चर्चा मंच के सभी पाठकों को चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ का आदाब!
दोस्तों! आज मैं पहली दफ़ा आप लोगों से मुख़ातिब हूँ और प्रस्तुत कर रहा हूँ एक लघु चर्चा। अपना परिचय मैं ख़ुद क्या दूँ बस एक इल्तिज़ा है आपसे कि-
याँ पे तो बिन बुलाये चले आइये ज़नाब! ख़ुश होइए भी और ख़ुशी लुटाइए ज़नाब! अब आ ही गये मेरे अंजुमन में तो रुकिए! जाना है तो चुपके से चले जाइए ज़नाब! बन तो गया हूँ बुत मैं भले संगेमरमरी, अब छोड़िये भी और न बनाइए ज़नाब! ‘ग़ाफ़िल’ हूँ मेरी बात हंसी में उड़ाइए! ख़ुद पे यक़ीन हो तो मुस्कुराइए ज़नाब!
आज की चर्चा में मैंने कुछ ऐसे नये ब्लॉगरों को भी शामिल करने की कोशिश की है जो प्रोत्साहन के आभाव में नयी रचनाएं या तो लिख नहीं पा रहे हैं या कभी कभार लिख दे रहे हैं अन्यमनस्क से। यद्यापि उनकी रचनाएं बेहद उम्दा होती हैं ऐसी ही एक हस्ती हैं-
दोस्तों! आज मैं पहली दफ़ा आप लोगों से मुख़ातिब हूँ और प्रस्तुत कर रहा हूँ एक लघु चर्चा। अपना परिचय मैं ख़ुद क्या दूँ बस एक इल्तिज़ा है आपसे कि-
याँ पे तो बिन बुलाये चले आइये ज़नाब! ख़ुश होइए भी और ख़ुशी लुटाइए ज़नाब! अब आ ही गये मेरे अंजुमन में तो रुकिए! जाना है तो चुपके से चले जाइए ज़नाब! बन तो गया हूँ बुत मैं भले संगेमरमरी, अब छोड़िये भी और न बनाइए ज़नाब! ‘ग़ाफ़िल’ हूँ मेरी बात हंसी में उड़ाइए! ख़ुद पे यक़ीन हो तो मुस्कुराइए ज़नाब!
आज की चर्चा में मैंने कुछ ऐसे नये ब्लॉगरों को भी शामिल करने की कोशिश की है जो प्रोत्साहन के आभाव में नयी रचनाएं या तो लिख नहीं पा रहे हैं या कभी कभार लिख दे रहे हैं अन्यमनस्क से। यद्यापि उनकी रचनाएं बेहद उम्दा होती हैं ऐसी ही एक हस्ती हैं-
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जिन्होंने अपने ब्लॉग ''शालिनी की कलम से'' पर लगभग दो महीने पहले बताईं थीं कि भारत में बौद्ध धर्म के विकास और ह्रास का क्या कारण रहा है लेकिन उसके बाद कुछ नहीं बताईं शायद उनको प्रोत्साहित नहीं किया गया इसलिए। देखिए ‘‘शालिनी की कलम से’’ ब्लॉग पर उनकी शोधपरक रचना ‘बौद्ध धर्म का विकास और ह्रास: भारत के विशेष सन्दर्भ में’
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बरसात का मौसम ऐसे में प्रत्येक प्राणी कुछ अपने रास-रंग में तथा कुछ जीवन-रक्षण के उद्योग में तत्पर हो जाते हैं। इस मौसम में सबसे ज्यादा ख़तरा सांपों से होता है ऐसी स्थिति से निपटने के लिए अरविन्द मिश्र जी ‘‘सर्प संसार’’ ब्लॉग पर लेकर आये हैं ‘सर्प दंश का वियाग्रा फार्मूला!’
