चर्चाकार :यह ब्लॉगजगत एस एम् मासूम के नाम से जानता है और अमन के पैग़ाम के नाम से पहचानता भी है. उस सभी सभी ब्लॉगर का शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया जिन्होंने मेरी पहली चर्चा को पसंद किया और इस मंच पे मेरा स्वागत किया. कल मेरे मन मैं अचानक यह ख्याल आया कि "आखिर इन मर्दों को शर्म क्यों नहीं आती? |
राजेंद्र स्वर्णकार जी कि एक बेहतरीन पेशकश बड़े खूबसूरत अंदाज़ मैं. खून खराबे के लिए कब कहता इस्लाम ? |
अब रूबरू हो लें पलाश बहन के खूबसूरत अंदाज़ से .सच्ची मोहब्बत एक आरजू बन कर ही रह गयी ।उनकी यादें हमारी जिन्दगी की वजह बन गयी ॥जिन आंखो में बसते थे तुम काजल बनक |
फिल-वक्त अमरीका की पहले नंबर की समस्या ड्रग एडिक्शन बनी हुई है न कि मोटापा जैसा की अकसर समझा जा रहा है! यह कहना है एक पब्लिक पालिसी ओर्गेनाइज़ेशन का |
स्वस्थ सबके लिए मैं प्रस्तुतकर्ता कुमार राधारमण जी ने एक लेख़ पेश किया है जिसमें वो कहते हैं किविश्वभर में धूम्रपान करने वालों में से १२ फीसदी भारतीय हैं। ये आंकड़े चौंकाने वाले हैं कि धूम्रपान करने के संदर्भ में अगर वैश्विक स्तर की बात की जाए तो भारतीय महिलाओं का स्थान तीसरे पायदान पर है |
अनवर साहब कि यह पोस्ट एक बाप कि मुहब्बत अपनी ओलाद से कितनी हो सकती है साफ़ साफ़ बता रही है. आप के इस दर्द मैं हम आप के साथ हैं लेकिन वक़्त के साथ साथ सब भूलना पड़ता है. सब्र और अल्लाह से दुआ यही मोमिन के लिए दवा है. |
आज रंजना [रंजू भाटिया] को भी पढ़ें देखिये अमृता प्रीतम कि याद मैं क्या कहती हैंयह कैसा हुनर और कैसी कला? जीने का एक बहाना है .....डोगरी लेखिका पद्मा सचदेव की कलम से अमृता ..... |
सुनी मेरी भी मैं प्रवीण शाह जी भी काला को काला और सफ़ेद को सफ़ेद कहते हुए अब लाइट लेने कि सलाह दे रहे हैं. आप भी सुनें उनकी सलाह और फिर करें आपस मैं सलाह |
लीजिये महेद्र मिश्रा जी को देखिये आज बता रहे हैं कि पत्थरदिल इंसान उसको कहते हैं जिसके न कोई सिद्धांत हैं और न कोई आदर्श और न कोई दयाभाव होते है . पत्थरदिल इंसान के पास सिवाय कामवासना तृष्णा के अलावा कोई दूसरा लक्ष्य नहीं होता है |
देखिये उड़नतश्तरी का कमाल मिलते मिलते ,खाते पीते ,बतियाते और आराम फरमाते कर डाले शानदार ब्लॉगर मीट .ऐसे ही मिलते रहें और लिखते रहें.हम भी खुश आप भी खुश और सभी ब्लॉगर भी खुश.. | |
भूषण जी कि लेखनी कि धार से जो वाकिफ हैं वो जानते हैं यह सामाजिक सरोकारों से जुड़ कर ही अपने लेख लिखते हैं. आज एक शानदार लेख आप भी पढ़ें Why Indians have sad faces? भारतीयों के चेहरे उदास क्यों होते हैं | |
डा प्रवीण चोपड़ा बता रहे हैं कि टीबी के ब्लड-टैस्टों में हो रहा इतना गड़बड़-झाला |
देखिये यशवंत माथुर जी को कहते हैं “अपनी आज की इस पोस्ट के द्वारा मैं हिमांशु और इनके मित्रों की इस सजगता को सलाम करता हूँ और माननीया राष्ट्रपति महोदया एवं भारत सरकार से यह मांग करता हूँ कि इनको मिलने वाला पुरस्कार ऐसा हो जो ये भी हमेशा याद रखें और हम सब भी। |
