहे है |  हमें अपनी हिंदी और हिंदुस्तान से प्रेम जरूर है |  आज में चर्चा का समापन स्मार्ट  इंडियन  अनुराग जी की इस गाने के साथ कर रही हूँ जिसमे  देशभक्ति का गीत झंडा ऊँचा रहे हमारा विशेष  अंदाज में है, आप भी गाने का मजा लीजियेगा विजयी विश्व तिरंगा प्यारा, झंडा ऊँचा रहे हमारा और  देश के गौरव और सम्मान के लिए अपने नागरिक कर्तव्यों  का निर्वाह करें |
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और आप सब जाते जाते मुंह मीठा  करते जाइएगा, देखिये डॉ रूपचन्द्र शास्त्री जी ने सभी के लिए मिठाई का इंतजाम  किया  है क्यूंकि लड्डू सबके मन को भाते : डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक" की शिशुकविता अतः आप सभी लड्डू पार्टी का भी आनंद लीजियेगा | बच्चा लोग जरा पंक्ति से जाने का है.. कोई छिना झपटी नहीं स्टोक काफी बड़ा है.. पोस्ट विकल्प और सभी बड़े और बच्चे मीठी मीठी चर्चा कीजियेगा आज क़ी चर्चा पर ..हम भी अब लड्डू खाने जाते है - बाय

परम आदरणीय स्नेही  मित्रों - मै चर्चामंच  को पूर्णतया सुसज्जित नहीं कर पाई आशा करती हूँ आप सभी इस मंच को अपने स्नेह से सुसज्जित करेंगे और मेरा मार्गदर्शन करेंगे |  
डॉ नूतन गैरोला

26 टिप्‍पणियां:

  1. Nutan, sabhi blogs ko padhkar aanand aaya. bade parishram se aapne ye guldasta sajaaya hai. charcha manch se naye blogs barabar padhne ko mite hain.. ye ek achchha madhyam hai ..
    Nutan aapko dher saari badhai!

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  2. नूतन जी.... बडी सुंदर लगी आपके द्वारा प्रस्तुत यह चर्चा.....आभार

    जवाब देंहटाएं
  3. विविधता लिए हुए आपकी पोस्टें अच्छी लगीं.

    कुँवर कुसुमेश
    blog:kunwarkusumesh.blogspot.com

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  4. चुन-चुन कर लिंक्स लगाए हैं आपने...धन्यवाद।

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  5. डा० नूतन जी ,
    चर्चामंच पर आपका स्वागत है ...सभी दिए हुए लिंक्स पर जाना हुआ ..बहुत सी रचनाएँ और ब्लोग्स की जानकारी मिली ...आभार ..

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  6. सुन्दर और साफ-सुथरी चर्चा!
    --
    डॉ. नूतन गैरौला जी का चर्चा मंच की सदस्या के रूप में स्वागत और हार्दिक अभिनन्दन!
    साथ में आभार भी कि आपने अपनी व्यस्ततम दिनचर्या में से चर्चा करने के लिए समय निकाला!

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  7. नूतन जी
    सबसे पहले तो चर्चा मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है…………आपने बहुत ही सुन्दरता और नये अन्दाज़ मे चर्चा मंच सजाया है जो बहुत पसन्द आया…………लिंक्स भी बढिया लगाये हैं बस अभी पढ नही पाई हूँ कहीँ जाना है बाद मे पढूँगी……………आभार्।

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  8. नूतन जी शुरुआत् खुबसूरत रही। कुछ शब्द रुपी रंगो से होकर आया हूँ और खुशी हुई पढकर -विभिन्न रंगो को समेटने का आपने जो सुंदर प्रयास किया है उसके लिये बधाई एवम शुभकामनाये!!!

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  9. 5/10

    चिटठा चर्चा में नयापन है
    कुछ लिंक्स अच्छे दिए हैं

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  10. डॉ. नूतन जी,
    बहुत अच्छी चर्चा, बहुत बढ़िया लिंक्स देने के लिए घन्यवाद. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  11. बहुत खूबसूरत चर्चा है नूतन जी !

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  12. डॉ. नूतन जी आज की चर्चा रोचक लगी ! आपने बहुत श्रमसाध्य कार्य किया है इसे सजाने में ! 'हृदय का ज्वार' को इसमें सम्मिलित करने के लिये आपके आभारी हूँ ! अन्य सभी लिंक्स भी महत्वपूर्ण और बढ़िया हैं ! धन्यवाद एवं शुभकामनाएं !

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  13. बडी सुंदर लगी आपके द्वारा प्रस्तुत यह चर्चा.....आभार

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  14. विविधता लिए हुए आपकी पोस्टें अच्छी लगीं.

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  15. अरे नहीं..चिंता न करें...बहुत सुन्दर चर्चा की है आपने...अच्छे अच्छे लिंक दिए हैं...

    आभार आपका..

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  16. बहुत सुंदर, विस्तृत और एक लीक से अलग हटकर चर्चा की गई है. लिंक्स भी उपयोगी दिये गये हैं. बहुत आभार और शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  17. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  18. आज की चर्चा में आप सभी साहित्यप्रेमियों का योगदान सराहनीय रहा है | उम्मीद और विश्वास करती हूँ की आप सभी ने लिंक में जा कर पोस्ट को पढ़ा होगा और अपने विचार भी व्यक्त किये होंगे | आपने मेरी ये चर्चा पसंद की, मैं अभिभूत हूँ और आप सभी को हार्दिक धन्यवाद देती हूँ.. डॉ रूपचन्द्र शास्त्री जी को भी तहे दिल शुक्रिया, जिन्होंने मुझपर भरोसा कर, यह जिम्मेदारीपूर्ण कार्य मुझे सौपा | सभी के लिए शुभकामनाएं ..

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  19. नूतन जी ...आपने बहुत ही मनभावन प्रस्तुति दी है ..
    आपको कोटि कोटि शुभ कामनाएं...

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