दोस्तों
आज से सावन के सोमवार शुरु हो रहे हैं भोले नाथ के……आप सब को
बधाइयाँ ………मै तो चाहती थी कि आप सबको भोलेनाथ के रंग मे
सराबोर कर दूँ और सबको लगे कि सावन के पहले सोमवार पर जैसे
भोलेनाथ के दर्शन कर लिये हों मगर ब्लोगजगत के हमारे ब्लोगर दोस्तों के पास शायद उस तरह का लिखने को कम है तभी सबको मेल करने के बावजूद भी सिर्फ़ गिन चुने लिंक्स ही मिल पाये……चलो जी जैसे भोलेनाथ की मर्ज़ी………आइये चर्चा मंच पर आप सबका स्वागत है
भजन डाउनलोड करने की 2 बेहतरीन साईट
अरे वाह ये तो बहुत बढिया बताया
"गुरु महिमा"..........(सद्गुरुओं का सान्निध्य)
गुरु बिन ज्ञान कहाँ से पाऊँ
नेत्र तीसरा खुले और
आज से सावन के सोमवार शुरु हो रहे हैं भोले नाथ के……आप सब को
बधाइयाँ ………मै तो चाहती थी कि आप सबको भोलेनाथ के रंग मे
सराबोर कर दूँ और सबको लगे कि सावन के पहले सोमवार पर जैसे
भोलेनाथ के दर्शन कर लिये हों मगर ब्लोगजगत के हमारे ब्लोगर दोस्तों के पास शायद उस तरह का लिखने को कम है तभी सबको मेल करने के बावजूद भी सिर्फ़ गिन चुने लिंक्स ही मिल पाये……चलो जी जैसे भोलेनाथ की मर्ज़ी………आइये चर्चा मंच पर आप सबका स्वागत है
बाबो दौड़यो आवैगो पुकार तो करो............
बिल्कुल सही कह रहे हैं
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शायद सच है
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बहुत मुश्किल है
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देखना है अब नज़ारा
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मुझे यकीन है ….
इसे बनाये रखेंसन्यासी विद्रोह और उसके सबक ( 1763-1800 )
सीखना जरूरी है
एक छोटी सी प्रेम कहानी जो इतिहास बन गई A love story between sea wave and mountain
ऐसी ही कहानियाँ इतिहास बनती हैं
दोस्तों आखिर मे एक पोस्ट और जिसे वेद व्यथित जी ने
मेरे मेल पर कहने पर लिखा है और सीधा मुझे ही भेज दिया है
वो काम मे बिज़ी थे इसलिये ब्लोग पर नही लगा सके
उन्ही के शब्दो मे जैसा मेल आया है वैसा ही प्रस्तुत कर रही हूँनेत्र तीसरा खुले और
ये जग का कष्ट दूर हो
सत्ता में बैठे भस्मासुर
उन का दर्प चूर हो
कहाँ समाधि में हो शिव शंकर
नेत्र तीसरा खोलो
भारत पर संकट है भारी
बम २ फिर बोलो
वन्दना जी अभी कम्पुटर खोला तो आप कि कृपा पूर्ण मेल प्राप्त हुई है इसी पर यह रचना तुरंत पोस्ट कर दी है
आप ने याद किया हार्दिक आभार
डॉ.वेद व्यथित
बदल जाए अगर माली,
जवाब देंहटाएंचमन होता नहीं खाली,
बहारें फिर भी आती हैं,
बहारें फिर भी आयेंगी....
--
आज की चर्चा ने तो बहुत कुछ कह दिया!
achchhi charcha |
जवाब देंहटाएंbam-bam bhole
वंदना जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार
भक्ति भाव से पूरित लिंक्स मिले, अच्छा संकलन।
मेरी रचना को शामिल करने के लिए आभार।
आप से आग्रह है कि आप चर्चामंच में स्थायी रूप से बने रहें।
भक्ति रस से सरोबोर करते सुन्दर लिंक्स
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा को पढ़ के दिल हुआ रंजूर है.
जवाब देंहटाएंलोग अच्छे हट रहे,ये भी कोई दस्तूर है ?
