नमस्कार मित्रों!
मैं मनोज कुमार एक बार फिर से हाज़िर हूं रविवासरीय चर्चा के साथ।
--बीस--
तूफ़ान का सपनाDorothy |
आसुओं में |
--उन्नीस—
अर्धांगिनी की अर्थव्यवस्थाZEAL |
स्वाभिमान के साथ जीने के लिए आर्थिक स्वतंत्रता अवश्य होनी चाहिए ! स्त्रियाँ यदि नौकरी कर रही हैं तो आर्थिक रूप से स्वतंत्र होती हैं , कांफिडेंट होती हैं , परिवार का सहयोग भी करती हैं और अपने कमाए हुए धन को अपनी मर्जी के अनुसार खर्च करके अपना पर्सनल स्पेस भी सुरक्षित रखती हैं ! |
--अट्ठारह—
नफ़्रत ही कोई ढब से निभाये कभी-कभीChandra Bhushan Mishra 'Ghafil' |
तेरे बग़ैर गीत तो गाये कभी-कभी।
पर हर्फ़ कोई छूट सा जाये कभी-कभी॥ मिस्ले-सराय, दिल में तो आये तमाम लोग, |
--सत्तरह—
अब तंबाकू की साधारण पैकिंग करेंगी जादूडा प्रवीण चोपड़ा |
भारत में भी इस तरह के पैकिंग नियम बनाये जाने की सख्त ज़रूरत है लेकिन यह ध्यान रहे कि कहीं चबाने वाला तंबाकू इन नियमों की गिरफ्त से न बच पाए क्योंकि वह भी इस देश में एक खतरनाक हत्यारा है। |
--सोलह—
जात तो पूछो साधो की ....निर्मल गुप्त |
संत कबीर ने नसीहत दी थी -जात न पूंछो साधु की पूछ लीजिए ज्ञान \मोल करो तलवार का पड़ी रहन दो म्यान. |
--पन्द्रह—
यह आदत तो मुझे बचपन से ही लग गई थी। जब मां दाल-चावल के डिब्बों में अपने बचे हुए पैसे छुपाया करती थी। मां को खुद नहीं मालूम होता था कि किस डिब्बे में उसने कितने पैसे छुपाए हैं। मैं चुपके से रसोई में जाकर दाल का डिब्बा खोल लेता। अंदर हाथ डालने पर कई पैसे हाथ में आते। |
--चौदह—
तिलक और आजादVijai Mathur |
बाल गंगा धर 'तिलक'और पं.चंद्रशेखर आजाद की जयन्ति २३ जूलाई पर श्र्द्धा -सुमन |
--तेरह—
"ग़ज़ल-...आज कुछ लम्हें चुराने हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक") |
सुहाते ही नहीं जिनको मुहब्बत के तराने हैं हमारे मुल्क में ऐसे अभी बाकी घराने हैं जिन्हें भाते नहीं हैं, फूल इस सुन्दर बगीचे के ज़हन में आज भी ख्यालात उनके तो पुराने हैं |
--बारह—
बोलती आँखें-हाइकुramadwivedi |
- समीकरण *** होती हैं बातें |
--ग्यारह—
पीड़ा होगी....अरुण कुमार निगम |
शहनाई की मधुर रागिनी , रचो महावर
और हथेली पर मेंहंदी की रांगोली दो दीवाली कर लो तुम अपने वर्तमान को और अतीत की स्मृतियों को अब होली दो. |
--दस—
पण्डित चन्द्रशेखर 'आजाद' - जन्म दिवस पर अमर शहीद का जीवन परिचयpankajprabhakarsingh |
चन्द्रशेखर आज़ाद हमेशा सत्य बोलते थे। एक बार की घटना है आजाद पुलिस से छिपकर जंगल में साधु के भेष में रह रहे थे तभी वहाँ एक दिन पुलिस आ गयी। दैवयोग से पुलिस उन्हीं के पास पहुँच भी गयी। पुलिस ने साधु वेश धारी आजाद से पूछा-"बाबा!आपने आजाद को देखा है क्या?" साधु भेषधारी आजाद तपाक से बोले- "बच्चा आजाद को क्या देखना, हम तो हमेशा आजाद रहते हें हम भी तो आजाद हैं।" |
--नौ—
प्रेम गीत -यही रंग हैजयकृष्ण राय तुषार |
जिसे उर्वशी और
मेनका ने था पाया , यही रंग है जिसे जायसी ,ग़ालिब मीर सभी ने गाया , बिना अनूदित सब पढ़ लेते इसको अनगिन भाषाओँ में | |
--आठ—
मंजु मिश्रा |
मैं अब कभी,
किसी को, सौ बरस जीने का आशीष नहीं दूँगी ! यह आशीष नहीं एक अभिशाप है, एक सजा, जो काटे नहीं कटती.
