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बुधवार, मार्च 16, 2011

"होली आयी है" (चर्चा मंच-456)


मित्रों!
होली तो आ ही गई है,
प्यार के रंग,
मस्ती के ढंग
और साथियों के संग
होली खेलने का आनन्द ही अलग है!
प्रस्तुत है बुधवार का चर्चा मंच!
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सत्यपाल "अश्क"जी के शब्दों में -
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देवदत्त "प्रसून"

होली आयी है

आओ खेले फाग, होली आयी है।
गायें मीठे राग, होली आयी है।।..
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*देसिल बयना – 72* *माल महाराज के मिर्ज़ा खेले होली* करण समस्तीपुरी *सा...रा...रा....रा....रा...... * *हाय जोगीजी.... सा......रा.....रा.....रा.....
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भ्रष्‍टाचार और महंगाई का तांडव खुद ही निपट जाती सरकार
जो पढ़ना चाहेंजहां जाना चाहें जायें क्लिक् करें और पढ़ लें...
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*मन मयूर अभी तक नाचा ही नहीं
कोई चाहत कोठे चढ़ी ही नहीं
कोई रंग मन को भाया ही नहीं
उमंग दिल में कोई उठी ही नहीं
सागर ने कोई तटबंध तोडा ही नहीं ..
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प्यारे श्रोताओं, मैं रामप्यारे ताऊ तरही कम गरही सम्मेलन में आप सबका स्वागत करता हुं. आज इस सम्मेलन में महान रचनाकारी कविकारी, कहानीकारी, व्यंगकारी और ...ताऊ तरही कम गरही कवि सम्मेलन - २०११ में महाकवियित्री मिस समीरा टेढी
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मित्रों दो लिंकों को जोड़कर बनी यह रचना देखिए!

असह्य वेदनाओं को ढेल कर,
थका - मांदा सा विह्वल ...
तुम्हारे पास आया हूँ....
समेट लो ना मुझे अपने दामन में,
थपका दो जरा..आओ ना प्रिये ...
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बुरा ना मानो होली हे
बुरा मानो तो मान जाओ फिर भी होली हे
अब देखिए कुछ और हलचल
*घरोंदे बना -बना कर मिटाते रहे*
*ख़त लिख-लिख कर जलाते रहे *
*जाने क्या बैर था हमें अपने दिल से *
*ओरो के लिए जिसको दुखाते रहे !!*
जापान में आए भूकम्प व सुनामी ने बहुत से लोगों को
मौत की नींद सुलाया होगा किन्तु न जाने कितने लोगों को
जीवन व रिश्तों के बीच में से एक चुनने को मजबूर किया है...
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बहुत दिन हुवे ये रुत नहीं बदली
सहारे के लिए कुछ शब्दों को पकड़ती हूँ
वो हमेशा की तरह साथ देते हैं
अपनी झोली से निकालते हैं आशीष स्वरूप कुछ मीठे पल तब...
22 मार्च 1931
साथियों , स्वाभाविक हैं की जीने की इच्छा मुझमे भी होनी चाहिए,
मैं इसे छिपाना नहीं चाहता |लेकिन मैं एक शर्त पर जिन्दा रह सकता हूँ कि
मैं क़ैद...

टिप्पणीपुराण और विवाह व्यवहार में- भाव, अभाव व प्रभाव की समानता

एक बार फिर ब्लागवुड में टिप्पणीपुराण कुछ अधिक ही देखने-पढने में आ रहा है । किसी को लगता है कि फलां-फलां ब्लाग पर टिप्पणियों की फसल लहलहा रही है तो किसी को लगता है कि पुरुष ब्लागर्स के ब्लाग पर जो भी टिप्पणी आती है वो मात्र औपचारिकतापूर्ति की शैली में एक लाईन तो क्या बस दो-चार शब्दों में ही सिमटी हुई दिखती है जबकि महिला ब्लागर्स के ब्लाग पर पुरुषों द्वारा जो प्रशंसात्मक टिप्पणियां लिखी जाती हैं वे उन महिला ब्लागर्स के लेख या कविता से भी अधिक जगह घेरती हुई उनकी शान में पेश की जाती हैं और फिर भी टिप्पणी करने वाले का मन नहीं भरता तो उसी टिप्पणी के नीचे कुछ और प्रशंसाओं के साथ शब्दप्रवाह को अक्षुण्ण रखते हुए एकाध टिप्पणी फिर से उससे भी बडे आकार की और भी पेश कर दी जाती है ।...
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अब चार तकनीकी पोस्ट भी देख लीजिए!
नवीन प्रकाश जी बता रहे हैं!
विनय प्रजापति बता रहे हैं!
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Fulbagiya में है यह प्यारा सा बालगीत!
*सीधी सादी गाय* *सुन्दर प्यारी गाय*
*मेरे दरवाजे पर देखो* *बंधी हुई है गाय।*
*रोज सुबह उठते ही* *मुझसे चारा मांगे*
*हरी घास और भूंसा* *खाती मेरी गाय।*