शास्त्री जी, वंदना जी को न हटने दीजिये,
वंदना जी का हमें हटना नहीं मंज़ूर है.
****************
रंजूर=दुखी
sundar prastuti ...hardik badhai ...
जवाब देंहटाएंachchhe link ,khoobsoorat charchaa ,aabhar
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स के साथ बेहतरीन चर्चा ।
जवाब देंहटाएंsabse pahle shukrgujaar hoon aapki apni charcha me meri love story ko sthan dene ke liye.aur behtreen link ke liye bhi.lekin jaate jaate apne aakhiri charcha kahkar man udaas kar diya.is charcha ke liye aapka aabhar.
जवाब देंहटाएंवंदना जी ,
जवाब देंहटाएंनमस्कार ..
सावन के पहले सोमवार की भक्तिमय चर्चा ...!!बहुत बढ़िया लिंक्स...कृपया सफ़र जारी रखें ....!!
वंदना जी,
जवाब देंहटाएंनमस्कार
भक्ति भाव से पूरित लिंक्स मिले, अच्छा संकलन।
आप से आग्रह है कि आप चर्चामंच में स्थायी रूप से बने रहें।
नमस्कार वंदना जी ,
जवाब देंहटाएंमेरी पोस्ट को चर्चा मार्च में शामिल करने के लिये आप का बहुत-बहुत आभार....
Saawab sombaar ke awasar par badiya bhaktimayee charcha ke liye aabhar!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भक्तिमय चर्चा...मेरी रचना को शामिल करने के लिये धन्यवाद..आप जैसे लोग अगर चर्चा मंच छोडने की सोचेंगे तो यह चर्चा मंच की बहुत बड़ी हानि होगी. पुनर्विचार करिये अपने निर्णय पर. आभार
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंbadhaee .bahut badhia links hain.
जवाब देंहटाएंacchha laga
जवाब देंहटाएंwaah !
सत्ता में बैठे भस्मासुर
जवाब देंहटाएंउन का दर्प चूर हो
कहाँ समाधि में हो शिव शंकर
नेत्र तीसरा खोलो ..
सुन्दर अति सुन्दर भक्तिमय आव्हान गीत....
शुभ कामनाएं !!!
हो सकता है विदाई का वक्त आ रहा हो ||
जवाब देंहटाएंशीर्षक कुछ समझ नहीं आया बन्दना जी |
क्या कोई संकेत दिख रहा है ??
हो सकता है ----
इस हो सकता है को कौन सुनिश्चित करता है ?
कृपया हमें भी संकेत समझने का संकेत देकर उपकृत करें || सादर ||
हाँ याद आया--
शुक्रवार ८ जुलाई को आप ने निर्मल हास्य प्रस्तुत किया था |
क्या यह संकेत तभी प्राप्त हो गया था |
मुझे इसलिए याद है --
क्योंकि मैंने भी टिप्पणी लिखी थी ||
नया हूँ कृपया मार्ग-दर्शन करें ||
ब्लॉगर ज्ञानचंद मर्मज्ञ ने कहा…
आद. वंदना जी,
चर्चाकार की व्यथा बयान करती निर्मल हास्य की कविता बहुत अच्छी लगी ,शायद इसलिए भी कि इसमें सच्चाई की खुशबू भी समाहित है !
आभार !
८ जुलाई २०११ १०:०० पूर्वाह्न
ब्लॉगर रविकर ने कहा…
आपका हार्दिक अभिनन्दन ||
आभार ||
८ जुलाई २०११ १०:२७ पूर्वाह्न
हटाएं
ब्लॉगर Dr Varsha Singh ने कहा…
हर कोई तुझे सिर्फ
चर्चाकार ही बुलाएगा
और तू अपना असली नाम भूल जायेगा
पर व्यवस्थापक तो मौज उडाएगा
सबसे बढ़िया जुगाड़ है ये
सबको काम पर लगा देना
और खुद नाम कमा लेना
बहुत खूब...
करारा कटाक्ष....
