भारत -पाकिस्तान की, हो आपस में बात!!
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एक राह चलते नहीं, भरते हैं अवसाद।।
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गुजराती सरकार का, निकला है फरमान।।
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आओ हम सब प्यार से, इसे लगाएँ अंग।।
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त्यौहारों के अलग ही, होते अपने ढंग।।
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पढ़कर इस साहित्य को, खुश हो जाते बाल।।
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है मेरे दिलदार की, चिकनी-चिकनी चाँद।।
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संस्मरण को प्यार से, रहा सभी को बाँट।।
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युगों-युगों के बाद ही, आता जग में पार्थ।।
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चिकनी-चुपड़ी देख कर. डोल रहा ईमान।।
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कविता लिखकर कर रहा, मन को अपने शान्त।।
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खुश रहने के मन्त्र से, करें पलायन रोग।।
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बिन सूरज के जगत में, कभी न होती भोर।।
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प्यारा सा यह संकलक, सबके मन को भाय।।
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मुक्त नहीं हो पाओगे, कर लो यत्न अनेक।
छोड़ ईर्ष्या-द्वेष को, काम करो कुछ नेक।।
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पढ़ने को हमको मिला, प्यारा सा उपहार।
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किसमें होता है अधिक, उदित हमारा भाग??
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बेहतरीन चर्चा और लिंक्स!!
जवाब देंहटाएंचर्चा में मेरा लिंक देने के लिए आभार...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
बहुत बढ़िया चर्चा ...आभार
जवाब देंहटाएंकाव्यमयी चर्चा के साथ बेहतरीन लिंक्स संजोये हैं………आभार्।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया ....बेहतरीन लिंक्स संजोये हैं आपने धन्यवाद
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा .. और बढिया लिंक्स .. मेरी रचना को भी शामिल किया ..आपका शुक्रिया
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग में भी आइयेगा ..:))
अमृतरस
बहुत ही सटीक और सार्थक चर्चा.....
जवाब देंहटाएंमेरी साईट "साहित्य प्रेमी संघ" कर ले वो "सत्यम प्रेमी संघ" हो गया है...धन्यवाद।
चर्चा बहुत अच्छी हही |
जवाब देंहटाएंकई लिंक के लिए आभार
आशा
आज की चर्चा बहुत अच्छी है .
जवाब देंहटाएंअनेक रंग लिए हुए है .
सभी लिंक्स दिलचस्प हैं...
दोहों के माध्यम से कई सारे ब्लोग्स को आपने एक जगह पर एकत्रित कर भिन्न भिन्न प्रकार के फूल आज की चर्चा मेँ सजाये हैँ आपने.
आपको बहुत बहुत धन्यवाद!
उत्तम पद्यीय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबढिया लिंक मिले । आभार सहित...
bahut sundar charcha .vibhinna links ko aapne kavita roop me bahut khoobsurati se vyakt kiya hai.
जवाब देंहटाएंसुन्दर चर्चा/बढिया लिंक्स.
जवाब देंहटाएंदोहों में पिरो कर बेहतरीन लिंक्स को प्रस्तुत करने की आपकी संकल्पना स्तुत्य है।
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