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शनिवार, नवंबर 13, 2010

" असमानंतर रेखाओं पर दौड़ती ज़िंदगी..... " (चर्चा मंच-337)



आइए आज के चर्चा मंच में
पिछले 24 घण्टों की पोस्टों पर नजर डालते हैं!
ताऊ पहेली-100 का उत्तर तो दीजिए जरा!
ताऊ पहेली के जवाब देने का समय कल रविवार दोपहर १२:०० बजे तक है.
इसके बाद कमेंट सुविधा बंद कर दी जायेगी.
अगर कमेंट सुविधा किसी कारण वश जारी भी रही तो
आने वाले सही जवाबों को अधिकतम ५० अंक ही दिये जा सकेंगे.
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आज सबसे पहले बारी है गीत की
जिसमें जीवन की अनुभूतियों को
संगीता जी ने बहुत ही खूसूरती से शब्दों में पिरोया है!
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अब चर्चा करते हैं-

पर एक सुन्दर रचना है
विश्वास श्रद्धा कृतज्ञता है उसके प्रति अपार सूर्योपासना है पावन त्योहार!..
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कभी-कभी सन्नाटों में
खामोश पत्थर भी चीखते हैं,
हवाएं सीटियाँ बजाती हैं,
पत्ते मीठा राग सुनाते हैं,
वर्षा की बूँदें संगीत का अतीन्द्रिय सुख देती हैं,
फूलों की...
आनन्द लीजिए इस सुन्दर रचना का
निःशब्द की पहचान... है
मुक्ताकाश.... में!
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मै तो धूल का कण हूँ
मत बना माथे का तिलक
मिटना मेरी किस्मत है
मै तो एक पल हूँ
मत बना ज़िन्दगी का सबब
आकर गुजरना मेरी फितरत है
ये सिर्फ़ किस्से किताबों ..
प्रेरणाएं कब जीवंत होती हैं ?
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कैसे आई ये खिजाँ , दिल्लगी होती रही
तंग थी दिल की गली
यथा नाम तथा गुण
देखिए-
गीत-ग़ज़ल
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एक आदमी घर से कुछ पैसे/रूपये ले कर 5 मंदिर में मत्था टेकने जाता है|
* * पहले मंदिर के बाहर बैठे एक **भिखा...

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पर पढ़िए यह बढ़िया गजल
अब हमको हर बार वो क्यूँ तस्वीर-ए-वफ़ा लगते हैं
हम तो सजदे में हैं वो हमसे खफा लगते हैं
जाने क्यूँ चाहे ये मन उनके लिए लुट जान...
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नोहर में 10 नवम्बर 2010 को स्व. नथगिर भारती की स्मृति में
हिंदी व राजस्थानी में बाल साहित्य की उल्लेखनीय सेवाओं के लिए...

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इसका जवाब तो

नामक ब्लॉग पर मौजूद है!
-लीजिये दोस्तों आपका *बंटी चोर* फिर से हाजिर है _
आज आपके लिए है *जाट पहेली- 24 का सही जवाब*
तो ये है आज की पहेली का सही जवाब :
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चौथी क्लास की कोई दोपहर रही होगी …
लेकिन जेहन में अभी भी उतनी उजली है…
रघुनाथ मुंशी जी ने पूरे क्लास को संबोधित किया …
गाना वाना आवत है कौनो को ? ....
बेटा!!… मेडल जुगाड़ से जीते जाते हैं ….समझे?
क्या आपके पास भी है कोई जुगाड़!
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मेरे घर में पहली गाडी मेरे होश संभालने से पूर्व से ही थी ,
पर दूसरी गाडी के खरीदे जाने की खुशी की धुधली तस्‍वीर अभी भी है। ...

में संगीता पुरी जी लेकर आई है यह अभिलाषा!
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आइए अब कुछ हास्य फुहार भी हो जाये!
आज सिर्फ़ एक चित्र…
2[2]_edited
बताइए इस चित्र का शीर्षक क्या हो? ….
शीर्षक ऐसा हो जिससे हास्य का सृजन हो…
एक शीर्षक तो मैं ही दे रही हूं …
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शस्वरं में
अब पढ़िए-
एक ग़ज़ल बिना किसी भूमिका के*

