दोस्तों
आज कुछ कहने का मन नहीं है
जब से जापान की त्रासदी देखी है
तब से मन अशांत है
बस यही दुआ है
कुदरत से
अब तो रहम कर
चलिए
सीधे चर्चा की ओर
संकेत में छुपा सन्देश
पहचान सके तो पहचान
आइये मिलिए
और जहान रूठ गया
डालिए एक नज़र इधर भी
क्यों ?
जानिए एक शख्सियत को
बहुत फर्क होता है
वासंतिक बहार के रंग
होली के संग
जरूर होना जी
इस अंदाज़ में तो जरूर
किसे कहेंगे ?
जानिए यहाँ
ज़ख्म पर ज़ख्म खाने के लिए
दिल की किताब पर
सब बहा ले गयी
और आसमां रोयेगा
जानिए इनके बारे में
जब मन हुलसेगा
अन्दर भी बहता है
मगर तुम्हारी तलबगार हूँ मैं
ये कैसा लोकतंत्र है मेरा ?
किससे करूँ ?
अब कहाँ वो बात
मगर ले कौन ?
अपना असर दिखाती है
जिसमे समाया सारा जहान
क्या करोगे जानकर
यही तो देखने वाले की नजर है
नज़रिया अपना अपना
अब तो ले लो
प्रेम भी वित्तीय हो गया
"आई होली रे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
होली आई रे
रंग लाई रे
"पत्र-पत्रिकाओं में खटीमा ब्लॉगर मीट" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
देखिये कहाँ कहाँ तक रंग जमाया है
होली आई रे
रंग लाई रे
"पत्र-पत्रिकाओं में खटीमा ब्लॉगर मीट" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
देखिये कहाँ कहाँ तक रंग जमाया है
इससे सुन्दर और क्या होगा
आज की चर्चा को यहीं विराम देती हूँ
आपके विचारों की प्रतीक्षारत
आज की चर्चा भी काफी नए ब्लॉग की जानकारी दे गयी ..आपका आभार वंदना जी
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक/ उत्तम चर्चा.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा !
जवाब देंहटाएंpriya vandana ji
जवाब देंहटाएंnamskar !
aapke vidwat hanthon saji charcha , ati
sundar ,samyik & vicharniya hai .bahut
hi prasnashniya rachnayen padhane ko
mili .hridaya se aabhar .
चुनिन्दा पोस्ट्स से रूबरू कराती बेहतरीन चर्चा. बढ़िया लिंक्स. धन्यबाद और आभार.
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक मिले ,आभार
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंवंदना जी और शास्त्री जी को बधाई कि आपने इस तरह से अच्छे लेखन को बढ़ावा दिया है.वरना चयन करना बहुत मुश्किल हो रहा है कि क्या पढ़े और क्या न पढ़े?
जवाब देंहटाएंcharcha manch se jude karmath sahityakar mehnat karte hain aur lutf ham uthate hain
जवाब देंहटाएंdhanyavaad
meri post shamil karne ke liye bhi bahut bahut shukriya
वंदना जी आपका आभार चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए और इतने लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए
जवाब देंहटाएंजापान से मन खिन्न है, सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएंसारे जहाँ का दर्द हमारे जिगर में है!
जवाब देंहटाएं--
आज की चर्चा में बहुत से अच्छे लिंक मिले पढ़ने के लिए!
अच्छी और सार्थक चर्चा ...हरप्रीत जी से मिलना अच्छा लगा ..आभार
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक/ उत्तम चर्चा.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा
उत्तम चर्चा के लिए आपका आभार वंदना जी !
जवाब देंहटाएंवंदना जी,
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिक्स,बहुत सुन्दर चर्चा !
आभार !
bahut acchi rahi charcha...badhai
जवाब देंहटाएंवंदना जी आपका आभार चर्चा मंच पर मेरी रचना को स्थान देने के लिए और इतने लिंक्स उपलब्ध कराने के लिए....
जवाब देंहटाएंhttp://nimhem.blogspot.com/
वंदना जी,
जवाब देंहटाएंकई आयाम समेटे अच्छी चर्चा के लिए आभार...
बहुत सुन्दर चर्चा...बढ़िया लिंक्स .आभार
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छे लिंक्स . पढ़कर मज़ा आ गया.
जवाब देंहटाएंजापान की त्रासदी से मन बहुत भारी सा है ।
जवाब देंहटाएंफिर भी आपने इस पर भी पूरे मन से यह चर्चा सजायी
धन्यवाद
achchhe link
जवाब देंहटाएंsare rang hain ismen
mera khel lekh chunne ke lie dhnyvad
बहुत ही सुव्यवस्थित चर्चा....अच्छे लिंक्स के लिए बहुत बहुत आभार वंदना जी।
जवाब देंहटाएंवंदना जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार
सार्थक चर्चा। अच्छे लिंक्स दिए हैं आपने।
मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए आभार।
achhe links ke saath bahut badiya charcha ke liye aabhar. pahlee baar charchamanch par aayee hun, bahut suna tha, aaj dekhkar bahut achha laga ki blog par ek samanatar lekhan ho raha hai...
जवाब देंहटाएंhridy se aabhari hoon
जवाब देंहटाएंauro ko man dena aur aapanami rhna aaj ke smy me bhi aap jaise log hain sadhuvad ai pustk aap ko bhejna chahta honn kripya apna smprk dene ka ksht kren mera n0 0986884268
pun:aabhar
bahut sundar charcha
जवाब देंहटाएंVandana ji, aapke protsahan se bahut bal milta hai. bahut bahut dhanyawaad! Achchi charcha hai, abhi thode hi link dekhe hain, sabhi achche lage.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा.....
जवाब देंहटाएंइतने अच्छे संयोजन के लिए वाकई बधाई की पात्र हैं आप !
ज्ञानवर्धक सार-संकलन . आभार.
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी और खूबसूरत चर्चा है । रंग बिरंगे लिँकोँ को सजाया है आपने वन्दना दी चर्चा मेँ । छोटी मगर प्रभावशाली चर्चा के लिए आभार दी ।
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