रचना | Source: नारी , NAARI
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खुशदीप सहगल बता रहे हैं-
* *ठिठुरते हुए पंछी *
*टहनियो से मूँह निकाल *
*झांकती बसंती कूप * * *
*मदमस्त हवा के *
*सुरूर से चलो*
*टकरा लिया जाय*
पर पढ़िए यह आलेख-
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माटी से दीपक बनाया
अग्नि से उसे पकाया
सुन्दर दिखे इस प्रयास में
कई रंगों से उसे सजाया |
1.
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आभार इस चर्चा के लिए....
जवाब देंहटाएंअच्छी चर्चा के लिए आभार....
जवाब देंहटाएंअच्छे लिनक्स मिले ...सुंदर चर्चा ...मुझे
जवाब देंहटाएंजगह देने का आभार
बढ़िया लिंक्स.
जवाब देंहटाएंयह फ़टाफ़ट चर्चा तो बहुत सारे लिंक्स समेटे हुए है ..जाते हैं अब धीरे धीरे ... आभार
जवाब देंहटाएंफ़टाफ़ट चर्चा भी बहुत बढिया रही………………सुन्दर लिंको से सजी सुन्दर चर्चा…………आभार्।
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स से सुसज्जित चर्चा । आभार...
जवाब देंहटाएंफटाफट लिंक्स भी गज़ब हैं. जाना पड़ेगा फटाफट अब. कार्टून भी बढ़िया हैं .
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी चर्चा और लिंक ...आभार इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिये ।
जवाब देंहटाएंआज की फटाफट चर्चा में भी कुछ बात है. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंफटाफट चर्चा -
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा है -
बहुत अछे लिनक्स हैं और कार्टून भी बढ़िया हैं -
मुझे इस चर्चा में शामिल करने के लिए बहुत बहुत आभार आपका -
आभार इस चर्चा के लिए , अच्छे लिनक्स मिले .
जवाब देंहटाएंbahut sundar charcha kee hai ..shastri ji aapne... achhe links..
जवाब देंहटाएंशास्त्रीय संगीत जैसा आनंद देने वाली चर्चा के लिेए आभार...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...