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देसवा की धरती पे पक रहे अमवा
गूंज रही कोयल की कूक ,
बदरा पे धूप सजे मनवा माँ हूक उठे ,
बिरही जियरवा टूक टूक! *
खेत धन-लछमी ,अँगनवा में गोरिया ,
बाली उमरिया...
बदरा पे धूप -
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आधुनिक भागदौड के इस जीवन में कभी न कभी हर व्यक्ति डिप्रेशन
अर्थात अवसाद का शिकार हो ही जाता है।
डिप्रेशन आज इतना आम हो चुका है कि लोग इसे बीमारी के तौर पर ...
पीडित चन्द्र/चतुर्थेश देता है मानसिक अवसाद

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साथियों पिछले माह से नोकिया 5233 मोबाईल सेट में एयरसेल के 98 रूपया में 30 दिन
अनलिमिटेड पाकेट इंटरनेट उपयोग कर रहा हूं। इस मोबाईल सेट में हिन्‍दी सुविध...

नोकिया 5233 मोबाईल से ब्‍लॉग पोस्‍टों को पढ़ने का आनंद -
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11 नवम्बर, 2010 को* *स्वाधीनता संग्राम के अमर सेनानी*
*मौलाना अबुल कलाम आजाद का* *122वाँ जन्मदिवस है!*
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माँ मुझे इस दुनिया में आने दे
लड़की हूँ, या लड़का जन्म तो लेने दे
मुझे क्यूँ समझती हो मुझे जिन्दगी का अंधेरा
मैं बनूंगी तेरी, प्यार...

जन्म से पहले मौत क्यूँ ? -
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गुरूजी सचमुच गुरूजी हैं।
उम्र में युवा, देखने में स्‍मार्ट,चेहरे पर चमक और उस पर जब फरार्टेदार अंग्रेजी बोलते हैं,
तो सामने वाला एकदम मंत्रमुग्‍ध सा हो जाता है। यही कारण उनके पास भक्‍तों का जमावड़ा लगा रहता है। ...

तंत्र मंत्र वाले गुरूजी।
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अब देखिए यह कार्टून

कार्टून : सरकारी नुकसान


बामुलाहिजा >> Cartoon by Kirtish Bhattwww.bamulahija.com
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अब देखिए-

किसिम किसिम की पहेलियाँ!
जी हाँ, किसिम किसिम की पहेलियाँ!कालिदास काल से लेकर अमीर खुसरो तक पहेलियों ने कई रूप रंग बदले हैं और अब अंतर्जाल युग की पहेलियाँ हमारे सामने हैं .पिछली पोस्ट पर अल्पना जी ने मार्के की बात कही ,"अंतर्जाल पर हर तरह की पहेलियाँ उपलब्ध हैं..हिंदी ब्लॉग जगत में चित्र पहेली बहुत ही कॉमन हो गयी हैं .***लेकिन विवेक रस्तोगी जी की गणित की पहेलियाँ औ ...
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पूर्व संघ चालक कुप सी सुदर्शन की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर की गयी टिप्पणी से कांग्रेस में ऐसा जवार उठ गया
मानो किसीने उनपर सीधे आक्रमण ही कर दिया हो। कांग्रेस के भिन्न-भिन्न नेता ऐसे बयान दे रहे है
जैसे कोई अंडरवर्ल्ड का माफिया देता है। उनकी धमकियों में से एक धमकी ‘‘कानून की धमकी’’से ऐसा महसूस होता है
जैसे की कानून उनके घर की बपौती हो वो ...

जब लगी पिछवाड़े आग बीच सड़क पर भोकन लागे
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Author: rakesh gupta | Source: भारत एकता
लोग जितने ही मिले, सब मन के ही काले मिले,
***दूसरों पे पत्थर फेंकते, शीशे के घर वाले मिले***

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सच उगलना पाप है तो पाप हमने कर दिया
अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी भारत यात्रा की शुरुआत मुंबई हमलों में मारे जाने वाले लोगों को
श्रद्धांजलि दे कर की और मुंबई को भारत की शक्ति का प्रतीक बताया ,
मगर पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित करने के सवाल को कुटिल मुस्कान बिखेरकर टाल गए ।
उन्होंने भारत को सबसे तेज़ी से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं मे से एक बताया
और दोनों देशों की बीच ..
पोस्ट पढ़कर तो यही वाक्य मुख से निकलता है-
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ!
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आइए अब कुछ पुराण चर्चा: भी हो जाए!
लिंग पुराण (क्रोधी दुर्वासा और अंबरीष की कथा) भाग-१