अंतर्मंथन पर डॉ. टी.एस.दराल ने
लगाई है यह मार्मिक रचना!
श्रीमती वन्दना गुप्ता ने प्रस्तुत किया है-"
पी.सी गोदियाल "परचेत"
बता रहे हैं जापान में
श्रीमती रंजू भाटिया बता रही हैं कि -
दर्द की खबर कैसे होती है ?
क्या चीखने से ?
या आंसू बहाने से ?
या हर दिन उसे कहानी की तरह सुनाने से ? ...
दर्द होता क्या है ?...
बबली (उर्मी चक्रवर्ती) ने लिखा है-
यह मुक्तक!
हर आहट एहसास हमारा दिलाएगी,
हर हवा ख़ुशबू हमारी लाएगी,
हम प्यार इस तरह निभाएँगे दिलबर,
हम न होंगे और हमारी याद तुम्हें सताएगी ..

और माधव की तो छुट्टियाँ पड़ गईं है
अंग्रेजी मं mun ke - manke में हिन्दी में मोती टँके हुए हैं
कितने स्वर्ग, विदा हो गये मेरे आंगन के साये--- से
वो,फुदकती गुगुलियां वो,कौवों की पांत मुडेरों पर ...
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* स्वराज्य करुण* ऋतुओं के राज...
समीर लाल "समीर"
ड़न तश्तरी .... पर बता रहे हैं!
डॉ. हरदीप संधु कह रहीं हैं-
नारी । ममता है । दया है । ताकत है । हौसला है ।
क्योंकि..?
वही तो । सुखी जीवन का । और । दुनिया से भिड़ने का । रास्ता दिखाती है ।.
मनोज ब्लॉग पर देखिए
सत्येन्द्र झा अमीर बाप की बेटी एक गरीब के साथ भाग जाती है।
सिनेमा-हाल तालियों की गरगराहट से गूंज जाता है।
जमींदार साहब के तेजोमय मुखमण्डल पर...

जिंदगी उलझती रही, मैं उसे सुलझाता रहा |
खुदा ने इश्क की दौलत थी बख्शी, लुटाता रहा ||
रोटी, कपडा, सर पे छत, नाकाफी थे इंसान को .........
बोर्ड परीक्षाएं चल रही हैं पर कुछ याद नहीं रहता।
अगला पढ़ो तो लगता है कि पीछे का सब भूल गए।
कुछ पेपर में तो बीच का समय भी बहुत कम है। ...
भारत में इन दिनों अपेक्षित रूप से आम जनता क्रिकेट मीनिया से ग्रस्त है ।
इस खेल का नशा यूं तो अब एक आम बात हो गई है मगर इसकी आदत कईयों को इतनी ज्यादा पड गई ...
Arvind Jangid जी लेकर आये हैं एक गजल :
होली का त्यौहार आपके जीवन में नए रंग लेकर आये,
आपको अपनों का प्यार मिले, ऐसी मेरी ईश्वर से कामना हैं।
इस पावन पर्व पर आपको अग्रिम शुभकामनाएं ।

सुरेन्द्र सिंह झंझट के झटके में लाए है-

नव गीत

आने को आया है मौसम मनभावन

आग राग गाती हैं मौसमी बहारें

सूखे जले पत्तों को बुहारतीं बयारें |

गालों पर फागुन है आँखों में सावन ...