स्वार्थ की दुपहरी में क्यों रहा टहल तन-मन झुलसा देगा अपनों का |
एक बार फिर देश की आत्मा लहू-लुहान हुई है न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है, हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है. |
Minakshi Pant जी कि नयी कविता मेरे दिल को छु सी गयी और इसका ज़िक्र करने का फैसला लिया. .दुनिया कब सिमट गई खबर ही न हुई |वो घर के बड़े - बड़े आँगन , जहाँ बैठ कर सब अपनी कहते और सुनते थे किसी को मनाते और खफा हो जाते थे | उसने कब छोटा सा रूप ले लिया पता ही न चला | | |
रांची के मनीष कुमार जी ने लिखा मियां मैं शायर हूँ शेरों कि गुर्राहट नहीं जाती | |
आयकर रिटर्न की ईफ़ाईलिंग और नियोक्ता द्वारा कटा हुआ कर फ़ॉर्म 26A S से देखें। (E-filing of Income Tax Return and Check deducted Tax from employer in form 26A S) - क्या आपने आयकर रिटर्न भर दिया है, अगर नहीं तो कैसे भरने वाले हैं, हमने इस बार से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भरना शुरू किया है और बहुत ही आसान लगा। आय... | |
विजय कुमार जी आज आप सभी से प्यार और मित्रता के विषय पे कुछ कह रहे हैं. सुनीं और समझें ,अवश्य आप के काम आयेगा | |
जीतेन्द्र चौधरी का व्यंग्य : हिन्दुस्तान अमरीका बन जाए तो कैसा होगा! गर अपना हिन्दुस्तान अमरीका बन जाय तो कैसा रहे? अब आइडिया तो बहुत सारे हैं, लेकिन यहां मैं सीमित ही दूंगा. और कोई फुरसतिया होता तो पाँच पन्ने तो लिख ही डालता, लिखेगा भी, लेकिन हम ठहरे कंजूस सिन्धी माढूं, लिहाजा इत्ते से ही काम चलाओ, हाँ तो लो भैया, अब झेलो |
शुभप्रभात ..बहुत बढ़िया संयाजन ..और बढ़िया लिंक्स ..आभार..
जवाब देंहटाएं* शुक्रिया ऐ ग़मगुसार शुक्रिया,
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ऐ चारासाज़ शुक्रिया
बिना किसी लाग लपेट के खूबसूरत चर्चा!
जवाब देंहटाएंलिंकों का भी चयन बहुत बढ़िया किया गया है!
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आभार!
खूबसूरत चर्चा!लिंकों का भी चयन बहुत बढ़िया किया गया है!
जवाब देंहटाएंइस बार अनवर भाई तो पोस्ट का
जवाब देंहटाएंइन्तजार किये जाग ही रहे थे ,
दनादन टिप्पणी दर्ज कर दी ||
अरे भाईजान जरा ठीक से पढ़ तो लेते,
ऐसी भी क्या जल्दी ||
चलो ठीक है |
दूसरी टिप्पणी की बधाई ||
मासूम भाई
अच्छी पेशकश ||
पहली टिप्पणी पर कुछ इनाम वगैरह भी रखे हैं क्या ?
भैया ख्याल रखना ||
शुक्रिया जनाब ||
ग़मगुसार मनमोहन सिंह और चारासाज़ लालू यादव की तरफ संकेत है क्या ?
जवाब देंहटाएंअनवर भाई दोनों शब्दों का मतलब बताइये ||
बहुत बढ़िया लिंक्स आभार.....!.
जवाब देंहटाएंbahut badhiya charcha . achche link mile....abhaar
जवाब देंहटाएंसुन्दर संयोजन और उम्दा लिंक चयन के साथ खूबसूरत चर्चा!
