कितना अच्छा लगता है जब हम नेट पर सर्फिंग कर रहे होते हैं अचानक एक पेज खुलता है जिसमें हम अपनी तस्वीर देख रहे होते हैं और अपना परिचय पढ़ रहे होते हैं|ऐसा ही हुवा कल मेरे साथ चर्चामंच के लिए लिंक ढूंढते हुवे - जब में खुद से परिचित हुवी …. आप भी देखिएगा वो पेज … आप भी वहाँ खुद को पायें तो आश्चर्य न करीयेगा| अमृतरस की आस है - डॉ नूतन डिमरी गैरोला BLOG WORLD.COM में |
बहुत विस्तृत एवं ढेरों लिंक..आभार.
जवाब देंहटाएंअभी से डरा रही हैं आप, होली पर आप से छिपने में तो खूब मजा आएगा,बहुत सुन्दर चर्चा सार्थक लिनक्स .बधाई..
जवाब देंहटाएंढेर सारे लिनक्स की बेहतरीन चर्चा...... मुझे जगह देने का आभार
जवाब देंहटाएंआपकी चर्चा हमेशा ही नया रंग लिए हुए होती है....
जवाब देंहटाएंआज भी अपवाद नहीं है...
आपका आभार..
इस उत्कृष्ट और समग्र चर्चा के लिए
जवाब देंहटाएंडॉ. नूतन गैरौला जी का आभार!
सुन्दर व सार्थक चर्चा, कई नये लिंक मिल गये आज भी।
जवाब देंहटाएंbehatarin prastuti .sundar fulo ka
जवाब देंहटाएंguldasta aap dwara sajaya gaya .
sadhuvad .
nutan ji bahut sundar v sarthak charcha pratut ki hai aapne .''neta ji ke usool 'ko charcha me sthan dene ke liye hardik dhanyvad .
जवाब देंहटाएंनेट की प्राब्लम के बाद भी सार्थक सुन्दर चर्चा । और
जवाब देंहटाएंअधिकाधिक उत्तम लिंक । ये आपका ही कमाल है ।
नूतन जी । धन्यवाद ।
नेट की प्राब्लम के बाद भी सार्थक सुन्दर चर्चा । और
जवाब देंहटाएंअधिकाधिक उत्तम लिंक । ये आपका ही कमाल है ।
नूतन जी । धन्यवाद ।
बेहतरीन और विस्तृत चर्चा !
जवाब देंहटाएंनेट की प्रॉब्लम के बावजूद इतनी अच्छी चर्चा प्रस्तुत करने के लिए आभार नूतन जी| 'वातायन' ब्लॉग को स्थान देने के लिए सहृदय आभार| इस ब्लॉग के ज़रिए हम अन्य रचनाकारों की रचनाओं को मित्रों के साथ साझा कर रहे हैं| इस हफ्ते होली पर कुछ विशेष प्रस्तुत करने का प्रयास है| आप लोग कल देखिएगा
जवाब देंहटाएंज़रूर|
http://vaataayan.blogspot.com
आभार नुतंनजी
जवाब देंहटाएंवंदना जी,
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल को चर्चामंच पर स्थान देने के लिए शुक्रिया. उसमे मेरा नाम (कुँवर कुसुमेश) सही कर दीजिये please.कुसुमेश ग़लत लिखा है.
पुनः धन्यवाद.
डॉ.गैरोला जी,
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल को चर्चामंच पर स्थान देने के लिए शुक्रिया. उसमे मेरा नाम (कुँवर कुसुमेश) सही कर दीजिये please.कुसुमेश ग़लत लिखा है.
पुनः धन्यवाद.
पहले कमेन्ट में जल्दी जल्दी में आपके नाम की जगह वंदना जी लिख गया.sorry.
नूतन जी
जवाब देंहटाएंसादर आभार चर्चा मंच में मुझे और मेरी कृति को स्थान देने के लिए...
सुर्यदीप www.suryadeepjaipur.blogspot.com
ब्लॉग व्यवस्थापक द्वारा आपके नाम की वर्तनी सही कर दी है!
जवाब देंहटाएंकुँवर कुसुमेश जी!
शुक्रिया!
जवाब देंहटाएंविस्तृत और उपयोगी चर्चा ..बहुत से नए लिंक्स पर जाना हुआ ...आपके साथ होली खेलने का इंतज़ार है :):)
जवाब देंहटाएंढेर सारे लिंक देकर बहुत खूबसूरती से प्रस्तुत किया है आपने! बहुत सुन्दर चर्चा रहा! मेरी कविता का लिंक चर्चा पर शामिल करने के लिए धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंनूतन जी
जवाब देंहटाएंआज तो कमाल कर दिया…………इतने लिंक्स दिये है कि सारे सप्ताह बैठकर पढते रहेंगे…………बहुत मेहनत की है……………लग रहा है होली के सारे रंग आप हीलेकर बैठ गयी हैं और हमारे लिये सिर्फ़ पानी ही छोडा है…………बेहद शानदार चर्चा…………आभार्।
विस्तृत और उपयोगी चर्चा ..बहुत से नए लिंक्स पर जाना हुआ
जवाब देंहटाएंबहुत विस्तृत चर्चा और इतने ख़ूबसूरत लिंक्स..आभार
जवाब देंहटाएंढेर सारे लिक्स ... बेहतरीन चर्चा....
जवाब देंहटाएंखूबसूरत एवं सराहनीय प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंThank you for the mention on your manch Nutanji.
जवाब देंहटाएंSabhaar