सादर अभिनन्दन ! !
चर्चाकारों की रचनाएं ब्लाग पे जाकर पढ़ लेना,
सोच समझ कर सरस भाव से मित्र टिप्पणी कर देना | -- रविकर
हर हर बम-बम / बम बम धम-धम
थम-थम, गम-गम,हम-हम, नम-नम दम-ख़म, बम-बम,
तम-कम, हर-दम |------
समदन सम-सम, समरथ सब हम | समदन = युद्ध
ऐयाशी - ऐयारी, विघातक गुंडई |
घायल दो सौ, मरे भी कई |
नहीं कत्तई नहीं--बम विस्फोट, दहली मुंबई | तो क्या पब्लिक, हिम्मत हार गई ? (1)मन पाए विश्राम जहाँhttp://anitanihalani.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.html
बम विस्फोट
हवा में उठता शोर, गंध, शोले और
चीथड़े लाशों के
दो पल में जिंदगी ने दम तोड़ा
कटे सर, कहीं धड़
बर्बरता ने सारी सीमाओं को छोड़ा |
'ग़ाफ़िल' क्या हुआ ज़माने को?
ये कैसे बेड़ा ग़र्क़ हुआ?
क्यूँ दो कौड़ी की कीमत पर,
ईमान भुनाये जाते हैं?
(2)
मैं मेरे ही देश में कब तक फटता रहूँगा???http://www.diwasgaur.com/2011/07/blog-post_14.html |
(3)पापा तुम घर क्यों न लौटे?मुंबई में धमाके ,कितनी ही जानें बस एसे चली गई जेसे हवा हो,किसी ने बेटा किसी ने पति किसी ने माँ,किसी ने पिता खो दिया . उनके दर्द को हम लोग शायद नहीं समझ सकते पर मैंने एक छोटी सी कोशिश की है समझने की ,कि जब सुबह घर से काम के लिए निकले किसी के पापा घर नहीं लौटते होंगे तो क्या भावनाएं हो सकती है.... |
(5)"आवाज मेरे मन की" "Voice of My Mind"http://chetankavi.blogspot.com/♥माँ( अनमोल चरित्र ) ♥♥ |
(9)
What is success?
http://primarykamaster.blogspot.com/
(10)अनीह ईषनाचल-चला-चलhttp://swativallabharaj.blogspot.com/2011/06/blog-post_20.html#comments |
बंद करो ये अत्याचार |
(14) |
ढूँढता रब को फिरा हूँ, इस जहाँ से उस जहाँ | भूल बैठा था कि रब का, रुप ही होती है माँ!
आदतन इस बात को भी, देर से जाना है मैने!
-समीर लाल ’समीर
(15) http://kavita-knkayastha.blogspot.com/ नीरज ह्रदय की रचना मेरा ईश्वर |
(16)मा पलायनम !http://manjulmanoj.blogspot.com/महामहोपाध्याय प्रो.वाचस्पति उपाध्याय :अश्रुपूरित श्रद्धांजलि |
सम्मान्य रविकर जी ,
जवाब देंहटाएंचर्चा में अभिनव सृजन को भी सम्मिलित करने के लिए आपका आभारी हूँ .
शीर्षक कौतूहल पूर्ण है .
गुरुवर तुम्हें प्रणाम
--------------
अभिनव अनुग्रह
सिंहावलोकन शामिल होने की सूचना एडवांस में मिल गई थी, धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर समायोजना चयन और प्रस्तुति .संक्षिप लेकिन मनोहर .
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा,रविकर जी.
जवाब देंहटाएंसुन्दर और संतुलित चर्चा, बढ़िया लिंक्स...बधाई
जवाब देंहटाएंdhanyawad ravikar ji
जवाब देंहटाएंबेहतरीन प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंसंतुलित चर्चा और अच्छे लिंक्स
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया चर्चा रहा!
जवाब देंहटाएंसंतुलित और सटीक चर्चा
जवाब देंहटाएंरविकर जी, आभार ! चर्चा काफ़ी अच्छी रही. कुछ नए लिंक भी मिले.
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रविकर जी...यहाँ मुझे भी शामिल करने के लिए आपका आभारी हूँ|
जवाब देंहटाएंमैं देखता हूं कि कुछ चर्चाकार वाकई बहुत मेहनत करते हैं। लगता है कि काफी समय देकर इस मंच को सजाया है।
जवाब देंहटाएंआज की चर्चा में लिंक्स बढिया हैं, पर बेमन से तैयार किया गया लगता है।
मुझे उम्मीद है चर्चाकार इसे अन्यथा नहीं लेगें।
महेन्द्र श्रीवास्तव जी!
जवाब देंहटाएंमेरे सभी साथी चर्चाकार चर्चा मंच के बहुत परिश्रम के साथ सजाते हैं!
रही बात कम या ज्यादा लिंक देने की तो जरूरी तो नहीं कि कि सभी की पोस्ट शामिल कर ली जाएँ!
वैसे भी सबको सन्तुष्ट कर पाना सम्भव नहीं है।
चर्चा मंच एक निष्काम सेवा है! हम लोग आपको पढ़ने के लिए एक ही स्थान पर काफी सामग्री दे देते हैं। अर्थात कुछ देते ही तो हैं! इसमें मन और बेमन की शंका का तो कोई प्रश्न ही नहीं है।
--
रविकर जी का आभार मानता हूँ कि उन्हंने आज की चर्चा में नये ब्लॉगरों को भी समाहित किया है!
संतुलित चर्चा .
जवाब देंहटाएंसुंदर लिकों चयन,मनभावन चर्चा!
जवाब देंहटाएंबांचूंगा जाकर अब, एक-एक पर्चा!
lajawaab charcha hai ...
जवाब देंहटाएंmaafi mangna chahungi der se manch pe aane k liye.meri kavita shamil karne ke liye dhanywaad.bahut hi sundar charcha.
जवाब देंहटाएं