सर्प और सुन्दरी!
आखिर एक सुन्दरी ने एक बिचारे भोले भाले सांप की जान ले ही ली ...खबर तेल अबीव से है जहां एक माडल ने सांप के साथ अपने फोटो सेशन में सांप से इतनी नजदीकियां बढ़ा लीं कि उसने उसके वक्ष पर ही अपने दांत गड़ा दिए ....अब एक साँप को प्यार प्रगट करने का यही तरीका रास आया ..हाँ बोआ प्रजाति का सांप जहरीला नहीं होता नहीं तो माडल के लिए यह मौत का चुम्बन साबित .
किले में कविता;-सच को अब सपाट लिखें
तुम अब नया विचार दो कि सच को अब हम सपाट लिखें
धुंधला रहे इस वितान को यूं मिलके साफ़-साफ़ लिखें
अपरिचित मुख
न जाने कौन थे वो लोग जो पत्थरों में आग से लिख गए अनगिनत जिवंत कविताएं आज भी पठारों में खिलते हैं झरबेरी हल्की बूंदों से भी भरती हैं मृत मरू सरिताएं जाने क्या बात थी उनमें की गूंजती हैं आवाज़ें, मंदिर कलश को छुएं अतृप्त भावनाएं कुछ तो रहस्य था उनकी इस आत्मीयता में वो हर पल हर डगर उम्मीदों की अलख जगाएं नदी घाटों में वृन्द आरती गढ़े ...
**शब्दांश **
सम्मान का ,सम्मान देने वालों , सम्मान करते हैं ,
सहा है दर्द बहुत , देने वालों का एहतराम करते हैं --
इक वादा चाहिये.............
I am saying this with a great hope.
आज इस बात से कोई भी इंकार नही कर सकता कि वह पालीथिन का रोज प्रयोग नही करता (मैं भी करती हूँ)। आज इस पालीथिन ने हमारी जिन्दगी मे अपनी अहम जगह बना ली है । यह जानते हुये भी कि यह हानिकारक है, हम बडी सहजता से इसका प्रयोग करते हैं । प्राकृतिक विपदायें हमारी किसी एक या दो दिन की भूल का परिणाम नही होती, बरसों बरस तक प्रकति चुप चाप सब सहन करती है , और ..
नेता जी की बेगम !
नेता जी की बेगम
अन्त में देखिए-
यह पोस्ट और दो कार्टून

गुलाब

अलग अलग रंग और

गंध लिए

भिन्न भिन्न क्यारियों और

जलवायु से

चले आते हैं

फूलों की मण्डी में...

कार्टूनिस्ट इरफान ITNI SI BAAT पर लेकर आये हैं-

14 टिप्‍पणियां:

  1. नेट पर कम आने के अवसरों के चलते चर्चा मंच की महत्त मेरे लिए कहीं ज़्यादा हो जाती है. कई रोचक लिंक व कार्टून को स्थान देने के लिए आभार.

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  2. बहुत सुन्दर , उपयोगी और विस्तृत चर्चा ...

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  3. बहुत ही सुंदर चर्चा आज की...होली के रंग में रंगी हुई।

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  4. होली के अवसर पर हार्दिक शुभ कामनाएं |अच्छी लिंक्स के लिए आभार
    आशा

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  5. होली की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनायें।
    मेरी रचना को आपने मंच पर लिया , धन्यवाद ।

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  6. बहुत ही शानदार लिंक्स संजोये हैं…………होली के रंगों से सजी एक बेहद उत्तम चर्चा के लिये आभार्।
    आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनायें।

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  7. holi hai bahi holi hai.
    charcha ke bahane aapne chhodi rangon ki goli hai-
    bahut sundar rangon se sarabor charcha.mere aalekh"aya yahi aaj ke samachar hain?"lene ke liye aabhar....

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  8. link ko prastut karne ka tarika accha laga evm jakhira ko sthan dene ke liye dhanywad

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  9. बहुत सुन्दर चर्चा ...लिंक्स भी बहुत सुन्दर...

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  10. मेरे 'नव गीत ' को आपने चर्चामंच में स्थान दिया .......बहुत-बहुत आभार |

    आप सब को होली की हार्दिक शुभकामनायें ....

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"चर्चामंच - हिंदी चिट्ठों का सूत्रधार" पर

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