दोस्तों
सोमवार की चर्चा मे स्वागत है।आनन्द लीजिये लिंक्स का।
तोसे नैना लड गये जो इक बार
बस तन मन दीन्हों हार
आगरा
एक अपनी ही कहानी
अद्दभुत डेड सी के नज़ारे इस्राएल में And mysterious Masada
जरूर देखेंगे
गौरैया
क्या कहती है
प्रसन्न कुमार झा की पहिलौंठी कविताएं
गज़ब हैं
उन सब बच्चों को समर्पित, जिनका आज जन्म दिन है और जो घर से दूर हैं !
फिर तो बहुत बहुत शुभकामनायें
एक गज़ल दुबई से...
जरूर पढेंगे
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कौन से हैं?
शाश्वत शिल्प
पढिये एक गज़ल
मैं अपनी योजना में समय को शामिल नहीं करना चाहता
क्यों?
स्वरोज सुर मंदिर (3)
स्वागत है
स्वर्ग-का-फूल-गुलमोहर
क्या कहता है?
तन गई रीढ़
फिर क्या हुआ?
सीधी-सादी, सुंदर चर्चा।
ReplyDelete------
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बहुत सुंदर चर्चा ...... अच्छे लिनक्स लिए
ReplyDeleteबढ़िया लिंक्स
ReplyDeleteचिट्ठों के साथ रोचक टिप्पणियां !
ReplyDeleteसुंदर चर्चा . ....आभार ..''स्वरोज सुर मंदिर'' को स्थान दिया ...!!
ReplyDeletethank mam you for including my blog ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा...
ReplyDeleteसुंदर चर्चा.
ReplyDeleteवंदना जी,
ReplyDeleteनमस्कार
मेरी रचना सम्मिलित करने के लिए आभार।
नवगीत की जगह ग़ज़ल टाइप हो गया है।
हमेशा की तरह बढ़िया चर्चा है ...अच्छे पढ़ने योग्य लिंक मिले... साथ ही आभारी हूँ की समयचक्र की पोस्ट को अपने चर्चा में स्थान दिया है ...
ReplyDeletedead sea ko apni charcha me shamil karne ke liye haardik shukriya Vandana ji main to chahti hoon ki meri is post se logon ko is addbhut dead see ki jankari mile.aapne sabhi link bahut achche daale hain.
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार ||
ReplyDeletesundar sarthak charcha.badhai
ReplyDeleteबहुत सुंदर चर्चा...
ReplyDeleteसुंदर- रोचक चर्चा आभार |
ReplyDeleteअच्छी चर्चा ....अच्छे लिंक्स
ReplyDeleteSABKEE RACHNAAYEN PADH GYAA HOON .
ReplyDeleteBAHUT ACHCHHA LAGAA HAI .CHARCHA
HO TO AESEE HO ! MUBAARAK .
आज की चर्चा कुछ गंजी गंजी सी लगी
ReplyDeleteकरीब करीब सभी लिंक पर हो आये ... सुन्दर चर्चा है ...
ReplyDeletepahli baar charcha manch per aaya..jaankari ke abhava mein ab tak door tha... bibidh bishyon per ek jagah padhne ko milega... sabhi links acche lage... vandana ji aapko hardik shubhkamnaon ke sath
ReplyDeletesundar charcha...thnks
ReplyDeleteवन्दना जी आपने लिंक खूबसूरत उठाए हैं।
ReplyDeleteवंदनाजी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार जो आपने इस चर्चा में शामिल कर और सभी से मिलने का मौका प्रदान किया |
बहुत रोचक लिंक्स हैं आपके ...वंदना जी,
ReplyDeleteशुभ-कामनाएं साथ ही
मेरी कविता को चर्चा-मंच पर सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद|
सधी हुई और रोचक चर्चा!
ReplyDelete--
वन्दना जी!
तुम जिओ हटारों साल,
साल के दिन हों एक हजार!
sunder charcha
ReplyDeleteबेहतरीन लिंक्स ...उम्दा चर्चा
ReplyDeleteवंदना जी,
ReplyDeleteसुंदर चर्चा ...
बहुत रोचक लिंक्स हैं ...
शुभ-कामनाएं !
मेरी रचना "गुलमोहर - चोका" को चर्चा-मंच पर सम्मिलित करने के लिए धन्यवाद !
bahut sunder charcha......
ReplyDeleteshikriya..
ReplyDeleteख़ूबसूरत.....धन्यवाद वन्दना जी ...
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