नमस्कार , हाज़िर हूँ आपके समक्ष मंगलवार की चर्चा ले कर ….इस सप्ताह की बेहतरीन काव्य रचनाएँ प्रस्तुत हैं ….भिन्न भिन्न बगिया से चुन लायी हूँ अलग अलग किस्म के फूल …..ज़रा बताइए कि गुलदस्ता कैसा सजा है ?आज महिला दिवस पर कुछ विशेष रचनाएँ आयीं हैं , कोशिश की है कि उनको आप तक पहुंचा सकूँ … आज कल ज्यादातर छंदमुक्त रचनाएँ ही देखने में आती हैं , लेकिन जो रस छंदबद्ध कविताओं में मिलता है वो भला और कहाँ ….तो आज नए छंद से चर्चा प्रारंभ कर रही हूँ --- कुंडलिया छंद से -- |
![]() " कुंडलिया छंद की शुरुआत "
ज्ञान बाँटने से कोई, होता नहीं विपन्न।
विद्या धन का दानकर, बन जाओ सम्पन्न।।
"कुण्डलियाँ के साथ परिभाषा"
कह ‘मयंक’ असहाय, नारि अबला-दुखियारी।
बिना स्नेह के सूख रही यह केशर-क्यारी।।
|
![]() मुहब्बत ठहर जाती है हम अक्सर यह समझते हैं जिसे हम प्यार करते है उसे हम भूल बैठे हैं मगर ऐसा नहीं होता मोहब्बत धीमी आग है महोब्बत ठहर जाती है !!! | ![]() भोर ने आज जब थपकी दे कर मुझे उठाया जाने क्यों ऐसा लगा सवेरा कुछ देर से आया |
![]() अयोग्य घोषित कर दिया गया हर विधा में पारंगत थी आसमानों को छूती थी हर क्षेत्र की ज्ञाता थी सबके मन को भाती थी नित नए सोपान गढ़ती थी |
![]() जीवन है अभाव की मंजिल, नहीं तृप्ति की परिभाषा, है अतृप्ति की सफल शिखरिणी चिर अभिशापित अभिलाषा ! | ![]() " तवा " |
जब मौन मुखर होता है ,
शब्द चुक जाते है |
तब अहसासों की प्रतीती में , पुनः वाणी जन्म लेती है| |
![]() आज फिर मन उदास ! आँख में अतीत, हृदय में प्यास ! आज फिर मन उदास !! आज फिर मन उदास !! | ![]() |
![]() कभी-कभी लगता है मन में जीने का क्या मानी है वही सफल दिखता है जिसका जीवन ही बे-पानी है |
![]() वक्त की साजिशों | ![]() अजनबियों पर यूं न इस तरह तुम |
![]() आपकी दीवानगी बिल्कुल लगे मेरी तरह, ये अचानक आप कैसे हो गए मेरी तरह। इक अकेला मैं नहीं कुछ और भी हैं शहर में, जेब में रक्खे हुए दो चेहरे मेरी तरह। |
हम - तुम साथ जलें |
मेरे घर की खिड़की से नजर आता था
एक ऊंचा ,घना, हरा भरा पेड़
रोज ताका करती थी उसे
|
![]() माँ बताओ न मुझे भी मां कविता लिखनी है कुछ बताओ न ....। |
मेरे आँगन की देहरी पर,
साँझ ढले दीपक जलता है. |
सजग, सचेत, सबल, समर्थ
आधुनिक युग की नारी है
मत मानो अब अबला उसको ,
सक्षम है बलधारी है
|
![]() टूटतीं लहरों में जीने की उम्मीद बंधे अभी तो डूबा है, सूरज सागर पार | ![]() मरने से पहले |
कभी देवी बनाकर मन्दिर में सिंहासन पर बैठाया. समझ कर ज़ागीर कभी जूए में दांव पर लगाया. |
![]() अपनी तो ज़िन्दगी है यारों सड़कों पे | ![]() नियति या ..प्रवर्ति |
![]() दुधमुहा दिन तुतलाती बोली में कोमल नन्हे हाथ से खींच कर मेरा ध्यान पूछ रहा है 'क्या उपहार लाये हो मेरे लिए? |
मुझ जैसे बेसब्र लोग, बड़ी खुशियों की ,छोटी संभावनाओं को बर्दाश्त ज़रा कम कर पाते हैं | पर डरती हूँ कहीं पूछ न बैठो तुम, तुम भी तो कहाँ रखती हो आंचल आज कल. |