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--सात—
सूरज के साथ-साथगिरिजा कुलश्रेष्ठ |
वह सत्तर साल का बूढा |
--छह—
आत्महत्या-प्रयास सफल तो आज़ाद असफल तो अपराध .शालिनी कौशिक |
"भारतीय दंड सहिंता की धारा ३०९ कहती है -''जो कोई आत्महत्या करने का प्रयत्न करेगा ओर उस अपराध को करने के लिए कोई कार्य करेगा वह सादा कारावास से ,जिसकी अवधि एक वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से ,या दोनों से दण्डित किया जायेगा .'' |
--पांच—
तोड़ महलिया बना रहेप्रवीण पाण्डेय |
मानव ने पर अंधेपन में, अपनी तृष्णा का घट भरने, सकल प्रकृति को साधन समझा, ढाये अत्याचार घिनौने, |
--चार—
ज़िंदगी के कुछ होलसेल किस्सेनिखिल आनंद गिरी |
सिर्फ शब्दों की तह लगाना नहीं है कविता,..
वाक्यों के बीच छोड़ देना बहुत कुछ होती है कविता... |
--तीन—
रात में अक्सर |
--दो—
छः ग़ज़लें -कवि डॉ० विनय मिश्र |
मौसम से हरियाली गायब जीवन से खुशहाली गायब ईयरफ़ोन हुआ है गहना अब कानों से बाली गायब ईद खुशी की आये कैसे होली गुम दीवाली गायब उतरा है आँखों का पानी औ चेहरे की लाली गायब |
--एक--
किश्तों के सहारेनवीन रांगियाल |
हम तस्वीरें नही मांस और खूं भी नहीं जादूगर तुम भी नहीं मैं भी नहीं
पर जादू है कुछ जिस से सांस आती है सांस जाती है
तुम बस मेरा मिजाज लौटा देते हो साल दर साल किश्तों की तरह और में जिन्दा रहता हूँ तुम्हारी चुकाई हुई उन किश्तों के सहारे |
आज बस इतना ही!
अगले हफ़्ते फिर मिलेंगे।
तब तक के लिए हैप्पी ब्लॉगिंग!!
कुछ बहुत ही अच्छी पोस्टें पढ़ने को मिल गयीं।
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंकों से सुसज्जित शानदार चर्चा!
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार जी!
आपका श्रम स्तुत्य है!
आभार!
शानदार चर्चा...आभार!
जवाब देंहटाएंकुछ लिंक हैं जो अभी देखने बाकी हैं. देखता हूं.
जवाब देंहटाएंशानदार लेख ... इतने बढ़िया बढ़िया लिंक देख कर अच्छा लगा। आभार।
जवाब देंहटाएंमनोज जी ! चर्चा करने का यह अंदाज खासा अलग है.. और मेरी रचना को स्थान दिया ..आपका आभार...
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक पड़ने को मिले.. बहुत बहुत धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंप्रिय मनोज जी ,सामयिक ,उत्कृष्ट ,मार्मिक रचनाओं का सुन्दर सकलन पसंद आया , काबिले तारीफ हैं इस कमाल के ,सराहनीय प्रयास .../ शुभकामनाये जी /
जवाब देंहटाएंbhaut hi sunder sankalan....
जवाब देंहटाएंआभार मेरे पोस्ट को शामिल करने हेतु ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छे लिंक पड़ने को मिले.. बहुत बहुत धन्यवाद....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चर्चा और मेरी भी रचना शामिल...बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार
जवाब देंहटाएंsusanyojit shandar charcha.mere kanooni aalekh ko sthan dene ke liye aabhar.
जवाब देंहटाएंसुंदर चर्चा ,आभार
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को इस सुंदर चर्चा में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद...
जवाब देंहटाएंसादर,
डोरोथी.
बहुत सुन्दर लिंक्स मिल गयीं..आभार
जवाब देंहटाएंये चर्चा भी जोरदार रही ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर लिंक्स सटीक चर्चा।
जवाब देंहटाएंमनोज जी हमेशा की तरह आज भी आपने रविवार का मजा दूना कर दिया ..
जवाब देंहटाएंमनोज जी, महनत आपकी रंग लाई.....
जवाब देंहटाएंदेखो १ नया ब्लॉग मिला..... ये भी डॉ साहिब हैं.
साधुवाद
सुन्दर लिंकों से सुसज्जित शानदार चर्चा!
जवाब देंहटाएंमनोज कुमार जी!
ये चर्चा भी जोरदार रही ...
आभार!
शानदार चर्चा.
जवाब देंहटाएंडा. रमा द्विवेदी
जवाब देंहटाएंमनोज जी ,
अच्छे लिंक देने के लिए धन्यवाद। आपने मेरे हाइकु को भी इस चर्चा में स्थान दिया है उसके लिए बहुत -बहुत शुक्रिया..
charch ke madhyam se kai kavita/lekh padhne ko mila .dhanywad
जवाब देंहटाएंcharch ke madhyam se kai kavita/lekh padhne ko mila .dhanywad
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