सूरते-हाल पर क़ाबिले-आज़माइश है।
सूरते-हाल पर क़ाबिले-आज़माइश है।
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राजीव तनेजा जी ''हंसते रहो'' ब्लॉग पर कह रहे हैं 'इन्तिहां हो गयी...हर बात की' हाल ही में हिन्दी ब्लॉगजगत में घटित एक सच्ची घटना एवं कल्पना का ये समिश्रण
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वय में बड़े पर ब्लॉग-संसार में नवजात एक विशिष्ट कवि डॉ0 विजय कुमार शुक्ल 'विजय' के 'अन्तर्द्वन्द्व' को देखिए! उनके ब्लॉग ''तिमिर-रश्मि'' पर केवल देखिए ही नहीं इस कविता की समालोचना भी प्रस्तुत करिए! यह रचना समालोचना के लिए प्रस्तुत है
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'प्रवास-यात्रा पर हवा का प्रभाव'
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अन्जू जी "अपनो का साथ" पर 'मैं' शीर्षक में अपने को व्याख्यायित कर रही हैं
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गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी "कथा-कहानी" ब्लॉग पर लेकर आई हैं अपनी सुन्दर कहानी 'मन्दबुद्धि'
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सुरेन्द्र सिंह 'झंझट' जी "झंझट के झटके" पर 'इंसान और राक्षस' की वृत्तियों का पर्दाफ़ाश कर रहे हैं
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रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' जी अपने ब्लॉग "सहज साहित्य" पर सबको बुला रहे हैं 'गुलमोहर की छाँव में'
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मृदुला हर्षवर्धन जी "अभिव्यक्ति" पर जो 'आकांक्षा' कर रही हैं आप स्वयं पढ़ लें
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इसी क्रम में देखिए "अभिव्यक्ति" पर ही मृदुला हर्षवर्धन जी की
एक और रचना "माँ"
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"दिनेश की दिल्लगी, दिल की सगी" पर देखिए दिनेश चन्द्र गुप्ता ‘रविकर’ की अनोखी रचना 'जिंदगी तो योजनाओं से परे है'
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"My Unveil Emotions" पर डॉ0 आशुतोष मिश्र जी ‘आशू’ फ़रमा रहे हैं कि 'दिव्या जी के ब्लॉग पे छिड़ा महा धर्मं संग्राम'
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आज की चर्चा यहीं समाप्त करता हूँ क्योंकि एक तो मैं एकदम नौधुआ! दूजे आज न जाने क्यों ब्लॉगर भी परेशान कर रहा है। आप लोग इस चर्चा पर अपनी राय अवश्य दीजिएगा और अच्छाइयों का सेहरा मेरे सर तथा कमियों की तोहमत माननीय शास्त्री जी के सर जिन्होंने इस ग़ाफ़िल को इतनी बड़ी जिम्मेदारी के काबिल समझा।
शास्त्री जी को बहुत-बहुत आभार तथा आप सबको नमन!
-चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
शास्त्री जी को बहुत-बहुत आभार तथा आप सबको नमन!
-चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’
लिंक्स देख कर तो नहीं लगा कि आप नए चर्चा कार हैं |अच्छी चर्चा |पहली चर्चा के लिए बधाई |
जवाब देंहटाएंआशा
नया नया इक साथी आया,
जवाब देंहटाएंआकर बड़ा धमाल मचाया |
सुन्दर लिंक सहेजे न्यारे -
नव-रचना-कारों को लाया ||
ग़ाफ़िल भाई, आपने तो पहली ही इनिन्ग में सेंचूरी मार दिया! बधाई हो।
जवाब देंहटाएंयह एक ऐसी चर्चा थी जो शुरु से अंत तक पढ़ने के दौरान एक रचना पढ़ने का-सा सुख देती रही।
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’जी,
जवाब देंहटाएंपहली बार आप द्वारा तैयार किया गया ये चर्चामंच खूबसूरत है.बधाई.
बड़ी ही रोचक चर्चा।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंDear Gafil ji
जवाब देंहटाएंThank you for the double treat (including my 2 creations back to back)
Regards
Naaz
बहुत अच्छी चर्चा गाफिल साहब .......अच्छे लिंक्स दिए हैं
जवाब देंहटाएंमेरी रचना भी शामिल करने का बहुत-बहुत आभार
चर्चा के लिए आप सबका आभार !
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा की है भाई. आप की चर्चा ब्लॉग संसार संकलक मैं भी दिखाई दे रहा है.
जवाब देंहटाएंबड़ी ही रोचक चर्चा।
जवाब देंहटाएंचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’जी,
जवाब देंहटाएंचर्चा के लिए आपका आभार
प्रभावशाली चर्चा .
जवाब देंहटाएंआप सभी सुधीजनो का बहुत-बहुत शुक्रिया जो ग़ाफ़िल के भी कारनामे की भी सराहना की इससे हमारा अतिउत्साह वर्द्धन हुआ है पुनः आप लोगों का आभार
जवाब देंहटाएंupyogi liks....aabhar
जवाब देंहटाएंghail sir.. aaj kisi atyavashk kam se mujhe aanan fanan mein jaan pada..aur main charch manch ki abhi tak shamil na ho paya tha..aane ke baad rachnayein padhi..sachmuch aapka ye pahla prayas nahi lag raha hai..divya ji ke blog per likhi meri rachna ko aapne shamil kiya ..mujhe is kabil samjha .. hardi badhayiyi..ek sabse badhiya baat jo lagi wo ye hai ki aapne naye chehron ko charcha manch se joda..utsahi kiya..lekhan ke praati unki kalam ko jagrat kiya..iske liye aap badhyiyi ke patra hain..dher sari shubhkamnaon ke sath
जवाब देंहटाएंचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’जी,!
जवाब देंहटाएंआपने चर्चा का बहुत अच्छा समन्वय प्रस्तुत किया है♥3
आपका स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ!
ग़ाफ़िल साहब आपनें बहुत संतुलित और सुन्दर लिंक दिया है और उसमें मरी भी रचना को शामिल किया है बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई
जवाब देंहटाएंग़ाफ़िल साहब आपनें बहुत संतुलित और सुन्दर लिंक दिया है बहुत-बहुत धन्यवाद और बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी चर्चा बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंमेरी कहानी को यहाँ उजाले में लाने का बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा । मेरी कविता को भी स्थान मिला यहाँ , आभारी हूँ ।
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह सुन्दर चर्चा।
जवाब देंहटाएं------
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