आया वसंत छाई बहार
सज उठी धरा कर नव सिंगार,
बिखरा मद मधुर नेह पाकर
कण-कण महका छाया निखार
|
लोरियाँ
माँ की आवाज
अंधेरों में सोते से
अचानक जगाती है
| ![]() कोशिशें, / किसी उपग्रह से असफलता का चक्कर लगाती हुईं / मेरे ज़ख्मों की डायरी को दीमक बनकर चाट गयीं ! |
. कैसे कैसे वादों से मिलकर ,
रेत की दीवारें खड़ी की हैं, आंसू गिरा गर कोई , बिखर जायेंगी ..... |
घर की चारदिवारी, / घुटती नारी, /बोतल में- /बंद सी,
| ![]() अतीत से आवाज़ आती है कि तुझमें भी कोई बात है |
क्यों करते हो ढोंग हमारे उत्थान का आज भी खिला देते हो अफीम नव-जन्मा को |
![]() एक अरसा हो गया है, बेधड़क सोता नहीं दिल भरा बैठा हुआ है टूट कर रोता नहीं | ![]() |
शासक ने शासित को लूटा औ धनिकों ने निर्धन को
निस्सहाय को न्याय कहाँ है सबल कूटते निर्बल को कठपुतली का खेल चल रहा संसद के गलियारे में खेलों से आहत मानवता सिसक रही अंधियारे में |१| |
नींद खो गई है भूख सो गई है सिर्फ प्यास लग रही है उफ़ ! ये इश्क | ![]() सोचती हूँ कि वो रातें, जो इस तसल्ली मिली बेचैनी से बिता दी जाती थीं, |
![]() तेरा अहसास मेरे वजूद को सम्पूर्ण बना देता है |
![]() जय हो भाग -१ | ![]() शब्द शंकर हो गए बनी भावनाएं भभूत घंटियों की ध्वनि से बरस रहा रस है |
बेमन ही लिखते रहे तुम असंगत वाक्य अर्थहीन खुरदरी भाषा ऊबड-खाबड शब्द और फिर झुँझला कर काटते रहे । |
![]() | जहाँ औरतें नहीं .. |
कि न फ़िक्र हो
तुमको मेरी, न मुझे तेरा ख्याल हो, या खुदा वो दिन न हो, जिसमें ये अपना हाल हो. |
![]() रेगिस्तान में बनाया था घर उम्मीदों की फसलें थीं और आँखों का पानी. |
लीजिए सप्ताह भर की काव्य रचनाएँ प्रस्तुत कर दी हैं …आशा है आपको इनकी सुगंध ने ज़रूर भरमाया होगा …दीजिए अब इजाज़त …फिर मिलती हूँ अगले मंगलवार को सप्ताह भर की काव्यकृतियों के साथ ….नमस्कार |
महिला दिवस पर प्रस्तुत बहुत सुंदर काव्य चर्चा संगीताजी ...आभार
जवाब देंहटाएंमहिलाओं पर लिखी गईं कविताओं को पढ़ने का आनंद ही कुछ और होगा |वैसे भी आपकी खोजी आँखें खोज ही लेती हैं कई सारी लिंक्स |बहुत अच्छी रही आज की चर्चा बहुत बहुत बधाई और आभार
जवाब देंहटाएंआशा
संगीता जी बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है आज ! मुझे भी इसमें स्थान देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ! आपके द्वारा सजाये गये साप्ताहिक काव्यमंच का अधीरता से इंतज़ार रहता है ! ब्लॉग वाटिका के समस्त सुन्दर सुमनों का यह गुलदस्ता सचमुच अनूठा है ! बधाई एवं शुभकामनायें ! नारी दिवस पर आप सभी का अभिनन्दन !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर काव्य चर्चा
जवाब देंहटाएंइस दिन का इंतज़ार रहता है, जब एक साथ सप्ताह भर की कविताओं का पिटारा एक बार मिल जाता है और हामारा सप्ताह भर का कार्यक्रम तय हो जाता है।
जवाब देंहटाएंमंगलवार का काव्य मंच
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर लिंकों से सजाया है आपने!