८ जुलाई २०११ १०:४६ पूर्वाह्न
ब्लॉगर यशवन्त माथुर (Yashwant Mathur) ने कहा…
आपकी एक पोस्ट की हलचल आज यहाँ भी है
८ जुलाई २०११ १०:४९ पूर्वाह्न
ब्लॉगर संतोष कुमार ने कहा…
vandana ji bilkul sahi kaha hai.
Aabhaar !!
८ जुलाई २०११ ११:३२ पूर्वाह्न
ब्लॉगर यादें ने कहा…
मिठाई में लपेटी,कड़वी सच्चाई .
वन्दना जी ,बधाई हो बधाई ||
शुभकामनायें !
बेहतरीन चर्चा... धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा।
जवाब देंहटाएंवंदना जी आपकी चर्चा बेहतरीन होती है ... और आपसे चर्चामंच की पहचान भी है... आप जारी रहें ... बाकी अच्छे लिनक्स हैं... भगवन भोले पर लिखना कठिन था सो लिख ना सका... दूसरे सोमवार पर आपकी चर्चा हो और हम शामिल हो.. यही कामना करता हूं...
जवाब देंहटाएंबहुत धन्यवाद जो आपने हमारा पोस्ट लिया।
जवाब देंहटाएंbhaktimay charcha
जवाब देंहटाएंआज के दिन विशेष चर्चा अच्छी लगी ...
जवाब देंहटाएंवंदना जी बहुत अच्छी रही आज की चर्चा .आभार
जवाब देंहटाएं@ ravikar ji, @kunwar kusumesh ji,@mahendra verma ji, @rajesh kumari ji,@ anupama tripathi ji,@ vidya ji , kailash ji,@arun chandra roy ji
जवाब देंहटाएंदोस्तों
सबसे पहले तो मै सबको ये बताना चाहती हूँ कि आजकल मेरी व्यस्तता कुछ ज्यादा बढ गयी है जिस वजह से मै कोई काम सही ढंग से नही कर पा रही हूं जिस वजह से मैने ये निर्णय लिया है इसमे कोई ऐसी वैसी बात नही है क्योंकि मैने एक नयी श्रंखला शुरु की है एक प्रयास पर जिसके लिये मुझे काफ़ी वक्त चाहिये होता है उसे ऐसे ही तो नही लिखा जा सकता और इसका संकेत तो मै शास्त्री जी को काफ़ी वक्त से दे रही थी कि मै अब ज्यादा वक्त नही दे पाऊँगी ये सब कोई अचानक नही हुआ है और दूसरी बात अगले छह महीनो तक मेरा कथाओ मे जाना लगातार होना हैजिस वजह से भी मुझे बहुत मुश्किल होगी इसी कारण मैने ये निर्णय लिया है………जहाँ तक रविकर जी आप उस हास्य कविता की बात कर रहे हैं तो वो सिर्फ़ एक निर्मल हास्य ही है उसका इससे कोई लेना देना नही है क्योंकि शास्त्री जी तो खुद सक्रिय रहे हैं हमेशा तो उनके लिये क्यों कहा जायेगा…………हास्य को आप इस दृष्टि से देखकर सबके दिलो मे गलत संदेश दे रहे है जो गलत बात है………सब यही सोचेंगे कि मेरे और शास्त्री जी के बीच कोई अनबन हो गयी है जबकि हमारे बीच ऐसी कोई बात नही है सबकी अपनी मजबूरीयां होती हैं अगर शास्त्री जी चाहेंगे तो जब मै इन सबसे फ़्री हो जाऊँगी तो दोबारा भी सक्रिय होने का प्रयत्न करूँगी।
ये जानकर मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई कि मुझे मेरे पाठक दोस्त कितना चाहते हैं उन सबकी मै तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूँ।
कोई बात नहीं है , ढूंढने वाले नए एड्रेस पर भी पहुंच जाएंगे चर्चा पढ़ने। ख़ुश्बू आएगी तो हवा बताएगी कि आप कहां हैं और किसकी चर्चा कर रही हैं ?
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएं आपको !!!
ख़ुशी के अहसास के लिए आपको जानना होगा कि ‘ख़ुशी का डिज़ायन और आनंद का मॉडल‘ क्या है ? - Dr. Anwer Jamal