भाग-१: लिंग पुराण का संक्षिप्त परिचय:
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कामचोरी का तो ये आलम पुराना है !
रौब-दाब से रहते यहाँ सारे आलसी ,
हमको तो रात-दिन पसीना बहाना है !
स्वराज्य करुण की यह गजल भी देख लीजिए-
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इस चिट्ठी में चायल से कुफरी जाने के रास्ते और कुफरी हॉलीडे रिज़ॉर्ट की चर्चा है
तुमसे मिल कर, न जाने क्यों और भी कुछ याद आता है
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आपका नाम इस सूची में है या नहीं, जानने के लिए क्लिक कीजिए
अगर नहीं है तो टिप्‍पणी में शामिल कर दीजिए।
दिल्‍ली के कनाट प्‍लेस में उड़नतश्‍तरी से मिलने चलते हैं
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पिछली पोस्ट निजता का मोल में मैंने रियलिटी टीवी शोज की टीआरपी के लिए
चैनल्स और उनमे भाग लेने वाले प्रतिभागियों के द्वारा अपनाये जा रहे हथकंडों की बात की।
आप सभी की अर्थपूर्ण टिप्पणियों के ज़रिये मुझे यह लगा की इनकी चाल को हम सभी अच्छे से समझ रहे हैं ......
यह जानकर सुखद अनुभूति हुई ही थी कि.....
इंसाफ से मौत
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और अन्त में-
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नमस्कार मित्रों! अभी-अभी लौटे हैं छठ घाट से। भगवान भाष्कर का संध्या पूजन कर।

193मनोज कुमार - करण समस्तीपुरी
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169षष्ठी यानी आज, डूबते हुए सूर्य को तालाब, पोखर या नदी में खड़े होकर अर्घ्य देकर विशेष प्रकार के प्रसाद ठेकुआ, खजुर, फल, आदि जिसमें गन्ने, नारियल आदि का विशेष महत्व है, चढ़ाया जाता है।
सप्तमी, यानी कल उगते सूर्य को अर्घ्य, नैवेद्य से पूजा की जाएगी। जिसे स्थानीय भाषा में हाथ उठाना कहते हैं। हाथों में नैवेद्य, नयनो में प्रतीक्षा, "उगा हो सुरुज देव अरघ के' बेर...." और मन में अनुनय "ले हो अरघ हमार हे छट्ठी मैय्या...!" इस व्रत का समापन सप्तमी को होता है।
चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व के प्रति श्रद्धालुओं में श्रद्धा के साथ उमंग व्याप्त रहता है। इस पर्व की एक और विशेषता जो क़ाबिले तारीफ़ है, वह है साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाना। कई जगह तो पूरा-का-पूरा शहर ही विशेष अभियान द्वारा साफ-सुथरा कर दिया जाता है। अन्यथा तालाब, पोखर या नदी के उन स्थलों की तो पूरी सफाई की ही जाती है जहां पर्व मनाने श्रद्धालु एकत्रित होते हैं। हमारा गांव भी आज चकाचक है!
महातम्य ....
महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार, जुए में सब कुछ गंवा कर पांडव जब बनवास में थे, तभी दुर्योधन प्रेरित महर्षि दुर्वाषा पहुँच गए, पांडवों के पर्ण कुटीर। "अतिथिदेवो भवः !" परन्तु वनवासी याचक पांडव आतिथ्य धर्म का निर्वाह करें तो कैसे घर में अन्न का केवल एक दाना और अठासी ब्रह्मण। धर्मसंकट। द्वार पर आये ब्राह्मण और असहाय पतियों को देख द्रौपदी ने भगवन कृष्ण को याद किया और भक्तवत्सल गोपाल के अनुग्रह से ब्रह्मणों का परितोष रखने में सफल रही। द्रौपदी की सेवा-निष्ठा से प्रसन्न महर्षि दुर्वाषा ने आशीष के साथ 'कार्तिक शुक्ल षष्ठी' को भगवान् भाष्कर का व्रत करने की सलाह दिया।
द्रौपदी ने वन में ही उक्त तिथि को सूर्योपासना किया और छट्ठी मैय्या के प्रताप से एक वर्ष सफल अज्ञातवासोपरांत पांडवों को महाभारत युद्ध में विजय और खोया राज-पाट ऐश्वर्या व यश प्राप्त हुआ। तो ऐसी है भगवान् भुवन भाष्कर की महिमा और छठ महापर्व का महातम्य !!!
बोलो छट्ठी मैय्या की जय !!!
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आगे मैय्या का डालावाहक और पीछे छ्ट्ठी मैय्या का गीत गाते हुए श्रद्धालु महिलायें घर को वापस होती हैं और आज के व्रत को मिलता है विराम । आप गीत का आनन्द लीजियए । हम कल फिर मिलेंगे । जय छट्ठी मैय्या ।
: गीत :
"केलबा के पात पर उगेलन सुरुज देव झांके झुके ...
हे करेलू छठ बरतिया से झांके झुके... !
हम तोह से पूछीं बरतिया हे बरतिया से किनका लागी... ?
हम तोह से पूछीं बरतिया हे बरतिया से किनका लागी... ?
हे करेलू छठ बरतिया से किनका लागी .... ?
हमरो जे स्वामी तोहरे ऐसन स्वामी से हुनके लागी...
हे करेलू छठ बरतिया से हुनके लागी.... !!"