महिला दिवस पर सभी को बहुत-बहुत बधाईं!
--
केशर-क्यारी को सदा, स्नेह सुधा से सींच।
पुरुष न होता उच्च है, नारि न होती नीच।।
नारि न होती नीच, पुरुष की खान यही है।
है विडम्बना फिर भी इसका मान नहीं है।।
कह ‘मयंक’ असहाय, नारि अबला-दुखियारी।
बिना स्नेह के सूख रही यह केशर-क्यारी।।
हमेशा की तरह बेहतरीन ...
जवाब देंहटाएंपूरी पढने में तो समय लगेगा ...
अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत शुभकामनायें !
shukriya sangeeta ji
जवाब देंहटाएंmahila divas ki 100vi jayanti par aap sabhi ko hardik shubhkamnayen.nari ke kavita blog se hamari post ko sthan dene ke liye bahut bahut aabhar.anya links behtareen chune gaye hain.badhai...
जवाब देंहटाएंमहिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.हमारी पोस्ट को स्थान देने के लिए आभार.अन्य लिनक्स के विषय में आपकी चयन क्षमता काबिले तारीफ है..बधाई..
जवाब देंहटाएंसंगीता जी महिला दिवस पर प्रस्तुत बहुत सुंदर काव्य चर्चा. आप वैसे भी काफी चुन चुन के कवितायेँ लाती है सो आज महिला दिवस इस पठन पाठन में ही निकल जाने वाला है. सुंदर चर्चा के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंसंगीता जी -मेरी इस कृति को चर्चा मंच पर लेने के लिए धन्यवाद |आज महिला दिवस के अवसर पर सभी को मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं |महिलाओं को अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए और पुरुषों को उनका सहयोग करने के लिए |
जवाब देंहटाएंहम-तुम साथ जलें --इस रचना के माध्यम से मैं यही कहना चाहती हूँ कि नारी एक सम्पूर्णता का एहसास पुरुष को दिलाती है और उसी में सम्पूर्णता पाती है |यही उसका कर्त्तव्य भी है |वो ऐसी धूरी है जिसके चारों तरफ उसका परिवार,समाज,राष्ट्र ,और फिर पूरा विश्व ही घूमता है | प्रेम का प्रकाश फैलाना उसका प्रथम कर्त्तव्य है और इसकी शुरुआत अपने परिवार से ही होती है |
संगीता जी मैं आपकी ह्रदय से आभारी हूँ आपने आज के दिन मेरी इस कविता को चर्चा मंच के लिए चुना |
AAJ KA CHARCHA -MANCH vishesh aakarshano se bhara hai .Badhai aapko .
बहुत सुन्दर चर्चा सजाई है आज|मुझे भी इसमें स्थान देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंअन्तराष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत शुभकामनायें|
अच्छे सार्थक रचना का संकलन करने के लिए
जवाब देंहटाएंऔर मेरे रचना को भी स्थान देने के लिए
आप सब को आभार
|बहुत अच्छी रही आज की चर्चा....अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंआभार
sabhi rachnayen ek acche path par le jaane ki or prerit karti hain...
जवाब देंहटाएंmeri rachna ke anusaar ...hame apne sadvichaaron ko nahi bhulna chahiye aur aaj me jina chaiye ...kal agar ham acche the to acche fal mile ...usi acchai ko aaj bhi jaari rakhnna chahiye..
aatmnirbhar bane sab koi....aur sakrattmak soch ek acche kal ke liye...
har manv me acchai hoti hai use bhulna nahi chahiye....
sabhi bado ko aabhar...
सारगर्भित और काव्य-परिपूर्ण एक बेहद सुन्दर चर्चा , संगीता जी !
जवाब देंहटाएंbahut sundar chitthha charcha....charchaa aisa hi hona chaahiye.
जवाब देंहटाएंमहिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
जवाब देंहटाएंउमदा लिन्क्स सरस चर्चा। आभार।
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनायें ! नारी दिवस पर आप सभी का अभिनन्दन !
जवाब देंहटाएंमहिला दिवस पर इस काव्यमयी प्रस्तुति के लिए बधाई। महिला दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसबसे पहले तो अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी को बहुत - बहुत शुभकामनायें..