जवाब देंहटाएं‘टिप्पणी‘ करने वाले बलि के बकरे भी बना लिए जाते हैं :):)
जवाब देंहटाएं@ आदरणीय रविकर जी ! आज पहली टिप्पणी आपकी नहीं हो पाई तो आप ख़फ़ा न हों, कल का इंतेज़ार कीजिए।
मेरे अल्फ़ाज़ ‘ग़मगुसार‘ और ‘चारासाज़‘ का मतलब जानने के बाद आप जान लेते कि मैंने मासूम साहब का इस पोस्ट के तमाम लिंक्स के लिए और अपनी पोस्ट के लिंक के लिए शुक्रिया कहने के साथ साथ उनसे कुछ कहा है जिसे वे तो समझ गए हैं लेकिन आपको और दीगर अफ़राद को समझने के लिए पोस्ट में शामिल मेरे लेख पर जाना होगा।
आज की चर्चा की बदौलत ही मैं जनाब समीर लाल जी के सफ़रनामे को पढ़ सका। वहां मेरी टिप्पणी मेरे पहुंचने का निशान है।
आपके प्यार के लिए शुक्रगुज़ार हूं।
पहली टिप्पणी करने वालों का नाम ‘ब्लॉग की ख़बरें‘ में छापा जा सकता है ‘बतौर ईनाम‘, यदि आप चाहें तो और ज़िम्मेदारी आप संभालें तो।
ख़ैर, सोमवार से ‘हिंदी ब्लॉगर्स फ़ोरम इंटरनेशनल‘ पर ‘ब्लॉगर्स मीट वीकली‘ होगी और उसकी अध्यक्षता करेंगे आदरणीय जनाब ......
और चर्चा को पेश करेंगी एक ...
अब इन दो बिन्दुओं पर आप क़यास लगा कर सही जवाब दें जो कि पहली टिप्पणी करने से भी ज़्यादा मुश्किल है।
ख़ैर एक बात है उस्ताद, आप जानते हैं कि ‘टिप्पणी‘ करने वाले बलि के बकरे भी बना लिए जाते हैं लेकिन आपका हौसला आज भी जवान है। लगता है कि ‘टिप्पणी रहस्य‘ को गहराई से जान चुके हैं।
(यहां मुझे कल्पना में हल्का सा मुस्कुराता हुआ तसव्वुर करें और यदि कल्पना करना मुश्किल हो तो ऊपर लगा फ़ोटो ही देख लें, मासूम साहब ने आपकी सुविधा के लिए पहले ही लगा रखा है।)
धन्यवाद !
फ़ोरम के सदस्यों से एक विशेष संबोधन Hindi Bloggers' Meet (Weekly)
achchhi charcha...badhai
जवाब देंहटाएंachchhi charcha...badhai
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चर्चा और लिंक्स ।
जवाब देंहटाएंyaqeenan ek behad achchhi characha hai ye...
जवाब देंहटाएंaage bhi aisee hi charcha karte rahiye
आजकल ज़मीनों और कमीनों का ज़माना है
मासूम जी चर्चा मंच को इतने खूबसूरत ब्लाग्स से आपने सजाया । बहुत बहुत शुक्रिया आपका , हमे एक ही जगह पर बहुत पढने को मिल गया । हमको इस मंच पर स्थान दिया , वाकई बेहद खुशी हुयी ।
जवाब देंहटाएंbahut upyogi links samete hue sarthak charcha .badhai
जवाब देंहटाएंbahut upyogi links samete hue sarthak charcha .badhai
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिंक्स आभार.....!.
जवाब देंहटाएंअच्छे लिंक्स...अच्छी चर्चा...
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबढ़िया लिंक्स आभार.....!
जवाब देंहटाएंbahut badiyaa charcha-manch jise aapne bahut sunder dhang se sajaayaa hai .bahut achche links se parichay karayaa hai aapne.badhaai aapko.
जवाब देंहटाएंरचना शामिल करने के लिए और अमूल्य लिंक्स देने के लिए आभार.
जवाब देंहटाएंअमृताजी जीवन के अंतर द्वंद्व ,मानसिक कुहांसे का नया व्याकरण कोई आपसे बुनना सीखे .बेहतरीन रचना ,अपने से बाहर आने की कश - म -कश . जीवन से संवाद का नया अंदाज़ लिए रहतीं हैं आपकी रचनाएं .
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर सम्पादन संयोजन और टिप्पणियाँ करते तारतम्य बनाते आगे बढ़ें हैं मासूमजी .बधाई ,मेहनत से प्रस्तुत की है पोस्ट पाठाक को पढने के लिए प्रेरित करती .