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गुरुवार, मार्च 31, 2011

उपलब्धि के सफ़र मे ………………चर्चा मंच

दोस्तों 
आज की चर्चा में 
एक बार फिर 
 एक और 
ब्लोगर दोस्त की
उपलब्धि का 
जिक्र कर रही हूँ 
उम्मीद है जानकर
आप भी उतना ही
फक्र महसूस करेंगे
चर्चा मैं बुधवार की शाम 
लगा रही हूँ और कल यानि
वीरवर को आप पढेंगे
और तब तक इंडिया 
पाकिस्तान से जीत चुका होगा
तो उसकी अग्रिम बधाइयाँ 
स्वीकार कीजिये
 आजकल वक्त की कमी
चल रही है इसलिए
छोटी चर्चा ही कर पा रही हूँ  
आइये दोस्तों आज आपको एक और ब्लोगर दोस्त से मिलवाती हूँ जानते तो आप सभी हैं .
ये हैं हमारे ब्लोगर दोस्त ........डॉक्टर वेद व्यथित जी 
ये इनका ब्लॉग है इस पर तो ये लिखते ही रहते हैं .
डॉक्टर वेद व्यथित जी ने एम् ए हिंदी , पी एच डी कर रखी है . ना जाने कितने ही विषयों पर शोध किया , कितने ही कवि सम्मेलनों में सम्मान प्राप्त किया , रेडियो पर कार्यक्रम दिए. उनकी कहानी कवितायेँ , वार्ताएं प्रसारित हुई. उनके अनेक काव्य संग्रह , उपन्यास आदि प्रकाशित हो चुके हैं . 

वेद जी ने बड़े स्नेह के साथ मुझे अपना काव्य संग्रह भेजा जिसके लिए मैं उनकी हार्दिक आभारी हूँ क्योंकि इतना उत्तम संग्रह पढने के बाद तो मैं खुद को बेहद प्रब्फुल्लित महसूस कर रही हूँ कि उन्होंने मुझे इस काबिल समझा और स्वयं अपने आप मुझे ये पुस्तक उपलब्ध करवाई.

अभी अभी मैंने वेद जी लिखित काव्य संग्रह 'अंतर्मन' पढ़ा . जैसा नाम  वैसी ही अभिव्यक्ति. हर पुरुष के अंतर्मन की बात का जैसे कच्चा चिटठा खोल कर रख दिया हो. स्त्री के प्रति पुरुष दृष्टिकोण का जीता जागता उदाहरण है ----अंतर्मन ! पुरुष कैसे अंतर्मन में स्त्री के गुण दोषों, त्याग, तपस्या का अवलोकन करता है , कैसे स्त्री के अंतर्मन में उपजी पीड़ा को महसूस करता है उसको कविताओं में इस तरह उतारा है जैसे स्त्री के मन का दर्पण हो. वेद जी की दृष्टि में स्त्री और पुरुष दो पृथक अस्तित्व होते हुए भी एक दूसरे के पूरक हैं, सहभागी हैं , सहचर हैं और उसी में उनकी  पूर्णता है. जब दो धाराएं साथ साथ चलें तो थोड़ी बहुत भिन्नता तो पाई  जाती है मगर जब एक हो जायें तो अभिन्न हो जाती हैं . इसी अनेकता में छिपी एकता को दर्शाने का प्रयत्न किया है .

स्त्री के नेह, मौन , हँसी , उसके ह्रदय के ज्वार, क्षमादयिनी रूप हरेक को ऐसे बांधा है कि  पढने बैठो तो उठने का मन नही करता. हर कविता एक बेजोड़ नमूना है उत्कृष्ट लेखन शैली और परिपक्वता  का. 

वेद जी डरते हैं स्त्री के मौन को तोड़ने से , उसे अपना अपराध मानते हैं क्योंकि स्त्री मन में दबी सुलगती बरसों की दग्ध ज्वाला  जब अपना प्रचंड वेग धारण करेगी तो सैलाब आ जाएगा  और शायद तब वो क्षमा ना कर पाए .....जबकि अब तक वो एक पात्र के सामान ज़िन्दगी जी रही है. हर कविता स्त्री के मनोभावों का जीता जागता चित्रण है. किसी एक कविता के बारे में कुछ कहना दूसरी के साथ अन्याय जैसा लगता है . पूरा काव्य संग्रह बेजोड़ कविताओं का संग्रह है. स्त्री का स्नेह , दुलार , विश्वास, उसके प्रश्न उत्तर , पुरुष का अहम् सबका जीवंत चित्रण करने में सक्षम हैं.