जवाब देंहटाएंसंगीता जी आज के चर्चा मंच पर सार्थक रचनाओं का संकलन प्रस्तुत करने के लिए तथा मेरी रचना को भी इसमें स्थान देने के लिए आपका बहुत - बहुत धन्यवाद्...
आज का दिन तो वैसे भी हमारे लिए महत्वपूर्ण है, इसे आपने और भी खास बना दिया, इसके लिए मैं आपकी ह्रदय से आभारी हूँ...
महिला वर्ष मनाने के १०० वर्ष पूर्ण हो चुके हैं. काफी हद तक दशा और दिशा दोनों बदलीं हैं. अपने घर, परिवार व सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करते हुए महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं, परन्तु विडम्बना है, कि कन्या भ्रूर्ण हत्याओं के मामले बढते ही जा रहे हैं, जिसे रोकना आज सबसे जरूरी है.
बेहतरीन लिंकों से सजी चर्चा , महिला दिवस पर बहुत सारी बढ़िया पोस्टें पढने को मिली .
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंसार्थक और रचनात्मक , रचनाओं को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपको हार्दिक बधाई
जवाब देंहटाएंसंगीता इस बेहतरीन प्रस्तुति के बहुत-बहुत बधाई एवं सदा को शामिल करने के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंसंगीता जी...नमस्कार...महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ...बहुत ही सुंदर और मनभावन चर्चा है आज की....
जवाब देंहटाएंसंगीताजी, महिला दिवस पर कई रचनाएँ चर्चामंच पर आपके सौजन्य से पढ़ने को मिलीं, शुभकामनाये, धन्यवाद और आभार !
जवाब देंहटाएंमहिला दिवस पर बहुत सुन्दर चर्चा प्रस्तुत करने के लिये बधाई..मेरी रचना को चर्चा में सामिल करने के लिये धन्यवाद...आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर काव्य चर्चा ... मुझे भी इसमें स्थान देने के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ...
जवाब देंहटाएंमहिला दिवस की हार्दिक बधाई।
जवाब देंहटाएंआज महिला दिवस पर बहुत ही सुन्दर काव्यमयी प्रस्तुति है चर्चा मंच पर्…………बहुत सुन्दर लिंक संजोये हैं……………काफ़ी नये लिंक्स भी मिले…………आभार्।
साप्ताहिक काव्यमंच का इंतज़ार रहता है, मंच सचमुच अनूठा है, सुंदर काव्य चर्चा, संगीताजी ...आभार, अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस की बहुत शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंसंगीता जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार
आज के चर्चामंच में विविध रंगों के काव्यपुष्पों से सजा गुलदस्ता अपनी छटा बिखेर रहा है।
मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए आभार।
सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंचर्चा का क्या कहें.... सुन्दर, समेकित, सुसंस्कृत, सुरम्य........ "जंह-तंह छवि वरनत सब लोगु ! अवसि देखिये देखन जोगु !!" और इसमें मुझ नाचीज को भी स्थान मिला..... 'जन्म हमार सुफल भा आजू'! बहुत-बहुत धन्यवाद संगीता जी !
जवाब देंहटाएंsunder kaavy rachna aur apki mehnat ko salaam. nari diwas ke liye shubhkaamnaayen. meri rachna ko yahan sthan dene ke liye aabhar.
जवाब देंहटाएंअन्तराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी को बहुत-बहुत बधाईं!
जवाब देंहटाएंसंगीता जी, बहुत बहुत धन्यवाद चर्चा मंच में मेरी रचना को शामिल करने के लिए |
आपकी इस प्यार भरी मेहनत की जितनी भी प्रशंसा की जाय, कम है |
इतने सारे और खूबसूरत से पेश किये गये लिनक्स के लिए आभार |
behtreen charcha ... sangeeta ji ... bahut kamaal ke links liye hain... umdaa..
जवाब देंहटाएंmeri oor se bahut-bahut dhanybad aur shubhkamnayen....
जवाब देंहटाएंसंगीता जी चर्चा मंच में मेरी कविताओं को शामिल करने का धन्यवाद । इतनी सारी सुन्दर काव्य-प्रस्तुतियों के साथ-साथ महिला-दिवस की भी आपको हार्दिक बधाई ।
जवाब देंहटाएंSangeeta ji......
जवाब देंहटाएंbahut sundar charcha ..meri rachna ko sthan dene k liye bahut bahut shukriya...