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आज की चर्चा में केवल इतना ही!
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18 टिप्‍पणियां:

  1. शास्त्री जी !! बेहद खूबसूरत अंदाज में आप ब्लॉग चर्चा ले कर आये हैं .. लिंक बहुत अच्छे है.. और आज तो ब्लॉग की खूबसूरती में ये रंग परिवर्तन ऐसा लग रहा है ज्यू दीपावली की सजावट के साथ घर में रंगाई .. आपका शुक्रिया ..अब हमारी चर्चा भी कुछ ज्यादा चटख दीप्त हो उठेगी .. |

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  2. सुंदर चर्चा एक लिंक हम भी दे दें- http://sarovar.tk/

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  3. आज की चर्चा बहुत सुन्दर , सुनियोजित और अच्छे लिंक्स से सुसज्जित है ...आज की चर्चा में आपका परिश्रम परिलक्षित हो रहा है ...मेरी रचना को स्थान देने के लिए आभार ..

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  4. अच्छे लिंक्स लिए चर्चा |बधाई ,त्त्यौहार की जानकारी अच्छी लगी
    आशा

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  5. हम जैसे नए ब्लोगरो को जब आप जैसे विशेशग्यो का मर्ग्दर्शन और संरक्षण मिलता है तो हमारा उत्साह बहुत हो जता है और निस्चित ही हमारी लेखनि में सुधार होता है..

    हमारी गल्तियो को माफ करने के बजाये आपके कान पकड़ने का भी उत्साह से स्वागत है..

    हमारे ब्लॉग पोस्त को बुद्धिजिवियो के चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए धन्यवाद..

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  6. बहुत ही जोरदार चर्चा……………एक से बढकर एक लिंक्स …………………काफ़ी कुछ समेट दिया…………………आभार्।

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  7. वाह रंग विरंगी बेहद खूबसूरत चर्चा.बहुत ही सुन्दर .आभार.

    जवाब देंहटाएं
  8. sarthak charcha-rochak links.charcha manch ka privartit roop darshniy hai.

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  9. behad sundar charcha; kayi rang samahit kiye hue utkrisht sankalan!
    suryopasna ko shaamil karne hetu aabhar!!!!

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  10. .

    शास्त्री जी,

    आज की चर्चा में काफी वैरायटी है। बहुत मेहनत से चुन चुन कर मोती पिरोये हैं आपने। आपकी निस्वार्थ सेवा को नमन तथा चर्चा में स्थान देने के लिए आभार।

    .

    जवाब देंहटाएं
  11. shastri ji, charchamanch par meri rachna ko sthan dene ke liye dhanyaad.

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  12. सारी चर्चा इतनी अच्छी थी कि रुक-रुक कर, अटक-अटक कर आ रहा था। और जब अंत पर पहुंचा तो मुंह से निकला,
    "अरे शास्त्री जी आपने तो पूरा पोस्ट ही छाप दिया है। आभार आपका, इतने बड़े समान के हम अधिकारी है भी नहीं।"

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  13. शानदार चर्चा.दिन पे दिन चर्चा की चमक बढती जा रही है. अच्छे लिंक्स की मञ्जूषा.

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  14. शास्त्री जी,
    हम जैसे नए ब्लोगरो को जब आप जैसे विशेशग्यो का मर्ग्दर्शन और संरक्षण मिलता है तो हमारा उत्साह बहुत हो जता है और निस्चित ही हमारी लेखनि में सुधार होता है..
    हमारे ब्लॉग को बुद्धिजिवियो के चर्चा मंच पर शामिल करने के लिए धन्यवाद..

    जवाब देंहटाएं

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