जो उनसे संपर्क करना चाहें किताब प्राप्त करने के लिए इस नंबर व पते  पर संपर्क कर सकते हैं -----

अनुकम्पा  १५७७ सेक्टर ३
फरीदाबाद-------१२१००४
ph: 0129-2302834
      09868842688
      ०९८६८६७५५७३
चलिए अब चलें चर्चा की ओर  
ऐसा क्यों ?
जीने का सबब बन जाती हैं 
कुछ ख्याल 
 इसे भी जानिए 
 चलो जी देखते हैं
 वक्त की बेरहम निशानियाँ 
 किसमे है ?
 तुम कब आओगे?
 मिलिए इनसे भी
ये भी जानिए 
 कौन किस पर खाता है
अज़ब संसार की गज़ब है माया 
मेरे दिल पर जब गिरती है 
कैसे कटे ?
 स्वागत है
 ऐसा ही होना चाहिए
आम आदमी ने जो चुकाई कीमत 
 पढने के बाद जानिए 

कुछ ऐसा जो सबका हो 
 तब जीना सार्थक हो जाये 


ये दूरियाँ इतनी क्यों हैं ?
मजबूरियां इतनी क्यों हैं ?
 
 
वो तो जीतना ही था
 
 
 
गली गली श्याम पुकारे 
 
 
और यहाँ ज़िन्दगी रुखसत हुयी जाती है 
 
 
 कभी किनारा न मिला 
 
 
 निष्कासन का दर्दतुम क्या जानो 


अब आज्ञा दीजिये
आज के लिए इतना ही
अगली बार फिर
किसी नए ब्लोगर 
की उपलब्धि की
चर्चा की कोशिश करुँगी
आपके विचारों की प्रतीक्षारत

32 टिप्‍पणियां:

  1. डॉ वेद व्यथित जी विस्तृत परिचय पाकर ख़ुशी हुई आभार ....... सुंदर ....संक्षिप्त चर्चा अच्छी लगी.....
    मुझे जगह देने का आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. डॉ वेद व्यथित जी विस्तृत परिचय करवाने के लिए आभार!
    --
    लीक से हटकर
    आज की चर्चा बहुच अच्छी रही!

    जवाब देंहटाएं
  3. डॉ वेद व्यथित जी के परिचय के लिए आभार!
    चर्चा बहुच अच्छी रही! आपको बधाई ।

    जवाब देंहटाएं
  4. डॉ वेद व्यथित जी विस्तृत परिचय पाकर ख़ुशी हुई आभार,चर्चा अच्छी लगी.....आपको बधाई

    जवाब देंहटाएं
  5. वेद व्यथित जी का परिचय पाकर ख़ुशी हुई आभार,चर्चा अच्छी लगी.....आपको बधाई

    जवाब देंहटाएं
  6. वेदजी से परिचय का आभार, कुछ और लिंक्स लेकर जा रहा हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  7. वेद व्यतिथ जी के लिंक के लिए आभार.
    चर्चा हमेशा की तरह सार्थक है.
    मेरी प्रस्तुति शामिल करने लिए धन्यवाद.

    भारत की विजय के लिए आपको बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  8. आज के चर्चा मंच में आपके सौजन्य से डॉ.वेद व्यथित से परिचय का मौक़ा मिला . उनके ताजा कविता संग्रह 'अंतर्मन ' के प्रकाशन पर उन्हें बधाईऔर शुभकामनाएं . चर्चा मंच पर हमेशा की तरह आज भी आपने कई अच्छे लिंक्स दिए हैं. बहुत-बहुत आभार .

    जवाब देंहटाएं
  9. वेद जी के बारे में जानकार अच्छा लगा

    जवाब देंहटाएं
  10. bhut sukariya ki apne ved ji jaise prabhaavsali lekhak se hamra parichye karaya.... phir ek baar bhut sare naye logo ki kavita padne ko mili... thank u....

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत अच्छी चर्चा ...ब्लॉगर्स की उपलब्धियों के बारे में चर्चा करना बहुत अच्छा और सार्थक प्रयास है ...
    वेद व्यथित जी का परिचय अच्छा लगा ..संपर्क के लिए फोन नम्बर मिल ही गया है ..मैं उनकी यह कृति पढ़ना चाहूंगी ...अतनी अच्छी भूमिका पढने के बाद पढ़ने का मन तो होगा ही न :):)

    अच्छे लिंक्स सहेजे हैं ..आभार

    जवाब देंहटाएं
  12. वन्दना जी आपका आभार हे की आपने मेरी कविता प्यारी माँ को एक सम्माननीय स्थान दिया --धन्यवाद ! आपका यह प्रयास सराहनीय है !

    जवाब देंहटाएं
  13. उत्तम चर्चा । डा. श्री वेद व्यथितजी से परिचय हेतु आभार...

    जवाब देंहटाएं
  14. वंदना जी... चर्चा बहुत अच्छी लगी... और डॉ वेद व्यथित जी का ये परिचय -- इसके लिए आपका आभार...

    जवाब देंहटाएं
  15. डॉ वेद व्यथित जी विस्तृत परिचय पाकर ख़ुशी हुई! चर्चा बहुच अच्छी रही! आपको बधाई । मेरी प्रस्तुति शामिल करने लिए धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  16. डॉ वेद व्यथित जी विस्तृत परिचय पाकर ख़ुशी हुई आभार . सुंदर-संक्षिप्त चर्चा अच्छी लगी.अच्छे लिंक्स सहेजे हैं . मुझे जगह देने का आभार....

    जवाब देंहटाएं
  17. वंदना जी, आपको बहुत- बहुत धन्यवाद।
    मेरा ब्लाग आपका भी ब्लाग है।
    ईश्वर चर्चा ही मेरा लक्ष्य है।
    इसी में आनंद है।
    एक बार फिर मेरा आभार
    स्वीकार करें।

    -- विनय बिहारी सिंह

    जवाब देंहटाएं
  18. वंदना जी, आपको बहुत- बहुत धन्यवाद।
    मेरा ब्लाग आपका भी ब्लाग है।
    ईश्वर चर्चा ही मेरा लक्ष्य है।
    इसी में आनंद है।
    एक बार फिर मेरा आभार
    स्वीकार करें।
    -- विनय बिहारी सिंह

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत अच्छे लिंक्स मिले हमेशा की तरह.
    ब्लोगर्स की उपलब्धियों के बारे में चर्चा करना बहुत अच्छा और सार्थक प्रयास है ...
    वेद व्यथित जी का परिचय अच्छा लगा.उन्हें बहुत बधाई.

    जवाब देंहटाएं
  20. वंदना जी बहुत ही सलीके से साहित्य जगत में स्थापित डॉ वेद व्यथित जी का विस्तृत परिचय देने के लिए आभार.उनके बारे में इतनी समेकित जानकारी एक जगह पाकर अच्छा लगा.
    साथ ही मेरी रचना को स्थान देने केलिये भी बहुत-बहुत आभार.

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  21. डा. वेद व्‍यथित जी का परिचय एवं बेहतरीन लिंक देने के लिये आभार ।

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  22. Abhaari hun ki itna achha likhne waalon ke beech jagah mili..Kuchh hi links parh paayee hun abhi..raat tak poora parhungi.

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  23. वंदना जी..बहुत ही सुंदर चर्चा ....तबीयत कुछ खराब होने के कारण अभी देख पाया............धन्यवाद।

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  24. charcha ati uttam ,dr. ved ji aapke is sundar parichya ko paakar khushi hui .vandana ji aapke karya sarahaniye hai .

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  25. वन्दना जी आप ने मेरे जैसे अनाम व्यक्ति की रचनाओं को जो स्नेह व मान दिया है उस के आभार के लिए मुझे शब्द ही नही मिल रहे है वास्तव में दूसरों को मान देना बहुत बड़ा काम है विशेष कर आज के समय में जब कि सब अपनी प्रशंशा ही सुनना चाहते हैं
    आप के साथ २ चर्चा मंच पर जिन आदरणीय मित्रों ने मुझे स्नेह व प्यार दिया है उन सभी के प्रति भी मैं हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करता हूँ कृपया इसे स्वीकार कर लें मुझे अच्छा लगेगा कि आप ने मेरी प्रार्थना स्वीकार कर ली है
    पुन: सभी आदरणीय मित्रों का हार्दिक आभार
    डॉ. वेद व्यथित

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  26. चर्चा के लिए आभार ,और आपके इस प्रयास के लिये बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  27. डाँ वेद जी -मेरे साहित्यिक मित्रों में से एक हैं।उनको सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते देख बहुत खुशी हुई।
    अंतर्मन -कविता संग्रह पढ़ने का सौभाग्य मुझे भी मिला॥बड़ी सूक्ष्म दृष्टि से वेद जी ने नारी मन को पढ़ा है। उसके बिभिन्न रूपों व भावनाओं का सशक्त वर्णन करते हुए उन जैसे कवि ने सुधि पाठकों के ह्रदय पर अपनी अमिट छाप छोडी है।
    सुधा भार्गव

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